13 Jan 2016

गुरु गोरख दीक्षा.

गोरखनाथ के गुरु मत्स्येंद्रनाथ थे। मत्स्येंद्रनाथ इतने ज्यादा योग्य थे कि लोग उनको शिव से कम नहीं मानते थे। उनको लोग इंसान नहीं मानते थे, क्योंकि उनमें इंसानों जैसी बात बहुत कम ही थी। उनकी लगभग हर बात जीवन के किसी दूसरे आयाम की ही थी। कहते हैं कि वे अपने नश्वर शरीर में 600 साल तक रहे। आम तौर पर वे समाज से दूर ही रहते थे। उनके कुछ थोड़े-से प्रचंड और तीव्र शिष्य ही उनसे संपर्क कर पाते थे। गोरखनाथ उन्हीं में से एक थे।



दादा गुरु मत्स्येन्द्रनाथ जी के प्रति गुरु भक्ति

एक बार की बात है, मत्स्येंद्रनाथ गोरखनाथ के साथ कहीं जा रहे थे। उन्होंने एक छोटी-सी नदी पार की। मत्स्येंद्रनाथ एक पेड़ के नीचे बैठ गए और बोले, ‘मेरे लिए पानी ले आओ।’ गोरखनाथ तो एक सिपाही की तरह थे। उनके गुरु ने पानी मांगा था और वह तुरंत इस काम को पूरा कर देना चाहते थे। पानी लाने के लिए वह नदी की ओर चल दिए। उन्होंने देखा कि उस छोटी-सी नदी से उसी समय कुछ बैलगाडिय़ां होकर गुजरी हैं, जिसकी वजह से उसका पानी गंदा हो चुका था। वह दौड़ते हुए अपने गुरु के पास आए और बोले, ‘गुरुजी, यहां का पानी गंदा है। यहां से थोड़ी ही दूरी पर एक और नदी है। मैं वहां जाकर आपके लिए पानी ले आता हूं।’

मत्स्येंद्रनाथ ने कहा, ‘नहीं, नहीं। मेरे लिए इसी नदी से पानी लेकर आओ।’ गोरखनाथ बोले, ‘लेकिन वहां का पानी गंदा है।’ मत्स्येंद्रनाथ ने कहा, ‘मुझे उसी नदी का और उसी स्थान का पानी चाहिए। मुझे बहुत प्यास लगी है।’ गोरखनाथ फिर से नदी की ओर दौड़े, लेकिन पानी अभी भी बहुत गंदा था। उन्हें समझ में नहीं आया कि क्या करें। वे लौट कर फिर गुरु के पास आए।

मत्स्येंद्रनाथ ने फिर वही कहा, ‘मैं प्यासा हूं। मेरे लिए पानी लाओ।’ गोरखनाथ बुरी तरह उलझन में फंस गए। वह यहां से वहां यह सोचते हुए दौड़ते रहे कि आखिर क्या किया जाए। वे फिर से गुरु के पास आए और प्रार्थना की, ‘यहां का पानी गंदा है। मुझे थोड़ा वक्त दीजिए। मैं आपको दूसरी नदी से साफ पानी लाकर देता हूं।’ गुरु बोले, ‘नहीं, मुझे तो इसी नदी का पानी चाहिए।’

उलझन में डूबे गोरखनाथ वापस नदी पर गए। उन्होंने देखा कि अब नदी का पानी कुछ स्थिर हो गया है और पहले के मुकाबले थोड़ा साफ है। उन्होंने थोड़ा और इंतजार किया। कुछ देर में पानी पूरी तरह साफ हो गया। गोरखनाथ आनन्द विभोर होकर पानी लिए गुरु के पास पहुंचे और मत्स्येंद्रनाथ को पानी दिया। मत्स्येंद्रनाथ ने पानी एक तरफ रख दिया, क्योंकि वे वास्तव में प्यासे नहीं थे।

दरअसल, वह इस तरह को एक संदेश दे रहे थे। गोरखनाथ एक ऐसे इंसान थे जो गुरु की कही बात हर हाल में पूरी करते। अगर उनसे एक मंत्र का दस बार जाप करने को कहा जाता, तो वह उसका दस हजार बार जाप करते। वह हमेशा गुरु की आज्ञा पूरी करने को तैयार रहते। जो उनसे कहा जाता, उसे बड़ी श्रद्धा और लगन के साथ पूरा करते थे। यह उनका महान गुण था, लेकिन अब वक्त आ गया था कि वे दूसरे आयाम में भी आगे बढ़ें, इसलिए मत्स्येंद्रनाथ ने उन्हें समझाया- यहां-वहां भाग-दौड़ करके और मेहनत करके तुमने अच्छा काम किया है, लेकिन अब वक्त आ गया है, जब तुम्हें बस इंतजार करना है, और तुम्हारा मन बिलकुल शांत और साफ हो जाएगा।





आज आपको एक येसा मंत्र दे रहा हू जिससे आपको गुरु गोरखनाथ प्रेम देगे,शिष्यत्व देगे,अपना शिष्य समजकर स्वयं की शक्तियाँ प्रदान करेंगे,स्वयं गुरु के तरह आपको वह सब देगे जो आपका कामना हो।मुख्य बात बता देता "इस मंत्र के जाप से आप गुरु गोरखनाथ जी के शिष्य बन जायेंगे और वह आपके गुरु बन जायेंगे",एक बात याद रखिये गुरु गोरखनाथ जी ने अपने देह को त्याग नही किया है। इसलिये वह आज भी  स्वयं प्रत्यक्ष रूप मे अपने शिष्य के सामने प्रत्यक्ष हो जाते है। जिन्हे जिवन मे गुरु नही है वह गोरखनाथ जी को गुरु मानकर दीये हुए मंत्र का जाप किसी भी गुरुवार से प्रातः शुरु करें।

सर्वप्रथम पिला वस्त्र बिछाये और उसके उपर गोरखनाथ जी का कोइ भी सुंदर चित्र स्थापित करें।अब गोरखनाथ जी से प्रार्थना करे "हे नाथ,आप सर्वव्यापी है आप सिद्ध गुरु है कृपया मुझे अपना आशिर्वाद प्रदान करके अपना शिष्य बना लिजीये,मै आजसे आपको ही अपना गुरु मानता हू"। इस तरह प्रार्थना करके मंत्र का जाप रुद्राक्ष माला से शुरु करें। रुद्राक्ष माला ही आपका गुरुमंत्र माला है,जिसका उपयोग सिर्फ इसी मंत्र जाप हेतु करे। यह सिर्फ गोरखनाथ जी का मंत्र ही नही है अपितु एक शिष्य के लिये गुरुमंत्र है और समस्त सन्सार मे गुरुमंत्र को ही चिंतामणि मंत्र कहा जाता है।

इस मंत्र से समस्त साधना मे सफलता प्राप्त होता है। गुरुकृपा प्राप्त होती है। सभी मनोकामनाये गुरु गोरखनाथ जी पुर्ण करते है और अपने शिष्य की सदैव रक्षा करते है।




गोरख गुरुमंत्र:-

।।सोहं गोरक्ष गुरुर्वै नमः ।।

soham goraksha gururvei namah




इसी मंत्र से कुण्डलीनी जागरण भी सम्भव है। मंत्र दिखने मे भले ही छोटा है परंतु गुरुमंत्र है,इसलिए आजमाने हेतु मंत्र का जाप ना करे और नित्य मंत्र का 1,3,5,7,11.....21 की संख्या मे जाप किया करे। मंत्र जाप पुर्ण विश्वास और श्रद्धा के साथ करे तो आपका जिवन ही बदल जायेगा।




तंत्र-मंत्र को इतना बुरा माना जाता है कि उसके पास फटकने से भी मना किया जाता है। यह हमेशा बुरा नहीं होता, लेकिन बदकिस्मती से इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर इसी तरह से किया गया है। कोई भी विज्ञान या टेक्नालॉजी बुरी नहीं होती। लेकिन अगर हम टेक्नालाजी का इस्तेमाल लोगों की जान लेने और उनको यातना देने के लिए करते हैं, तो कुछ समय बाद लगेगा कि टेक्नालाजी बुरी चीज है। तंत्र-मंत्र के साथ यही हुआ है, क्योंकि बहुत ज्यादा लोगों ने अपने निजी फायदे के लिए इसका गलत इस्तेमाल किया। इसलिए आम तौर पर तंत्र-मंत्र को आध्यात्मिक मार्ग से दूर ही रखा जाता है।

आप् अपना अमुल्य जिवन श्रेष्ठ बनाये यही मै चाहता हूं।




Guru Gorakh initiation.

The Guru Gorakh Nath was Matsyendranath. Matsyendranath deserved so much that people do not believe they were less than Shiva. Those people did not feel human, because they speak like humans was very low. Almost every thing in his life was that of another dimension. In your mortal body until they are 600 years. Generally they lived away from society. Some few of them were able ragged and intense student with her. Gorakh Nath was one of them.

Devotion to the Guru Guru Ji grandfather Mtsyendranath

Once upon a time, the Matsyendranath were going somewhere with Goraknath. He crossed a small river. Matsyendranath sat under a tree and said, "Bring me water. 'Goraknath were like a soldier. His master was asked for water and she immediately wanted to accomplish this task. He walked to the river to fetch water. He saw the small river that passed through the same time some Balgadiyhan, because of which the water was dirty. He came running to his master and said, 'Master, here is the dirty water. And is a short walk from the river. I'd go out and get water for you. "

Matsyendranath said, 'No, no. I bring water from the same river. "Goraknath said," but the water is dirty. "Matsyendranath said," I want water in the river and in the same location. I'm very thirsty. "Gorakhnath again rushed to the river, but the water was still very dirty. He did not know what to do. They came back to the master.

Matsyendranath the same again, "I am thirsty. Bring water to me. "Goraknath caught badly confused. He ran from here to there, thinking that what it should be. They then went to the master and prayed, "The water is dirty. Give me some time. I am bringing clean water from the river. "Guru said, 'No, I want water in the river."

Confused immersed Goraknath were back on the river. He saw that some of the river water has stabilized and is a bit clearer than before. He waited some more. Sometime in the water to be cleaned thoroughly. Joy and rushed to Guru Gorakh Nath water and the water Matsyendranath. Matsyendranath the water put aside, because they were not really thirsty.

Indeed, he was delivering such a message. Gorakh Nath was a man who was master of the fulfillment of the matter. If they are asked to recite a mantra ten times, then his ten thousand times chanting. He is always willing to mentor decree. Which is said to them, it was completed with great reverence and devotion. It was his great qualities, but now the time has come that they proceed in the other dimension, so Matsyendranath explained them here and catch up and work hard and you have done well, but now the time has come, When you just have to wait, and your mind will be quiet and clean.

Today I am giving you a Yesa mantra that you love guru Gorakhnath shelve, discipleship shelve, his disciple Smjkr will own powers, their own kind of mentor you shelve all that you tell your wish to Hokmuky "chant the mantra You will become a disciple of Guru Gorakhnath and he will become your master, "Remember one thing Guru Gorakhnath has not abandoned his body. So she still direct themselves directly in front of his disciples become. Life is not master in whom the master as a lamp that Gorakhnath any Thursday morning to start the chant.

First, drink and clothing laid on top of her beautiful pictures Gorakhnath Any installed them.Now Gorakhnath pray, "O Lord, you have the ubiquitous his disciples by providing proven master made me your blessings Liziye, I own to you from today! Who believes master ". Such prayerful chant start of Rudraksha beads. Rudraksha Mala Mala Your Gurumntr, used only for the chanting to. It is not only just but Gorakhnath mantra is a disciple and all the Gurumntr Gurumntr in Snsar mantra is called the Chintamani.

All of this spells success is achieved in practice. Gurukrupa receive. All Mnokamnaie Guru Gorakh Nath Ji is absolutely and always protect your student's.

Gorakh Gurumntra: -

soham goraksha gururvei namah

This spells Kundlini awakening is possible. Even though small in appearance but Gurumntr spells, so try not to chant for the continual mantra chanted in the number of 21 to ..... 1,3,5,7,11. Mantra chanting with faith and devotion to the absolutely will change your Life.

Occult is considered so bad that he is forbidden from Ftkne. It is not always bad, but unfortunately it has been used extensively similar. Any science or technology is not bad. But if we use technology to kill people and to torture them, then take some time, that technology is bad. That is with the occult, because too many people misused it for their personal benefit. So generally occult kept away from the spiritual path.




आदेश......