25 Dec 2013

औघड़ गोलक साधना

जय औघड़नाथ ………

 

आज एक रहस्य कि बात लिख रहा हु बहोत दिनों से मै और मेरे साथ में कार्य करने वाली टीम मिलकर औघड़ साधना के लिये प्रमाणिक सामग्री का व्यवस्था कर रहे थे जिसमे हमें पावागढ़ स्थित योगी त्रिलोकनाथ जी से संपर्क में थे,आप में से जो भी व्यक्तिगत उनसे मिलना चाहते हो तो मै मिलवा दुगा,उन्होंने हमारे टीम को एक कार्य दिया था "औघड़ गुटिका"को पारद द्वारा निर्मित करने का जिसका विधि इस प्रकार था ………… 

२ किलो पारद द्रव्य को भूतकेशी,जटा-शंकर,अमर-कंटकी और काला-बचनाग के रस में मिलाकर किसी भी अमावस्या के दिन जहा पे कोई प्रेत जलाया जायेगा उसी स्थान में आधा-एक  फिट का गड्ढा खोदकर गाड़ देना है,इस द्रव्य पे कम से कम तिन चिता जलना चाहिए ताकि अग्नि के ऊर्जा से यह द्रव्य का मिश्रण सही तरह से पक जाये,उन्होंने एक बात समझायी जैसे भूतकेशी किआ रस मिलाने से भोट-प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है और साथ में ही इन साधना मे १००% पूर्ण सफलता शीघ्र मिलता है,जटा-शंकर का रस डालने से स्वयं भूतनाथ का स्थापना होता है जिसके माध्यम से साधनात्मक सभी दोष निकलते है और इतर योनि साधनाये आसानी से सिद्ध किया जा सकता है,अमर-कंटकी तो अपने आपमें एक ऊर्जा है जैसे इससे बने आसन पर बैठकर साधना करो तो शरीर में विशेष ऊर्जा का प्रवाह होता है,शरीर बहोत ज्यादा गरम होता है और साधना में बैठने का क्षमता बढ़ जाता है,काला बचनाग का जड़ सन्यासी भाई हमेशा अपने आसन के निचे रखकर साधना करते है जिससे उन्हें महाविद्या साधना में पूर्ण सफलता मिलाता ही है और गृहस्थ सिर्फ सिद्ध करने के पीछे अपने चिंतन को बनाये रखते है जिसमे सफलता का उम्मीद नहीं होता है.

जब यह द्रव्य पक जाये तो उसे गोलक के रूप में आकार देना है और बकरे के गर्दन के निचे सारे गोलक(गुटिका) रखकर बकरे को इस तरह से कटना है के उसका रक्त गोलक के ऊपर से बहेना चाहिए ताकि गोलक में जान आजाये,येसे गोलक को औघड़ गुटिका कहा जाता है 

उन्होंने हमें ६ साधनाये प्रदान किया है जो पूर्ण सिद्ध साधना है जिनमे सफलता प्राप्त करना अब आसान हो गया है,हमने अब तक इस गोलक पर ३५ हजार रुपया खर्च किया है और हमें सिर्फ इनमेसे ४ गोलक का काम है,इस द्रव्य से ९-१० गोलक बन सकते है कुछ ज्यादा नहीं,हम इस गोलक को कॉन्ट्रीब्यूशन करके साधकोंको देना चाहते है,एक गोलक को बनाने मे ३५०० रुपये का खर्च होता है.............. इसमें किसी प्रकार का कोई भी इनकम नहीं है,क्युकी एक गोलक एक साधक के लिए बहोत है तो ५-६ बचे हुए गोलक का हमें क्या फायदा इसलिये इन्हे हम बाकि साधकोंके हाथ में सौप रहे है और साथ में वह ६ साधनाये भी,फिर भी अगर कोई साधक इस गोलक को लेकर योगी त्रिलोकनाथ जी के सानिध्य में संपन्न करना चाहता है तो उस साधक का संपर्क हम उनसे करवा देगे और आप उनके सानिध्य में यह सिद्ध साधनाये कर सकते है.

अब तक द्रव्य के ऊपर दो चिता ये जल चूका है और कुछ ही दिनों में यह गोलक पूर्ण होने के स्थिति में है ................ 



जो भी साधक भाई  इस अवसर का लाभ उठाना चाहते है वह मुज़े ईमेल कर दीजिये "amannikhil011@gmail.com" ,मै  उनको जल्द ही गोलक और ६ साधनाये भेजने का प्रबंध करवाता हु और साथ ही योगी त्रिलोकनाथ जी से संपर्क करवा देता हु ताकि आपको उनका पूर्ण मार्गदर्शन मिल सके,भारत में येसा गोलक आज के समय में कोई भी निर्मित नहीं करता है,गोलक बनाना मुश्किल ही नहीं बल्कि एक चुनौती भरा कार्य है जिसे अथक प्रयासो से पूर्ण होते देखा जा रहा है,येसा गोलक कोई और बनाके दिखादे तो सारे गोलक उसे हम फ्री में दे दे .............. 

इस गोलक के और भी कई लाभ है जिन्हे आप अनुभूतित कर सकते है और यह साधनाये अपने घर पर बैठकर योगी त्रिलोकनाथ जी से संपर्क करने माध्यम से कर सकते है………………और भी कुछ जानना चाहते हो तो ईमेल से संपर्क होगा क्युकी फेसबुक पर अब मै नहीं हु............... 

 

 

श्री-सदगुरुजी-चरणार्पण मस्तु

10 Nov 2013

BHOOT SIDDHI SADHNA


तंत्र का एक अलग ही गति होता है,वह गति जिसे मापना संभव ही नहीं बल्कि नामुमकिन है,और इसी तंत्र के क्षेत्र मे इतर योनियो से संपर्क करने का यह सर्वश्रेष्ठ दिवस माना जाता है “भूत तंत्र सिद्धि दिवस जो १५ दिसंबर २०१३ के अवसर पर है,इस दिन का रात्री का पर्व स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है,परंतु विवशता के कारण आज तक यह साधना देने मे बहोत ज्यादा समय लग गया फिर भी साधक वर्ग का चाहत इस साधना हेतु बहोत ज्यादा है,यह साधना है अपितु एक क्रिया भी है॰यह साधना कमजोर हृदय के व्यक्ति ना करे अन्यथा परिणाम आपको ही भुगतने पड़ेगे,१५ तारीख से पूर्व आप कोई भी सुरक्षा कवच या मंत्र सिद्ध कर लीजिये ताकि साधना मे आपको परेशानी के समय सहायता प्राप्त हो,यह साधना ज्यादा से ज्यादा १-२ घंटे का ही है और एक ही दिवसीय है,साधना से पूर्व किसी भी पीपल के पेड़ का व्यवस्था कर ले ताकि आप रात्री मे वहा साधना सम्पन्न कर सके,वहा पे आपको कोई परेशान ना करे और नहीं आपको वहा कोई देखने वाला हो,साधना एकांत मे करनी है,समय रात्रि मे ११:३६ से १२:३६ रहेगा सारी क्रिया इसी समय मे करनी है और प्रत्यक्षीकरण इसी समय मे होगा,साधना मे किसी माला का आवश्यकता नहीं है हा हो सके तो इतर योनि सुरक्षा कवच आप गले मे धारण कर सकते है जिससे आपको कोई शक्तिशाली भूत सिद्ध हो,सर्वप्रथम एक नारियल का कटोरा लेना जैसे हम नारियल तोड़ते है तो उसके २ टुकड़े हो जाते है,तो इस मे से एक टुकड़ा लेना है जो बाहरी भाग होता,जो हम खाने मे प्रयोग करते है वह भाग नहीं लेना है॰रात्री मे पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर एक सुरक्षा गोला खिचे वहा पे बैठकर नारियल का सामान्य पूजन करके नारियल का बलि देदे फिर वृक्ष का स्पर्श न करते हुये भी वृक्ष का सामान्य पूजन करे,नारियल के कटोरे के अंदर केवड़े के रस और अनार के कलम से “भूत सिद्धि” यंत्र निर्मित करे,यंत्र का सामान्य पूजन करे और वृक्ष के नीचे ४ लोहे के कील गड़ा दे और उसिपे कटोरे को रखिये फिर कटोरे मे दूध,शक्कर और साबुत चावल डालिये,अब किल्लो के नीचे बबूल का लकड़ी डालकर उन्हे अग्नि से प्रज्वलित करे,यहा आप कह सकते हो के हमे खीर पकानी है और अग्नि का तापमान कम होना चाहिये नहीं तो कटोरा ही टूट जायेगा,यह सारी क्रिया करते समय और खीर बनते समय

॥ ॐ भ्रं भ्रुं भूतनाथाय आगच्छ आगच्छ प्रत्यक्षं दर्शय स्मरण मात्रेन प्रकटय प्रकटय मम शीघ्र कार्य सिद्धिम कुरु कुरु भ्रुं भ्रं फट ॥ 


मंत्र जाप करना है,जैसे जैसे खीर का खुशबू फैलेगा और आपके मंत्र का ध्वनि भी वैसे ही शीघ्रता से आपके सामने भूतो का प्रत्यक्षीकरण होना शुरू हो जायेगा,अब यहा पे तो सब किस्मत का खेल है १ से ४-५ भूत आये तो टिक है नहीं तो खीर को वही वृक्ष मे अर्पित करके वहा से क्षमा मांगकर चले जाये क्यूके अगर १०-१२....२०-२५.........आगये और आपने उन्हे सिद्ध करने का कोशिश किया तो शायद वही आपके जीवन का आखरी समय होगा,इसिलिये आप कुछ तय्यरिया करके साधना को सम्पन्न करे,जब १-२ भूत प्रत्यक्ष हो तो वह आपको खीर मांगेगे तो येसे समय मे आपको बोलना है “आप मेरा कार्य सिद्ध करे तो मै आपको खीर का कुछ अंश दुगा और मै आपको जब स्मरण करुगा तो आपको प्रत्यक्ष होना पड़ेगा” उनके हा बोलतेही आप उन्हे उनको कोई नाम दे दीजिये ताकि उसी नाम से उन्हे स्मरण करने मात्र से वह आपको दर्शन देगे और आपका कार्य सिद्ध करेगे,जब कार्य हो जाये तो उन्हे खीर के १-२ चावल के दाने दे दीजिये,जब साधना मे सफलता मिल जायेगा और आप घर पे वापस आजायेगे तो दुसरे ही दीन आप खीर को धूप मे सुखाये कुछ दिनो तक सुखाने के बाद चावल अलग अलग हो जायेगे तो आप चावल के दाने संभाल के रखे ताकि भविष्य मे आपको लाभ हो,साधना से उठने के बाद सीधा घर पे जाये और पीछे मूड कर ना देखे,आपको बहोत सी आवाज़े आसकती है,आपको उसी स्थान पे वापस लौट ने का आवाहन किया जा सकता है परंतु आप मोह मे ना पड़ते हुये सीधा घर पे लौट जाये.............
साधना मे आवश्यक सामग्री-१ नारियल,गुलाब के पुष्प,केवड़ा रस (इत्र का प्रयोग वर्जित है),४ कील,बबूल का लकड़ी,घी और कपूर (लकड़ी जलाने के लिये),भूत सिद्धि यंत्र(१-५ दिसंबर तक 
आपको प्राप्त हो जायेगा),इतर योनि सुरक्षा कवच(जो आपको सफलता और सुरक्षा प्रदान करे)



दूसरी बात-जो व्यक्ती यह साधना नहीं कर सकते है वह व्यक्ति भूत सिद्धि यंत्र को प्राण-प्रतिष्ठित करके उसे तकिये के नीचे रखकर सो जाये तो स्वप्न मे उन्हे इतर योनिया दर्शन देती है आज तक का यह अनुभव है॰




BHOOT SIDDHI SADHNA


The system has a different speed, it is impossible not only possible to measure the speed, and other similar mechanisms in the area to contact Yonio Day is considered the best "ghost mechanism accomplishment Day" event on 15 December 2013 On the night of the day of the festival is considered auspicious well established, but because of the compulsion to practice to date in this class job seeker still garner took to the practice garner, it spiritual, but a verb This practice also weakens the person's heart does not result otherwise you'll need to face, on the 15th before you take any protective armor or spells proven so in practice aided time of trouble, the practice at most 1 2 hours and the same day of the order of practice before taking any oak tree in the night there, so you could practice concluded, there should not be disturbed on you and you do not there's no one looking, Silence take in solitude, time 12:36 to 11:36 in the night will have all the action in the same time and in the same time would be the manifestation, in practice, does not require a series of safeguards ha, if possible, other vaginal hold you in the throat so you can make a powerful ghost proved, we first take a bowl of coconut coconut pieces are broken, it is 2, then take a bite out of the outer part, which we have used in foodpomegranate juice and the pen "ghost accomplishment" to build instruments, instrument common to worship and give the tree and buried under 4 iron nail Usipe put the cup in the cup milk, add sugar and wholegrain rice, now under Killo Put them to ignite the fire of acacia wood, here you can tell us to cook the pudding and the temperature should be less if not fire bowl will be broken, while the entire process and the time of Heel
Chanting the mantra, such as sweet aroma fills the sound of your mantra just as quickly you will start to be the manifestation of the ghostly, so here is a game of luck on all the ghosts come from 1 4-5 is then tick Not so sweet in the same tree there to offer some excuse to be gone if Kyuke Agye 10-12 .... 20-25 ......... and if you try to prove to them that maybe your life The last time, will you Tyyria Therefore, the practice to conclude, when 1-2 specter Heel ask you directly if he is speaking to you in time, so Yese "If you like my work to prove the pudding and I am a part of Duga When you remember Kruga you have to be direct, "a name they give their ha Boltehi you enter them with the same name to remember them just shelve it and you see your work shall prove, then they should be the task of the pudding 1-2 Please give a grain of rice, and you will find success in the practice back at home Ajayege then dried in the sun for another few days to the poor and you pudding rice after drying, will be different, so you should handle grain of rice in the future you benefit, directly after getting up from meditation mood behind at home and not be seen, you have an extremely small voices Askti, you may be called upon by returning the same location, but you will get it in fascination at home straight to return .............
In practice the necessary material-1 coconut, rose, floral, sisal juice (using perfume is forbidden), 4 wedge, of acacia wood, ghee and camphor (for burning wood), Ghost accomplishment device (1-5 December
You will receive), other vaginal protective shield (to protect you and success)
The second thing is that a person can not cultivate it, he distinguished life ghost accomplishment device may sleep with it under his pillow and in dreams he is a non-Yonia philosophy until today it has experienced.




Aadesh.....


5 Oct 2013

नवरात्रि के प्रयोग


यह प्रयोग दिखने मे साधारण है परंतु पूर्ण प्रभावशाली है,सिर्फ इनमे आपका विश्वास अटूट होना चाहिये क्यूके यह सभी प्रयोग माँ जगदंबा राणी के है जो इस संसार की जगत-जननी है...........

==============================================================
१>    प्रथम दिवस पे लाल वस्त्र मे अपनी ३ मनोकामना बोलकर ३ लौंग बांधकर माँ के चरनो मे समर्पित करे और “ॐ ह्रीं कामना सिद्ध्यर्थे स्वाहा” का १०-१५ मिनिट तक जाप करे,दूसरे दिन सुबह पवित्र होकर लाल वस्त्र मे देखे कितनी लौंग बची हुयी है,अगर सारी लौंग गायब हो जाए तो समज लीजिये ३ कामनाये पूर्ण होगी,क्रिया का समय है रात्रि मे ११:३६ से ०१:४२ तक..........


२>    द्वितीय दिवस पर एक स्टील के प्लेट मे कुमकुम से स्वस्तिक बनाये और उस प्लेट मे अनार का शुद्ध रस भर दीजिये और वह प्लेट माँ के चरनोमे रखिये साथ मे आरोग्य प्राप्ति की कामना करे,आप चाहे तो किसी दूसरे व्यक्ति विशेष के लिए भी कर सकते है,इस प्रयोग मे अनार के रस को देखते हुये “ॐ ह्रीं आरोग्यवर्धीनी ह्रीं ॐ नम:” का ३० मिनिट तक जाप करना है,दूसरे दिन स्नान करे और फिर अनार के रस से स्नान करे और जल से फिर एक बार शुद्धोदक स्नान करे,किसी  और के लिए कर रहे हो तो उनका स्नान करे,संभव ना हो तो अनार के रस को पीपल के वृक्ष मे चढ़ा दीजिये......प्रयोग का समय शाम को ६:३० से ८ बजे तक......


३>    तृतीय दिवस पर ७ काली मिर्च के दाने लीजिये उसे सर से लेकर पैरो तक ७ बार उतारिये और काले वस्त्र मे बांधकर माँ के चरनो मे समर्पित करे और मंत्र का ३६ मिनिट तक जाप कीजिये “ॐ क्रीं सर्व दोष निवारण कुरु कुरु क्रीं फट”,इस प्रयोग से तंत्र बाधा समाप्त होती है,प्रयोग के बाद दूसरे दिन सुबह काले वस्त्र के पोटली को जल मे प्रवाहित कर दीजिये,साधना का समय रात्रि मे १० बजे से १२:२४ तक रहेगा...........


४>    चतुर्थ दिवस पर लाल वस्त्र मे कुमकुम से स्वस्तिक निकाले और स्वस्तिक पर ९ कमलगट्टे स्थापित करे,उनका पूजन करे,साथ मे २७ मिनिट तक “ॐ श्रीं प्रसीद प्रसीद श्रीयै नमः” मंत्र का जाप करे,समय होगा रात्री मे ७.५५ से १०.५८ तक॰साधना से पूर्व एवं दूसरे दिन माँ को प्रार्थना करे की मेरा जीवन आपकी कृपा से धन-धान्य-सुख-सौभाग्य युक्त हो,और वस्त्र सहित कमलगट्टे जल मे प्रवाहित कर दे........


५>    पंचम दिवस पर पाँच हरी इलायची माँ के चरनो मे समर्पित करे और व्यवसाय वृद्धि की कामना करे,साथ मे श्री सूक्त का ५ बार पाठ करे,और दूसरे दिन इलायची को किसी डिबिया मे संभाल कर रखे तो शीघ्र ही व्यवसाय मे वृद्धि एवं लाभ की प्राप्ति होती हे। साधना समय शाम ६.३० से रात्री ११ बजे तक.........


६>    षष्टम दिवस पर पाँच केले माँ के चरनो मे समर्पित करे और माँ से गुरुकृपा प्राप्ति की कामना करे और ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री शक्ति सिद्धये नमः” का ४५ मिनिट तक जाप करे॰ साधना का समय दोपहर ४.३० से रात्री मे ९ बजे तक रहेगा। दूसरे दिन केले छोटे बालको मे बाँट दे.....


७>    सप्तम दिवस पर १०८ हरी चूड़िया माँ के चरनो मे समर्पित करे,और माँ से बल,बुद्धि,विद्या एवं सुख प्राप्ति की कामना करे साथ मे “ॐ नमो भगवती जगदंबा सर्वकामना सिद्धि ॐ” का ३२४ बार उच्चारण करे तथा दूसरे दिन १२-१२ चूड़िया ९ कन्याओ मे बाँट दे....साधना का समय रात्री ९ बजे से १.३० बजे तक.......


८>    अष्टम-नवम दिन पर दो समय साधना करनी हैं,१२-१०-२०१३ को सुबह ६ से ७.४७ के शुभ समय पर १०९ लौंग की माला बनाये जिस मे १ लौंग मेरु होगा और इसी माला से “ॐ ७ ४ १ ५ २ ३ ६ ॐ दूं दुर्गायै नमः” इस विशेष अंक मंत्र का १ माला जाप करे, मंत्र का उच्चारण होगा “ॐ सात चार एक पाँच दो तीन छ: ॐ दूं दुर्गायै नमः”,मंत्र जाप के बाद माला को किसी दुर्गा जी के मंदिर जाकर शेर के गले मे पहना दे और अपनी विशेष कामना शेर के कान मे बोल दे या फिर आप माला को जहा कही दुर्गा जी के विग्रह की स्थापना हूई हो वहा भी यह कार्य कर सकते है,माला पहेनाने का समय होगा दोपहर मे ११:३० से १२:३० तक.......


९>    नवमी तिथि को ९ कुँवारी कन्या का पूजन करे और उन्हे उपहार स्वरूप काजल की डिब्बिया अवश्य दे,और ज्यादा से ज्यादा त्रि-शक्ति मंत्र का जाप करे “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ॐ नमः”,कुँवारी कन्या पूजन का समय होगा सुबह ७:४८ से रात्री ६:५७ तक....................


१०>   यह दिवस विजय प्राप्ति का सर्व श्रेष्ठ दिवस है ज्यादा से ज्यादा गुरुमंत्र का जाप करे एवं “ॐ रां रामाय नमः” का जाप करे अवश्य ही आपको जीवन के प्रत्येक क्षेत्र मे पूर्ण विजय प्राप्ति होगी............................






श्री सदगुरुजीचरणार्पनमस्तु............................................................

24 Sept 2013

पीताम्बरा:-नवग्रह दोष निवारण साधना


बगलामुखी जी को ही पीताम्बरा कहा जाता है,यह साधना नवरात्रि मे कियी जाने वाली साधना है और अपना प्रभाव तुरंत ही साधक के जीवन मे देखने मिलता है,साधना की यह विशेषता है के माँ पीताम्बरा नक्षत्र स्तंभीनी है और जब नक्षत्र स्तंभीनी से हम प्रार्थना करते है तो हमारे सभी प्रकार के कार्य सहज ही सम्पन्न हो जाते है,अभी तक आपने पीताम्बरा जी की कई साधना ये सम्पन्न की होगी परंतु यह साधना आज के युग मे अत्यंत आवश्यक साधना मानी गयी है,इस साधना से जहा नवग्रह देवता के दोष कम होते वैसे ही उनकी अखंड कृपा भी प्राप्त होती है और जीवन मे कई प्रकार के लाभ होते है,इसी साधना से भाग्योदय भी संभव है॰इस साधना से कालसर्प-दोष,नक्षत्र-दोष,पितृ-दोष,………………कुंडली मे जीतने भी दोष हो उनकी समाप्ती निच्छित ही होती है...............



साधना विधि-

किसी बड़ी सी स्टील के प्लेट मे माँ बगलामुखी यंत्र हल्दी के स्याही से अनार के कलम से निर्मित करे,साधना मे पीले रंग के पुष्प,आसन,वस्त्र का ही उपयोग करे अन्य रंग का उपयोग वर्जित है,मंत्र जाप हल्दी माला या पीली हकीक माला से करना है,समय रात्रिकालीन होगा जो आपको उपयुक्त है,दिशा उत्तर/पच्छिम अति उत्तम है,साधना से पूर्व नित्य गुरु और गणेश पूजन अवश्य सम्पन्न करे और साधना के प्रथम दिवस पर संकल्प अवश्य लीजिये,यह साधना तभी की जाती है जब नवरात्रि का प्रारम्भ शनिवार/मंगलवार को होता है॰



मानसिक पीताम्बरा पूजन


श्री पीताम्बरायै नम: लं पृथ्वीव्यात्मकं गंन्ध समर्पयामी ।
श्री पीताम्बरायै नम: हं  आकाशात्मकं पुष्प समर्पयामी ।
श्री पीताम्बरायै नम: यं वार्यात्मकं धुपं समर्पयामी ।
श्री पीताम्बरायै नम: रं तेजसात्मकं दीपं समर्पयामी ।
श्री पीताम्बरायै नम: वं अमृतात्मकं नैवेद्द्य समर्पयामी ।



ध्यान


मातर्भजय मदविपक्षवदनं जिव्हाचलं कीलय,ब्राम्हीं मुद्रय वदामस्ते पदाचार्या गतीं स्तंभय ।
शत्रुनचूर्णय चूर्णयाशु गदया गौरांगी पीताम्बरे,विघ्नौघं बगले हर प्रणमतां कारुण्यपूर्णेक्षणे ॥


मंत्र-


॥ ॐ नमो भगवते मंगल शनि राहू केतू चतुर्भुजे पीताम्बरे अघोर रात्रि कालरात्रि मनुष्यानां सर्व मंगल तेजस राहवे शांतये शांतये केतवे क्रूर कर्मे दुर्भिक्षता विनाशाय फट स्वाहा ॥



3 माला मंत्र जाप नित्य 9 दिन तक करे और दशमी को विजय मुहूर्त पे पीली सरसो से २७० आहुतिया अग्नि मे समर्पित करे,हो सके तो किसी शिव मंदिर जाकर किसी गरीब भूके आदमी को अन्न दान करके संतुष्ट करे,माला को जल मे विसर्जित करना आवश्यक है और प्लेट मे जो यंत्र निर्माण किया था उसमे जल डालकर प्लेट धोकर वह जल घर मे ही किसी पौधे मे डाल दे..........





श्री सदगुरुजीचरनार्पणमस्तू.................. 

19 Sept 2013

सूर्य-साधना


सूर्य  साधना कैसे की जाती है ?और पितृ पक्ष में महत्वपूर्ण क्यों है?
यह एक आसान सूर्य उपासना है,पितृ ओको सूर्य लोक में स्थान प्राप्त हुआ है इसलिये सूर्य साधना  पितृ पक्ष में महत्वपूर्ण  है.……………

सूर्य का पूजन यंत्र
सूर्य यंत्र को अष्टगंध से बनी स्याही से भोजपत्र या तांबे की चौकोर प्लेट पर बनाकर पूजन के लिये स्थापित किया जाता है।


पूजा-विधि

रविवार को प्रात:काल प्राणायाम आदि प्रात:कालीन क्रियाओं से निवृत होकर "पीठ-न्यास" करना चाहिये,न्यास में विशेषता यह है कि-’ह्रदय का पूर्वादि दिशाओं के भीतर प्रभुता,विमला,सारा,समारा,परमसुखा इन आधार शक्तियों का "अयं सूर्यमण्डलायदशकलात्मने नम:" इस प्रकार से न्यास करना चाहिये।आवरण पूजा हेतु श्रीसूर्ययंत्र का चित्र बनाकर उसे रखें। पहले दिशाओं में पीठ शक्तियों की पूजा करे,फ़िर प्रभूत विमल सार रूपा आधार शक्तियों का यजन करें,अन्त मे परमादि सुखम्पीठ स्वबिम्बान्त को कल्पित करें,फ़िर केशर के मध्य में 
रां दीप्तायै नम:
रीं सूक्ष्मायै नम:
रूं जयायैनम:
रें भद्रायै नम:
रैं विभूत्यै नम:
रों विमलायै नम:
रौं अमौघाये नम:
रं विद्युतायै नम:
र: सर्व्वतोमुख्ये नम:

इस प्रकार पीठ शक्तियों का यजन करना चाहिये।
पीठ शक्तियों में दीप्ता,सूक्ष्मा,जया,भद्रा,विभूति,विमला,अमोघा,विद्युता,सर्वतोमुखी यह नौ पीठ शक्तियां मानी जाती है।

ऋष्यादि-न्यास
इसके पश्चात ऋष्यादि न्यास करना चाहिये,

शिरसिदेवभाग ऋषये नम:
मुखे गायत्रीछंदसे नम:
ह्रदि आदित्यायदेवत्यै नम:
इस मंत्र के देवभाग ऋषि गायत्री छंद तथा दृष्ट्यादृष्ट के फ़ल देने वाले आदित्य देवता हैं।


करांग-न्यास
इसके बाद करांग न्यास करना चाहिये,यथा- 
सत्यायेतोजी ज्वालामणुहं फ़ट स्वाहा अंगुष्ठाभ्याम नम:।
ब्रह्मणे तेजोज्वालामणे हुं तर्ज्जनीभ्यां स्वाहा।
विष्णवेतेजोज्वालामणे हुं मध्यमाभ्यांव्वषट।
रुद्रायतेजो ज्वालामणे हुं अनामिकाभ्यां हुम।
आग्नये तेजोज्वालामणे हुं कनिष्ठाभ्यांव्वौषट।
सर्व्वायतेजोज्वालामणे हुं करतलपृष्ठभ्यांफ़ट।

करन्यास के यही मंत्र है,एलिन उच्चारण का विशेष ध्यान देना चाहिये,हो सके तो साफ़ शुद्ध स्थान पर बैठ कर इन मंत्रों को उच्चारण के लिये पहले से ही प्रयास कर लेने से अशुद्धि का कोई भाव नही रह जाता है।


मूर्ति-न्यास
इसके बाद मूर्ति का न्यास करना चाहिये,मूर्ति के लिये जो यंत्र बनाया हुआ है उसी का न्यास होता है,
ऊँ शिरसि आदित्याय नम:।
मुखे ऐं रवये नम:।
ह्रदये ऊँ भानवे नम:।
गुह्ये इं भास्कराय नम:।
चरणयों: अं सूर्याय नम:।

निबन्ध के अनुसार न्यास की विधि इस प्रकार से है -
शिरसि ऊँ नम:।
आस्ये ऊँ घृ नम:।
कण्ठे  ऊँ णि नम:।
ह्रदि ऊँ सू नम:।
कुक्षौ ऊँ र्य नम:।
नाभौ ऊँ आ नम:।
लिंगे ऊँ दि नम:।
पादयो ऊँ त्य नम:।
का रूप बताया गया है यह श्रद्धा के ऊपर निर्भर है कि पूजा में कौन सा भाव किस व्यक्ति के अन्दर प्रवेश करता है।


ध्यान के मंत्र
ध्यान के मंत्र इस प्रकार से है,-

"रक्ताब्जयुग्माभयदान हस्तंकेयूरहारांगद कुंडलाढ्यम।
माणिक्य मोलिन्दिन नाथमीद्रेबन्धूककान्तिब्बिलसत्रिनेत्रम।

इस प्रकार से ध्यान करने के बाद मानसी पूजा करें,फ़िर कुंभ की स्थापना करेम,फ़िर गुरु की पूजा करने के बाद पीठ की पूजा करें,"ऊँ खं खखोल्काय नम:" मंत्र का मूर्ति में संकल्प करके पुनर्वार ध्यान करें,तथा आवाहनादि पंचपुष्पांजलिदान पर्यन्त विधिपूर्वक आवरण पूजा करें। 

"तारादि खंखखोल्काय मनुना मूर्ति कल्पना।साक्षिणं सर्ब्बलोकानान्तस्या मावाहयं पूजयेत॥

केसर में आग्न्यादि कोण के भीतर 

"सत्याय तेजोज्वालामणि हुं फ़ट स्वाहा ह्रदयाय नमं।
ब्रह्मणे तेजोज्वालामणि हुं फ़ट स्वाहा शिरसे स्वाहा।
विष्णवे तेजोज्वालामणि हुं फ़ट स्वाहा शिखाये वषट।
रुद्राय तेजोज्वालामणि हुं फ़ट स्वाहा कवचाय हुम।
अग्नये तेजो ज्वालामणि हुं फ़ट स्वाहा नेत्र त्राय वौषट।
सर्व्वाय तेजोज्वालामणि हुं फ़ट स्वाहा अस्त्राय फ़ट।

इस तरह से पूजा करने के बाद यंत्र के भीतर जो दल बने हुये है उनकी पूजा की जाती है।
पत्र के भीतर ब्रह्मा और अरुण की पूजा करें,तथा बाहरी भाग में ग्रहों की पूजा करें।

"ऊँ चन्द्राय नम:,ऊँ मंगलाय नम:,ऊँ बुद्धाय नम:,ऊँ बृहस्पतये नम:,ऊँ शुक्राय नम:,ऊँ शनिश्चराय नम:,ऊँ राहुवे नम:,ऊँ केतुवे नम:


सूर्य मंत्र

। ॐ  घृणि: सूर्य आदित्याय: नम:। 



शारदा तंत्र में कहा गया है कि सूर्य के मंत्र का आठ लाख जाप करना चाहिये और उसका दशांश हवन करना चाहिये। मंत्र जाप के साथ में सूर्य कवच स्तोत्र आदि का पठन भी कल्याणकारी होता है।
सूर्य का रूप अग्नि तत्व मे जाना जाता है,अग्नि तत्व के लिये केवल यन्त्र के प्रयोग से ही काम नही चलता है,इसके लिये हवन और अग्नि मन्त्रों का जाप करना भी सही होता है,सूर्य की धातु ताम्बा है,ताम्बा घर मे प्रयोग करने के लिये पानी पीने के लिये दरवाजों के हेन्डिल आदि लगवाने से घर के ऊपर सूर्य की स्थापना ईशान दिशा में यन्त्र के रूप  मे करने से कभी भी घर के अन्दर पूजा स्थान में सूर्य यन्त्र की स्थापना नही करते है अन्यथा घर के ही सदस्य एक दूसरे के प्रति राजनीति कर उठते है और घर के अन्दर एक दूसरे के प्रति विद्वेष भावना पनपने लगती है। साथ ही आंखों की बीमारिया सन्तान और पिता को कष्ट माना जाता है। घर की छत पर ताम्बे का सूर्य यन्त्र ईशान दिशा में दिवाल में या लकडी पर स्थापित कर देते है जो नैऋत्य को देखता हुआ लगाते है।

श्री सदगुरुजी चरनार्पण मस्तु………………………… 

3 Sept 2013

इच्छापूर्ति पंचमी



माँ मातंगी किसी भी इच्छा को पूर्ण करने मे सक्षम है,यह साधना २५ /०९/२०१३ के इच्छापूर्ति पंचमी के शुभ अवसर पर की जाती है,----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------सिर्फ इतनाही इससे आगे कुछ नहीं,जिन्हे साधना सम्पन्न करनी हो वह साधक कर ही लेगे............

साधना विधि-

सवेरे 6 बजे से साधना शुरू करे सिर्फ 11 माला जाप 11 दीनो तक करना है,माला कोई भी चलेगी फिर भी मूंगा माला हो तो अच्छा है,दिशा पश्चिम,आसन एवं वस्त्र लाल रंग के,प्रसामे 11 वे दिन खीर का भोग लगा दे गुरुमंत्र जाप एवं गणेश पूजन आवश्यक है,साधना रात्रिकाल मे भी 9 भी बजे के बाद कर सकते है॰

मंत्र-




॥ ॐ क्लीं हूं मातंग्यै मनोवांछितं सिद्धये फट ॥





साधना समाप्ती पर अपनी कामना शिवमंदिर जाकर सिर्फ एक बार मंत्र को 21 बार बोलकर नंदी जी के कर्ण मे बोलनी है और कुछ दक्षिणा उनके चरनोमे चढा दे.



श्री-सदगुरुजीचरनार्पणमस्तू.................... 

20 Aug 2013

पंच पीर साधना


जय सद्गुरुदेव,

                         यह साधना कोई भी व्यक्ति कर सकता है,साधना बहोत आसान है और तीव्र प्रभावशाली है,
इस साधना से आप अपने मनचाहे कार्य पूर्ण कर सकते हो सिर्फ एक काम करना पड़ेगा प्रत्येक कार्य के पूर्ण होते है पंच पीरो को प्रसाद के रूप मे शुद्ध देसी घी मे बने हुये चूरमे का लड्डू चढाना है,
मिया गाजी पीर,जींद पीर ख्वाजा,खिज्र पीर साहब,शेख फरीद बाबा,पीर बदर साहब ये पाचो पीर एक ही साधना से सिद्ध होते है और मनचाहा कार्य साधक का अपनी शक्तियों से पूर्ण करते है
साधना विधि:-यह साधना शुक्ल पक्ष मे रविवार के दिन करनी है,साधना मे सिर्फ सफ़ेद हकीक माला का इस्तेमाल होगा और कोई माला नहीं चलेगी,घी और चूरमे से बने लड्डू का भोग रोज लगाना है,
साधना २१ दिनो की है,समय शाम को ६:३० से ७:३० का ही रहेगा,दिशा पच्शिम रहेगी,आसन और वस्त्र सफ़ेद रंग के चाहिये,साधना करने से पूर्व वज़ू कर ले,
साधना मे चौमुखी दीपक आवश्यक है जिसमे चारो और की बत्तिया खड़ी हो एक बत्ती बीच मे खड़ी होनी चाहिये,धूप लोहबान काही लीजिये तो साधना मे मजा आजायेगा

मंत्र-


॥ बिसमिल्लाह रहमाने रहीम,मिया गाजी पीर,जींद पीर ख्वाजा,खिज्र पीर,शेख फरीद पीर ,पीर बदर घोड़े पर भीड़ चढ़ो,मदद मेरी पंच करो । जो मेरा काम न करो ,तो मुहम्मद रसूल अल्लाह की दुहाई ॥ 



साधना काल मे अक्सर ११ दिन बाद अनुभूतिया होती है,कभी स्वप्न मे पीर दर्शन देते है तो कभी साधना काल मे चद्दर उड़ते नजर आती है,तो कभी उर्दू मे आवाज़े सुनाई देती है,
साधना मे रोज १ माला करना आवश्यक है पर आप चाहो तो ३ माला जाप रोज कर सकते है,साधना समाप्ती के बाद कोई भी एक ही आपको दर्शन देगे तो उनके हाथ मे एक लड्डू दे दीजिये और
एक ही पीर दर्शन दे तो ईसका मतलब ये नहीं के आपको एक ही पीर सिद्ध हुआ,पाचो पीर की सिद्धि मानी जाती है,साधना काल मे भय लगे तो गुरचरनोमे एक सुगंधित पुष्प चढ़ा दीजिये भय की स्थिति समाप्त हो जायेगी।

13 Jul 2013

यंत्र प्राण-प्रतिष्ठा विधि





यहा दो प्रकार का यंत्र प्राण-प्रतिष्ठा विधि दे रहा हु

1) साबर 2) तान्त्रोक्त यंत्र प्राण-प्रतिष्ठा विधि

श्री गणेश जी और गुरुमंत्र का जाप करले

1)साबर यंत्र प्राण-प्रतिष्ठा विधि

निम्न मंत्र का 108 बार जाप करके लाल रंग की अक्षत चढ़ाये॰

सत नमो आदेश । गुरुजी को आदेश । ॐ गुरुजी । ॐ सोहं हंसाय विदमहे प्राण-प्राणाय धीमही तन्नो ज्योति स्वरूप प्रचोदयात । श्री नाथजी गुरुजी को आदेश । आदेश ।


 अब निम्न मंत्र को 108 बार जाप करते हुये यंत्र को स्पर्श करो,


सत नमो आदेश । गुरुजी को आदेश । ॐ गुरुजी । ॐ सों ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शम षम सं हं स: जती साबर साधना सिद्धि यंत्रस्य प्राण: इह ज्योति स्वरूप जपा-अजपा हंसा: प्राण प्राणाहा:।
ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शम षम सं हं स: जती साबर साधना सिद्धि यंत्र घट पिंडमे शिव-शक्ति की माया । जीव रूप मे शिव की माया । जीव रूप मे शिव गोरक्षनाथ कहाया ।
ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शम षम सं हं स: जती साबर साधना सिद्धि यंत्र दस इंद्रियों की काया । पांच तत का किया पसारा । अमर योगी अमर काया । अक्षय योगी सबसे न्यारा । श्री नाथ जी निखिलेश्वरानंदजी के चरण-कमलोकों आदेश । आदेश आदेश ।

निम्न पाचो मंत्र का 11-11 बार जाप करते हुये यंत्र का पूजन करे और यंत्र को स्थापित कर दीजिये

ॐ श्री चैतन्य गोरक्षनाथाय नमो नम:
ॐ श्री चैतन्य कनिफनाथाय नमो नम:
ॐ श्री चैतन्य गहिनिनाथाय नमो नम:
ॐ श्री चैतन्य मच्छिंद्रनाथाय नमो नम:
ॐ श्री चैतन्य निखिलनाथाय नमो नम:

और सभी सिद्धों को निम्न मंत्र बोलते हुये प्रार्थना कीजिये

सत नमो आदेश । गुरु जी को आदेश । ॐ गुरुजी । सिद्ध सुमिर चले गोदावरि तीन भुवन हो सिद्ध भूले भटके पंथ र ध्यावे ,अष्ट सिद्धि नव निधि को पावे सर्व चौरासी सिद्धों इनकी थिर काया अरु वज्र काया पिवों सिद्धों उन्मुख प्याला सर्व के पति श्री शंभुजती गुरु गोरक्षनाथ जी बाला । इतना चौरासी सिद्धों के चरण कमाल को हाथ जोड़कर आदेश । आदेश । नमामि नम:।

अब सारे विधि को गुरुजी के श्री चरनोमे समर्पित करे और क्षमा प्रार्थना करे॰       

आदेश आदेश आदेश............

=================================================================
2) तान्त्रोक्त यंत्र प्राण-प्रतिष्ठा विधि


संकल्प

दाहिने हाथ मे जल,अक्षत व कुंकुम लेकर संकल्प कीजिये


ॐ विष्णु र्विष्णु र्विष्णु: श्री मदभगवतों महाप्रभावस्य द्वितीय परार्धे श्वेतवारहकल्पे भरतखण्डे पुण्य क्षेत्रे, अमुक गोत्रीय(अपना गोत्र बोले) अमुक शर्माहं (अपना नाम बोले) अद्द अमुक (यंत्र का नाम बोले) यंत्रस्य अमुक (साधना का नाम बोले) साधना संबंधे प्राण-प्रतिष्ठा सिध्यर्थ करिष्ये ॥


विनियोग-


अस्य श्री प्राण-प्रतिष्ठा मंत्रस्य विष्णुरूद्रौ ऋषी ऋज्ञजु: सामानिच्छदासी  प्राणख्या देवता । ॐ आं बीजं ह्रीं शक्ति: क्रां कीलकं यं रं लं वं शम षम सं हं हं स: एत: शक्तय: यंत्र/गुटिका/मूर्ति प्रतिष्ठापन विनियोगा: ॥


मंत्र का कम से कम २१ बार जाप करे या १०८ बार,जाप करते समय यंत्र स्पर्श कर सकते है


ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शम षम सं हं स: देवस्य प्राणा: इह प्राणा: पुरुच्चार्य देवस्य सर्वेनींद्रयानी इह:। पुरुच्चार्य देवस्य त्वक्पाणि पाद पायु पस्थादीनी इह: । पुरुच्चार्य देवस्य वाड मनुश्चक्षु: श्रोत्र घ्राणानि इहागत्य सुखेन चीरं तिष्ठतु स्वाहा ॥


यंत्र प्राण-प्रतिष्ठा के बाद यंत्र का पूजन करके स्थापित कर दीजिये



श्रीसदगुरुजीचरनाश्रयह:...............