14 Dec 2022

विशेष नवग्रह मंत्र साधना.


जीवन मे व्यस्तता के कारण ब्लॉग पर आर्टिकल नही लिख सका इसके लिए आप सभी से क्षमाप्रार्थी हु परंतु अवश्य ही अगले वर्ष 2023 में हर महीने एक आर्टिकल लिखने की कोशिश करुंगा । आज के समय मे सभी के जीवन मे ग्रहों की विपरीत परिस्थितियों के कारण हलचल मची हुई है,अशांति का माहौल बन रहा है,90% लोगो के काम होते होते रुक रहे है । यहां हम सभी का जीवन ग्रहों के कृपा से चले तो अवश्य ही अच्छा रहता है परंतु ग्रहों की अवकृपा हो तो जीवन संघर्षमय बन जाता है,जो दुख और पीड़ाओं से असन्तुलित हो जाता है । आज हम नववर्ष पर संकल्प लेंगे की वर्ष 2023 पूर्णताः खुशियों से भरा हुआ हो और इसके लिए इसी वर्ष हम नवग्रह मंत्र साधना अवश्य करेंगे ।

व्यक्ति का जब जन्म होता है उस समय आकाश
मण्डल में ग्रहों की स्थिति का विवरण ही जन्म
कुण्डली कहलाता है अर्थात् जन्म कुण्डली
आकाशीय मण्डल का नक्शा हैऔर यही नक्शा पढ़कर भूत भविष्य वर्तमान का कथन किया जाता है।
जन्म कुण्डली का आधार 12 राशियां 27 नक्षत्र
और 9 ग्रह एवं 12 लग्न हैं। जिनके द्वारा गणना
करने से व्यक्ति को अपने जीवनकाल का पता चलता है, जन्म के
समय ग्रहों की स्थिति के अनुसार वे व्यक्ति पर
शुभ एवं अशुभ प्रभाव डालते हैं।
पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है और एक वर्ष
में पूरा एक चक्कर काटती है, इस चक्कर वाले
रास्ते को भू-चक्र कहते हैं इस भू-चक्र को
ज्योतिषियों ने 12 भागों में बांटा जिसे जन्म
कुण्डली में भाव कहा जाता है। ज्योतिष एक विज्ञान है जो हमारे ऋषियों से प्राप्त वरदान है।

यह नवग्रह व्यक्ति पर अपना निश्चित रूप से
शुभ एवं अशुभ प्रभाव डालते हैं, इन ग्रहों के
अशुभ प्रभाव से अवतारी व्यक्ति भी नहीं बच
सके। जैसे भगवान राम जी को 14 वर्ष वनवास हुआ,भगवान कृष्ण जी को कारागृह में जन्म लेना पड़ा,भीष्म पितामह जी को बाणों की शय्या पर मृत्यु प्राप्त हुई,ऐसे हजारो उदाहरण हैं। केवल मंत्र साधना द्वारा इनके प्रभाव को ठीक किया जा सकता है। कुछ ज्योतिषी व्यक्ति को रत्न धारण करने की सलाह देते हैं। उनके इस विचार से में पूर्णतया सहमत नहीं हूं
ज्योतिष का ज्ञान सागर के समान है,जिसमें
गोते लगाने वाले व्यक्ति को अनेको नये अनुभव
और ज्ञान प्राप्त होता हैं। नौ ग्रहों में से प्रत्येक ग्रह
व्यक्ति पर कुछ शुभ और कुछ विपरीत प्रभाव
डालता है। यह सब व्यक्ति के पूर्वजन्म के कर्मो का फल या फिर इस जन्म कर्म का फल भी कह सकते है। यदि कोई ग्रह आपकी जन्म कुण्डली में अशुभ
स्थान पर बैठा है तो उसको अपने अनुकूल
करने के लिये आप उसका रत्न धारण नहीं कर
सकते जबकि कुछ लोग हर ग्रह के लिये रत्न
धारण करने की सलाह देते हैं,जो उपयुक्त नहीं
है। उदाहरण के लिए यदि कोई आपका शत्रु है
और आप उसके हाथ में बन्दूक देगा तो वह तो
आपको ही समाप्त कर देगा। उस व्यक्ति को
अपने अनुकूल करने के लिये आपको उसकी
सोच, आपके प्रति उसके विचार बदलने होंगे,
ठीक इसी प्रकार से ज्योतिष में भी विपरीत ग्रहों को
धारण करके बलवान नहीं बना सकते हैं बल्कि मंत्र
साधना द्वारा आप ग्रहों को अनुकूल कर सकते
हैं। यदि आपका कोई पड़ोसी आपके प्रति
विपरीत विचार रखता है किन्तु आप प्रति दिन
उसके प्रति सकारात्मक भाव रखें तो एक दिन
उसका नजरिया आपके प्रति अवश्य बदल जाता
है, इसी प्रकार यदि कोई ग्रह आपके शत्रु भाव में
है तो प्रतिदिन आप उस ग्रह का मंत्र जप करके
उसे अपने अनुकूल बना सकते हैं। इस संसार मे परेशानी चाहे कितनी ही बड़ी क्यो न हो याद रखिए उस परेशानी से निपटने के लिए ऋषिमुनियों के आशीर्वाद से मंत्र साधनाएं आज भी उपलब्ध है ।


साधना विधान

नवग्रह शांति जीवन में भाग्योदय के द्वार
खोलती है,जीवन मे शुभ फल देती है, अनिष्ट का नाश करती है और जीवन को पूर्ण बनाती है । इसी कारण प्रत्येक पूजन, यज्ञ कसे पूर्व नवग्रह शांति पाठ सम्पन्न किया जाता है। नवग्रह शांति से ग्रहों के कुप्रभावों से अवश्य ही बचा जा सकता है, पारिवारिक जीवन में आने वाली बाधाओं से पीड़ाओं से छुटकारा मिलता है और जीवन में उन्नति के नये आयाम खुलते हैं। ग्रहों की
अनुकूलता से लक्ष्य को पाने में असफल व्यक्ति भी जल्द ही लक्ष्य को प्राप्त कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कर लेता है।

इस साधना को किसी भी शुभ मुहूर्त (सिद्धि
योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, द्विपुष्कर, त्रिपुष्कर,
पुष्य, गुरु पुष्य या अमृत योग) में सम्पन्न
किया जा सकता है। यह साधना को प्रातः काल में
सम्पन्न करने से उचित फल मिलता है इसलिए साधक को प्रातः काल मे साधना करनी चाहिए। साधना करने से पूर्व ही अपने पूजा स्थान को साफ स्वच्छ कर लें।
साधना स्थल का वातावरण सुगंधित एवं
आनन्दमय होना चाहिए ताकि साधना में आपका मन लगे ।
साधक सफेद वस्त्र धारण कर उत्तराभिमुख
होकर अपने पूजा स्थान में सफेद आसन पर
बैठ जाएं और अपने सामने बाजोट पर सफेद वस्त्र स्थापित कर लें। सामने शिवलिंग को किसी पात्र मे रखे, चाहे पात्र स्टील का हो या फिर तांबे पीतल का हो चलेगा और शिवलिंग का पूजन सम्पन्न कर
शिव जी से साधना में सफलता का आशीर्वाद मांगे और साधना प्रारंभ करे ।
शिवलिंग के सामने धूप, दीप (घी का)
प्रज्वलित कर लें, मिठाई प्रसाद मे रखिये जिसे साधना के बाद साधक को नित्य ग्रहण करना है, हो सके तो अवश्य ही बेलपत्र भी चढाये।

प्रत्येक ग्रह मंत्र का 11 बार जप करते हुए
शिवलिंग पर  कुंकुम, अक्षत एवं पुष्प चढाये,अगर आपको मंत्र उच्चारण में कठिनाई आये तो आप 108 बार ॐ नमः शिवाय का भी जाप करके पूजन कर सकते है।

नवग्रह मंत्र इस प्रकार से हैं-

सूर्य- ॥ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ॥
चन्द्र - ॥ ॐ ऐं क्लीं सोमायै नमः॥
मंगल - ॥ॐ हुं श्रीं मंगलाय नमः॥
बुध - ॥ॐ ऐं स्त्रीं श्रीं बुधायै नमः॥
गुरु - [॥ॐ ऐं क्लीं बृहस्पत्यै नमः॥
शुक्र - ॥ॐ ह्रीं श्रीं शुक्रायै नमः॥
शनि - ॥ॐ ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चरायै नमः॥
राहु - ॥ॐ ऐं ह्रीं राहवे नमः॥
केतु - ॥ॐ केतवे ऐं सौ: स्वाहा ॥


नवग्रह मंत्रों से शिव पूजन के पश्चात्
रुद्राक्ष माला से दिये गये नवग्रह मंत्र की 11 माला जप अवश्य करें.

विशेष नवग्रह मंत्र-

॥ ॐ श्रीं क्लीं सूर्य चन्द्र भौम बुध गुरु शुक्र
शनीश्चराय राहु केतु मुंथा सहिताय क्लीं नमः ॥

Om shreem kleem Surya Chandra bhoum budha guru shukra shanishcharaay raahu ketu munthaa sahitaaya kleem namah


मंत्र जप के पश्चात् माला को सुरक्षित स्थान पर रख दें तथा शेष सामग्री को जल में विसर्जित कर दें। इस साधना में साधक को 11 दिन तक नित्य माला से उपरोक्त नवग्रह मंत्र का 11 माला जप करना चाहिए। इस प्रकार इस साधना में उपरोक्त मंत्र की 121 माला
का जप बताया गया है। मूल साधना के पश्चात्
नित्य क्रम में केवल 1 माला मंत्र जप सम्पन्न करना बताया गया है। आप 121 माला मंत्र जप अपनी सुविधानुसार भी सम्पन्न कर सकते हैं। जैसे नित्य 11 माला जाप नही कर सकते है तो 3,5,7 या हो सके तो 21 माला तक नित्य जाप कर सकते है।

अन्य किसीभी मार्गदर्शन हेतु आप संपर्क कर सकते है ।


आदेश.....