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9 Apr 2020

भूत भविष्य दर्शन साबर मंत्र सिद्धी साधना.



आज आपको अद्वितीय शाबर मंत्र के बारे में बता रहा हु जिससे आप भुत भविष्य वर्तमान दर्शन सिद्धि प्राप्त कर सकते हो,यह साधना इसलिए अद्वितीय है क्योंकि यह नजर पिशाच का मंत्र है और नजर पिशाच कभी भी मनुष्य जाति को तकलीफ नही देते है साथ मे किसी भी प्रकार की कोई हानि नही पोहचाते है । इस साधना में किसी भी प्रकार के साधना सामग्री की आवश्यकता नही है । इस साधना में सिर्फ रात्रिकालीन मंत्र जाप नित्य करना आवश्यक है । साधना समाप्ति के बाद साधक आंख बंद करके किसी भी व्यक्ति का ध्यान करता है तो साधक को उस व्यक्ति के भूत भविष्य वर्तमान का दर्शन होता है । इस सिद्धी से साधक चलते फिरते भी मंत्र का जाप करके किसी भी व्यक्ति के बारे में कुछ भी जान सकता है ।

मैंने यह मंत्र एक महात्मा से प्राप्त किया था और वह महात्मा इस सिद्धी को पूर्णता प्राप्त कर चुके थे,आज अचानक उनकी याद आयी तो सोचा उस मंत्र को ब्लॉग के पाठकों तक पोहचाया जाए । इस समय तो महात्मा इस दुनिया मे नही रहे परंतु अगर आज वह जीवित होते तो अवश्य ही उनके बारे में मैं आपको बताता । वह महात्मा विक्रांत भैरव जी के सिद्ध साधक नाम से देश विदेश में जाने जाते है और उज्जैन नगरी में उनके बारे में हर कोई उन्हें जानता था । डबराल बाबा नाम से आप गूगल पर सर्च कीजिए तो आप उनके बारे में अवश्य जिज्ञासा वश माहिती ले सकते है । बाबा बड़े ही कृपालु थे और अपने भक्तों का हमेशा खयाल रखते थे,यह मंत्र उन्होंने मुझे वर्ष 2010 में उज्जैन के विक्रांत भैरव मंदिर में रविवार के दिन दिया था । आज वही मंत्र आपको भी दिया जाएगा और इससे भी पहिले कई साधक मित्रो को मैं यह मंत्र दे चुका हूं,जिसने इस मंत्र को सिद्ध करने हेतु अच्छा प्रयास किया उन्होंने सफलता प्राप्त की है । यह मंत्र कोई भी व्यक्ति कर सकता है,इस मंत्र के जाप हेतु साधक के गुरु हो तो अच्छी बात है और गुरु ना भी हो तो शिव जी को गुरु मानकर साधक इस मंत्र सिद्धि में सफलता प्राप्त कर सकता है ।


यह गोपनीय मंत्र आपको व्हाट्सएप या फिर ईमेल के माध्यम से दिया जाएगा-

whatsapp & calling number 
+91-8421522368
E-mail-
snpts1984@gmail.com


बड़े ही विनम्रता से मदत मांगी थी और प्रार्थना भी की थी के इस समय देश के हालात ऐसे है "हमे एक दूसरे की मदत करना अत्याधिक आवश्यक है" । अब जिनमे इंसानियत थी वह लोग मदत करने में लगे हुए है। मुझे भी आज खुशी हुई के हमारे क्षेत्र में मदत करने वाले व्यक्तियों के नाम और उनके ग्रुप के नाम दिए गए है,उन नामो में मेरा और मेरे ग्रुप का भी नाम है । आज सही में हनुमान जयंती के अवसर पर प्रभु की दया से किये जाने वाले कार्य को ओर ज्यादा करने की हिम्मत मिली । हमारे यहां के लोग कार्य से खुश है,साथ मे कार्य करने वालो के परिजन भी खुश है । यह खुशी प्राप्त करने के लिए तन-मन-धन से जो परिश्रम किया है वह हमारे लिए परमानंद है ।

मैंने आप सभी से पिछले आर्टिकल में मदत मांगी थी जिसमे एक सज्जन ने मदत की और बाकी लोगो ने सिर्फ उस आर्टिकल में दिये हुए रोग निवारण साबर मंत्र को ही महत्व दिया इसलिए उस आर्टिकल को ब्लॉग से निकालना पड़ा । आज आपसे मदत नही मांगी जा रही है अपितु आज इस समय देश की हालत को समजते हुए मंत्र के बदले दक्षिणा ली जाएगी । आपसे प्राप्त दक्षिणा की राशि उन लोगो तक पोहचाई जाएगी जिन्हें अन्न-वस्त्र और ओषधियों की आवश्यकता है । मैं आपको भगवान हनुमानजी की कसम लेकर वचन देता हूं के "मंत्र के बदले ली जाने वाली धनराशि को सहाय्यता के रूप में पीड़ित तक अवश्य ही पोहचा दिया जाएगा " आप चिंता ना करे ।



यहां आज आपको मंत्र बेचा नही जा रहा है सिर्फ आपसे पीड़ितों के सहायता हेतु आर्थिक मदत मांगी जा रही है । जो सज्जन देश के हालात को देखते हुए हमे आर्थिक रूप से मदत करेंगे उन्हें अवश्य ही मंत्र दिया जाएगा और साधना की पूर्ण गोपनीय विधि भी बताई जाएगी । 

आपको फिर से एक बात बता दु  आपके दान के स्वरूप में आर्थिक मदत मांग रहे है,भिक नही मांग रहे है । आपमे इंसानियत होगी इतना मुझे विश्वास है और आप बिना दान किये मंत्र प्राप्त करने हेतु परेशान नही करेंगे यह आशा करता हु ।


आप Paytm के माध्यम से भी आर्थिक मदत कर सकते है-
Paytm number +918421522368
या फिर बैंक डिटेल्स भी मांग सकते है,आपको व्हाट्सएप पर बैंक एकाउंट डिटेल्स दिया जाएगा ।

आर्थिक सहाय्यता हेतु आपसे कोई जबर्दस्ती नही की जा रही है,आप सोच विचार करके अपने हिसाब से दान कीजिएगा, मंत्र अमूल्य है इसलिए मंत्र का मूल्य नही लगाया जा रहा है,जो भी आपको ठीक लगे उतना ही दान करे ।


आदेश.......

14 Oct 2019

चैतन्य मोहिंनी साधना



समय से बड़ा कोई नही है और समय रहते कोई काम करो तो वह भगवान का प्रिय ही माना जायेगा । आज का समय कुछ अलग है और आज से 30 वर्ष पूर्व का समय कुछ अलग ही था,पहिले भी लोग सुखी ही थे शायद आज से ज्यादा ही खुश थे । महिलाओं का मान-सम्मान और पति के आज्ञा का पालन करना यह 30 वर्ष पूर्व होता ही था परंतु आज पति पत्नी को मारता है तो कही पत्नी पति को मार रही है और बहोत सारे किस्सों में तो जो बेगुनाह है वही पिट रहा है । आज के समय मे डर नाम की चीज खत्म हो गयी है,पहिले लोग भगवान से डरते थे अब तो भगवान को डराते है । किसी भी महिला पर बुरी नजर डालना पाप माना जाता है इसमे भी एक भगवान का डर था परन्तु आज बलात्कार बढ़ रहे है और भगवान का डर समाप्त हो रहा है । जैसे अगर चींटी भी मारो तो पाप लगेगा और भगवान इस पाप की अवश्य सजा देंगे, याद कीजिए कुछ शायद आप भी एक समय ऐसा होगा जब चींटी मारने से भी डरते होंगे । अब तो खून भी कर देंगे किसीका तो यही बोलेंगे 5-6 महीनों में जैल से छूट जाएगा और बाइज्जत बलि भी हो जाएगा ।


इतना सब तो नही लिखना था परंतु आपको कुछ याद दिलाने के लिए लिखा है ताकि आप जब भी चैतन्य मोहिंनी मंत्र साधना करे तो किसी भी परस्त्री/परपुरुष पर इसका प्रयोग करने से बचे और दिमाग में वह डर रहे कि अगर किसीका बुरा करोंगे तो भगवान इसकी सजा अवश्य देंगे । चैतन्य मोहिंनी मंत्र साधना नाथ संप्रदाय में एक दुर्लभ साधना मानी जाती है,चैतन्य मोहिंनी मंत्र से आप जिस भी चीज पर 21 बार मंत्र बोलकर किसी को भी वह खाने/पीने का वस्तु देंगे तो उसके उसको ग्रहन करने के बाद मंत्र 3 घंटे में अपना काम शुरू कर देता है और मंत्र का पूर्ण परिणाम 24 घंटो में दिखने मिलता है । मान लो आप किसी को मिठाई नमक सब्जी रोटी लस्सी दूध शक्कर में अगर 21 बार उसका नाम मंत्र में पढ़कर खिला देते हो तो वह हो गया समझिए आपके पूर्ण वश में और आप को वह व्यक्ति पूर्ण मान-सम्मान के साथ आपकी आज्ञा का पालन भी करेगा ।


चैतन्य मोहिंनी मंत्र यह मराठी भाषा मे है और यह एक दुर्लभ शाबर मंत्र है,इसको तो अभी तक गोपनीय ही रखा हुआ है और यह मंत्र दुनिया के किसी भी किताब ने नही है, यह मंत्र मुझे एक नाथ सम्प्रदाय के विद्वान व्यक्ति से प्राप्त हुआ और मैने इससे बहोत सारे लोगो के काम भी किये है । जैसे कोई व्यक्ति बहोत शराब पीता हो और नशे में घर का सत्यानाश करने पर तुला हो तो उस समय मैने उस व्यक्ति को उसके पत्नी के वश में किया है ताकि वह व्यक्ति अपने पत्नी की बात माने, शराब पीना छोड़ दे और घर मे सुख शांति से जीवन जिये । कभी कभी ऐसे भी लोग मिले की पत्नी गलत रास्ते जा रही है और पति इन सब बातों के वजेसे आत्महत्या पर उतर आया है,तो ऐसे परिस्थितियों में पत्नी को पति के वश में कर दिया और परिणाम यही मिला कि पत्नी ने गलत रास्ते पर छोड़ना बंद कर दिया । सास-बहू का युद्ध जो एक पूर्ण जीवन को खराब कर सकता है,तलाक़ करवा सकता है,आत्महत्या करवा सकता है तो उस युद्ध को रोकने के लिए भी चैतन्य मोहिंनी मंत्र से मदत मिली है । कुछ जगह दो भाई या बहन-भाई के रिश्तों में प्रॉपर्टी के वजेसे लड़ाई चल रही थी तो वहा पर भी सबको अपना-अपना हक जो भी था वह मिल गया ।


माँ भगवती जी के कृपा से बहोत सारे काम समय पर संभव हुए इसलिए बहोत सारे परिवार आज खुशी से जीवन की यात्रा पूर्ण करने में लगे हुए है । चैतन्य मोहिंनी साधना की एक खासियत है के यह साधना सिर्फ अच्छे कार्य करती है,जब आप बुरा काम करने की इच्छा मन मे रखेंगे तो आपके सिद्धी का शक्ति ऑटोमैटिकली कम होने लगेगा और सिद्धी हमेशा के लिये समाप्त भी हो जाएगी । मंत्र सिद्धी से पूर्व माता मोहिंनी को तीन वचन स्वयं साधक को देने होते है जैसे-

१-इस मंत्र साधना के माध्यम से मै किसी भी अमीर व्यक्ति को अपना दास बनाकर नही ठगूंगा ।

२-किसी भी महिला/पुरूष से अनैतिक संबंध बनाने के लिये इस विद्या का कभी भी इस्तेमाल नही करूंगा ।

३-कभी भी विद्या सीखने के लालच में अपने गुरु पर इसका प्रयोग नही करूंगा ।


यह तीन वचन देते ही माता मोहिंनी खुश हो जाती है और 21 दिनों तक 108 बार मंत्र जाप करने से चैतन्य मोहिंनी विद्या सिद्ध हो जाती है । इस साधना को संपन्न करने हेतु चैतन्य मोहिंनी सिद्धी यंत्र और चैतन्य मोहिंनी सिद्धी माला की आवश्यकता होती है । साधना समाप्ति के बाद चैतन्य मोहिंनी सिद्धी यंत्र को आप गले मे धारण करे और माला को अन्य मंत्र जाप हेतु सुरक्षित रखे । इस यंत्र को अगर आप खोलकर देखो तो उसमे आपको दुर्लभ पाच जड़ीबूटिया देखने मिलेगी जो आज के समय मे प्राप्त करना भी कठिन है,कुछ खास पाच जड़ीबूटियों को जागृत करके चैतन्य मोहिंनी सिद्धी यंत्र का निर्माण किया जाता है,इसलिए यह यंत्र आपको साधना में पूर्ण सिद्धी हेतु आवश्यक और लाभप्रद है । यह साधना कोई भी व्यक्ति किसी भी समय-किसी भी दिन से शुद्ध पवित्र अवस्था मे प्रारंभ कर सकता है,कलयुग में शाबर मंत्र ही लाभप्रद और शीघ्र परिणाम दिखाने में महत्वपूर्ण है । साधना सामग्री का न्योच्छावर राशि आपको संपर्क करने पर बता दिया जाएगा ।

इस साधना में सफलता प्राप्त करने हेतु आपको मैं पूर्ण मार्गदर्शन करने का वचन देता हू और मुझे यकीन है के आप अवश्य ही इस साधना में सफलता प्राप्त करेंगे ।

जिन्हें सामग्री प्राप्त करनी है वह साधक +91-8421522368 इस नम्बर पर कॉल कर सकते हो और यही मेरी व्हाट्सएप नम्बर है तो आप व्हाट्सएप पर भी मेसेज कर सकते हो ।



आदेश.......

11 Dec 2017

शाबर शक्ति मंत्र साधना



परेशान ना हुआ करो,किसीके बातो से........
कुछ लोग पैदा ही बकवास करने के लिए होते है ।

यह वाक्या बहोत अच्छा है जीवन मे तनावग्रस्त ना रहने के लिए । आजकल बड़ा गंदा माहौल बना हुआ है,जहां देखो वहां सिर्फ चर्चाएं चल रही है । कोई राजनीति पर,कोई फिल्मों पर तो कोई आस-पास के रहेनेवालो पर चर्चाओं से व्यस्ततम है । स्वयं के लिए भी कुछ समय निकालो और अपने आप से अपने लिये चर्चा करो,गारंटी के साथ बोल रहा हु "बहोत ज्यादा हद तक तनाव कम हो जायेगा और जीवन में कुछ करने की चाहत बढ़ेगी" । हमेशा याद रखो के मूर्खो से जितने वालो को महामूर्ख कहा जाता है,इसलिये व्यर्थ की बाते और व्यर्थ की लड़ाईया बुरे ही परिणाम देती है । पाणी बचाओ तो सभी कहेते है परंतु आनेवाले नए वर्ष में समय बचाओ का संकल्प अवश्य ही लीजिए ।


आज लिखने का विषय यही है,आप कुछ समय मंत्र जाप के लिए भी निकाल ही लो । इसमें आपको कोई नुकसान नही होगा और मातारानी ने चाहा तो फायदा ही होगा । आज एक आवश्यक साधना दे रहा हु जो किसी भी किताब में छपी नही है और मैं इस मंत्र का जाप शुभ समयो पर 14 साल से करता आरहा हु । मुझे और मेरे सभी पहेचान वालो को फायदा हुआ है,किसी को जल्द फायदा हुआ है तो किसीको देर से फायदा हुआ है परंतु फायदा सभी को हुआ है और आपको भी हो सकता है । इस साधना में साधना सामग्री बहोत सस्ती है जैसे कपूर,धूपबत्ती और माचीस । मंत्र जाप के समय कपूर बुझना नही चाहिए और सुगंधित धूपबत्ती से आपको आध्यात्मिक वातावरण बनाके रखना है । आसान कोई भी चलेगा, किसी भी रंग का चलेगा । दिशा का कोई बंधन नही,जहां चाहो वहां मुख करके बैठ सकते हो परंतु पूर्व/उत्तर दिशा मंत्र जाप हेतु अच्छा माना जाता है । साधना जाप के लिये समय का कोई पाबंदी नही है,चाहो उतना जाप करो और जब भी साधना हेतु समय दे सकते हो उसी समय जाप कर लिया करो । संसार के किसी भी शुद्ध या पवित्र स्थान पर सुखासन में बैठकर कर जाप कर सकते हो,जरूरी नही के मंत्र जाप पूजाघर में ही करना है । साधना किसी भी दिन से शुरू कर सकते हो और जब तक साधना करने की क्षमता हो तब तक तो अवश्य ही किया करे । साधारणत: मंत्र सिद्धि हेतु साधना 21 दिनों तक करे और हो सके तो निच्छित समय पर बैठकर कर उचित संख्या में जाप करे । उचित संख्या में जाप करने का अर्थ है जैसे 108 बार या 1008 बार मंत्र जाप करना ।

जिस तरह मेरे गुरुजी ने मुझे समझाया था,वैसे ही समझाने की कोशिश मैने की है और आपको इस साधना के माध्यम से श्रेष्ठ प्रकार के लाभ मिले यहां गुरुचरणों में प्रार्थना है । इस एक शक्ति साधना है,यहां शक्ति साधना का अर्थ है देवी साधना । यह मंत्र देवों के लिये नही है सिर्फ देवी से संबंधित है,इस प्रकार के अन्य भी शाबर मंत्र है जो शक्तिपूर्ण है । इस शाबर शक्ति मंत्र से आप किसी भी देवी की कृपा और सिद्धि प्राप्त कर सकते है, यह एक ग्रामीण भाषा से निर्मित मराठी मंत्र है । महाराष्ट्र में नाथ सम्प्रदाय के जनक नवनाथों में से गुरु मच्छीन्द्रनाथ, गहिनीनाथ, जालिंदारनाथ, कानिफनाथ, सिद्ध रेवणनाथ,वट सिध्द नागनाथ , भर्तुहरिनाथ भगवान की समाधिया है । गुरु गोरखनाथ और गुरु चरपटनाथ आज भी चेतना के अवस्था मे जीवित जाग्रत है,इन्होने अपना देह त्याग नही किया । इसलिए महाराष्ट्र में ग्रामीण भाषा में बोली जानेवाले भाषा के प्रकार के लाखों शाबर मंत्र है जो किताबो नही अपितु यहां रहने वाले बुजुर्गों के पास सुरक्षित है ।


मंत्र-

।। आकाश पिता,धरतरी माता,जय महाकालि माता प्रसन्न होय आता,दुहाई गुरु गोरखनाथ की ।।


इस मंत्र से महाकालि जी को प्रसन्न किया जा सकता है,ठीक इसी तरह अगर आप किसी अन्य देवी को प्रसन्न करना चाहते हो तो महाकालि जी के जगह उस देवी का नाम बोलना होगा । एक बार उदाहरण के मंत्र लिख रहा हु "आकाश पिता,धरतरी माता,जय सरस्वती माता प्रसन्न होय आता,दूहाई गुरु गोरखनाथ की",  तो इस तरह से आप अपनी इष्ट देवी को प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हो । इसी मंत्र साधना पर एक बार ओर मैं लिखूंगा आनेवाले चंद्रग्रहण के बाद और उसमें इसी मंत्र से किस प्रकार से हमे देवी के दर्शन प्राप्त हो सकते है,यह महत्वपूर्ण साधना लिखनेवाला हू ।

आनेवाले चंद्रग्रहण तक अवश्य ही आप ज्यादा से ज्यादा इस मंत्र साधना को सम्पन्न करे,इसमे आपको मातारानी के कृपा से जीवन मे अनेको समस्याओं से राहत मिल सकती है । मैने जब यह साधारण मंत्र समझकर अपने गुरु से ग्रहण किया था,तब सोचा नही था के यह मंत्र दिव्यता से पूर्ण है । आप स्वयं साधना करे और अपने अनुभव मुझे ईमेल से भेजिए ताकि मैं आपको आगे के साधना में मार्गदर्शन कर सकू और वह मार्गदर्शन इसी मंत्र साधना से संबंधित होगा ।

ईमेल-snpts1984@gmail.com



अब तो मैने अपना E-mail I.D. बदल दिया है क्युके निखिल शिष्यो को मेरे ईमेल में निखिल नाम होने से समस्या थी,जिस कारण मुझे यह करना पड़ा क्युके मैं किसीका दिल नही दुखाना चाहता हूँ । अगर मेरे पुराने ईमेल आई. डी. में निखिल नाम होने से आपके कोमल हृदय को ठेस पहोचता था तो शायद आपको यह बात मुझे ईमेल के माध्यम से बता देना चाहिए था । मैं अपने जीवन मे किसी भी गुरु के नाम से अपना ब्लॉग चलाना उचित नही समझता हूं,किसी भी संत,महात्मा या गुरु के नाम से ओ भी बिना उनके आज्ञा के यह कार्य करना इसे मैं स्वयं अपराध मान सकता हूँ । तो साधक मित्रो यह बात आप भी स्वीकार करे के किसी भी गुरु का फोटो लगाकर या फिर उनके नाम का इस्तेमाल करके यह ब्लॉग नही चलाया जा रहा है । 20 ऑक्टोम्बर के बाद आज पोस्ट लिख रहा हु क्युके मेरे जीवन मे भी व्यस्तता है और मेरे पास इतना समय नही रहेता है के मैं सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर जाकर देखता रहू के मेरे बारे में कौन व्यक्ति बुरा या भला बोल रहा है । अब जितना भी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर कोई भी सज्जन मेरे बारे में अच्छा लिखे या फिर बुरा लिखे,लोग उनके लिखने के बाद वह पढ़कर ब्लॉग पढ़ते है और सभी पढ़ने वाले तारीफ ही करते है । इसी वजेसे से रोजाना ब्लॉग पढ़ने वालों की संख्या भी बढ़ रही है,यह तो आनंद की बात है । मैं बहोत दिनों से सोच रहा था के रोजाना ब्लॉग पढ़ने वालों की संख्या कैसे बढ रही है क्युके मैं नाही फ़ेसबुक पर हु और नाही मेरा कोई भी यूट्यूब चैंनल है,नाही मेरा कोई व्हाट्सएप ग्रुप है,मेरा तो इस पूरे संसार मे कोई शिष्य भी नही है जो मेरा या इस ब्लॉग का प्रचिती करे मतलब एडवरटाइजिंग करे । मेरे पास ना ब्लॉग लिखने का समय होता है ओर ना फोन उठाकर बात करणे के लिए ज्यादा समय होता है,इसलीये यह ब्लॉग कोई पैसा कमाने के लिए नही बनाया है । अगर इस ब्लॉग से पैसा कमाना होता तो एक महिने मे कम से कम मै 10-12 आर्टिकल लिखता और साथ मे इस ब्लॉग पर Google Adsense भी लगा देता जैसे बाकी वेबसाइट्स या ब्लॉग पर लगाया हुआ है । Google Adsense लगाकर पैसा कमाना तो बहोत आसान कार्य है और साथ मे अपना YouTube channel भी बनाकर पैसा कमा सकता था परंतु मैं अपने जीवन मे अपनी आमदनी से खुश हूं ।

अब मुझे मेरे सवालों का जवाब मिल गया है,मेरे कई पुराने शत्रु है जब मैं फ़ेसबुक पर था और आज वही लोग फ़ेसबुक पर मेरे नाम को बदनाम करते रहते है,कोई इल्जाम करता है तो कोई चुगलीया करते रहता है जिस वजेसे मेरा बिना फ़ेसबुक पर रहने के बाद भी अच्छा खासा पब्लिसिटी हो रहा है । यह तो मातारानी की कृपा है के निःशुल्क में ही लोग मन मे गंदगी रखकर मुझे प्रसिद्ध कर रहे है,इस महान कार्य हेतु मेरे शत्रुओं को धन्यवाद ।

*एक बार फिर से लिख रहा हु,मेरा YouTube पर कोई भी channel नही है,facebook पर भी कोई account नही है और कोई भी whatsapp group नही है,यहां किसी भी प्रकार का कोई भी दीक्षा नही दिया जाता है । जिसे इस बात का परीक्षा लेना हो वह सज्जन व्यक्ति अपना कीमती समय निकालकर खोज कर सकता है । ब्लॉग पर अगले वर्ष से कार्य प्रारंभ होगा और मार्गदर्शन हेतु दिए जानेवाले पुराने ईमेल आई.डी. को हटाकर नया ईमेल आई.डी. snpts1984@gmail.com डाल दिया जायेगा । इस कार्य से निखिल शिष्यो को बेहद खुशी मिलेगा,यही आशा करता हू । मातारानी आप सभी पर कृपा बनाये रखे,यही मातारानी के चरणों मे प्रार्थना है ।



आदेश.........

21 Jan 2016

भैरवनाथ सिद्धि.

भैरव भक्त वत्सल है शीघ्र ही सहायता करते है,भरण,पोषण के साथ रक्षा भी करते है। ये शिव के अतिप्रिय तथा माता के लाडले है,इनके आज्ञा के बिना कोई शक्ति उपासना करता है तो उसके पुण्य का हरण कर लेते है कारण दिव्य साधना का अपना एक नियम है जो गुरू परम्परा से आगे बढता है।अगर कोई उदण्डता करे तो वो कृपा प्राप्त नहीं कर पाता है।

भैरव सिर्फ शिव और माँ के आज्ञा पर चलते है वे शोधन,निवारण,रक्षण कर भक्त को लाकर भगवती के सन्मुख खड़ा कर देते है।इस जगत में शिव ने जितनी लीलाएं की है उस लीला के ही एक रूप है भैरव।भैरव या किसी भी शक्ति के तीन आचार जरूर होते है,जैसा भक्त वैसा ही आचार का पालन करना पड़ता है।ये भी अगर गुरू परम्परा से मिले वही करना चाहिए।आचार में सात्वीक ध्यान पूजन,राजसिक ध्यान पूजन,तथा तामसिक ध्यान पूजन करना चाहिए।भय का निवारण करते है भैरव।

इस जगत में सबसे ज्यादा जीव पर करूणा शिव करते है और शक्ति तो सनातनी माँ है इन दोनो में भेद नहीं है कारण दोनों माता पिता है,इस लिए करूणा,दया जो इनका स्वभाव है वह भैरव जी में विद्यमान है।सृष्टि में आसुरी शक्तियां बहुत उपद्रव करती है,उसमें भी अगर कोई विशेष साधना और भक्ति मार्ग पर चलता हो तो ये कई एक साथ साधक को कष्ट पहुँचाते है,इसलिए अगर भैरव कृपा हो जाए तो सभी आसुरी शक्ति को भैरव बाबा मार भगाते है,इसलिये ये साक्षात रक्षक है। भूत बाधा हो या ग्रह बाधा,शत्रु भय हो रोग बाधा सभी को दूर कर भैरव कृपा प्रदान करते है।अष्ट भैरव प्रसिद्ध है परन्तु भैरव के कई अनेको रूप है सभी का महत्व है परन्तु बटुक सबसे प्यारे है।नित्य इनका ध्यान पूजन किया जाय तो सभी काम बन जाते है,जरूरत है हमें पूर्ण श्रद्धा से उन्हें पुकारने की,वे छोटे भोले शिव है ,दौड़ पड़ते है भक्त के रक्षा और कल्याण के लिए।




साधना विधि-विधान-

शिव के अनेक भैरव स्वरूपों की पूजा काल, धन, यश की कामना को पूरी करने वाली मानी गई है। किंतु कामना सिद्धि या धन लाभ की दृष्टि से शास्त्रों में भैरव पूजा के सही वक्त व तरीके बताए गए हैं।


- पौराणिक मान्यताओं में भैरव अवतार प्रदोष काल यानी दिन-रात के मिलन की घड़ी में हुआ। इसलिए भैरव पूजा शाम व रात के वक्त करें।

- रुद्राक्ष शिव स्वरूप है। इसलिए भैरव पूजा रुद्राक्ष की माला पहन या रुद्राक्ष माला से ही भैरव मंत्रों का जप करें।

- स्नान के बाद भैरव पूजा करें। जिसमें भैरव को भैरवाय नम: बोलते हुए चंदन, अक्षत, फूल, सुपारी, दक्षिणा, नैवेद्य लगाकर धूप व दीप आरती करें।

- भैरव आरती तेल की दीप से करें।

- तंत्र शास्त्रों में मदिरा का महत्व है, किंतु इसके स्थान पर दही-गुड़ भी चढ़ाया जा सकता है।

- भैरव की आरती तेल के दीप व कर्पूर से करें।

-कुत्ता भैरव जी का वाहन है इसलिये कुत्तों को भोजन अवश्य खिलाना चाहिए एवं भैरव हमेशा पूरे परिवार की रक्षा करते हैं इसीलिये भैरव देवता को काले वस्त्र और नारियल चढाने से वह प्रसन होते हैं,साधना के आखरी दिन काला वस्त्र और नारियल चढाने से बहोत लाभ प्राप्त होगा।

- भैरव पूजा व आरती के बाद विशेष रूप से शिव का ध्यान करते हुए दोष व विकारों के लिए क्षमा प्रार्थना कर प्रसाद सुख व ऐश्वर्य की कामना से ग्रहण करें।

-भैरवनाथ मंत्र का नित्य एक माला जाप करना है और इसके लिए मुख दक्षिण दिशा मे होकर जाप करना है।

-आसन वस्त्र लाल/काले रंग के हो और येसा भैरव चित्र स्थापित करे जिसमे "महाकालि के साथ भैरव जी भी हो",यह साधना का विशेष अंग है।



मै आज जो मंत्र यहा दे रहा हू,इससे समस्त प्रकार के विघ्नो का पिडाओ का दुखो का नाश होता है एवं कामना सिद्धि भी होता है। इस मंत्र से षट्कर्म भी सम्भव है जैसे मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, विद्वेषन, शांतिकर्म.....इत्यादि।इस मंत्र से षट्कर्म कैसे किया जा सकता है यह बात मै यहा गोपनीय रख रहा हू परंतु जो साधक यह साधना करेगा,उसको मै रहस्य अवश्य बता दुगा ।

यह साधना किसी भी शनिवार से शुरु करे और साधना 41 दिन करना है। इस साधना से जहा हमे लाभ होता है वही इस साधना के माध्यम से हम दुसरो का भी काम करवा सकते है। यह तिष्ण शाबर मंत्र साधना है इसलिए इस साधना से लाभ प्राप्त होते हुए देखा गया है। साधना हेतु अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिये सम्पर्क करे -amannikhil011@gmail.com पर और इस साधना का मंत्र फोटो मे दिया हुआ है।


कहा जाए कि संकटों, आपदाओं और भिन्न-भिन्न प्रकार की समस्याओं से त्रस्त कलियुग में भगवान भैरोंनाथ महाराज का स्मरण, पूजा-अर्चना ब्रह्मास्त्र हैं तो अतिश्योक्ति नहीं। तंत्राचार्यों का मानना है कि वेदों में जिस परम पुरुष का चित्रण रुद्र में हुआ, वह तंत्र शास्त्र के ग्रंथों में उस स्वरूप का वर्णन 'भैरव' के नाम से किया गया, जिसके भय से सूर्य एवं अग्नि तपते हैं। इंद्र-वायु और मृत्यु देवता अपने-अपने कामों में तत्पर हैं, वे परम शक्तिमान 'भैरव' ही हैं।



  

Bhairavnath accomplishment: 

Bhairav ​​is vatsal devotee is shortly to assist, feed, nutrition is also the defense.can not achieve.

They just follow orders Bhairav ​​Shiva and mother purification, prevention, protection of the devotees brought Bhagwati opposite pose as the pastimes of Lord Shiva in this world, that is a form of Leela or any Barvlbarv There are three ethics of power, as the man has to follow the same conduct These also met the guru tradition to the attention Satwik in Chahia.achar worship, meditation rajasic worship, meditation and worship vengeful troubleshoot Chahia.by Bhairav ​​do.

Most creatures in the world, Shiva is mercy and power in the orthodox mother could not distinguish the two because both parents, this compassion, kindness which is their nature to live in the Bhairav ​​demonic powers in existing Halsristi too If nuisance, even if it runs on a special practice and devotion of many a seeker so painfully, so be pleased if the Bhairon Baba Bhairav ​​kill Bgate power is the worst, because it is a living savior. Ghost obstacle or hindrance planet, foes fear barrier disease remove all but one Bhairav ​​Bhairav ​​Bhairav ​​pleased Hakasht provide as many Aneko the importance of all but the most beloved Haknity Batuk speaking their mind to worship All the work has become, we need to call them to devotion, they have little naive Shiva, the man rushed to the defense and welfare.

Vidhan- practice law

Many forms of Shiva Bhairava worship time, money, fame is considered to fulfill the wish. But in the scriptures in terms of profits, wish fulfillment or the right time and ways to worship Bhairav.

- In mythology, Bhairav ​​avatar dusk period occurred at a time of the day-night meeting. So Bhairava worship in the evening and at night.

- Rudraksha Shiva format. Rudraksha Mala Rudraksha beads to wear or because the worship Bhairav ​​Bhairav ​​chant mantras.

- After bathing worship Bhairava. Bhairav ​​which wet Barway: Speaking sandalwood, rice, flowers, betel nut, Dakshina, oblation by the sun and deep prayers.

- Bhairav ​​prayers to the oil lamp.

- System in the scriptures is the importance of wine, but instead yogurt-molasses can also be plated.

- Bhairav ​​Arti oil from the lamp and the camphor.

The vehicle must therefore live Bhairav ​​-kutta food should feed the dogs and protect the whole family always so Bhairav ​​Bhairav ​​the god he mounted the black robes and coconut are Prasn, the last day of practice black robes and bringing the benefits of coconut Coating will receive.

- Bhairav ​​Shiva Puja and Aarti particular attention since the defects and disorders, praying for forgiveness, offering to accept wished happiness and prosperity.

-barvnath Continual mantra chanting and a wreath on the south side of the home is the chant.

-asn Wear red / black and Yesa Bhairav ​​picture which establishes "Bhairav ​​with Mahakali be living", it is a special part of practice.

Today I am giving the mantra here, it grieves all types of Pidao of Vigno would destroy and wished accomplishment happens. This mantra is possible as shatkarma Mohan, captivate, deflexion, Vidvesn, Shantikarm ..... how can shatkarma Ityadikis spells it but I'm here to keep confidential the spiritual seeker who would like him Duga must tell secrets.

This practice may begin at any Saturday and practice is 41 days. The practice where we would benefit from the work of others and get us through this meditation can. It therefore Tishn Shabr mantra meditation practice has seen the benefits. For more information please contact -amannikhil011@gmail.com for cultivation and the cultivation of the mantra has been in the photo.

That prompted crises, disasters and different kinds of problems plagued Kaliyuga remember God Baronnath chef, not an exaggeration if brahmastra worship. Tntracharyon believe that the Vedas Rudra was the ultimate illustration of man, the nature of the system described in the texts of scripture 'Bhairav' was called, which are awfully Tpte sun and fire. Indra, the god of wind and death look forward to their jobs, they Almighty 'Bhairav' are the same.




आदेश......

2 Jan 2016

महाशिवरात्रि विशेष.

बहुत से लोग शिव और शंकर को एक ही मानते है, परन्तु वास्तव में इन दोनों में भिन्नता है | आप देखते है कि दोनों की प्रतिमाएं भी अलग-अलग आकार वाली होती है | शिव की प्रतिमा अण्डाकार अथवा अंगुष्ठाकार होती है जबकि महादेव शंकर की प्रतिमा शारारिक आकार वाली होती है | यहाँ उन दोनों का अलग-अलग परिचय, जो कि परमपिता परमात्मा शिव ने अब स्वयं हमे समझाया है तथा अनुभव कराया है स्पष्ट किया जा रह है :-

महादेव शंकर

१. यह ब्रह्मा और विष्णु की तरह सूक्ष्म शरीरधारी है | इन्हें ‘महादेव’ कहा जाता है परन्तु इन्हें ‘परमात्मा’ नहीं कहा जा सकता |
२. यह ब्रह्मा देवता तथा विष्णु देवता की रथ सूक्ष्म लोक में, शंकरपुरी में वास करते है |
३. ब्रह्मा देवता तथा विष्णु देवता की तरह यह भी परमात्मा शिव की रचना है |
४. यह केवल महाविनाश का कार्य करते है, स्थापना और पालना के कर्तव्य इनके कर्तव्य नहीं है |



परमपिता परमात्मा शिव

१. यह चेतन ज्योति-बिन्दु है और इनका अपना कोई स्थूल या सूक्ष्म शरीर नहीं है, यह परमात्मा है |
२. यह ब्रह्मा, विष्णु तथा शंकर के लोक, अर्थात सूक्ष्म देव लोक से भी परे ‘ब्रह्मलोक’ (मुक्तिधाम) में वास करते है |
३. यह ब्रह्मा, विष्णु तथा शंकर के भी रचियता अर्थात ‘त्रिमूर्ति’ है |
४. यह ब्रह्मा, विष्णु तथा शंकर द्वारा महाविनाश और विष्णु द्वारा विश्व का पालन कराके विश्व का कल्याण करते है |



शिव का जन्मोत्सव रात्रि में क्यों ?

‘रात्रि’ वास्तव में अज्ञान, तमोगुण अथवा पापाचार की निशानी है | अत: द्वापरयुग और कलियुग के समय को ‘रात्रि’ कहा जाता है | कलियुग के अन्त में जबकि साधू, सन्यासी, गुरु, आचार्य इत्यादि सभी मनुष्य पतित तथा दुखी होते है और अज्ञान-निंद्रा में सोये पड़े होते है, जब धर्म की ग्लानी होती है और जब यह भरत विषय-विकारों के कर्ण वेश्यालय बन जाता है, तब पतित-पावन परमपिता परमात्मा शिव इस सृष्टि में दिव्य-जन्म लेते है | इसलिए अन्य सबका जन्मोत्सव तो ‘जन्म दिन’ के रूप में मनाया जाता है परन्तु परमात्मा शिव के जन्म-दिन को ‘शिवरात्रि’ (Birth-night) ही कहा जाता है |चित्र में जो कालिमा अथवा अन्धकार दिखाया जाता  है वह अज्ञानान्धकार अथवा विषय-विकारों की रात्रि का घोतक है | ज्ञान-सूर्य शिव के प्रकट होने से सृष्टि से अज्ञानान्धकार तथा विकारों का नाशजब इस प्रकार अवतरित होकर ज्ञान-सूर्य परमपिता परमात्मा शिव ज्ञान-प्रकाश देते है तो कुछ ही समय में ज्ञान का प्रभाव सारे विश्व में फ़ैल जाता है और कलियुग तथा तमोगुण के स्थान पर संसार में सतयुग और सतोगुण कि स्थापना हो जाती है और अज्ञान-अन्धकार का तथा विकारों का विनाश हो जाता है | सारे कल्प में परमपिता परमात्मा शिव के एक अलौकिक जन्म से थोड़े ही समय में यह सृष्टि वेश्यालय से बदल कर शिवालय बन जाती है और नर को श्री नारायण पद तथा नारी को श्री लक्ष्मी पद का प्राप्ति हो जाती है | इसलिए शिवरात्रि हीरे तुल्य है |

“ॐ नम: शिवाय” वह मूल मंत्र है, जिसे कई सभ्यताओं में महामंत्र माना गया है। इस मंत्र का अभ्यास विभिन्न आयामों में किया जा सकता है। इन्हें पंचाक्षर कहा गया है, इसमें पांच मंत्र हैं। ये पंचाक्षर प्रकृति में मौजूद पांच तत्वों के प्रतीक हैं और शरीर के पांच मुख्य केंद्रों के भी प्रतीक हैं। इन पंचाक्षरों से इन पांच केंद्रों को जाग्रत किया जा सकता है। ये पूरे तंत्र (सिस्टम) के शुद्धीकरण के लिए बहुत शक्तिशाली माध्यम हैं।




महाशिवरात्रि का मूल

पुराणों में महाशिवरात्रि को लेकर कई तरह के वृत्तांत हैं। जिसमें सबसे अधिक प्रचलित है शिकारी द्वारा अनजाने में की गई शिवरात्रि की कथा । लेकिन यह कथा शिवरात्रि के व्रतफल की कथा है न कि इसकी मूल कथा। मूल कथा कुछ इस प्रकार है -

"शिव परंब्रह्म हैं। सृष्टि उनकी ही परिकल्पना है सृष्टि के अस्तित्व में आने के पहले चारों और सर्वव्यापक अन्धकार होता है। तब शिव सृष्टि की परिकल्पना करते हैं। ब्रह्माण्ड की रचना करते हैं, त्रिदेवों का गठन होता है। तथा सृष्टि अस्तित्व में आती है। माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्य रात्रि परंब्रह्म शिव का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ। प्रलय की वेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं। इसीलिए इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि कहा गया।"

जब कल्प के समाप्ति पर शिव सृष्टि को विलीन कर देतें हैं तो एक बार फिर रह जाता है – सिर्फ अन्धकार। ऐसे ही एक अवसर पर (जब पूरी सृष्टि अँधकार में डूबी हुई थी) पार्वतीजी ने शिवजी की पूर्ण मनोयोग से साधना की। शिव जी ने प्रसन्न होकर पार्वती जी को वर दिया। पार्वतीजी ने महादेव से यह वर मांगा कि जो कोई भी इस दिन अगर आपकी साधना करे तो आप उस पर प्रसन्न हो जांए तथा मनवांछित वर प्रदान करें। इस प्रकार पार्वती जी के वर के प्रभाव से शिवरात्रि का प्रारम्भ हुआ।

एक अन्य पुराण कथा के अनुसार जब सागर मंथन के समय सागर से कालकेतु विष निकला तब शिव ने संसार के रक्षा हेतु सम्पूर्ण विष का पान कर लिया और नीलकंठ कहलाए। इसी अवसर को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर ही शिव-पार्वती का विवाह भी सम्पन्न हुआ था। फाल्गुन कृष्ण-चतुर्दशी की महानिशा में आदिदेव कोटि सूर्यसमप्रभ शिवलिंग के रुप में आविर्भूत हुए थे। फाल्गुन के पश्चात वर्ष चक्र की भी पुनरावृत्ति होती है अत: फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि को पूजा करना एक महाव्रत है जिसका नाम महाशिवरात्रि व्रत पड़ा।

अब कुछ साधना के बारे मे जानते है,यह साधना दर्द-पीडा निवारण हेतु हैं। दर्द या पीड़ा एक अप्रिय अनुभव होता है। इसका अनुभव कई बार किसी चोट, ठोकर लगने, किसी के मारने, किसी घाव में नमक या आयोडीन आदि लगने से होता है। इस साधना से पेट दर्द,कमर दर्द,जबड़े का दर्द, आधा शिर दर्द,घुटनों का दर्द,अंगुष्ठ का दर्द.....इत्यादि पीडाये समाप्त होता है।




साधना विधी:-

महाशिवरात्रि के दिन शाम को 7 बजे से मंत्र जाप शुरु करें। आसन,वस्त्र,दिशा का कोइ बंधन नही है। रुद्राक्ष माला से 11 माला जाप करने से मंत्र सिद्धि होगा ।मंत्र सिद्धि के बाद एक ग्लास शुद्ध जल पर 108 बार मंत्र बोलते हुए 3 फुंक लगाये और वह अभिमंत्रीत जल रोगी को पिलादे । इस प्रकार से रोगी को 3-7 दिन तक लगातार अभिमंत्रीत जल पिलाने से हर प्रकार के शारिरिक पीडा और दर्द से राहत मिलता है। मंत्र सिद्धि के समय जैसे मैने मंत्र दिया उसी तरहा जाप करे और रोगी को अभिमंत्रीत जल पिलाते समय "अमुक"के जगहा पीडा को बोलकर 108 बार मंत्र बोलना है जैसे  "पेट दर्द पीडा जाए",इस तरहा बोलने का विधान है ।



मंत्र:-

।। शंकर शंकर खोज जाई,शंकर बैठे जंगल जाई,सब देवन की जय जय मनाय,ब्रम्हा विष्णु पुजे जाय,अमुक पीडा दर्द जाए ।।

साधना प्रती कोइ भी प्रश्न हो तो आप मुझसे सम्पर्क करके पुछ सकते है।



Shivaratri special.

Many people believe that Shiva and Shankar is one, but actually two variations | You see the two statues of different sizes is also | Shiva Shankar Mahadev statue of the statue is elliptical or Angushtakar size is Shararik | Here are different from them both, who explained that the Supreme God Shiva and experience have made us so himself remain to be clarified: -

Mahadev Shankar

1. Brahma and Vishnu incarnate as it is subtle | These 'Mahadev', but they are called 'God' can not be called |

2. The chariot of Lord Brahma, Lord Vishnu and subtle folk, have resided in Shankrpuri |

3. Lord Brahma and Vishnu, the god Shiva is the creation of God like |

4. It is only acts of mass destruction, their duty is not the duty of raising and rearing |

Supreme God Shiva

1. The flame-point conscious and they do not have any physical or astral body, it is God |

2. This Brahma, Vishnu and Shiva public, ie beyond micro dev folk 'Brahmaloka' (liberation) have resided in |

3. This Brahma, Vishnu and Shiva, ie the Creator 'Trinity' is |

4. This Brahma, Vishnu and Shiva and Vishnu world by following the disaster by making the welfare of the world |

Shiva's birthday night Why?

'Night' the ignorance, tamo or is a sign of sinful | Therefore, the timing of Kali Yuga Dwaparyug and 'night' is called | At the end of Kali Yuga, while monks, monk, master, master, etc. are all human beings degenerate and unhappy and are lying asleep in ignorance-sleep, when there is guilt of religion and Bharat subject disorders ear when it becomes brothel, Then the Purifier Supreme God Shiva in the universe is divine-born | If the other all birthday 'birthday' is celebrated as the birthday of Shiva, but God 'Shivaratri' (Birth-night) is called | blackness or darkness, which is shown in the picture or theme that Agyanandhkar disorders of the night is Gotk | Knowledge-Sun Shiva appeared Agyanandhkar creation and knowledge-Sun disorders Nashjb stirred and thus give off light when the Supreme God Shiva knowledge-time knowledge and Kali's influence spread to the whole world and for tamoguna that is set in the Golden Age and Satogun the world and the darkness of ignorance and the destruction of disorders | Supreme God Shiva in all of fiction by a supernatural birth creation in the short term it may become pagoda brothel changed from male to female and Mr. Lakshmi Narayan post office is the realization | Shivaratri is therefore like diamonds |

"Namah Shivaya" is the mantra, mantras is considered by many civilizations. This mantra can be practiced in various dimensions. They stated Panchakshr, the five mantra. These are symbols of the five elements in nature Panchakshr and body are also symbols of the five main centers. These Panchakshron these five centers can be awakened. The entire system (system) for the purification are very powerful medium.

The origin of Maha Shivaratri

There are many accounts in the Puranas about Shivaratri. Which is most prevalent hunter inadvertently made by the legend of Shivaratri. But this story is not the story of the original narrative of Shivaratri Wrtfl. The original story is something -

"Shiva are Prnbrhm. The creation of the universe came into being before his own hypothesis around the ubiquitous darkness. Then Shiva envisage creation. Creation of the universe, the holy trinity is formed. And the creation comes into existence . It is believed that in the beginning of creation, the day of Brahma, Shiva Rudra as midnight Prnbrhm has descended. Cataclysm Vella same day at dusk on the third eye of Lord Shiva Tandava the universe terminate blaze . So it was Shivaratri or kaalaraatri. "

At the end of the Aeon Shiva gives us creation dissolves remains so once again - just darkness. On one such occasion (when the whole world was sinking into Andkar) Parwatiji the full studiously Shiva meditated. Pleased, Shiva Parvati granted to. Mahadev Parwatiji the desire that whoever you on that happy day if there is poison to your spiritual practice and provide Mnwanchit bridesmaid. Thus, the influence of God's Shivaratri began Parvati.

Another myth, according to legend, the waters churning time Kalketu venom out of the ocean of the world, to protect the entire Shiva was drinking poison and called Jay. Maha Shivaratri is celebrated as the occasion. On the occasion of Shivaratri Shiva and Parvati was solemnized the marriage. Falgun Mahanisha of Krishna-chaturdasi had emerged as the Adidev quality Surysmprb lingam. Falgun after year cycle is repeated so falgun chaturdasi night of Krishna worship was a Mahavrats named Maha Shivaratri festival.

Now know anything about meditation, this practice is for pain-relieving suffering. Pain or suffering is an unpleasant experience. The experience often an injury, it takes offense, hitting someone, or iodine salt in a wound etc. is required. This practice abdominal pain, back pain, jaw pain, half head pain, knee pain, thumb pain ends Peedaye ..... etc.

Silence mode: -

Mahashivarathri the evening from 7 am to start chanting. Posture, clothing, any direction is not binding. Rudraksha beads, 11 beads to chant the mantra will Kmntr accomplishment after accomplishment Speaking mantra 108 times on a glass of pure water 3 is blown, and he put water Abhimntreet Pilade patient. Thus the patient drink water every 3-7 days of continuous Abhimntreet physical pain and get relief from pain. At the same time as I did the accomplishment mantra mantra to chant and patient Abhimntreet water Trha time around, "so and so" the voice of the suffering Jagha utter the mantra 108 times as "abdominal pain is pain", the Trha speech legislation.

Silence per Any question you can contact me.



आदेश......

25 Dec 2015

शिव शाबर मंत्र सिद्धि.

भगवान शंकर ने यतिनाथ अवतार लेकर अतिथि के महत्व का प्रतिपादन किया था। उन्होंने इस अवतार में अतिथि बनकर भील दम्पत्ति की परीक्षा ली थी, जिसके कारण भील दम्पत्ति को अपने प्राण गवाने पड़े। धर्म ग्रंथों के अनुसार अर्बुदाचल पर्वत के समीप शिवभक्त आहुक-आहुका भील दम्पत्ति रहते थे। एक बार भगवान शंकर यतिनाथ के वेष में उनके घर आए। उन्होंने भील दम्पत्ति के घर रात व्यतीत करने की इच्छा प्रकट की। आहुका ने अपने पति को गृहस्थ की मर्यादा का स्मरण कराते हुए स्वयं धनुषबाण लेकर बाहर रात बिताने और यति को घर में विश्राम करने देने का प्रस्ताव रखा।
इस तरह आहुक धनुषबाण लेकर बाहर चला गया। प्रात:काल आहुका और यति ने देखा कि वन्य प्राणियों ने आहुक का मार डाला है। इस पर यतिनाथ बहुत दु:खी हुए। तब आहुका ने उन्हें शांत करते हुए कहा कि आप शोक न करें। अतिथि सेवा में प्राण विसर्जन धर्म है और उसका पालन कर हम धन्य हुए हैं। जब आहुका अपने पति की चिताग्नि में जलने लगी तो शिवजी ने उसे दर्शन देकर अगले जन्म में पुन: अपने पति से मिलने का वरदान दिया। शिव का वह रूप यतिनाथ के नाम से प्रसिद्ध है।

भगवान यतिनाथ जी के शाबर मंत्र सबसे ज्यादा जंगलो मे रहने वाले भील समाज मे आज भी बहोत श्रेष्ठ मंत्र माने जाते है।श्री गोरखनाथ जी ने यतिनाथ शाबर मंत्रो के महत्व को अत्याधिक महत्वपूर्ण माना है। शिव जी से संबन्धित शाबर मंत्रो मे "अवधूत शाबर मंत्र"सबसे ज्यादा तिष्ण माने जाते है और "यतिनाथ शाबर मंत्र विद्या"को शिवप्रसाद प्राप्त करने हेतु महत्वपूर्ण माना जाता है।

आज आप सभी को इस श्रेष्ठ विद्या से अवगत करवा रहा हु जो गोपनीय है और किसी किताबों मे इस विद्या का वर्णन ज्यादा नही देखने मिलता है।यह विधान और मंत्र सन्सार के किसी भी किताब मे नही है परंतु भील समाज के पुराने लोगो के पास आज भी सुरक्षित है।

साधना विधी:-

किसी भी सोमवार से पुर्व दिशा मे मुख करके मंत्र का 1 माला जाप रुद्राक्ष के माला से 21 दिनो तक करें। आसन-वस्त्र-समय को कोइ बंधन नही है। मंत्र जाप से पुर्व गुरु और गणेश स्मरण अवश्य करे,साथ मे हो सके तो "ॐ नमः शिवाय" का भी जाप करें और शिवलिंग का पुजन भी किया करे।

यतिनाथ शाबर मंत्र:-

।। ॐ नमो आदेश गुरु को,यतिनाथ अर्बुदाचल पर्वत पर रहेने वाले,पुरब से आवो पच्छिम से आवो उत्तर से आवो दक्षिण से आवो,आवो बाबा यतिनाथ मेरा कारज सिद्ध करो,दुहाई***********।।

इस मंत्र के जाप से कोई भी कार्य शिघ्र पुर्ण होता है। प्रत्येक मनोकामना पुर्ण होता है। सभी प्रकार के विद्या मे सफलता प्राप्त होता है। शिवजी के स्वप्न मे दर्शन भी प्राप्त हो सकते है। शिवप्रसाद प्राप्त होता है एवं किसी भी इतर योनी (भुत-प्रेत-यक्षिणी....इत्यादि) को इस मंत्र के सिद्धि से आकर्षित किया जा सकता है।

यहा पर मैने मंत्र से कुछ शब्द सुरक्षित रखे है क्युके कुछ चोर लोग यहा से आर्टीकल चुराकर स्वयं के नाम से फेसबुक पर पोस्ट करते है। जिन्हे मंत्र का आवश्यकता हो वह मुझसे सम्पर्क करके पुर्ण मंत्र ई-मेल के माध्यम से प्राप्त कर सकते है।

आगे जिवन मे अन्य "शिव शाबर मंत्रो" को पोस्ट किया जायेगा।

आदेश......

21 Dec 2015

हनुमंत विद्या,भाग-2.

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।


यह हमेशा याद रखें कि हनुमत सिद्ध के लिये राम उपासना की बहुत आवश्यकता है। क्योंकि भगवान राम के अयोध्या से साकेत को प्रणाम करते है समय हनुमान को आदेश दिया था कि तुम मेरी कथा का प्रचार-प्रसार करते हुये मेरे भक्तों के समीप रहो, कल्पपर्यन्त पृथ्वी पर निवास करते रहो। अतः जहाँ भी रामकथा होती है वहाँ के समीप रहो, कल्पपर्यन्त पृथ्वी पर निवास करते रहो। अतः जहाँ भी रामकथा होती है वहां अपने लूक्ष्म शरीर से उपस्थित रहते हैं। तुलसी बाबा ने इनके सान्निध्य से ही रामकथा मानस पूरी की। साधक और साधिकाओं, प्रेमी-प्रेमिकाओं को एक विचित्र और अनुभव सत्य बात यह है कि जो भी व्यक्ति इन क्षेत्रों में आगे बढ़ते हैं वह माता अंजनी की कृपा से ही। हनुमान जी की माता परम तपश्विनी परम, पतिव्रतास पति की आज्ञा से ही वायु पुत्र पवनपुत्र का जन्म हुआ था। इनके मंत्र-तन्त्र अलग से गोपनीय रूप से उपलब्ध हैं।


हनुमान जी के रौद्र रूप जिससे लंका दहन किया, जिससे सीता की खोज की तथा वटुक रूप जिससे सुग्रीव की राम से मित्रता कराई, हनुमान का वैद्यक रूप जिससे संजीवन लाकर लक्ष्मण जी जीवित हुये। इनका भी ध्यान करना चाहिये।
इन्होंने अपने गुरु सूर्य से वेद रहस्य अर्थशास्त्र दर्शन, औषधि शास्त्र, ज्योतिष आदि की शिक्षा ग्रहण की। प्रस्तुत पुस्तक में ज्योतिष का सबसे सरल व आसान तरीका न जिसमें गणना की आवश्यकता है न अन्य कुछ केवल श्री राम स्मरण तथा हनुमान वन्दना के साथ केवल श्रद्धा तब देखिये साक्षात् हनुमान जी का चमत्कार। अहंकार को नष्ट करने तथा मित्रता कराने में श्री गुरु हनुमान ही सहायक हैं। पंचमुख-एकादश मुख हनुमान के मंत्र गरुड़ के चमत्कारी मंत्र भी हैं।


हनुमान जी पूर्ण ब्रह्म ही हैं, इस बात में कोई शंका किसी को भी उत्पन्न नहीं होनी चाहिये। हनुमान जी इस बात के प्रतीक हैं कि कोई भी वस्तु छोटी नहीं हो सकती, प्रत्येक जीव-जन्तु मानव-पशु का भी पूर्ण अस्तित्व है, लंका विध्वंस में हनुमान द्वारा किसी भी संकट में किसी भी तंत्र के षट्यकर्म में हनुमत् उपासना मंत्र आदि हैं। ‘‘ध्यावहुँ बिपद बिदारन सुवन समीर।’’
हनुमान जी में पूज्यपिता पवनदेव के 49 स्वरूपों का, त्रिदेवों का, आद्याशक्ति, महाशक्तियों, मूल प्रकृति, पंच महाभूत, ग्रह नक्षत्र, देवी-देवता, गंधर्व-यक्ष-किन्नर, अप्सराओं, दैत्य-दानव-राक्षसों, नाग, ऋषि-मुनि, वेदशास्त्र, कला विधाओं, सब जीव वृक्ष वनस्पतियों का अंश समावेश हैं। इनकी पूजा के साथ माता अन्नपूर्णा एवं वाममार्गी साधक भगवती छिन्नमस्ता की भी उपासना करनी चाहिये। अर्द्धनारीश्वर का अवतार होने के कारण सांख्य के अनुसार पूर्णरूपेण है।




साधना विधी:-

यह अद्वितीय साधना करना जिवन का भाग्य समजे क्युके जिनमें ग्यारह रुद्रो की शक्ति है उनका साधना महाकाली बीज मंत्रो से सम्बंधित हो तो वह साधना पुर्ण सिद्धिदात्री होती है।साधना मंगलवार रात्रि मे 9 बजे के बाद करना है। वस्त्र और आसन लाल रंग के हो,दिशा उत्तर होना चाहिये। साधना ग्यारह दिवसीय है और नित्य गेहूँ के आटे से बना रोटला भोग मे लगाना है। रोटले पर थोड़ा घी लागाये और थोड़ा शक्कर उसपर रखें। साधना के तुरंत बाद भोग को प्रसाद स्वरूप मे स्वयं ग्रहण करें। तिनो मंत्र का जाप भी करे,जो यहा दिये है ताकी आपको परेशानी ना हो ।साधना प्रती कोइ भी प्रश्न हो तो आप मुझे पुछ सकते है।



गुरुमंत्र-

। गुं गुरुभ्यो नमः ।

एक माला जाप करें।


गणपती मंत्र-

। गं गणपतये नमः ।

एक माला जाप करें।


नवार्ण मंत्र-

। ऐं हीं क्लीं चामुण्डाये विच्चै।

इस मंत्र का 3 माला जाप करें।


यह तिनो मंत्र के जाप करने के बाद "महाकाली युत्क हनुमान मंत्र" का 108 बार जाप करें। मंत्र फोटो मे दिया हुआ है। साधना से कई लाभ प्राप्त होते जिन्हे मै यहा नही दे रहा हु इसलिये आप स्वयं साधना करे और आपके अनुभव मुझे बताये क्युके इस साधना से अनुभुतीया तो अवश्य होता है।

वैसे तो ये साक्षात् रुद्रावतार होने के नाते श्रीरामोपासना के परमाचार्य है। इनकी कृपा बिना श्रीराम की उपासना में किसी को अन्तरंगता प्राप्त नहीं हो सकती। राम-भक्ति के तो यो भण्डारी एवं संरक्षक ठहरे।

गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज के कथनानुसार इनकी सेवा में कोई विशेष प्रयास करना नहीं पड़ता। ये गुणगान करने नमस्कार करने, स्मरण करने तथा नाम जपने मात्र से प्रसन्न होकर सेवकों का अभीष्ट हितसाधक सम्पन्न करने को सदैव तत्पर रहते हैं।


‘जिनके, हृदय में इनकी विकराल मूर्ति निवास कर लेती है, स्वप्न में भी उसकी छाया के पास भी संताप-पाप निकट नहीं आ सकते।’





आदेश.....

हनुमंत विद्या,भाग-1.

1.हनुमानजी इस धरती पर अजर और अमर हैं। हर दिन हर पल अपने भक्तों के प्राण हैं।

2. श्री हनुमाजी की लीला एवं शक्ति अपरम्पार है। हनुमान जी ऐसे देवता हैं जिनको यह वरदान प्राप्त है जो भी भक्त हनुमान जी ऐसे देवता हैं जिनको यह वरदान प्राप्त हैं जो भी भक्त हनुमान जी की शरण में आयेगा उसका कलियुग कुछ भी नहीं बिगाड़ पायेगा।

3. आज यदि कोई शीघ्रता से प्रसन्न होने वाला है तो व हनुमान जी ही हैं जिन भक्तों ने पूर्ण भाव एवं निष्ठा से हनुमान जी की भक्ति की है, उनके कष्टों को हनुमान जी ने शीघ्र ही दूर किया है। ऐसे भक्तों को जीवन में कभी भी कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता उनके संकटों को हनुमान जी स्वयं हर लेते हैं।

4. गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज के कथानुसार उनकी सेवा में कोई विशेष प्रयास करना नहीं पड़ता। ये गुणगान करने, नमस्कार करने, स्मरण करने तथा नाम जपने मात्र से प्रसन्न होकर सेवकों का अभीष्ट हितसाधन सम्पन्न करने को सदैव तत्पर रहते हैं। जिसके हृदय में इनकी विकराल मूर्ति निवास कर लेती है, स्वप्न में भी उसकी छाया के पास भी संताप-पाप निकट नहीं आ सकते।

हनुमान जी की उपासना भारत में कोने-कोने से लेकर सम्पूर्ण एशिया (जावा-सुमित्रा’ लंका, थाई, मारीशस, बर्मा अफगानिस्तान, जापान आदि) से लेकर यूरोप व समस्त विश्व में होती है।सप्तऋषि जिन्हें वरदान प्राप्त है कि चिरंजीवी रहेंगे- (अश्ववत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, शक, कृपाचार्य परशुराम) इनमें से एक हनुमान है। तंत्र शास्त्र के अनुसार सात करोड़ राम मंत्रों का जाप करने के बाद कहीं साधकों को हनुमान दिखाई देते हैं। हनुमान वेग में वायु देवता तथा गति में गरुड़ देवता के सक्षम हैं। भगवान के उत्तर दिशा के पार्षद कुबेर की गदा इन पर रहती है जिसमें अधर्म करने को दण्ड देने के अधिकारी हैं। इनकी गदा संग्राम में विजय दिलाने वाली हैं अतः साधकों को धर्मच्युत व्यवहार के लिए मारुति की गदा का भी ध्यान व पूजन अभीष्ट है। यदि साधक स्वयं (अनुचित) मार्ग से हनुमान की प्रार्थना करता है तो कभी साधना सफल नहीं होगी। यदि साधक मृत्युतुल्य कष्ट से ग्रस्त हो, तो मंगलमूर्ति का ध्यान हाथ में संजीवनी का पहाड़ लिये, साथ में सुषेण वैद्य का भी ध्यान करना चाहिये।


आज का यह साधना उन व्यक्तियों के लिये है जिन्हे बार बार रोगो से ग्रसीत होना पड़ता है,जिनको व्यापार मे घाटा हो रहा है,जिनके घर मे कलह हो,जिनको शिक्षा मे समस्या हो,किसी पर टोना-टोटका किया हुआ हो तो इस मंत्र साधना से दिये हुए परेशानी से मुक्ति प्राप्त होता है। यह साधना अनुभूत है और शिघ्र फलदायक है।




साधना विधान-

ग्यारह गेहु के आटे के दिपक बनाये जिसमें चार बत्तीया एक ही दिपक मे प्रज्वलित किया जा सके और सरसो का तेल होना चाहिये।अब हनुमानजी के चित्र/विग्रह के सामने ग्यारह दिपक प्रज्वलित करे,सुगंधित धूप जलाये और एक नारियल चढाये।अब मंत्र को 108 बार बोलकर तेल और सिंदुर का तिलक स्वयं करें। साधना शनिवार/मंगलवार को करे,समय आसन वस्त्र दिशा का कोई बंधन नही है। साधना पुर्ण होने के बाद नारियल को तोड़कर प्रसाद स्वरुप मे हनुमानजी को भोग लगाये और कुछ नारियल बाट दे ।

साधना पुर्ण होने के बाद धिरे-धिरे आपको अनुभूतियाँ होगा और यह विधान 3-4 बार करने का प्रयास करे तो आपके सभी काम हो सकते है।

मंत्र फोटो मे दिया हुआ है।



आदेश.......

6 Nov 2015

कालभैरव सवारी (शाबर मंत्र विद्या).

आज मै आपको "कालभैरव" भगवान का सवारी शरीर मे बुलाने का गोपनीय विधी बता रहा हू,जो तंत्र के साथ शाबर मंत्र से नाथमुखी प्राप्त विधान है l सवारी आपको तो पता ही होगा क्युके आप लोग अक्सर ये देखते होगे कुछ लोगो मे भैरव का सवारी हनुमान का सवारी महाकाली जी का सवारी आता है और सवारी आने पर "भगत" (जिस इंसान मे सवारी आता है उसको भगत कहा जाता है ) को जो कुछ पुछा जाये वह उसका सटिक जवाब देता है साथ मे सभी कष्ट, पिडा, बाधा, रोग, समस्याओ से मुक्ती दिलवाता है l

आप भी सवारी को अपने शरीर मे बुलाकर जनकल्याण कर सकते है और येसा मत सोचिये के जनकल्याण करेगे तो घर का आर्थिक स्थिति कैसे मजबुत होगा ? आप थोडा ध्यान दे क्युके सुशील नरोले आपको गलत सलाह नही देगा,जब आप जनकल्याण करेगे तो लोगो का भला होगा और जब लोगो का भला होगा तो वही लोग आपको कई रुपया दान मे देगे l किसिसे रुपया माँगना गलत है परंतु दान प्राप्त करना गलत नही है मित्रो,येसा होता तो आप उन लोगो को देखिये जिनमे सवारी आता है l



भैरव को भगवान शंकर का ही अवतार माना गया है, शिव महापुराण में बताया गया है-

"भैरवः पूर्णरूपो हि शंकरः परात्मनः।
मूढ़ास्ते वै न जानन्ति मोहिता शिवमायया।"


‘तंत्रालोक’ में भैरव शब्द की उत्पत्ति भैभीमादिभिः अवतीति भैरेव अर्थात् भीमादि भीषण साधनों से रक्षा करने वाला भैरव है, ‘रुद्रयामल तंत्र’ में दस महाविद्याओं के साथ भैरव के दस रूपों का वर्णन है और कहा गया है कि कोई भी महाविद्या तब तक सिद्ध नहीं होती जब तक उनसे सम्बन्धित भैरव की सिद्धि न कर ली जाय।

भगवान भैरव की साधना वशीकरण, उच्चाटन, सम्मोहन, स्तंभन, आकर्षण और मारण जैसी तांत्रिक क्रियाओं के दुष्प्रभाव को नष्ट करने के लिए भैरव साधना की जाती है। भैरव साधना से सभी प्रकार की तांत्रिक क्रियाओं के प्रभाव नष्ट हो जाते हैं। जन्म कुण्डली में छठा भाव शत्रु का भाव होता है। लग्न में षट भाव भी शत्रु का है। इस भाव के अधिपति, भाव में स्थित ग्रह और उनकी दृष्टि से शत्रु सम्बन्धी कष्ट उत्पन्न होते हैं। षष्ठस्थ-षष्ठेश सम्बन्धियों को शत्रु बनाता है। यह शत्रुता कई कारणें से हो सकती है। आपकी प्रगति कभी-कभी दूसरों को.अच्छी नहीं लगती और आपकी प्रगति को प्रभावित करने के लिए तांत्रिक क्रियाओं का सहारा लेकर आपको प्रभावित करते हैं।

तांत्रिक क्रियाओं के प्रभाव से व्यवसाय, धंधे में आशानुरूप प्रगति नहीं होती। दिया हुआ रुपया नहीं लौटता, रोग या विघ्न से आप पीड़ित रहते हैं अथवा बेकार के मुकद्मेबाजी में धन और समय की बर्बादी हो सकती है। इस प्रकार के शत्रु बाधा निवारण के लिए भैरव साधना फलदायी मानी गई।

नौकरी, व्यापार, जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं कि आप चाह कर भी किसी को अपनी बात स्पष्ट नहीं कर पाते। ऐसे कई लोग हैं जिनको इस बात का दुःख होता है कि जीवन में उन्हें ‘चांस’ नहीं मिला। अक्सर लोग इस बात को कहते हैं कि – उसे अपनी बात कहने का अवसर ही प्राप्त नहीं हुआ, इसलिये काम नहीं हुआ। जीवन में आने वाले अवसरों अर्थात् ‘चांस’ को सुअवसर में बदलने के लिये सम्पन्न करें भगवान भैरव का यह अति विशिष्ट प्रयोग है । जिसको सम्पन्न करने के पश्चात् आप जिस किसी को भी अपनी बात को उसके सामने स्पष्ट करना चाहते हैं कर सकते हैं। यह प्रयोग बालक-वृद्ध, स्त्री-पुरुष किसी पर भी सम्पन्न किया जा सकता है। भगवान भैरव का शाबर तंत्र प्रयोग कोई टोटका नहीं बल्कि शुद्ध तंत्र प्रयोग है जिसका प्रभाव तत्काल रूप से देखा जा सकता है।



‘रुद्रयामल तंत्र’ के अनुसार दस महाविद्याएं और सम्बन्धित भैरव के नाम इस प्रकार हैं-
1. कालिका – महाकाल भैरव
2. त्रिपुर सुन्दरी – ललितेश्वर भैरव
3. तारा – अक्षभ्य भैरव
4. छिन्नमस्ता – विकराल भैरव
5. भुवनेश्वरी – महादेव भैरव
6. धूमावती – काल भैरव
7. कमला – नारायण भैरव
8. भैरवी – बटुक भैरव
9. मातंगी – मतंग भैरव
10. बगलामुखी – मृत्युंजय भैरव



भैरव से सम्बन्धित कई साधनाएं प्राचीन तांत्रिक ग्रंथों में वर्णित हैं, जैन ग्रंथों में भी भैरव के विशिष्ट प्रयोग दिये हैं। प्राचीनकाल से अब तक लगभग सभी,ग्रंथों में एक स्वर से यह स्वीकार किया गया है कि जब तक साधक भैरव साधना सम्पन्न नहीं कर लेता, तब तक उसे अन्य साधनाओं में प्रवेश करने का अधिकार ही नहीं प्राप्त होता।'शिव पुराण’ में भैरव को शिव का ही अवतार माना है तो ‘विष्णु पुराण’ में बताया गया है कि विष्णु के अंश ही भैरव के रूप में विश्व विख्यात हैं, दुर्गा सप्तशती के पाठ के प्रारम्भ और अंत में भी भैरव की उपासना आवश्यक और महत्वपूर्ण मानी जाती है।




भैरव साधना के बारे में लोगों के मानस में काफी भ्रम और भय है, परन्तु यह साधना अत्यन्त ही सरल, सौम्य और सुखदायक है, इस प्रकार की साधना को कोई भी साधक कर सकता है। भैरव साधना के बारे में कुछ मूलभूत तथ्य साधक को जान लेने चाहिये-

1. भैरव साधना सकाम्य साधना है, अतः कामना के साथ ही इस प्रकार की साधना की जानी चाहिए।
2. भैरव साधना मुख्यतः रात्रि में ही सम्पन्न की जाती है।
3. कुछ विशिष्ट वाममार्गी तांत्रिक प्रयोग में ही भैरव को सुरा का नैवेद्य अर्पित किया जाता है।
4. भैरव की पूजा में दैनिक नैवेद्य साधना के अनुरूप बदलता रहता है। मुख्य रूप से भैरव को रविवार को दूध की खीर, सोमवार को मोदक (लड्डू), मंगलवार को घी-गुड़ से बनी हुई लापसी, बुधवार को दही-चिवड़ा, गुरुवार को बेसन के लड्डू,शुक्रवार को भुने हुए चने तथा शनिवार को उड़द के बने हुए पकौड़े का नैवेद्य लगाते हैं, इसके अतिरिक्त जलेबी, सेव, तले हुए पापड़ आदिका नैवेद्य लगाते हैं।


देवताओं ने भैरव की उपासना करते हुए बताया है कि काल की भांति रौद्र होने के कारण ही आप ‘कालराज’ हैं, भीषण होने से आप ‘भैरव’ हैं, मृत्यु भी आप से भयभीत रहती है, अतः आप काल भैरव हैं, दुष्टात्माओं का मर्दन करने में आप सक्षम हैं, इसलिए आपको ‘आमर्दक’ कहा गया है, आप समर्थ हैं और शीघ्र ही प्रसन्न होने वाले हैं।




साधना के लिए आवश्यक:-


ऊपर लिखे गये नियमों के अलावा कुछ अन्य नियमों की जानकारी साधक के लिए आवश्यक है, जिनका पालन किये बिना भैरव साधना पूरी नहीं हो पाती।

1. भैरव की पूजा में अर्पित नैवेद्य प्रसाद को उसी स्थान पर पूजा के कुछ समय बाद ग्रहण करना चाहिए, इसे पूजा स्थान से बाहर नहीं ले जाया जा सकता, सम्पूर्ण प्रसाद उसी समय पूर्ण कर देना चाहिए।
2. भैरव साधना में केवल तेल के दीपक का ही प्रयोग किया जाता है, इसके अतिरिक्त गुग्गुल, धूप-अगरबत्ती जलाई जाती है।
3. इस महत्वपूर्ण साधना हेतु ‘चित्र’ आवश्यक है, भैरव चित्र को स्थापित कर साधना क्रम प्रारम्भ करना चाहिए।
4. भैरव साधना में केवल ‘काली हकीक
माला’ का ही प्रयोग किया जाता है।



यह प्रयोग किसी भी रविवार, मंगलवार अथवा कृष्ण पक्ष की अष्टमी को सम्पन्न किया जा सकता है। भैरव साधना मुख्यतः रात्रि काल में ही सम्पन्न की जाती है परन्तु इस प्रयोग को आप अपनी सुविधानुसार दिन में भी सम्पन्न कर सकते हैं। साधना काल में साधक स्नान कर स्वच्छ लाल वस्त्र धारण कर, दक्षिणाभिमुख होकर बैठ जाए। अपने सामने एक बाजोट पर सर्वप्रथम गीली मिट्टी की ढेरी बनाकर उस पर ‘काल भैरव कंगण’ स्थापित करें। उसके चारों ओर तिल की आठ ढेरियां बना लें तथा प्रत्येक पर एक- एक सुपारी स्थापित करें। बाजोट पर तेल का दीपक प्रज्वलित करें तथा गुग्गल धूप तथा अगरबत्ती जला दें।



सर्वप्रथम निम्न मंत्र बोलकर भैरव का आह्वान करें –

आह्वान मंत्र:-
आयाहि भगवन् रुद्रो भैरवः भैरवीपते।
प्रसन्नोभव देवेश नमस्तुभ्यं कृपानिधि॥


भैरव आह्वान के पश्चात् साधक भैरव
का ध्यान करते हुए अपने शरीर मे सवारी प्राप्त करने हेतु कालभैरव से प्रार्थना करें तथा हाथ में जल लेकर निम्न संकल्प करें-



संकल्प:-
मैं अपने शरीर मे "कालभैरवजी" का सवारी प्राप्त करने हेतु काल भैरव प्रयोग सम्पन्न कर रहा हूं।
जल को जमीन पर छोड दिजिये और दीये हुए शाबर मंत्र का इमानदारी से जाप करे l



मंत्र:-
ll जय काली कंकाली महाकाली के पुत कालभैरव,हुक्म है-हाजिर रहे,मेरा कहा काज तुरंत करे,काला-भैरव किल-किल करके चली आयी सवारी,इसी पल इसी घडी यही भगत मे रुके,ना रुके तो दुहाई काली माई की, दुहाई कामरू कामाक्षा की,गुरू गोरखनाथ बाबा की आण,छु वाचापुरी ll



मै यहा कितना मंत्र जाप करना है? और कितने दिन करना है? मंत्र सिद्धी के बाद सवारी को कैसे शरीर मे बुलाना है ? इसके बारे मे यहा पर नही लिख रहा क्युके यह साधना अच्छे लोगो को प्राप्त होना जरुरी है lगलत लोगो के हाथ मे लग जाये तो वो लोग शरीर मे सवारी बुलाकर लोगो को लुटना शुरू कर देगे जिससे जनसमाज का भारी नुकसान होगा,जिसका कारण सुशील नरोले नही बनना चाहेगा l


"कालभैरव कंगण"

अब बात करते है "कालभैरव कंगण" जो अष्टधातु से निर्मित है और जिसका निर्माण वही कर सकता है जो कालभैरव का भगत हो जिसमे सवारी आता हो क्युके सवारी बुलाने से ज्यादा किसिके देने से जल्दी आता है l जैसे आप अगर उन लोगो से पूछे जिनमे सवारी आता है तो वो लोग आपको बता देगे के "उनको दैविय कृपा से या फिर उनके घर के किसी पुराने सदस्य से उनको सवारी मिला है",जब किसिको सवारी छोडना होता है तो वह व्यक्ती अपना सवारी किसिको भी देवता का आग्या लेकर दे सकता है,इसलिये प्रत्येक व्यक्ती मे सवारी नही आता है l इस कंगण से सवारी जल्दी आता है,नही तो आप कुछ लोगो को देखिये उनको सवारी तो आता है परंतु आने मे 4-5 घंटा लगता है और उसमे भी 5-10 मिनिट के लिये आता है l यह कंगण सवारी मे आये हुए कालभैरव भगवान से आग्या लेकर बनवाया जाता है ताकी आपको पूर्ण सफलता मिले l अमवस्या/पूर्णिमा को सवारी मे बहोत शक्ती होता है और उसी समय उसी दिन निर्मित किया हुआ कंगण उनके सामने रखकर उनको कंगण से "सवारी मिले और रक्षा हेतु प्रार्थना करके" उपयोग मे लाया जाता है l येसे कंगण मे बहोत शक्ती होता है और सवारी बुलाने से पहिले कंगण का पुजन करके फिर उसको हाथ मे धारण करके 11 बार मंत्र जाप करे तो सवारी आता है,यही सवारी प्राप्त करने का विधान सफलता हेतु प्राप्त है और अब तक येसा विधान आपको कही प्राप्त नही हुआ होगा क्युके यह गोपनियता पूर्वजो से प्राप्त ग्यान का आशीर्वाद है जिसे मैने आपके सामने आज रख दिया है l येसे दिव्य कंगण को हम 2150/- रुपये के मूल्य पर आपको उपलब्ध करवा रहे है जो बहोत कम मूल्य है येसे दुर्लभ वस्तु का,जो आपको कही नही मिलेगा l जो साधक कंगण प्राप्त करना चाहते है वह हमसे सम्पर्क करे और अपना डिटेल भेजे ताकी आपके नसीब मे अगर सवारी आना हो,तो ही आपको कंगण दिया जायेगा अन्यथा हम कंगण नही दे सकते l डिटेल भेजने हेतु आपको अपना पुरा नाम,पता और अपना नया फोटो हमारे amannikhil011@gmail.com इस ई-मेल आई.डि.पर भेजना है l जल्द ही आपको जवाब दिया जायेगा और हो सकता है आपको रिप्लाइ प्राप्त होने मे 7 दिन का समय लगे परंतु आपको रिप्लाइ जरुर प्राप्त होगा l





आदेश.......

2 Nov 2015

तंत्र-बंधन मुक्ती साधना.

क्या हैं बंधन ,कैसे बचें?

बंधन अर्थात् बांधना। जिस प्रकार रस्सी से बांध देने से व्यक्ति असहाय हो कर कुछ कर नहीं पाता, उसी प्रकार किसी व्यक्ति, घर, परिवार, व्यापार आदि को तंत्र-मंत्र आदि द्वारा अदृश्य रूप से बांध दिया
जाए तो उसकी प्रगति रुक जाती है और घर परिवार की सुख शांति बाधित हो जाती है। ये बंधन क्या हैं और इनसे मुक्ति कैसे पाई जा सकती है?

मानव अति संवेदनशील प्राणी है। प्रकृति और भगवान हर कदम पर हमारी मदद करते हैं। आवश्यकता हमें सजग रहने की है। हम अपनी दिनचर्या में अपने,आस-पास होने वाली घटनाओं पर नजर रखें और मनन करें। यहां बंधन के कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं-

किसी के घर में ८-१० माह का छोटा बच्चा है। वह अपनी सहज बाल हरकतों से सारे परिवार का मन मोह रहा है। वह खुश है, किलकारियां मार रहा है। अचानक वह सुस्त या निढाल हो जाता है। उसकी हंसी बंद हो जाती है। वह बिना कारण के रोना शुरू,कर देता है, दूध पीना छोड़ देता है। बस रोता और चिड़चिड़ाता ही रहता है। हमारे मन में अनायास,ही प्रश्न आएगा कि ऐसा क्यों हुआ?

किसी व्यवसायी की फैक्ट्री या व्यापार बहुत अच्छा चल रहा है। लोग उसके व्यापार की तरक्की का उदाहरण देते हैं। अचानक उसके व्यापार में नित नई परेशानियां आने लगती हैं। मशीन और मजदूर की समस्या उत्पन्न हो जाती है। जो फैक्ट्री कल तक फायदे में थी, अचानक घाटे की स्थिति में आ जाती है। व्यवसायी की फैक्ट्री उसे कमा कर देने के स्थान पर उसे खाने लग गई। हम सोचेंगे ही कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?

किसी परिवार का सबसे जिम्मेदार और समझदार व्यक्ति, जो उस परिवार का तारणहार है, समस्त,परिवार की धुरी उस व्यक्ति के आस-पास ही घूम रही है, अचानक बिना किसी कारण के उखड़ जाता है। बिना कारण के घर में अनावश्यक कलह करना शुरू कर देता है। कल तक की उसकी सारी समझदारी और जिम्मेदारी पता नहीं कहां चली जाती है। वह परिवार की चिंता बन जाता है। आखिर ऐसा क्यों हो गया?

कोई परिवार संपन्न है। बच्चे ऐश्वर्यवान, विद्यावान व सर्वगुण संपन्न हैं। उनकी सज्जनता का उदाहरण सारा समाज देता है। बच्चे शादी के योग्य हो गए हैं, फिर भी उनकी शादी में अनावश्यक रुकावटें आने
लगती हैं। ऐसा क्यों होता है?

आपके पड़ोस के एक परिवार में पति-पत्नी में अथाह प्रेम है। दोनों एक दूसरे के लिए पूर्ण समर्पित हैं। आपस में एक दूसरे का सम्मान करते हैं। अचानक उनमें कटुता व
तनाव उत्पन्न हो जाता है। जो पति-पत्नी कल तक एक दूसरे के लिए पूर्ण सम्मान रखते थे, आज उनमें झगड़ा हो गया है। स्थिति तलाक की आ गई है। आखिर
ऐसा क्यों हुआ?

हमारे घर के पास हरा भरा फल-फूलों से लदा पेड़ है। पक्षी उसमें चहचहा रहे हैं। इस वृक्ष से हमें अच्छी छाया और हवा मिल रही है। अचानक वह पेड़ बिना किसी कारण के जड़ से ही सूख जाता है। निश्चय ही हमें भय की अनुभूति होगी और मन में यह प्रश्न उठेगा कि ऐसा क्यों हुआ?

हमें अक्सर बहुत से ऐसे प्रसंग मिल जाएंगे जो हमारी और हमारे आसपास की व्यवस्था को झकझोर रहे होंगे, जिनमें 'क्यों'' की स्थिति उत्पन्न होगी। विज्ञान ने एक नियम प्रतिपादित किया है कि हर
क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। हमें निश्चय ही मनन करना होगा कि उपर्युक्त घटनाएं जो हमारे आसपास घटित हो रही हैं, वे किन क्रियाओं की प्रतिक्रियाएं हैं?

हमें यह भी मानना होगा कि विज्ञान की एक निश्चित सीमा है। अगर हम परावैज्ञानिक आधार पर इन घटनाओं को विस्तृत रूप,से देखें तो हम निश्चय ही यह सोचने पर विवश होंगे कि कहीं यह बंधन या स्तंभन की परिणति तो नहीं है l यह आवश्यक नहीं है कि यह किसी तांत्रिक
अभिचार के कारण हो रहा हो। यह स्थिति हमारी कमजोर ग्रह स्थितियों व गण के कारण भी उत्पन्न हो जाया करती है। हम भिन्न श्रेणियों के अंतर्गत इसका विश्लेषण कर सकते हैं। इनके अलग-अलग लक्षण
हैं। इन लक्षणों और उनके निवारण का संक्षेप में वर्णन यहां प्रस्तुत है।

कार्यक्षेत्र का बंधन, स्तंभन या रूकावटें
दुकान/फैक्ट्री/कार्यस्थल की बाधाओं के लक्षण :-

किसी दुकान या फैक्ट्री के मालिक का दुकान या फैक्ट्री में मन नहीं लगना। ग्राहकों की संख्या में कमी आना। आए हुए ग्राहकों से मालिक का अनावश्यक तर्क-वितर्क-कुतर्क और कलह करना। श्रमिकों व मशीनरी से संबंधित परेशानियां।मालिक को दुकान में अनावश्यक शारीरिक व मानसिक भारीपन रहना। दुकान या फैक्ट्री जाने की इच्छा न करना। तालेबंदी की नौबत आना। दुकान ही मालिक को खाने लगे और अंत में दुकान बेचने पर भी नहीं बिके।

कार्यालय बंधन के लक्षण :- कार्यालय बराबर नहीं जाना। साथियों से अनावश्यक तकरार। कार्यालय में मन नहीं लगना। कार्यालय और घर के रास्ते में
शरीर में भारीपन व दर्द की शिकायत होना। कार्यालय में बिना गलती के भी अपमानित होना।

घर-परिवार में बाधा के लक्षण:-

परिवार में अशांति और कलह। बनते काम का ऐन वक्त पर बिगड़ना। आर्थिक
परेशानियां। योग्य और होनहार बच्चों के रिश्तों में,अनावश्यक अड़चन। विषय विशेष पर परिवार के सदस्यों का एकमत न होकर अन्य मुद्दों पर कुतर्क करके आपस में कलह कर विषय से भटक जाना। परिवार का कोई न कोई सदस्य शारीरिक दर्द, अवसाद, चिड़चिड़ेपन एवं निराशा का शिकार रहता हो। घर के मुख्य द्वार पर अनावश्यक गंदगी रहना। इष्ट की अगरबत्तियां बीच में ही बुझ जाना। भरपूर घी, तेल, बत्ती रहने के बाद भी इष्ट का दीपक बुझना या खंडित होना। पूजा या खाने के समय घर में कलह की स्थिति बनना।

व्यक्ति विशेष का बंधन:-

हर कार्य में विफलता। हर कदम
पर अपमान। दिल और दिमाग का काम नहीं करना। घर में रहे तो बाहर की और बाहर रहे तो घर की,सोचना। शरीर में दर्द होना और दर्द खत्म होने के बाद गला सूखना।सर का भारी रहना |घर बाहर हर
स्थान पर उद्विग्नता |स्त्रियों की संतान न होना,अपमान होना |संतान का गर्भ में ही क्षय अथवा गर्भ ही न ठहरना |आय होने पर भी पता न चलना की धन गया कहाँ |अनावश्यक शारीरिक कष्ट |मन चिडचिडा होना |निर्णयों का गलत होना |हानि और पराजय | हमें मानना होगा कि भगवान दयालु है। हम सोते हैं पर हमारा भगवान जागता रहता है। वह हमारी
रक्षा करता है। जाग्रत अवस्था में तो वह उपर्युक्त लक्षणों द्वारा हमें बाधाओं आदि का ज्ञान,करवाता ही है, निद्रावस्था में भी स्वप्न के माध्यम से संकेत प्रदान कर हमारी मदद करता है। आवश्यकता इस बात की है कि हम होश व मानसिक संतुलन बनाए रखें। हम किसी भी प्रतिकूल स्थिति में अपने विवेक,व अपने इष्ट की आस्था को न खोएं, क्योंकि विवेक से बड़ा कोई साथी और भगवान से बड़ा कोई
मददगार नहीं है। इन बाधाओं के निवारण हेतु मै एक अचुक और शीघ्र फलदायी शाबर मंत्र दे रहा हु-

साधना विधान:-
किसी भी हनुमान मंदिर जाकर,तेल का दीपक जलाये,धूप जलाये और उनके सामने एक नारियल रखे.अब कपुर का टीकिया उनके सामने अग्नी से प्रज्वलित करे और मंत्र जाप के समय कपुर बुझना नही चाहिये मतलब कपुर जलता रहेना चाहिये.मंत्र का 108 बार जाप 7 दिनो तक हनुमान मंदिर मे करना जरुरी है,यह विधान करने से मंत्र सिद्ध होगा.


मंत्र:-

ll रामदुत हनुमान,शंकराचा अवतार भुत कातर,प्रेत कातर,झोटिन्ग कातर,स्मशान ची शक्ती कातर कब्रस्तान ची शक्ती कातर,आसरा कातर,सटवी कातर,दैत कातर,जिन-जिन्नात कातर,बाई कातर-मानुस कातर,सारे बंधन कातर,नाही कातरशील,माझी आण-माझ्या गुरूची आण,श्रीराम प्रभु ची आण,छु वाचापूरी ll


यह दुर्लभ गोपनिय मराठी मंत्र है जो दुनिया के किसी किताब मे नही है,येसे मंत्र गुरूकृपा से उनके श्रीमुख से प्राप्त होते है.
3 अगरबत्ती लेकर जिन्हे जलाना भी है और 7 मंत्र बोलकर पीडीत को अगरबत्ती से झाडा लगाने से सारे बंधन कट जायेगे.

अधिक जानकारी हेतु संपर्क करे.




आदेश......