30 May 2019

धूमावती साबर मंत्र साधना



माँ धूमावती जयंती 10 जून 2019 को है,धुएं के रूप में विद्यमान,विधवा देवी धूमावती दस महाविद्याओं में सातवीं महाविद्या हैं। बगलामुखी की अंगविद्या हैं इसीलिए माँ बगलामुखी से साधना की आज्ञा लेनी चाहिए और प्रार्थना करना चाहिए की माँ पूरी कराये । ज्ञान के आभाव में या कौतुहल से किताब , इन्टरनेट से पढ़कर प्रयोग करने से विपत्ति में भी फसते देखे गये हैं, बगलामुखी साधना करने के पश्चात ही धूमावती साधना विशेष करने की योग्यता मिलती है । इसीलिए विशेष परिस्थिति में गुरु से प्रक्रिया जानकार ही शुरू करना चाहिए,गुरु जानते हैं की शिष्य की योग्यता क्या है, धूमावती साधना सबके बस की नही इनके काम करने का ढंग बिलकुल अलग है । बांकी महाविद्या श्री देती हैं और धूमावती श्री विहीनता अपने सूप में लेकर चली जाती है ।

जीवन से दुर्भाग्य , अज्ञान , दुःख , रोग , कलह , शत्रु विदा होते ही साधक ज्ञान, श्री और रहस्यदर्शी हो जाता है और साधना में उच्चतम शिखर पे पहुच जाता है । इन्हे अलक्ष्मी या ज्येष्ठालक्ष्मी यानि लक्ष्मी की बड़ी बहन भी कहा जाता है,ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष अष्टमी को माँ धूमावती जयंती के रूप में मनाया जाता है ।

माँ धूमावती विधवा स्वरूप में पूजी जाती हैं तथा इनका वाहन कौवा है, ये श्वेत वस्त्र धारण कि हुए, खुले केश रुप में होती हैं। धूमावती महाविद्या ही ऐसी शक्ति हैं जो व्यक्ति की दीनहीन अवस्था का कारण हैं, विधवा के आचरण वाली यह महाशक्ति दुःख दारिद्रय की स्वामिनी होते हुए भी अपने भक्तों पर कृपा करती हैं ।

इनका ध्यान इस प्रकार बताया है ’- अत्यन्त लम्बी, मलिनवस्त्रा, रूक्षवर्णा, कान्तिहीन, चंचला, दुष्टा, बिखरे बालों वाली, विधवा, रूखी आखों वाली, शत्रु के लिये उद्वेग कारिणी, लम्बे विरल दांतों वाली, बुभुक्षिता, पसीने से आर्द्र स्तन नीचे लटके हो, सूप युक्ता, हाथ फटकारती हुई, बडी नासिका, कुटिला , भयप्रदा,कृष्णवर्णा, कलहप्रिया, तथा बिना पहिये वाले जिसके रथ पर कौआ बैठा हो ऐसी देवी का मैं ध्यान करता हु ।

देवी का मुख्य अस्त्र है सूप जिसमे ये समस्त विश्व को समेट कर महाप्रलय कर देती हैं। दस महाविद्यायों में दारुण विद्या कह कर देवी को पूजा जाता है। शाप देने नष्ट करने व संहार करने की जितनी भी क्षमताएं है वो देवी के कारण ही है। क्रोधमय ऋषियों की मूल शक्ति धूमावती हैं जैसे दुर्वासा, अंगीरा, भृगु, परशुराम आदि। सृष्टि कलह के देवी होने के कारण इनको कलहप्रिय भी कहा जाता है , चातुर्मास ही देवी का प्रमुख समय होता है जब इनको प्रसन्न किया जाता है। देश के कई भागों में नर्क चतुर्दशी पर घर से कूड़ा करकट साफ कर उसे घर से बाहर कर अलक्ष्मी से प्रार्थना की जाती है की आप हमारे सारे दारिद्र्य लेकर विदा होइए।

ज्योतिष शास्त्रानुसार मां धूमावती का संबंध केतु ग्रह तथा इनका नक्षत्र ज्येष्ठा है । इस कारण इन्हें ज्येष्ठा भी कहा जाता है,ज्योतिष शस्त्र अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में केतु ग्रह श्रेष्ठ जगह पर कार्यरत हो अथवा केतु ग्रह से सहयता मिल रही ही तो व्यक्ति के जीवन में दुख दारिद्रय और दुर्भाग्य से छुटकारा मिलता है। केतु ग्रह की प्रबलता से व्यक्ति सभी प्रकार के कर्जों से मुक्ति पाता है और उसके जीवन में धन, सुख और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है ।
देवी की कृपा से साधक धर्म अर्थ काम और मोक्ष प्राप्त कर लेता है। ऐसा मानना है की कुण्डलिनी चक्र के मूल में स्थित कूर्म में इनकी शक्ति विद्यमान होती है। देवी साधक के पास बड़े से बड़ी बाधाओं से लड़ने और उनको जीत लेने की क्षमता आ जाती है।
महाविद्या धूमावती के मन्त्रों से बड़े से बड़े दुखों का नाश होता है ।


देवी माँ का महामंत्र है-"धूं धूं धूमावती ठ: ठ:"
इस मंत्र से काम्य प्रयोग भी संपन्न किये जाते हैं व देवी को पुष्प अत्यंत प्रिय हैं इसलिए केवल पुष्पों के होम से ही देवी कृपा कर देती है,आप भी मनोकामना के लिए यज्ञ कर सकते हैं,जैसे-

1. राई में सेंधा नमक मिला कर होम करने से बड़े से बड़ा शत्रु भी समूल रूप से नष्ट हो जाता है ।
2. नीम की पत्तियों सहित घी का होम करने से लम्बे समस से चला आ रहा ऋण नष्ट होता है ।
3. जटामांसी और कालीमिर्च से होम करने पर काल्सर्पादी दोष नष्ट होते हैं व क्रूर ग्रह भी नष्ट होते हैं ।
4. रक्तचंदन घिस कर शहद में मिला लेँ व जौ से मिश्रित कर होम करें तो दुर्भाग्यशाली मनुष्य का भाग्य भी चमक उठता है ।
5. गुड से होम करने पर गरीबी सदा के लिए दूर होती है ।
6. केवल काली मिर्च से होम करने पर कारागार में फसा व्यक्ति मुक्त हो जाता है ।
7. मीठी रोटी व घी से होम करने पर बड़े से बड़ा संकट व बड़े से बड़ा रोग अति शीग्र नष्ट होता है ।
वाराही विद्या में इन्हे धूम्रवाराही कहा गया है जो शत्रुओं के मारन और उच्चाटन में प्रयोग की जाती है।



साबर मन्त्र :-

।। ॐ पाताल निरंजन निराकार,आकाश मण्डल धुन्धुकार,आकाश दिशा से कौन आई,कौन रथ कौन असवार,आकाश दिशा से धूमावन्ती आई ,काक ध्वजा का रथ असवार थरै धरत्री थरै आकाश,विधवा रुप लम्बे हाथ,लम्बी नाक कुटिल नेत्र दुष्टा स्वभाव,डमरु बाजे भद्रकाली,क्लेश कलह कालरात्रि ,डंका डंकनी काल किट किटा हास्य करी ,
जीव रक्षन्ते जीव भक्षन्तेजाया जीया आकाश तेरा होये ,धूमावन्तीपुरी में वास,न होती देवी न देव ,
तहा न होती पूजा न पाती तहा न होती जात न जाती ,तब आये श्रीशम्भुजती गुरु गोरखनाथ ,आप भयी अतीत ॐ धूं धूं धूमावती फट स्वाहा ।।



विशेष पूजा सामग्रियां-

पूजा में जिन सामग्रियों के प्रयोग से देवी की विशेष कृपा मिलाती है । सफेद रंग के फूल, आक के फूल, सफेद वस्त्र व पुष्पमालाएं,केसर,अक्षत,घी,सफेद तिल,धतूरा,आक,जौ,सुपारी व नारियल,मेवा व सूखे फल प्रसाद रूप में अर्पित करें । सूप की आकृति पूजा स्थान पर रखें,दूर्वा, गंगाजल, शहद, कपूर, चन्दन चढ़ाएं, संभव हो तो मिटटी के पात्रों का ही पूजन में प्रयोग करें।

देवी की पूजा में सावधानियां व निषेध-
माँ धूमावती की पूजा करते समय ऐसा ध्यान करना चाहिए कि माँ प्रसन्न होकर हमारे सभी रोग , दोष , क्लेश , तंत्र , भूत प्रेत आदि बाधाओं को अपने शूप में समेटकर हमारे घर से विदा हो रही हैं और हमें धन , लक्ष्मी सुख शांति का आशीर्वाद दे रही हैं।

जब दुर्भाग्य,दुःख एवं दरिद्रता लम्बे समय से पीछा कर रही हो तो माँ धूमावती की दीक्षा लेकर उनकी उपासना करनी चाहिए । जब शत्रु मृत्यु तुल्य कष्ट दे रहे हों तो माँ बगलामुखी से साथ धूमावती की उपासना करनी चाहिए ।

जो साधक धूमावती साबर मंत्र जाप करना चाहते है और साधना में विशेष सफलता प्राप्त करने की इच्छा रखते है,उनको "साबर मंत्र सिद्धि यंत्र" प्रदान किया जायेगा जिसकी न्योच्छावर राशि 1150/-रुपये रखी है,यह यंत्र साबरशिंगां को प्राणप्रतिष्ठा करके बनाया जाता है । यंत्र को लाल रंग के धागे में धारण कर सकते है और यंत्र धारण के नियम भी बताए जाएंगे ।

सांबरशिंगां और साबरशिंगां में फर्क है,यहा हम यंत्र हेतु साबरशिंगां के जड़ का इस्तेमाल करने वाले है । यंत्र प्राप्त करने हेतु +918421522368 पर फोन भी कर सकते है,बात करने का समय होगा सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक और इस पर आप व्हाट्सएप के जरिये भी संपर्क कर सकते है ।

आदेश........