6 Dec 2020

दुर्लभ इंद्रजाल विद्या




प्राचीनकाल में इस विद्या के कारण भी भारत को विश्व में पहचाना जाता था। देश-विदेश से लोग यह विद्या सिखने आते थे। आज पश्‍चिम देशों में तरह-तरह की जादू-विद्या लोकप्रिय है तो इसका कारण है भारत का ज्ञान।

जादू अनंतकाल से किया जाने वाला सम्मोहन भरा प्रदर्शन है, जिसका उपयोग पश्चिमी धर्मों व सम्प्रदायों के प्रचारक अशिक्षित लोगों को डराकर, सम्मोहित कर या छलपूर्ण तरीके से उन्हें अपना आज्ञाकारी अनुयायी बनाने के लिए किया करते थे। 

माना जाता है कि गुरु दत्तात्रे भी इन्द्रजाल के जनक थे। चाणक्‍य ने अपने अर्थशास्‍त्र में एक बड़ा भाग विद्या पर लिखा है। सोमेश्‍वर के मानसोल्‍लास में भी इन्द्रजाल का उल्लेख मिलता है। उड़ीसा के राजा प्रताप रुद्रदेव ने 'कौतुक चिंतामणि' नाम से एक ग्रंथ लिखा है जिसमें इसी तरह की विद्याओं के बारे में उल्लेख मिलता है। बाजार में कौतुक रत्‍नभांडागार, आसाम और बंगाल का जादू, मिस्र का जादू, यूनान का जादू नाम से कई किताबें मिल जाएगी, लेकिन सभी किताबें इन्द्रजाल से ही प्रेरित हैं।


इन्द्रजाल विद्या क्या है ?

जैसे कि इसके नाम में ही इसका रहस्य छुपा हुआ है। देवताओं के राजा इंद्र को छली या चकमा देने वाला माना गया है बस इन्द्रजाल का मतलब भी यही होता है। रावण इस विद्या को जानता था,रावण के दस सिर होने की चर्चा रामायण में आती है। वह अपने दुश्मनों के लिए इन्द्रजाल बिछा देता था,जिससे कि दुश्मन भ्रमित होकर उसके जाल में फंस जाता था। राक्षस मायावी थे और वे अनेक प्रकार के इन्द्रजाल (जादू) जानते थे,दरअसल आजकल इसे जादूगरों की विद्या माना जाता है परंतु यह सम्मोहन की एक असली किताब है ।

इन्द्रजाल जैसी विद्या चकमा देने की विद्या है। आजकल भी भाषा में इसे भ्रमजाल कह सकते हैं। खासकर अपने प्रति‍द्वंद्वियों को कैसे भरमाया जाए और उनके इरादों को कैसे नीचा दिखाया जाए। इसके लिए जो उपाय किए जाते, वे इन्द्रजाल के उपाय कहे गए और इस विद्या के कर्ता को ऐंद्रजालिक कहते हैं। अर्थात जो व्यक्ति भ्रमजालों का प्रदर्शन करता है प्राचीनकाल में ऐंद्रजालिक और वर्तमान युग में एक जादूगर कहलाता है।

दरअसल इन्द्रजाल के अंतर्गत कुछ भी हो सकता है, जिससे आपकी आंखें, दिल और दिमाग धोखा खा जाए वह इन्द्रजाल है। आप किसी पर मोहित हो जाओ और उसकी तरीफ करने लगो और उसके प्यार में पागल हो जाओ वह भी इन्द्रजाल है।

इन्द्रजाल के अंतर्गत मंत्र, तंत्र, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण, नाना प्रकार के कौतुक, प्रकाश एवं रंगादि के प्रयोजनीय वस्तुओं के आश्चर्यजनक खेल, तामाशे आदि सभी का प्रयोग किया जाता है। इन्द्रजाल से संबंधित कई किताबें बाजार में प्रचलित है। उन्हीं में से एक किताब मेरे पास भी है,उसका नाम भी "इंद्रजाल है जो 936 पन्नो की है" और उस किताब में प्रकाशक ने यह कहा था कि "अगर किताब पसंद ना आये तो मुझे 8 दिन में वापिस कर दो",प्रकाशक की प्रामाणिकता को देखकर मैंने वह किताब खरीदी ।

इस किताब के कुछ प्रयोग मैंने करके देखे है जिससे मुझे सफलता मिला है,इस किताब से मैंने 14 यंत्रो का अब तक उपयोग किया जो मुझे कारगर लगे है । साधक का विश्वास और उसकी मेहनत हमेशा उसको सफलता दिलाती है,इसलिए अगर प्राचीन ज्ञान प्राप्त हो जाये तो सफलता मिलने की संभावनाये बढ़ जाती है । शायद आज यह किताब मार्केट में मिलती होगी,मुझे इसके बारे में आज के समय मे ज्यादा पता नही क्योके मैंने किताब शायद 12 वर्ष पूर्व खरीदी थी तब यह 201 रुपये में मिलती थी,उसके बाद यह किताब मैंने मुंबई में देखी थी तब उसकी कीमत 300 रुपये थी ।

यह किताब मैं आप सभी को उपलब्ध करवाना चाहता हु,यह किताब आपको telegram app पर भेजा जाएगा क्योके इस किताब को whatsapp पर नही भेज सकते है,यह किताब 100mb से ज्यादा है ।

मै पिछले 10 वर्षों से किसानो के मदत हेतु एक संस्था चला रहा हु,इस वर्ष बहोत सारे किसानों की फसल खराब हो गयी क्योके इस वर्ष ज्यादा बारिश के कारण सोयाबीन का फसल खराब हो गया । इस किताब को मै आपको 201 रुपये में ही उपलब्ध करवा रहा हु और यह आपकी न्यौछावर राशि 201 रुपया किसानों के मदत हेतु उपयोग में लाये जाएंगे ।



किताब को कैसे प्राप्त करे ?

आप paytm से या फिर bank account में 201/-रुपये न्यौछावर राशि देकर पेमेंट की डिटेल्स व्हाट्सएप पर या फिर टेलीग्राम पर भेजिए,उसके बाद आपको यह इंद्रजाल की 936 पन्नो की किताब टेलीग्राम पे भेज दी जाएगी ।

Telegram number,Whatsapp number,Paytm number -
+91-8421522368


किताब के कुछ पन्ने इस आर्टिकल में दे रहा हु-










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