18 Nov 2018

गुरु गोरखनाथ कृपा प्राप्ति साधना



एक पंडित रोज रानी के पास कथा करता था। कथा के अंत में सबको कहता कि ‘राम कहे तो बंधन टूटे’। तभी पिंजरे में बंद तोता बोलता, ‘यूं मत कहो रे पंडित झूठे’। पंडित को क्रोध आता कि ये सब क्या सोचेंगे, रानी क्या सोचेगी। पंडित अपने गुरु के पास गया, गुरु को सब हाल बताया। गुरु तोते के पास गया और पूछा तुम ऐसा क्यों कहते हो?

तोते ने कहा- ‘मैं पहले खुले आकाश में उड़ता था। एक बार मैं एक आश्रम में जहां सब साधू-संत राम-राम-राम बोल रहे थे, वहां बैठा तो मैंने भी राम-राम बोलना शुरू कर दिया। एक दिन मैं उसी आश्रम में राम-राम बोल रहा था, तभी एक संत ने मुझे पकड़ कर पिंजरे में बंद कर लिया, फिर मुझे एक-दो श्लोक सिखाये। आश्रम में एक सेठ ने मुझे संत को कुछ पैसे देकर खरीद लिया। अब सेठ ने मुझे चांदी के पिंजरे में रखा, मेरा बंधन बढ़ता गया। निकलने की कोई संभावना न रही। एक दिन उस सेठ ने राजा से अपना काम निकलवाने के लिए मुझे राजा को गिफ्ट कर दिया, राजा ने खुशी-खुशी मुझे ले लिया, क्योंकि मैं राम-राम बोलता था। रानी धार्मिक प्रवृत्ति की थी तो राजा ने रानी को दे दिया। अब मैं कैसे कहूं कि ‘राम-राम कहे तो बंधन छूटे’।

तोते ने गुरु से कहा आप ही कोई युक्ति बताएं, जिससे मेरा बंधन छूट जाए। गुरु बोले- आज तुम चुपचाप सो जाओ, हिलना भी नहीं। रानी समझेगी मर गया और छोड़ देगी। ऐसा ही हुआ। दूसरे दिन कथा के बाद जब तोता नहीं बोला, तब संत ने आराम की सांस ली। रानी ने सोचा तोता तो गुमसुम पढ़ा है, शायद मर गया। रानी ने पिंजरा खोल दिया, तभी तोता पिंजरे से निकलकर आकाश में उड़ते हुए बोलने लगा ‘सतगुरु मिले तो बंधन छूटे’। अतः शास्त्र कितना भी पढ़ लो, कितना भी जाप कर लो, लेकिन सच्चे गुरु के बिना बंधन नहीं छूटता।

अब सच्चे गुरु कहा ढूंढेगे,जो भी मिले इस जमाने मे वो तो शिष्यों की किस्मत ही है,मैं पहिले से समझा रहा हु "गुरु गोरख ही गुरु बने,बनाया कौन बाबा मच्छीन्द्रनाथ,आज्ञा संजीवन की गोरख माने चले"।

इस श्लोक में स्वयं बाबा मच्छीन्द्रनाथ जी ने गोरखनाथ जी को आज्ञा दे दी थी के गोरख तुम सब के गुरु बनो और कभी शरीर का त्याग ना करो,हमेशा संजीवनी के तरह संजीवन रहो । इस कलयुग में गोरखनाथ, चर्पटीनाथ ,चौरंगीनाथ....आज भी बिना देह त्याग किये हुए वायुमंडल में अपनी समाधी में शिष्यों के कल्याण हेतु चैतन्य रूप में है । इसलिए गुरु गोरखनाथ जी को अपना गुरु माने और पिछले पोस्ट में जो गोरख गुरु मंत्र दिया था उसका जाप प्रारंभ करे । यह मंत्र 13 जनवरी 2016 को दिया था और सर्वप्रथम मैने ही यह मंत्र पोस्ट किया था परंतु चोरो ने उस आर्टिकल को जैसे के वैसा बोलकर अपने नामो से यूट्यूब पर डाला हुआ है,उस आर्टिकल का लिंक दे रहा हु-

https://ssd-sadhnaye.blogspot.com/search/label/Gorakhanath%20Guru%20Mantra.?m=0

इस लिंक को कॉप्पी करे और गूगल पर पेस्ट करके पढ़ सकते हो ।

21 नवम्बर को बाबा गोरखनाथ जी की जयंती है तो इस अवसर को आप कुछ महत्वपूर्ण बनाये इसलिए आज आपके सामने गुरु गोरखनाथ जी का एक मंत्र स्पष्ट कर रहा हु जो गोपनीय है । श्रावण माह में यह मंत्र मुझे उज्जैन में रामनाथ बाबाजी से प्राप्त हुआ था । अभी कुछ समय पहिले उनसे बात हुई और उन्होंने मुझे इस मंत्र को जनहित में साधकों को देने हेतु प्रेरित किया ।


ॐ नमो आदेश गुरु मच्छीन्द्रनाथ जी को,नमो आदेश धरतरी माई को,नमो आदेश गजानन गणपति को,नमो आदेश महादेव को,नमो आदेश आदिगुरु को,शम्भुजति को गुरु मच्छीन्द्रनाथ ने हाँक लागाई,हाँक सुनते प्रगट हुए,पहिला शब्द आदेश बोला,अपना शीश गुरु चरणो में झुकाया,दीक्षा के साथ सोहं मंत्र प्राप्त किया,तीनो लोको में विजय प्राप्त किया,गुरु आज्ञा से गुरु गोरखनाथ बने,मेरा कारज पूरण करो अपना शिष्य बनाओ,इतना मंत्र उज्जयिनी में सिद्धो को सुनाया,गोरख कृपा मंत्र सम्पूर्ण भया,श्री नाथजी गुरुजी को आदेश आदेश आदेश ।।


मंत्र का विधि-विधान:-
गुरु गोरखनाथ जयंती के पावन अवसर पर किसी भी समय शरीर शुद्ध करके मंत्र जाप हेतू किसी भी रंग के आसन पर बैठे और मंत्र जाप हेतू पूजास्थल में बैठे । मंत्र का 108 बार जाप रुद्राक्ष माला से करना है मतलब 1 माला जाप कम से कम करना आवश्यक है । जाप के बाद गुरु गोरखनाथ जी से साधना सफलता हेतु प्रार्थना करे और एक नारियल भगवान के सामने फोड़ दीजिये,नारियल का प्रसाद घर में सबको देना है । पहले दिन के विधान के बाद रोज 1 माला जाप 41 दिनों तक करते रहे,गोरखनाथ जी की कृपा आप पर बनी रहेगी ।


आदेश.....