29 Jun 2022

महाभैरव शाबर मंत्र साधना.

 महाभैरव साधना



मानव अपने जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं, बाधाओं, परेशानियों, दुःखों से प्रतिपल संघर्षरत रहता ही है। व्यक्ति का पूरा जीवन इनको समाप्त करने, इन पर विजय प्राप्त करने में ही बीत जाता है। नित्य प्रति व्यक्ति इन्हें सुलझाने का प्रयास करता है, पर वह उतना ही ज्यादा उनमें उलझता जाता है, कोई उपाय जब उसकी बुद्धि के अनुसार सफल नहीं हो पाता, तब वह हार कर देवी-देवताओं की आराधना करने लगता है, क्योंकि जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए आवश्यक है, कि मानव मानसिक रूप से पूर्ण स्वस्थ हो और किसी भी प्रकार का तनाव उसको नहीं हो, तभी वह निश्चिंतता पूर्वक सभी समस्याओं का हल प्राप्त कर सकता है।


इस प्रकार की स्थिति प्रदान करने में साधना पक्ष का सहारा लेना मनुष्य के लिए अत्यधिक हितकारी होता है, अब यहां प्रश्न यह उठता है कि हमारे सामने तो सैकड़ों प्रकार की साधनाएं हैं और प्रत्येक ही अपने आपमें महत्वपूर्ण और तेजस शक्तियों से युक्त हैं, ऐसी स्थिति में हम अपने जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए, वह भी विशेष कर शत्रुओं पर पूर्ण विजय प्राप्त करने के लिए, अपने जीवन की समस्त विपत्तियों का नाश करने के लिए साथ ही अपने बालकों की सुरक्षा करने के लिए जो साधना अत्यधिक उपयुक्त हो, उसका चयन कैसे करें ?


ऐसी स्थिति में व्यक्ति का ध्यान सर्वप्रथम 'भैरव साधना' की ओर ही आकृष्ट होता है। वैसे भी देखा जाए तो एक भी ऐसा गाँव नहीं है, जहां भैरव का मंदिर न हो। जन-जन के देवता के रूप में भैरव के प्रति लोगों की आस्था जुड़ी हुई है।


विभिन्न तांत्रिक ग्रंथों में चाहे वह 'तंत्र चूड़ामणि' हो अथवा किसी भी ऋषि-मुनि के द्वारा रचित साधना विधान हो। प्रत्येक देवी-देवता के पूजन के पूर्व गुरु, गणपति एवं भैरव पूजन अनिवार्य होता ही है, क्योंकि भैरव समस्त प्रकार के शत्रुओं का नाश करने में पूर्ण सक्षम होते हैं। 'भैरव तंत्र' के अनुसार - भैरव साधना सम्पन्न करने से मनुष्य को अपने जीवन में निम्न लाभ प्राप्त होते हैं ।


(1) मानसिक कष्ट एवं संताप का नाश । 

 

(2) समस्त प्रकार के उपद्रवों का नाश। 

 

(3) शरीर स्थित रोगों का नाश । 

 

(4) सामाजिक शत्रुओं का नाश ।

 

(5) समस्त प्रकार के कर्जों की समाप्ति । 

 

(6) शासन की ओर से आने वाली अकारण बाधाओं का नाश ।

 

(6) मुकदमे में विजय । 

 

(7) अकाल मृत्यु निवारण | 

 

(8) वृद्धावस्था के समय व्याप्त होने वाले रोगों का नाश । बालकों की सर्वविधि रक्षा के लिए । 

 

(9) व्यवसाय में आनेवाली बाधाओं का नाश ।

 

(10) परिवार तथा स्वयं के ऊपर आने वाली बाधा या तंत्र बाधा का नाश ।

 

( 11 ) विपत्ति को पहले से ही समाप्त करने के लिए। किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचाव के लिए ।

 

यहां शत्रु "नाश" का अर्थ शत्रु समाप्ति नही है,शत्रुत्व समाप्ति है ।

 

ऐसे अनेक लाभ महाभैरव साधना से साधक को प्राप्त होते ही है। 

 

भैरव तंत्र में ही वर्णन आता है, कि जो व्यक्ति अपनेआप के प्रति सजग एवं चैतन्य होता है, वह निश्चित रूप से महाभैरव साधना सम्पन्न करता ही है, क्योंकि उसे अपना जीवन प्रिय होता है, अपने बच्चों का जीवन प्रिय होता है, पूरे परिवार का जीवन प्रिय होता है। यदि कोई शत्रु हो तो सर्वविधि वध शत्रुदोष समाप्त करने के लिए भी भैरव साधना उपयुक्त है। इसके अलावा भैरव दिवस पर प्रत्येक उच्चकोटि के संन्यासी महाभैरव साधना सम्पन्न करते ही हैं, जिससे उन्हें अपने द्वारा की जा रही समस्त प्रकार की साधनाओं में किसी भी प्रकार की विपत्ति का सामना न करना पड़े। 

 

समाज में पूर्ण सम्माननीय स्थान प्राप्त व्यक्ति भी निश्चित रूप से भैरव साधना सम्पन्न करता ही है। इस प्रकार समस्त व्यक्तियों का अनुभव यही है कि कलियुग में महाभैरव साधना अतिशीघ्र लाभदायक होती है। महाभैरव साधना करने के लिये कोई विशेष विधि-विधान की आवश्यकता नहीं होती है। 

 

साधना विधि 

 

(1) महाभैरव यंत्र, रुद्राक्ष माला ,महाभैरव कंगण इन तीनो सामग्रियों का प्रयोग इस साधना में किया जाता है। भैरव तंत्र में वर्णित विशिष्ट मंत्रों से अनुप्राणित इन सामग्रियों को आप पहले से ही प्राप्त कर लें।

 (2) स्नान आदि से निवृत्त होकर, साफ-स्वच्छ वस्त्र पहिन कर साधना में प्रवृत्त हो। 

 (3) धोती आप लाल या काली इन दोनों में से किसी भी रंग की पहिने । 

 (4) पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठे। 

 (5) अपने सामने किसी प्लेट में काले तिल की एक ढेरी निर्मित करें और उस पर 'महाभैरव यंत्र' स्थापित करें। महाभैरव यंत्र के ऊपर ही 'महाभैरव कंगण"' स्थापित करें। 

 (6) काले रंग में रंगे हुए अक्षत एवं काली सरसों चढ़ाकर यंत्र और कंगण का पूजन करें।

(7) गुड़ से बने नैवेद्य का भोग लगायें। 

(8) पूजन करने के पश्चात् निम्न महाभैरव मंत्र का 'रुद्राक्ष माला' से 1 या 3 माला मंत्र जप शाबर मंत्र का अपनी सामर्थ्य एवं कार्य की कठिनता को देखते हुए सम्पन्न करें। 

(9) मंत्र जप सम्पन्न करते समय आपको हिलना डुलना नहीं है। 

(10) भैरव यंत्र की ओर अपलक देखते हुए मंत्र जप को करना है ।

 (11) मंत्र जप समाप्ति के पश्चात् महाभैरव से अपनी जिस इच्छा को, जिस कामना को लेकर अपने साधना सम्पन्न की है, उसे पूर्ण करने के लिए पुन: प्रार्थना करें। 

 (12) जिस दिन आप इस साधना को सम्पन्न करे, उसके ठीक ग्यारहवे दिन के बाद रात्रि में हवन करना है । हवन सामग्री हेतु फोन पर संपर्क करे । 

 (13) यह साधना किसी भी शनिवार के दिन अथवा किसी भी मास की कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली अष्टमी को तथा भैरवाष्टमी के दिन रात्रि 9 बजे के पश्चात् तथा सुबह 3 बजे के बीच में सम्पन्न की जाती है। 

 

 पूर्ण श्रद्धा भावना के साथ इस साधना को सम्पन्न करने पर 15 दिन के अन्दर - अन्दर लाभ प्राप्त होने लगता हैं । जो शाबर मंत्र महाभैरव साधना में आपको दिया जाएगा वह अत्यंत गोपनीय है और यह मंत्र सिर्फ साधना सामग्री के साथ ही दिया जाएगा क्योके ऐसे तिष्ण और प्रामाणिक शाबर मंत्र बिना साधना सामग्री के जपने नही चाहिए अन्यथा लाभ के स्थान पर हानि की संभावनाये ज्यादा हैं । इसलिए सर्वप्रथम फोन पर संपर्क करे, मार्गदर्शन जो निःशुल्क है, वह प्राप्त करे, फिर साधना सामग्री के साथ महाभैरव शाबर मंत्र प्राप्त करे । मंत्र ब्लॉग पर पोस्ट करना संभव नही है ।


 नोट:-इस एक मंत्र साधना से षट्कर्म सम्भव है ।

फ़ोन नम्बर :-        8421522368

साधना सामग्री न्योच्छावर राशि: "3800/-रुपये" ।




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