28 Jan 2016

तेल मातंगी प्रयोग (भूत-भविष्य दर्शन साधना).

मातंगी नौंवी महाविद्या है। ‘मतंग’ शिव का नाम है और मातंगी उनकी शक्ति है। मातंगी देवी श्याम वर्णा है। इनके मस्तक पर चंद्र इनके तीन नेत्र हैं और यह रत्नजटित सिंहासन पर विराजमान हैं। इनकी साधना सुखमय गृहस्थ, पुरुषार्थ, ओजपूर्ण वाणी तथा गुणवान पति या पत्नी की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इनकी साधना वाममार्गी साधकों में अधिक प्रचलित हैं, किंतु सात्विक लोग भी दक्षिणमार्गी पद्धति से इनकी साधना करते हैं।

देवी का सम्बन्ध नाना प्रकार के तंत्र क्रियाओं से हैं। इंद्रजाल विद्या या जादुई शक्ति कि देवी प्रदाता हैं, वाक् सिद्धि, संगीत तथा अन्य ललित कलाओं में निपुण, सिद्ध विद्याओ से सम्बंधित हैं तथा अपने भक्तों को प्रदान करती हैं। देवी, केवल मात्र वचन द्वारा त्रिभुवन में समस्त प्राणिओ तथा अपने घनघोर शत्रु को भी वश करने में समर्थ हैं, जिसे सम्मोहन क्रिया कहा जाता हैं। देवी सम्मोहन विद्या की अधिष्ठात्री हैं।

आज मै यहा एक गोपनीय विधान दे रहा हू,जिसे मैने एक बार फेसबुक पर दिया था और उससे कुछ साधको ने लाभ उठाया है । यह प्रयोग अन्य साधना से कुछ अलग है,इसमे साधक जितना मेहनत करेगा उतना ही उसको लाभ मिलेगा। यहा कोइ भेदभाव नही किया जाता है,इसलिए शिघ्र फलदायक मंत्र पोस्ट करने का मेरा संकल्प है,जिससे आप लाभान्वित हो सके।

यह एक अद्वितीय साधना है "तेल मातंगी" मंत्र साधना,जिसके माध्यम से आप भुत भविष्य वर्त्तमान को देख सकते है। मेरे जिवन मे मैने इस प्रयोग का इस्तेमाल सिर्फ दो बार किया है,उसमे से एक अनुभव पाठकों हेतु बता रहा हूं। यह बात है 2012 का,हमारे पहेचान के एक व्यक्ति है "श्री दिलीप जी",जिनका पुत्र 12 वर्ष का था और स्कूल से वह घर के लिये निकल गया था,जैसे हर रोज स्कूल खत्म होने के बाद घर पहोचता है परंतु वह एक दिन सही समय पर घर नही पहोचा तो सभी लोग उसको खोजने मे जुट गये। दो दिन से ज्यादा का समय हो चुका था परंतु वह नही मिला और उसके माता पिता का तो बुरा हाल था। दिलीप जी ने मुझे बताया "सुशिल जी,मेरा बेटा दो दिन से घर नही आया है,सभी जगह उसका खोज किया परंतु कुछ परिणाम प्राप्त नही हुआ। मैने उस समय उन्हे अच्छे से समझाया "चिंता ना करे,आज रात मे पता चल जायेगा,आपका बेटा कहा है"।

उस समय मैने तेल मातंगी प्रयोग किया और दिलीप जी के बेटे का सही पता मिल गया,वह लोग रात मे ही निकल गये उसे वापिस लाने के लिए । मातारानी के आशिर्वाद से बच्चा सुरक्षित उसी स्थान पर मिला जहा तेल मातंगी प्रयोग मे वह दिख रहा था ।





साधना विधी-विधान:-


साधना शुक्ल पक्ष के प्रथम दिवस पर रात्री मे 9 बजे प्रारंभ करे। साधना 11 दिन का है और 12 वे दिन चमेली के तेल से 100 माला मंत्र का आहुति भी देना है। इस साधना मे वस्त्र-आसन लाल ही रंग के होने चाहिए। माला रुद्राक्ष का हो और नित्य 100 माला जाप करना पडेगा । साधना काल मे 51 माला के बाद आप आराम कर सकते है परंतु उसके बाद बाकी मंत्र जाप करना होगा। मंत्र जाप के समय एक ताम्बे के कटोरे मे चमेली का तेल भरकर सामने रखना है और मंत्र जाप करते समय कटोरे मे भरकर रखे हुए तेल के तरफ देखकर जाप करें। तो कुछ दिनो बाद तेल मे मातंगी जी का चेहरा दिखाई देगा,उसके बाद जब मातंगी जी पुर्ण रुप मे दिखाई दे तो समज जाये "आपका साधना सफल हो गया है ",इस तरहा से साधना पुर्ण होता है। साधना सिद्धि के बाद आप कभी भी प्रयोग करके जो देखना चाहते हो वह देख सकते हो ।




मंत्रः-

।। ॐ ह्रीं क्लीं हूं तैलं मातंग्यै इच्छितं दर्शय दर्शय फट् स्वाहा।

om hreem kleem hoom teilam maatangyei darshay darshay phat swaahaa 





साधना मे जो तेल इस्तेमाल किया हो उसे किसी कांच के बोटल मे सम्भालकर रखे,वह तेल प्रयोग करते समय काम मे आयेगा। हो सके तो साधना मे पुर्ण सफलता हेतु तेल मातंगी यंत्र को गले मे धारण करे ।





आदेश.....