शिवरात्रि पर सच्चा उपवास यही है कि हम परमात्मा शिव से बुद्धि योग लगाकर उनके समीप रहे । उपवास का अर्थ ही है समीप रहना,जागरण का सच्चा अर्थ भी काम, क्रोध आदि पांच विकारों के वशीभूत होकर अज्ञान रूपी कुम्भकरण की निद्रा में सो जाने से स्वयं को सदा बचाए रखना है ।
शिवरात्रि के पर्व पर जागरण का विशेष महत्व है । पौराणिक कथा है कि एक बार पार्वतीजी ने भगवान शिवशंकर से पूछा, 'ऐसा कौन-सा श्रेष्ठ तथा सरल व्रत-पूजन है, जिससे मृत्युलोक के प्राणी आपकी कृपा सहज ही प्राप्त कर लेते हैं?'
उत्तर में शिवजी ने पार्वती को 'शिवरात्रि' के व्रत का उपाय बताया-
चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं. अत: ज्योतिष शास्त्रों में इसे परम शुभफलदायी कहा गया है । वैसे तो शिवरात्रि हर महीने में आती है परंतु फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को ही महाशिवरात्रि कहा गया है । ज्योतिषीय गणना के अनुसार सूर्य देव भी इस समय तक उत्तरायण में आ चुके होते हैं तथा ऋतु परिवर्तन का यह समय अत्यन्त शुभ कहा गया है । शिव का अर्थ है कल्याण, शिव सबका कल्याण करने वाले हैं अत: महाशिवरात्रि पर तंत्र साधना करने से ही इच्छित सुख की प्राप्ति होती है ।
ज्योतिषीय गणित के अनुसार चतुर्दशी तिथि को चंद्रमा अपनी क्षीणस्थ अवस्था में पहुंच जाते हैं, जिस कारण बलहीन चंद्रमा सृष्टि को ऊर्जा देने में असमर्थ हो जाते हैं। चंद्रमा का सीधा संबंध मन से कहा गया है,अब मन कमजोर होने पर भौतिक संताप प्राणी को घेर लेते हैं तथा विषाद की स्थिति उत्पन्न होती है, जिससे कष्टों का सामना करना पड़ता है । चंद्रमा शिव के मस्तक पर सुशोभित है, इसलिए चंद्रदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए भगवान शिव का आश्रय लिया जाता है ।
एक कथा यह भी बताती है कि महाशिवरात्रि शिव की प्रिय तिथि है, इसलिए प्राय: ज्योतिषी शिवरात्रि को शिव अराधना कर कष्टों से मुक्ति पाने का सुझाव देते हैं । शिव आदि-अनादि है,सृष्टि के विनाश और पुन:स्थापन के बीच की कड़ी हैं । ज्योतिष में शिव को सुखों का आधार मान कर महाशिवरात्रि पर अनेक प्रकार के अनुष्ठान करने की महत्ता कही गई है ।
महाशिवरात्रि का यह दिन भगवान शंकर का सबसे प्रिय दिन है । यह अपनी आत्मा को पुनीत करने का महाव्रत है, इस व्रत को करने से सब पापों का नाश हो जाता है। हिंसक प्रवृत्ति बदल जाती है, निरीह जीवों के प्रति आपके मन में दया भाव उपजता है । महाशिवरात्रि को दिन-रात पूजा का विधान है,चार पहर दिन में शिवालयों में जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक कर बेलपत्र चढ़ाने से शिव की अनंत कृपा प्राप्त होती है । साथ ही चार पहर रात्रि में वेदमंत्र संहिता, रुद्राष्टा ध्यायी पाठ ब्राह्मणों के मुख से सुनना चाहिए और मंत्र जाप करना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार, शिव को महादेव इसलिए कहा गया है कि वे देवता, दैत्य, मनुष्य, नाग, किन्नर, गंधर्व पशु-पक्षी व समस्त वनस्पति जगत के भी स्वामी हैं। शिव का एक अर्थ कल्याणकारी भी है,शिव की अराधना से संपूर्ण सृष्टि में अनुशासन, समन्वय और प्रेम भक्ति का संचार होने लगता है । इसीलिए, स्तुति गान कहता है- मैं आपकी अनंत शक्ति को भला क्या समझ सकता हूं. अतः हे शिव, आप जिस रूप में भी हों उसी रूप को मेरा आपको प्रणाम ।
शिव और शक्ति का सम्मिलित स्वरूप हमारी संस्कृति के विभिन्न आयामों का प्रदर्शक है। हमारे अधिकांश पर्व शिव-पार्वती को समर्पित हैं,शिव औघड़दानी हैं और दूसरों पर सहज कृपा करना उनका सहज स्वभाव है।
'शिव' शब्द का अर्थ है ‘कल्याण करने वाला’, शिव ही शंकर हैं. शिव के 'शं' का अर्थ है कल्याण और 'कर' का अर्थ है करने वाला. शिव, अद्वैत, कल्याण- ये सारे शब्द एक ही अर्थ के बोधक हैं. शिव ही ब्रह्मा हैं, ब्रह्मा ही शिव हैं,ब्रह्मा जगत के जन्मादि के कारण हैं ।
गरुड़, स्कंद, अग्नि, शिव तथा पद्म पुराणों में महाशिवरात्रि का वर्णन मिलता है । यद्यपि सर्वत्र एक ही प्रकार की कथा नहीं है, परंतु सभी कथाओं की रूपरेखा लगभग एक समान है । सभी जगह इस पर्व के महत्व को रेखांकित किया गया है और यह बताया गया है कि इस दिन व्रत-उपवास रखकर बेलपत्र से शिव की पूजा-अर्चना की जानी चाहिए ।
आज हम एक विशेष साधना के बारे मे बात करेगे,जिसे महाशिवरात्रि के पर्व पर करने से पुर्ण शिवप्रसाद प्राप्त होता है। जैसे शास्त्र मे कहा जाता है-
धारयत्यखिलं दैवत्यं विष्णु विरंचि शक्तिसंयुतम् । जगदस्तित्वं यंत्रमंत्रं नमामि तंत्रात्मकं शिवम् ।।
अर्थात् विविध शक्तियाँ, विष्णु एवं ब्रह्मा जिसके कारण देवी एवं देवता के रूप में विराजमान हैं, जिसके कारण जगत का अस्तित्व है, जो यंत्र हैं, मंत्र हैं। ऐसे तंत्र के रूप में विराजमान भगवान शिव को नमस्कार है।
इसीलिये मै यहा इस श्लोक को समझते हुए एवं समझाते हुए आपको विशेष शिव तंत्र से सबंधित मंत्र साधना दे रहा हूं।
साधना विधि-विधान:-
साधना महाशिवरात्रि के दिन शाम के समय से प्रारंभ करनी है। ईशान्य दिशा के तरफ मुख करके बैठे,आसन वस्त्र का कोइ बंधन नही है फिर भी सफेद रंग के हो तो उत्तम समझें । घी का दिपक प्रज्वलित करे,सुगंधित धूप जलाये,साधना मे किसी भी प्रकार के शिवलिंग को स्थापित कर सकते है। मंत्र जाप सिर्फ रुद्राक्ष माला से ही करना है और अन्य प्रकार का माला प्रयोग वर्जित है। कम से कम ग्यारह माला जाप करना होगा और जिनमें ज्यादा मंत्र जाप करने का क्षमता हो वह साधक 21, 51, 108 माला भी मंत्र का जाप करे तो अतिउत्तम होगा। साधना मे आप शिव जी का अभिषेक पुजन ईत्यादी मंत्र जाप से पुर्व ही सम्पन्न कर लिजीये ।सर्वप्रथम शिव जी का ध्यान मंत्र हाथ जोडकर बोले और अपना मनोकामना बोलते हुए एक सफेद रंग का पुष्प शिवलिंग पर अर्पित करे।
शिव ध्यान मंत्र व अर्थ-
ध्याये नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारूचंद्रां वतंसं।
रत्नाकल्पोज्ज्वलांगं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम।।
पद्मासीनं समंतात् स्तुततममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं।
विश्वाद्यं विश्वबद्यं निखिलभय हरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्।।
सरल शब्दों में मतलब है कि पञ्चमुखी, त्रिनेत्रधारी, चांदी की तरह तेजोमयी, चंद्र को सिर पर धारण करने वाले, जिनके अंग-अंग रत्न-आभूषणों से दमक रहे हैं, चार हाथों में परशु, मृग, वर और अभय मुद्रा है। मुखमण्डल पर आनंद प्रकट होता है, पद्मासन पर विराजित हैं, सारे देव, जिनकी वंदना करते हैं, बाघ की खाल धारण करने वाले ऐसे सृष्टि के मूल, रचनाकार महेश्वर का मैं ध्यान करता हूं।
ध्यान मंत्र के बाद "तांत्रोत्क शिव मंत्र" का जाप करे।
मंत्र:-
।। ह्रीं ॐ हौं शं नमो भगवते सदाशिवाय ।।
(hreem om hroum sham namo bhagawate sadaashivaay)
मंत्र तिष्ण है,इसलिए मंत्र जाप के समय शरीर मे उर्जा का अनुभूति होगा और एकदम से शरीर मे गर्मी बढेगा परंतु चिंता का कोइ बात नही,येसा होने पर अपने पुरे शरीर का ध्यान करते हुए शिव जी से रक्षा हेतु प्रार्थना करे। साधना पुर्ण होते ही शिव आरती सम्पन्न करे और जो भी प्रसाद स्वरुप मे भोग चढाया हो उसे परिवार मे बाट दिजीये ।
महाशिवरात्रि के महापर्व की आप सभी को शुभकामनाएं.....
Tantrotk Shiva Mantra meditation.
Shivaratri true fast is that we use the wisdom of God Shiva of them are close. Fasting is a means of drawing near, the true meaning of awakening, anger etc. succumbs to five disorders of ignorance of Kumbkrn always is to prevent themselves from being asleep.
Vigil on the occasion of Shivaratri is of particular importance. Legend has it that Lord Shiv Shankar Parwatiji once asked, "So what is the best and simple fast-worship, the dead creature naturally receive your grace?"
In response to Shiva Parvati 'Shivaratri' vow told measure
Lord Shiva chaturdasi date. Since astrology is stated in the scriptures, the ultimate Shubfldayi. Well Shivaratri comes in every month but falgun chaturdasi Krishna said the Maha Shivaratri. According to astrological calculations Sun. solstice arrived in this time of climate change occur and said it was very good. Shiva means welfare, the welfare of all Shiva therefore Mahashivarathri to practice on the system leads to the desired happiness.
According to astrological calculations on chaturdasi reach the Moon in its Kshinsth stage, causing serious trouble and moon are unable to creation energy. Moon stated directly from the mind, so the mind is weak physical pain and nostalgia of being encircling situation occurs, which has suffered. Shiva's forehead is adorned on the moon, so pleased to receive Chandradeo taken shelter of Lord Shiva.
It tells a story that is a date dear to Shiva Maha Shivaratri, so often astrologer can worship Shiva Ratri suggest liberation from suffering. Shiva etc.-is eternal, creative destruction and restoration of the link between. Astrology Shiva Maha Shivaratri pleasures are based on the value the importance of various ritual is said.
This day is the day of Shivaratri most beloved of Lord Shiva. It is your soul Mahavrats to Puneet, this vow is to destroy all sins. Violent trend is changed, in your mind of innocent beings leads to compassion. Maha Shivaratri day-night prayer legislation, four o'clock in the day, go to Shiwalyon infinite grace of Shiva lingam Jalabhishek receive than to give the Belptr. Code Vedmntr four o'clock in the night, Rudraashta Dyayi text Brahmins mouth should hear and chanting.
According to the scriptures, so that they Mahadev Shiva god, monster, man, snake, Trans, demigod who own animals and all fauna. Shiva is also a sense of welfare, worship of Shiva in the entire universe discipline, coordination and communication of love, devotion seems to be. Therefore, hymns says: I can understand your infinite power to do good. Therefore, O Siva, you are the same as well as my bow to you.
Shiva and Shakti showed various aspects of our culture is the nature of the insert. Most of us are dedicated to Shiva and Parvati festival, Shiva and others Awgddani spontaneous favor is their innate nature.
'Shiva' word 'wellness habits ", Shiva Shankar. Shiva 'Shan' means good and "doing", which means. Siva, Advaita, Kalyan These words are symptomatic of the same meaning. Shiva are Brahma, Shiva, Brahma, the Brahma of the world are due to Jnmadi.
Garuda, Skanda, fire, and Padma Puranas, Shiva Maha Shivaratri is described. Although the story is not the same everywhere, but the outline of the story is almost identical. The festival has underlined the importance of the place and it has been reported that the day of fasting, fasting Belptr Shiva worship should be placed.
Today we will talk about a particular practice, on the occasion of Maha Shivaratri, which is derived from the Shiv absolutely. As is called in Scripture
Dharytykiln Dawatyn Virnci Sktisnyutm Vishnu. Jagdastitvan Yantramntrn Nmami Tntratmkan Shivam ..
Namely various powers, Vishnu and Brahma, which sits as the goddess and god, which is the existence of the universe, which are instruments, mantra. As such mechanism is present to greet Shiva.
So here I understand this verse and explaining the mechanisms relating to Shiva Mantra meditation am giving you special.
Silence legislation: -
Sadhana Maha Shivaratri is the day to start the evening. Ishany direction by the home side sitting posture of clothing is not any binding excellent understanding even if white. Deepak fuel to ignite, burn incense, meditation can install on any type Shivling. Rudraksha beads have only just chanting beads and use of other types is forbidden. At least eleven beads and chanting which is the ability to recite the mantra seeker 21, 51, 108 beads to chant will then also excellent. In practice Shiva anoint you Pujn Ityadi chanting performed by the pre tax Liziye Ksrwprtham attention of Shiva mantra chanted and linked arms your wishes Speaking to a white floral tributes at the lingam.
Shiva mantra meditation and lit.
Dyaye Nityn Maheshn Rjtgirinibn Watnsn Caruchandran.
Ratnaklpozzwlangan Prshumrigvrabitihstn Prasnnm ..
Pdmasinan Smntat Vsanan Shuttmmrgnarwyagrkrittin.
Biswadyn Biswbdyn Nikilby Hrn Trinetrm Ptrchvktrn ..
In simple terms that means Ptrchmuki, Trinetrdhari, Tejomayi like silver, lunar holding the head, from which the Body of glowing gems and jewelery, four hands halberd, antelope, bridesmaid and Abbey currency. Mukmndl Anand appears to sit on lotus, in god, whose Vandana, the tiger skin holding the core of the universe, creator of Maheshwar meditate.
After meditation mantra "Tantrotk Shiva mantra" to chant.
mantra:-
Hreem om hroum sham namo bhagawate sadaashivaay
Tishn mantra, so chanting and suddenly the feeling of energy in the body will increase body heat on any matter of concern, but not, your whole body's attention on Yesa from the Shiva to protect pray. Silence has absolutely done prayers to Shiva and enjoyment in whatever form offerings to be winched Unlock move forward in her family.
Best wishes to all of you ..... Mahashivarathri mahaparva
आदेश.......