3 Dec 2015

द्वादश श्रीकृष्ण साधना.

गीता के अनुसार अगर आपके सामने समस्या विकराल बनती जा रही है और फिर भी समाधान नहीं कर पा रहे हैं तो भी हिम्मत न हारे और चिंतन करने के साथ ही समस्या का सामना करें। मुसीबतों से घबराने की जगह उसका सामना करना ही सबसे बड़ी शक्ति है। एक बार डर को पार कर लिया तो समझो जीत आपके कदमों में। पांडवों ने भी धर्म के सहारे युद्ध जीता था।भगवान श्रीकृष्ण जी को विष्णु जी का पूर्णावतार माना जाता है. एक ऐसा अवतार जिसमें पूरी पूर्णता थी, बाल रुप से लेकर मृत्यु तक कृष्ण जी की लीलाये वाकई में अपरंपार थी.


मथुरा में अष्टमी के दिन देवकी के गर्भ से श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, लेकिन उनका पालन माता यशोदा की गोद में गोकुल में हुआ. बचपन से ही नटखट बालगोपाल की शरारत से यशोदा मईया के साथ पूरा गोकुल परेशान था, लेकिन नंदलाला की उन्हीं शरारतो में उनका सूकुन भी छिपा था.


होनहार बिरबान के होत चिकने पात, कृष्ण के करिश्मे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नन्हीं अवस्था में ही उन्होंने पूतना राक्षसी का वध किया. कालिया नाग, जिससे पूरा गोकुल और यमुना तीर के बाशिंदे त्रस्त थे. लीलाधारी कृष्ण ने अपने प्रताप से पूरे इलाके को कालिया नाग के प्रकोप से भी मुक्ति दिलाई.



संकट की घड़ी में कृष्ण को जब भी किसी ने पुकारा भगवान सदैव वहां प्रकट हुए. दुशासन जब द्रौपदी का चीर हरने का दुस्साहस कर रहा था उस वक्त द्रौपदी ने पुकारा कृष्ण को. कृष्ण ने अपनी बहन द्रौपदी को निराश नहीं किया और उन्हें इस संकट से उबारा.कुरुक्षेत्र में पांडवों और कौरवों का घमासान चल रहा था. युद्धभूमि में अपनों को सामने देखकर अर्जुन पीछे हट रहे थे लेकिन उनके साथ थे कृष्ण.


कृष्ण ने युद्धभूमि में धनुरधारी अर्जुन को दिखाया अपना दिव्य विराट रुप और दिया गीता का ज्ञान. कृष्ण की अकाल मृत्यु के साथ ही द्वापर युग का अंत हो गया और कलियुग की शुरुआत हो गई.





श्रीकृष्ण जी के 12 रूप इस प्रकार हैं:-

1- पहला स्वरूप- लड्डू गोपाल -धन संपत्ति की प्राप्ति
भगवान श्री कृष्ण जी का ऐसा स्वरुप जिसमें वो एक बालक कृष्ण हैं, जिनके हाथों में लड्डू है ऐसे स्वरुप का ध्यान करें. भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ती को हरे रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें. धूप दीप पुष्प आदि चढ़ाकर, सफेद चन्दन प्रदान करें. प्रसाद में खीर अर्पित करें, हरे रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें.

मंत्र- ।। ॐ स: फ्रें क्लीं कृष्णाय नम: ।।

मंत्र जाप के बाद भगवान् को दूध के छीटे दें.



2- दूसरा स्वरुप- बंसीबजइया -मानसिक सुख
भगवान श्री कृष्ण जी का ऐसा स्वरुप जिसमें वो एक बालक कृष्ण हैं, हाथों में बंसी लिए हुए ऐसे स्वरुप का ध्यान करें भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ती को नीले रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें. धूप दीप पुष्प आदि चढ़ाकर, कपूर प्रदान करें प्रसाद में मेवे अर्पित करें, नीले रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें.

मंत्र- ।। ॐ श्री कृष्णाय क्लीं नम: ।।

मंत्र जाप के बाद भगवान् को घी के छीटे दें.



3- तीसरा स्वरुप- कालिया मर्दक- व्यापार में तरक्की
भगवान श्री कृष्ण जी का ऐसा स्वरुप जिसमें वो कालिया नाग के सर पर नृत्य मुद्रा में स्थित हैं, ऐसे स्वरुप का ध्यान करें. भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ती को काले रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें, धूप दीप पुष्प आदि चढ़ाकर, गोरोचन प्रदान करें प्रसाद में मक्खन अर्पित करें. काले रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें.

मंत्र- ।। ॐ हुं ऐं नम: कृष्णाय ।।

मंत्र जाप के बाद भगवान् को दही के छीटे दें.



4- चौथा स्वरुप- बाल गोपाल- संतान सुख
भगवान श्री कृष्ण जी का ऐसा स्वरुप जिसमें वो एक पालने में झूलते शिशु कृष्ण हैं ऐसे स्वरुप का ध्यान करें, भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ती को पीले रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें. धूप दीप पुष्प आदि चढ़ाकर, केसर प्रदान करें, प्रसाद में मिसरी अर्पित करें. पीले रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें.

मंत्र- ।। ॐ क्लीं क्लीं क्लीं कृष्णाय नम: ।।

मंत्र जाप के बाद भगवान् को शहद के छीटे दें.



5- पांचवां स्वरुप- माखन चोर- रोगनाश
भगवान श्री कृष्ण जी का ऐसा स्वरूप, जिसमें वो माता यशोदा के सामने ये कहते हुए दीखते हैं कि मैंने माखन नहीं खाया. ऐसे स्वरुप का ध्यान करें. भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ती को पीले रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें. धूप दीप पुष्प आदि चढ़ाकर, सुच्चा मोती प्रदान करें, प्रसाद में फल अर्पित करें, पीले रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें.

मंत्र- ।। ॐ हुं ह्रौं हुं कृष्णाय नम: ।।

मंत्र जाप के बाद भगवान् को गंगाजल के छीटे दें.



6- छठा स्वरुप- गोपाल कृष्ण- मान सम्मान
भगवान श्री कृष्ण जी का ऐसा स्वरुप जिसमें वो बन में सखाओं सहित गैय्या चराते हैं ऐसे स्वरुप का ध्यान करें. भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ती को मटमैले रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें. धूप दीप पुष्प आदि चढ़ाकर, मोर पंख प्रदान करें. प्रसाद में मिठाई अर्पित करें. मटमैले रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें.

मंत्र- ।। ॐ ह्रौं ह्रौं क्लीं नम: कृष्णाय ।।

मंत्र जाप के बाद भगवान् को दूध के छीटे दें.



7- सातवां स्वरुप- गोवर्धनधारी- क्रूर ग्रह बेअसर
भगवान श्री कृष्ण जी का ऐसा स्वरुप जिसमें वो एक छोटी अंगुली से गोवर्धन पर्वत उठाये हुये दीखते हैं. भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ती को लाल रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें. धूप दीप पुष्प आदि चढ़ाकर, पीले पुष्पों का हार प्रदान करें. प्रसाद में मिसरी अर्पित करें. लाल रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें.

मंत्र- ।। ॐ ऐं कलौं क्लीं कृष्णाय नम: ।।

मंत्र जाप के बाद भगवान् को गंगाजल के छीटे दें.



8- आठवां स्वरुप- राधानाथ- शीघ्र विवाह व प्रेम विवाह
भगवान श्री कृष्ण जी का ऐसा स्वरुप जिसमें वो राधा और कृष्ण जी का प्रेममय झांकी स्वरुप दीखता है ऐसे स्वरुप का ध्यान करें. भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ती को गुलाबी रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें. धूप दीप पुष्प आदि चढ़ाकर, इत्र सुगंधी प्रदान करें. प्रसाद में मिठाई अर्पित करें. गुलाबी रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें.

मंत्र- ।। ॐ हुं ह्रीं सः कृष्णाय नम:।।

मंत्र जाप के बाद भगवान को शहद के छीटे दें.



9- नौवां स्वरुप- रक्षा गोपाल- मुकदमों व राजकीय कार्यों में सफलता देने वाला भगवान श्री कृष्ण जी का ऐसा स्वरुप जिसमें वो द्रोपदी के चीर हरण पर उनकी साड़ी के वस्त्र को बढ़ते हुये दीखते हैं ऐसे स्वरुप का ध्यान करें. भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ती को मिश्रित रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें, धूप दीप पुष्प आदि चढ़ाकर, मीठे पान का बीड़ा प्रदान करें, प्रसाद में माखन-मिसरी अर्पित करें. मिश्रित रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें.

मंत्र- ।। ॐ कलौं कलौं ह्रौं कृष्णाय नम:।।

मंत्र जाप के बाद भगवान् को दही के छीटे दें.



10- दसवां स्वरुप- भक्त वत्सल- भय नाशक, दुर्घटना नाशक, रक्षक रूप भगवान श्री कृष्ण जी का ऐसा स्वरुप जिसमें वो सखा भक्त सुदामा के चरण पखारते हैं या युद्ध में रथ का पहिया हाथों में उठाये क्रोधित कृष्ण ऐसे स्वरुप का ध्यान करें. भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ती को भूरे रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें. धूप दीप पुष्प आदि चढ़ाकर, एक शंख प्रदान करें. प्रसाद में फल अर्पित करें. भूरे रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें.

मंत्र- ।। ॐ हुं कृष्णाय नम:।।

मंत्र जाप के बाद भगवान् को पंचामृत के छीटे दें.



11- ग्यारहवां स्वरूप- योगीश्वर कृष्ण- परीक्षाओं में सफलता के लिए भगवान श्री कृष्ण जी का ऐसा स्वरुप जिसमें वो एक रथ पर अर्जुन को गीता का उपदेश करते हैं ऐसे स्वरुप का ध्यान करें. भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ती को पीले रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें. धूप दीप पुष्प आदि चढ़ाकर, पुष्पों का ढेर प्रदान करें. प्रसाद में मीठे पदार्थ अर्पित करें. पीले रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें.

मंत्र- ।। ॐ ह्रौं ह्रौं ह्रौं हुं कृष्णाय नम:।।

मंत्र जाप के बाद भगवान् को दूध के छीटे दें.




12- बारहवां स्वरुप- विराट कृष्ण- घोर विपदाओं को टालने वाला रूप भगवान श्री कृष्ण जी का ऐसा स्वरुप जिसमें वो युद्ध के दौरान अर्जुन को विराट दर्शन देते हैं. जिसे संजय सहित वेदव्यास व देवताओं नें देखा ऐसे स्वरुप का ध्यान करें. भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ती को लाल व पीले रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें. धूप दीप पुष्प आदि चढ़ाकर, तुलसी दल प्रदान करें. प्रसाद में हलवा बना कर अर्पित करें. पीले या लाल रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें.

मंत्र- ।। ॐ तत स्वरूपाय कृष्णाय नम:।।

मंत्र जाप के बाद भगवान् को पंचामृत के छीटे दें.







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