9 Dec 2015

शनि शांति उपाय.

यदि आपको किसी भी कारण शनि के शुभ फल प्राप्त नहीं हो रहे हैं। फिर वह चाहे जन्मकुंडली में शनि ग्रह के अशुभ होने, शनि साढ़ेसाती या शनि ढैय्या के कारण है तो प्रस्तुख लेख में दिये गये सरल उपाय आपके लिए लाभकारी सिद्ध होंगे।

भारतीय समाज में आमतौर ऐसा माना जाता है कि शनि अनिष्टकारक, अशुभ और दुःख प्रदाता है, पर वास्तव मंे ऐसा नहीं है। मानव जीवन में शनि के सकारात्मक प्रभाव भी बहुत है। शनि संतुलन एवं न्याय के ग्रह हैं। यह सूर्य के पुत्र माने गये हैं। यह नीले रंग के ग्रह हैं, जिससे नीले रंग की किरणें पृथ्वी पर निरंतर पड़ती रहती हैं। यह सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है। यह बड़ा है, इसलिए यह एक राशि का भ्रमण करने में अढाई वर्ष तथा 12 राशियों का भ्रमण करने पर लगभग 30 वर्ष का समय लगाता है।

सूर्य पुत्र शनि अपने पिता सूर्य से अत्यधिक दूरी के कारण प्रकाशहीन है। इसलिए इसे अंधकारमयी, विद्याहीन, भावहीन, उत्साह हीन, नीच, निर्दयी, अभावग्रस्त माना जाता है। फिर भी विशेष परिस्थितियों में यह अर्थ, धर्म, कर्म और न्याय का प्रतीक है। इसके अलावा शनि ही सुख-संपत्ती वैभव और मोक्ष भी देते हैं। प्रायः शनि पापी व्यक्तियों के लिए दुख और कष्टकारक होता है। मगर ईमानदारों के लिए यह यश, धन, पद और सम्मान का ग्रह है। शनि की दशा आने पर जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं। शनि प्रायः किसी को क्षति नहीं पहुंचाता, लेकिन अति की स्थिति में अनेक ऐसे सरल टोटके हैं, जिनका प्रयोग कर हम लाभ उठा सकते हैं। साथ ही इस आलेख में लाल किताब विशेषज्ञ अंकुर नागौरी द्वारा शनि के 12 भावों का फलादेश व नियम, परहेज व उपाय भी दिये गये हैं, जिनका प्रयोग कर हम शनि शांति कर सकते हैं और जीवन में दुख दूर कर कामयाबी की ओर बढ़ सकते हैं।
शनिवार को काले रंग की चिड़िया खरीदकर उसे दोनों हाथों से आसमान में उड़ा दें। आपकी दुख-तकलीफें दूर हो जायेंगी।

शनिवार के दिन लोहे का त्रिशूल महाकाल शिव, महाकाल भैरव या महाकाली मंदिर में अर्पित करें।

शनि दोष के कारण विवाह में विलंब हो रहा हो, तो शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को 250 ग्राम काली राई, नये काले कपड़े में बांधकर पीपल के पेड़ की जड़ में रख आयें और शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें।

पुराना जूता शनिचरी अमावस्या के दिन चैराहे पर रखें।
आर्थिक वृद्धि के लिए आप सदैव शनिवार के दिन गेंहू पिसवाएं और गेहूं में कुछ काले चने भी मिला दें।

किसी भी शुक्ल पक्ष के पहले शनि को 10 बादाम लेकर हनुमान मंदिर में जायें। 5 बादाम वहां रख दें और 5 बादाम घर लाकर किसी लाल वस्त्र में बांधकर धन स्थान पर रख दें।

शनिवार के दिन बंदरों को काले चने, गुड़, केला खिलाएं।

सरसों के तेल का छाया पत्र दान करें।

बहते पानी में नारियल विसर्जित करें।

शनिवार को काले उड़द पीसकर उसके आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं।

प्रत्येक शनिवार को आक के पौधे पर 7 लोहे की कीलें चढ़ाएं।

काले घोड़े की नाल या नाव की कील से बनी लोहे की अंगूठी मध्यमा उंगली में शनिवार को सूर्यस्त के समय पहनें।

लगातार पांच शनिवार शमशान घाट में लकड़ी का दान करें।

काले कुत्ते को दूध पिलाएं।

शनिवार की रात को सरसों का तेल हाथ और पैरों के नाखूनों पर लगाएं।

चीटिंयों को 7 शनिवार काले तिल, आटा, शक्कर मिलाकर खिलाएं।

शनिवार की शाम पीपल के पेड़ के नीचे तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

शनि की ढैया से ग्रस्ति व्यक्ति को हनुमान चालीसा का सुबह-शाम जप करना चाहिए।

शनि पीड़ा से ग्रस्त व्यक्ति को रात्रि के समय दूध का सेवन नहीं करना चाहिए।

काला हकीक सुनशान जगह में शनिवार के दिन दबाएं।

शनिवार के कारण कर्ज से मुक्ति ना हो रही हो, तो काले गुलाब जामुन अंधों को खिलाएं।

शनिवार की संध्या को काले कुत्ते को चुपड़ी हुई रोटी खिलाएं। यदि काला कुत्ते रोटी खा ले तो अवश्य शनि ग्रह द्वारा मिल रही पीड़ा शांति होती है।

काले कुत्ते को द्वार पर नहीं लाना चाहिए।

अपितु पास जाकर सड़क पर ही रोटी खिलानी चाहिए।

शनि शांति के लिए "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः " या "ॐ शनैश्चराय नमः " का जप करें।

शनि शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
सात मुखी रुद्राक्ष भी शनि शांति के लिए धारण कर सकते हैं।

नीलम रत्न धारण करें अथवा नीली या लाजवर्त, पंच धातु में धारण करें।


लाल किताब के अनुसार शनि के उपाय:-

लग्न स्थित शनि अशुभ फल देता है। ऐसे में जातक को बंदरों की सेवा करनी चाहिए। चीनी मिला हुआ दूध बरगद के पेड़ की जड़ में डालकर गीली मिट्टी से तिलक करना चाहिए। झूठ नहीं बोलना चाहिए। दूसरों की वस्तुओं पर बुरी दृष्टि नहीं डालनी चाहिए।

शनि द्वितीय भावस्थ अशुभ फल देता हो तो जातक को अपने माथे पर दूध या दही का तिलक लगाना चाहिए और सांपों को दूध पिलाना चाहिए।

शनि तीसरे भाव में हो तो जातक को मांस, मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे में जातक को तिल, नींबू एवं केले का दान करना चाहिए। घर में काला कुŸाा पालें एवं उसकी सेवा करें।

शनि चतुर्थ भावस्थ में अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को कूंए में दूध डालना चाहिए। बहते हुए पानी में शराब डालनी चाहिए, हरे रंग की वस्तुओं से परहेज नहीं रखना चाहिए। मजदूरों की सहायता करें व भैंस एवं कौओं को भोजन दें। जातक को अपने नाम पर भवन निर्माण नहीं करना चाहिए।

पंचम भाव में शनि अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को अपने पास सोना एवं केसर रखना चाहिए। जातक को 48 साल से पहले अपने लिए मकान नहीं बनाना चाहिए। साथ ही नाक व दांतों को साफ रखना चाहिए। लोहे का छल्ला पहनने से व साबुत हरी मूंग मंदिर में दान करने से शनि की पीड़ा कम होगी।

षष्ठ भाव से शनि अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को चमड़े एवं लोहे की वस्तुएं खरीदनी चाहिए। इस भाव में जातक को 39 साल की उम्र के बाद ही मकान बनाना चाहिए।

सप्तम भाव से शनि अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को शहद से भरा हुआ बर्तन कहीं सुनसान जगह में दबाना चाहिए। बांसुरी में चीनी भरकर कहीं सुनसान जगह में दबाएं। इस भाव में शनि हो तो जातक को बना बनाया मकान खरीदना चाहिए।

अष्टम भाव में शनि को अपने पास चांदी का टुकड़ा रखना चाहिए। सांपों को दूध पिलाना चाहिए व जीवन में कभी भवन का निर्माण नहीं कराना चाहिए।

नवम भावस्थ शनि अशुभ फल दे रहा हो तो छत पर कबाड़, लकड़ी आदि नहीं रखनी चाहिए, जो बरसात आने पर भीगती हो। चांदी के चैरस टुकड़े पर हल्दी का तिलक लगाकर उसे अपने पास रखना चाहिए। पीपल के पेड़ को जल देने के साथ-साथ गुरुवार का व्रत भी करना चाहिए। अगर इस भाव में शनि हो तो जातक की पत्नी गर्भवती हो तो भूलकर भी मकान न बनवाएं। बच्चा होने के बाद बनवा सकते हैं।

दशम भाव में शनि हो तो मांस, मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। चने की दाल तथा केले मंदिर में चढ़ाने चाहिए।

एकादश भाव में शनि अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को घर में चांदी की ईंट रखनी चाहिए। उसे मांस, मदिरा आदि सेवन एवं दक्षिणामुखी मकान में वास नहीं करना चाहिए। 55 साल की उम्र के बाद ही मकान बनाना शुभ रहेगा।

बारहवें भाव में शनि अशुभ फल दे रहा हो तो कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए। मांस, मदिरा, अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए। लाल किताब की इन बातों पर अमल कर शनि से प्राप्त परेशानियों को हम समाप्त कर सकते हैं।



आदेश.......