4 Nov 2015

तांत्रोत्क लक्ष्मी साधना,(दिपावली विशेष).

दिपावली की रात्री तान्त्रोत्क रात्री होती है और इस दिन पर सिंह लग्न मे यह साधना करे,सिंह लग्न रात्री मे इस दिन 12 बजे के बाद ही होता है.आपके शहर मे कौनसा समय सिंह लग्न का है इसकी जानकारी आपको Google पर search करने से प्राप्त हो सकती है.यह पुजन प्रत्येक दिपावली पर किया जा सकता है और अमवस्या को भी कर सकते है l

जीवन में हर मनुष्य की अभिलाषा होती है की वह लक्ष्मीवान बने यशस्वी बने । लक्ष्मी प्राप्ति की  अभिलाषा एक बात है और लक्ष्मीवान बनना दूसरी बात है । लक्ष्मीवान बनने हेतु विशिस्ट प्रयास करने होते है । जीवन में हर व्यक्ति अपनी सामर्थ्य के अनुसार उद्यम करता है पर सफल हर व्यक्ति नहीं हो पाता  है । श्री व ऐश्वर्य प्राप्ति जो हर  मनुष्य का मुख्य लक्ष्य है पर जब इस लक्ष्य को हासिल करने में असमर्थ रहता है तो कभी वास्तु शास्त्री के शरण में जाता है कभी ज्योतिषी और कभी किसी सन्यासी या जैसी जिसके पास युक्ति हो उस अनुसार अपनी जिज्ञासा रखता है ।

मैने अपने दीर्घ कार्य कारी अनुभव व शास्त्रो के अध्ययन के पश्चात पाया है यह अद्वितीय तान्त्रोत्क विधान जिससे माँ लक्ष्मी की कृपा एवं दर्शन व यश प्राप्ति संभव है । इस साधना का प्रचलन अनादि काल से होता रहा है । प्रत्येक मन्त्र में कुछ गूढ़ युक्तियाँ छिपी होती है जिनसे अथाह  यश व लक्ष्मी प्राप्ति संभव है एवं यह मेरा अनुभूत है स्वयं सिद्ध है जरूरत है इस साधना को विश्वास के साथ संपन्न करना,जो गूढ़ युक्तिया या सीढ़िया है उन पर अपने पावो को साध कर हम चलते रहे तो हर मंजिल को आप आसानी से पार  कर सकते है यह निसंदेह है । इसमें जरा भी संदेह की गुंजाइस नहीं है । जरूरत है भाव की श्रद्धा की अनुसरण की । वो आपको ही करना होगा और इस साधना से आपके जीवन मे आर्थिक पक्ष मजबुत होगा इसका मुझे पूर्ण विश्वास है ।



सकंल्प:-

किसी विशेष मनोकामना के पूरी होने
की इच्छा से किए जाने वाले पूजन में संकल्प की जरूरत होती है। निष्काम भक्ति बिना संकल्प के भी की जा सकती
है।

पूजन शुरू करने से पहले सकंल्प लें । संकल्प करने से पहले हाथों में जल, फूल व चावल लें। सकंल्प में जिस दिन पूजन कर
रहे हैं उस वर्ष, उस वार, तिथि उस जगह और अपने नाम को लेकर अपनी इच्छा बोलें। अब हाथों में लिए गए जल को जमीन पर छोड़ दें।
संकल्प के बाद गुरू पुजन आवश्यक है इसलिये नीचे गुरूस्तुती दे रहा हू


गुरु स्तुती:-

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु,गुरुर्देव महेश्वरः ।
गुर्रु साक्षात परब्रह्म,तस्मै श्री गुरुवे नमः ।।

इस मंत्र का 11 बार जाप करे,ताकी आपके जो कोई गुरू हो उनकी कृपा आप पर अवश्य बनी रहे.

ll ओम श्री गुरुर्वे नम:ll



अब 11 बार गणेश मंत्र का जाप और पुजन करे-

गणेश मन्त्र:-

ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि । तन्नो दंती प्रचोदयात ।।




अब माँ लक्ष्मी जी का ध्यान करे-

लक्ष्मी ध्यान:-

सहस्त्रदलपद्मस्थां पद्मनाभप्रियां सतीम्।
पद्मालयां पद्मवक्त्रां पद्मपत्राभलोचनाम्।।
पद्मपुष्पप्रियां पद्मपुष्पतल्पविशायिनीम्।
पद्मिनीं पद्महस्तां च पद्ममालाविभूषिताम्।।
पद्मभूषणभूषाढ्यां पद्मशोभाविवर्धिनीम्।
पद्मकाननं पश्यन्तीं सस्मितां तां भजे मुदा।।
ll ओम श्री महालक्ष्मी दैव्यै नम: ध्यानं समर्पयामी ll

(ब्रह्मवैवर्त्तपुराण।गणपतिखण्ड।३८।४७-४९)

जिनको संकृत ना आता हो वह हिंदी मे ध्यान पढे-

सहस्त्रदलकमल जिनका आसन है, जो भगवान् पद्मनाभ की सती-साध्वी प्रियतमा हैं, कमल जिनका घर है, जिनका मुख कमल के सदृश और नेत्र कमलपत्र की सी आभा वाले हैं, कमल का फूल जिन्हें अधिक प्रिय है, जो कमल-पुष्प की शय्या पर शयन करती हैं, जिनके हाथ में कमल शोभा पाता है, जो कमल-पुष्पों की माला से विभूषित हैं, कमलों के आभूषण जिनकी शोभा बढ़ाते हैं, जो स्वयं कमलों की शोभा की वृद्धि करने वाली हैं और मुस्कराती हुई जो कमल-वन की ओर निहार रही हैं, उन पद्मिनी देवी का मैं आनन्दपूर्वक ध्यान करता हूँ।



अब माँ का आवाहन करते हुए कुछ पुष्प उनके विग्रह/चित्र पर चढाये

आवाहन मंत्र:-

ॐ हिरण्य वर्णाम हरिणीम् सुवर्ण
रजतस्त्रजाम् । चन्द्रम हिरण्यमयीं
लक्ष्मीं जातवेदो म आवाहयामी ॥

जिनको संकृत ना आता हो वह हिंदी मे आवाहन मंत्र पढे-

हे जातवेदा सर्वज्ञ अग्नी देव आप सोने के
समान रंग वाली किंचित हरितवर्ण से युक्त सोने व चांदी के हार पहनने वाली ,चन्द्रवत
प्रसन्नकांति स्वर्णमयी लक्ष्मी देवी का मेरे लिये आवाहन कर रहा हु।


इस साधना मे सिर्फ स्फटिक माला का ही इस्तेमाल होगा अन्य माला नही लेना और एक मट्टी का दीपक जरुरी है,मट्टी के दीपक मे चमेली का तेल डाले और उसे प्रज्वलित करते समय "ओम रं वरदायै नम:" मंत्र बोले lसाधना काल मे दीपक जलते रहना जरुरी है,दीपक को माँ के विग्रह/चित्र के ठिक सामने स्थापित करना है l प्रज्वलित दीपक के "लौ" को देखते हुए मंत्र का 21 माला जाप पच्छिम/उत्तर/पूर्व दिशा मे मुख करके करना है l जाप के समय "छून-छून...."जैसी आवाजे आसकती है परंतु विचलीत नही होना चाहिये और "लौ" मे माँ के मुखमंडल के दर्शन हो जाये तो मन-ही-मन माँ को प्रणाम करे परंतु जाप करते रहेना है l मंत्र जाप होने के बाद माला गले मे धारण करना है और अगले दिपावली तक माला को नियमबद्ध होकर पहेने रखिये l हो सकता है उसी दिन रात्री मे या अन्य किसी दिवस पर माँ के दर्शन हो सकते है और अपना यह अनुभव किसिको ना बताये lमाला को स्नान से पहिले,सोने से पहिले और स्मशान मे जाने से पूर्व सुरक्षित जगह पर निकालकर रखना ना भूले,यही नियमबद्धता है l




तांत्रोत्क लक्ष्मी वशीकरण मंत्र:-

ll ओम श्रं सिद्धेश्वराय लं महालक्ष्मी वं वश्यमानय फट ll

om shram siddheshwaraay lam mahaalaxmi vam vashyamaanay phat


इस गोपनिय मंत्र से आपके जीवन मे परिवर्तन होगा और आपका अमूल्य जीवन आर्थिक बाधाओ से मुक्त होगा,इस बात पर मुझे कोई संदेह नही है,अब इस बार आपका कामना पूर्ण होने वाला है l आप सभी पर माँ कृपा बरसाये यही कामना करता हू......


आप सभी को "शाबर मंत्र विग्यान" परिवार के तरफ से दिपावली के शुभ अवसर पर ढेर सारी शुभकामनाये........






आदेश......