24 Feb 2016

आप और आपका ज्योतिष.

थोडा देखिये अपने कुण्डली मे,शायद आप चाण्डाल योग से भी परेशान हो सकते है।

योगचांडाल शब्द का अर्थ होता है क्रूर कर्म करनेवाला, नीच कर्म करनेवालाराहू और केतु दोनों छाया ग्रह है। पुराणों में यह राक्षस है,राहू और केतु के लिए बड़े सर्प या अजगर की कल्पना करने में आती है। राहू सर्प का मस्तक है तो केतु सर्प की पूंछ, ज्योतिषशास्त्र में राहू -केतु दोनों पाप ग्रह है । अत: यह दोनों ग्रह जिस भाव में या जिस ग्रह के साथ हो उस भाव या उस ग्रह संबंधी अनिष्ठ फल दर्शाता है । यह दोनों ग्रह चांडाल जाती के है, इसलिए इनकी युति को चांडाल ( राहू-केतु ) योग कहा जाता है।कैसे होता है चाण्डाल योगजब कुण्डली में राहु या केतु जिस गृह के साथ बैठ जाते है तो उसकी युति को ही चाण्डाल योग कहा जाता है ये मुख्य रूप से सात प्रकार का होता है।



1- रवि-चांडाल योग

सूर्य के साथ राहू या केतु हो तो इसे रवि चांडाल योग कहते है. इस युति को सूर्य ग्रहण योग भी कहा जाता है । इस योग में जन्म लेनेवाला अत्याधिक गुस्सेवाला और जिद्दी होता है,उसे शारीरिक कष्ठ भी भुगतना पड़ता है, पिता के साथ मतभेद रहता है और संबंध अच्छे नहीं होते,पिता की तबियत भी अच्छी नहीं रहती ।


2- चन्द्र-चांडाल योग

चन्द्र के साथ राहू या केतु हो तो इसे चन्द्र चांडाल योग कहते है. इस युति को चन्द्र ग्रहण योग भी कहा जाता है, इस योग में जन्म लेनेवाला शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य नहीं भोग पाता। माता संबंधी भी अशुभ फल मिलता है. नास्तिक होने की भी संभावना होती है।


3- भौम-चांडाल योग

मंगल के साथ राहू या केतु हो तो इसे भौम चांडाल योग कहते है. इस युति को अंगारक योग भी कहा जाता है। इस योग में जन्म लेनेवाला अत्याधिक क्रोधी, जल्दबाज, निर्दय और गुनाखोर होता है,स्वार्थी स्वभाव, धीरज न रखनेवाला होता है । आत्महत्या या अकस्मात् की संभावना भी होती है ।


4- बुध-चांडाल योग

बुध के साथ राहू या केतु हो तो इसे बुध चांडाल योग कहते है. बुद्धि और चातुर्य के ग्रह के साथ राहू-केतु होने से बुध के कारत्व को हानी पहुचती है. और जातक अधर्मी. धोखेबाज और चोरवृति वाला होता है ।


5- गुरु-चांडाल योग

गुरु के साथ राहू या केतु हो तो इसे गुरु चांडाल योग कहते है । ऐसा जातक नास्तिक, धर्मं में श्रद्धा न रखनेवाला और नहीं करने जेसे कार्य करनेवाला होता है ।


6- भृगु-चांडाल योग

शुक्र के साथ राहू या केतु हो तो इसे भृगु चांडाल योग कहते है, इस योग में जन्म लेनेवाले जातक का जातीय चारित्र शंकास्पद होता है । वैवाहिक जीवन में भी काफी परेशानिया रहती है, विधुर या विधवा होने की सम्भावना भी होती है ।


7- शनि-चांडाल योग

शनि के साथ राहू या केतु हो तो इसे शनि चांडाल योग कहते है । इस युति को श्रापित योग भी कहा जाता है। यह चांडाल योग भौम चांडाल योग जेसा ही अशुभ फल देता है।जातक झगढ़ाखोर, स्वार्थी और मुर्ख होता है, ऐसे जातक की वाणी और व्यव्हार में विवेक नहीं होता, यह योग अकस्मात् मृत्यु की तरफ भी इशारा करता है।

अब आप भी देखे कहीं आपकी कुण्डली में भी चाण्डाल योग तो नहीं है यदि हो तो इसकी शांति अवश्य करवाएं क्योंकि कहा जाता है की शान्ति का उपाय करके जीवन को खुशहाल बनाया जा सकता है।




अब बात करेंगे कोनसे महादशा मे क्या उपाय करना उचित है।
महादशा के उपाय ज्योतिष शास्त्र ग्रहों की गति एवं उसकी दशाओं के आधार पर किसी व्यक्ति के जीवन में आने वाली उतार चढ़ाव एवं सुख दुख का आंकलन करता है । ग्रहों की दशा महादशा सभी व्यक्ति के जीवन में चलती रहती है। कुछ दशा महादशा शुभ फल देती है तो कोई अशुभ,नीच स्थान में होने पर शुभ ग्रह भी विपरीत प्रभाव देते हैं और उच्चस्थान में होने पर अशुभ ग्रह भी शुभ फल देते हैं । अगर आपके जीवन में किस ग्रह विशेष की महादशा में परेशानी और कठिनाई आ रही है तो आप क्या उपचार कर सकते हैं-


1. सूर्य महादशा उपचारसूर्य की महादशा में आपको ब्राह्मणों को तांबे के बर्तन में गेहूंका दान देना चाहिए.आदित्य हृदय स्तोत्र का प्रतिदिन सुबह स्नान करके पाठ करना चाहिए.सूर्य देव की सफेद फूल एवं लाल चंदन से पूजा करनी चाहिए और आर्घ्य देना चाहिए.जब आप किसी विशेष काम से घर से बाहर निकलें तो गुड़ की एक डली मुंह में डाल पानी पिएं फिर जाएं.ताम्बे की अंगूठी में सवा पांच रत्ती का माणिक अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए.


2. चन्द्र महादशा उपचारचन्द्र की महादशा होने पर आपको चन्द्र की वस्तु जैसे चावल, मोती व चांदी का दान करना चाहिए.कन्याओं को खीर बनाकर भोजन करना चाहिए.अपने खाने में दही शामिल करना चाहिए.भगवान भोले शंकर की पूजा करनीचाहिए एवं दूध से अभिषेक करना चाहिए.सुबह दूध में भिंगोकर चावल गाय को खिलानी चाहिए.अपने गले में चांदी का चन्द्रमा बनाकर लॉकेट की तरह धारण करना चाहिए.दाएं हाथ की कनिष्ठा उंगली में मोती चांदीकी अंगूठी में धारण करना चाहिए.


3. मंगल महादशा उपचारमंगल की महादशा होने पर बन्दरों को गुड़ चना देना चाहिए.सात शनिवार हनुमान जी को लाल लंगोट चढाएं.प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें.लाल वस्त्र ब्राह्मणों को दान दें.सोने अथवा ताम्बे में मूगा दाएं हाथ की अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए.


4. बुध महादशा उपचारआप अगर बुध की महादशा से पीड़ित हैं तो उपचार हेतु गाय को प्रतिदिनहरी घास अथवा पालक खिलाएं.सीप की पूजा करें.बुध की वस्तु जैसे मूंग की दाल, हरे रंग की चूड़ी बुधवार के दिन दान करें.प्रतिदिन दुर्गा मां की पूजा करनी चाहिए और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए.मध्यमा उंगली में पन्ना सोने अथवा चांदी में धारण करना चाहिए.


5. बृहस्पति महादशा उपचारबृहस्पति की वस्तु जैसे पीला वस्त्र, सोना, गुड़ व केसर का दान करनाचाहिए.घी का दीपक जलाकर बृहस्पतिवार के दिन केले की पूजा करनी चाहिए.पीला चंदन लगाना चाहिए व बृहस्पतिवार के दिन पीला वस्त्र पहनना चाहिए.पूर्णिमा तिथि को सत्यनारायण भगवान की पूजा कथा करानी चाहिए.दाएं हाथ की तर्जनी उंगली में सुनैला सोने में धारण करना चाहिए.


6. शुक्र महादशा उपचारशुक्र की महादशा से अगर आप पीड़ित हैं तो शुक्र की वस्तु का दान करना चाहिए जैसे दूध, मोती, दही. गाय की सेवा करनी चाहिए और अपने खाने में से एक भाग निकालकर गाय को खिलानी चाहिए.माता सरस्वती की पूजा करनी चाहिए.चांदी की उंगूठी दाएं हाथ के अंगूठे में पहनना चाहिए.


7. शनि महादशा उपचारशनि की महादशा से बचने के लिए रोटी पर सरसों तेल लगकार गाय को अथवा कुत्ते को खिलाना चाहिए.शनिवार और मंगलवार के दिन हनुमान जी का दर्शन करना चाहिए.चांदी का चौकोर टुकड़ा हमेशा अपने पास रखें.बांसुरी में शक्कर भर कर एकांत स्थान में दबाएं.शनिवार के दिन दूधऔर काले तिल से पीपल की पूजा करनी चाहिए.शनिवार के दिन शनि मंदिर में दीप दान दें.


8. राहु महादशा उपचारराहु की महादशा में काले कुत्ते को मीठी रोटियां खिलाएं.सरसों का तेल व काले तिल का दान दें.रात को सोते समय अपने सिरहाने में जौ रखें जिसे सुबह पंक्षियों को दें.बहते पानी में शीशा अथवा नारियल प्रवाहित करें. इसके अलावा बहते पानी में तांबे के 43 टुकड़े प्रवाहित करें.माता सरस्वती की पूजा करें.गोमेद चांदी की अंगूठीमें दाएं हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करना चाहिए.


9. केतु महादशा उपचारअगर आप केतु की महादशा से पीड़ित हैं तो इसके उपचार के लिए लकड़ी केक चार टुकड़े चार दिन तक बहते पानी में प्रवाहित करना चाहिए.कन्याओं को भोजन करवाकर दक्षिणा सहित विदा करना चाहिए.ग़रीब अथवाब्रह्मणों को कम्बल दान करना चाहिए.प्रतिदिन गणेश जी पूजा करनी चाहिए और गणपति जी को लड्डू का भोग लगाना चाहिए.बहते जल में कोयले के 21 टुकड़े प्रवाहित करना चाहिए.दाएं हाथ की मध्यमा उंगली में लहसुनियां चांदी में धारण करना चाहिए.




जिवन मे आनेवाले अन्य समस्या हेतु भी आप मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते है। 1250/-रुपये मे आप अपना हस्तलिखित कुण्डली भी प्राप्त कर सकते है,जिसमें सभी प्रकार के उपाय दिये जायेंगे । यह जन्म कुण्डली विश्लेषण आपको ई-मेल से प्राप्त होगा। इसमे सबसे ज्यादा आपके समस्याओं पर ही ध्यानपुर्वक उपाय दिये जायेंगे ।





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