26 Sept 2015

बिर कंगन.


बहोत सारे लोग है जो सिर्फ बाते करते है बिर कंगन के बारे मे परंतु यहा मै आपको इसका प्रामानीक महत्व बता रहा हू क्युके मेरे पास बिर कंगन है.बिर कंगन क्या है?
अगर ये बात सुशील नरोले आपको नही
बतायेगा तो कौन बतायेगा,सही है ना. बिर कंगन 3 प्रकार के होते है.

1-52 बिर-64 जोगिनी.
2-51 बिर 52 जोगिनी.
3-21 बिर 24 जोगिनी.

मुख्यता इन तीनो कंगन मे सबसे अच्छा कंगन 51 बिर-52 जोगिनी वाला माना जाता है क्युके एक पर एक भारी शक्ती वाला कंगन अच्छे-बुरे काम कर सकता है. बिर कंगन के माध्यम से बिरो से जो चाहो वह कार्य उनसे करवा सकते है परंतु बात येसा है के बिरो से वही काम करवाने कहो जो हम नही कर सकते है क्युके प्रत्येक कार्य को करने के बाद बिर बदलेमे कुछ ना कुछ तो माँगता ही है और अगर हमने उसकी डिमांन्ड पुरी नही की तो जब बिरो को अगला काम दे तो वह उस कार्य को पुरा नही करता है.या आसान भाषा मे कहा जाये तो बिर कार्य करने के बाद उर्जाहीन होने लगता है और उसके पसंद का चिज
उसको मिलतेही वह फिर से शक्तीशाली बन जाता है.बिर कंगन के माध्यम से षटकर्म कार्य आसानी से किये जाते है और
आजकल लोग बिरो से काम करवाते है और मोटा पैसा कमाते है जब के बिरो से येसे काम नही करवाने चाहिये जिससे सिर्फ धनार्जन हो बल्की कुछ जनकल्याण करके पिडित व्यक्ती का साहय्यता करके उनसे
आशीर्वाद भी प्राप्त करना चाहिये.बिर कंगन का आसान सा अर्थ है कंगन मे बिरो का स्थापना और साथ मे जोगिनी का स्थापना.जैसे बराटी का अर्थ है बिर और बराटी विद्या का अर्थ है "बिरो का विद्या" और जिसने बिरो का जागरण कर दिया समझलो उसने बराटी विद्या को सिद्ध कर लिया. मेरे पास 150 साल से भी ज्यादा पुराना बिर कंगन है जो मुझे मेरे दादाजी से प्राप्त हुआ,इससे मुझे एक फायदा हुआ के कोई भी नया कंगन मै जागरत कर सकता हू परंतु मै सर्वप्रथम जिनके लिये कंगन बनाता हू उनको ही साधना विधि विधान संपन्न करने के निर्देश देता हू,कुछ लोगो ने प्रैक्टिकल अनुभुतिया की है.बिरो से कोई भी काम करवाना संभव है परंतु बिरो को
खुश रखना भी जरुरी है अन्यथा बिर समय पर कार्य नही करते है,बिरो को कैसे खुश रखना है यही इसमे मुख्य सुत्र होता है.जैसे मैने बताया बिर कंगन तीन प्रकार होते है और उन्हे बनाने मे पंचधातु,अष्टधातु,नवधातु का इस्तेमाल होता है.पंचधातु मे स्वर्ण,रजत,कास्य,तांबा और पित्तल होता है,इनको स्थिर लग्न
शुभ मुहूर्त मे खरिदकर कंगन बनाने से अधिक लाभ प्राप्त होते है और स्वर्ण को गुरुवार रजत को शुक्रवार कास्य को
शनीवार तांबा को रविवार पित्तल को सोमवार को खरिदना चाहिये.कंगन बनाते समय शरीर पर कोई भी वस्त्र नही होना चाहिये और कंगन बनाते समय वहा से उठकर अन्य कोई भी कार्य करना वर्जित माना जाता है.यह सब कुछ होने के बाद मंत्र साधना 7,11 या 21 दिनो तक की जाति है परंतु साधना मे योग्य सफलता प्राप्ति के लिये प्रामानीक विधि विधान का ग्यान होना आवश्यक है जो किताबो से नही मिलता है इसके लिये योग्य व्यक्ती का मार्गदर्शन प्राप्त होना चाहिये.जो व्यक्ती बिर कंगन बनाना चाहता है वह मुझसे सम्पर्क करे,मै आपको वचन देता हू आपको प्रामानिक मार्गदर्शन करुगा और आपके लिये योग्य बिर कंगन का निर्माण करके दुगा क्युके प्रत्येक तांत्रिक का एक स्वप्न होता है "उसको बिर कंगन जैसा दुर्लभ वस्तु प्राप्त हो.सिद्ध नवनाथ भगवान
भगवान को बिर कंगन बहोत प्रिय है यह बात सभी जानते है और समजते है.आपके कल्याण हेतु मै यह संकल्प ले रहा हू बिर कंगन के माध्यम से आप श्रेश्ट तांत्रिक बने,समाज मे जनकल्याण करके अपने नाम को रोशन करे और साथ थोडा बहोत धनार्जन भी करे.मुख्य बात यह है की पाखन्ड़ से बचे जैसे जब भी आपको किसी से बिर कंगन लेना हो तो सर्वप्रथम उसको बिर कंगन का फोटो दिखाने का आग्राह करे अन्यथा वह आपको बिर कंगन के नाम पर कोई भी कंगन दे देगा.
मेरा सम्पर्क:-
amannikhil011@gmail.com
पर मुझे आप इमेल करे और बिर कंगन को प्राप्त करे.

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