20 Oct 2018

महालक्ष्मी-सर्व कामना पूर्ति साधना (अग्नि पुराण)



7 नवंबर 2018 को दीपावली मनाई जाएगी और यह एक मात्र ऐसा दिवस है जिस दिन भाग्य को बदला जा सकता है । अन्य दिवस पर आनेवाले सभी मुहूर्त दीपावली के मुहूर्त से शक्तिशाली नही होते है । चाहे वेद में पढ़े या तंत्र शास्त्र में पढ़े ऐसा दुर्लभ दिवस ही इंसान को सही रास्ता और जीवन मे गती प्रदान करता है । जीवन मे धन-धान्य की आवश्यकता ना हो ऐसा एक भी मनुष्य इस धरा पर देखने नहीं मिलेगा, सभी को धन-धान्य के साथ सुख-सुविधाओं की भी आवश्यकता है । सूख-सुविधाओं से प्राप्त जीवन सिर्फ आर्थिक स्थितियों को मजबूत करने से संभव है और सुख हमेशा प्राप्त होता रहे इसलिए देवताओं की कृपा भी आवश्यक है ।

सिर्फ हमारे देश मे ही नही अपितु कई सारे देशों में माँ महालक्ष्मी जी की पूजा अन्य रूपो में होती है,माँ के अलग-अलग नाम प्रचलित है । इस वर्ष दीपावली स्वाती नक्षत्र पर है और कहावत भी है कि जब स्वाति नक्षत्र में ओंस की बूँद सीप पर गिरती है तो मोती बनता है। दरअसल मोती नहीं बनता बल्कि ऐसा जातक मोती के समान चमकता है। यह कहावत पुराने जमाने से चलती आरही है और मैने स्वयं अनुभव किया जब स्वाति नक्षत्र पर बारिश होती है तो बारिश के पाणी को स्टील के बर्तन में जमा करता हु और उसे जमीन पर नही गिरने देता,अब इसी जल से जब किसी देवी/देवता के विग्रह का स्नान करता हू तो वह देवी/देवता का विग्रह पहिले से ज्यादा चैतन्य होता जाता है । जब भी स्वाति नक्षत्र के बारिश के पाणी से मंत्रो से युक्त विग्रह का अभिषेक किया जाता है तो विग्रह के साथ-साथ हमारा शरीर भी चैतन्य हो जाता है,किसी भी साधक का जब तक शरीर चैतन्य ना हो तब तक वह मंत्र सिद्धि समय से पूर्व नही कर पाता है । साधक के शरीर को चैतन्यता प्राप्त होने से वह समस्त मंत्र साधनाओ में शीघ्र सफलता प्राप्त कर लेता है ।

अमावस्या एक काली रात मानी जाती है और स्वाति नक्षत्र का स्वामी राहु है जो अधंकार का प्रतीक है,इस वर्ष यह दुर्लभ योग है जो तंत्र के हिसाब से देखा जाए तो शक्तिशाली दिवस है । माँ लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए शुक्र ग्रह की साधना संपन्न करते है और जब शुक्र-राहु का संबंध वृषभ से हो तो साधक अवश्य ही धन प्राप्ति साधनाओं में निच्छित सफलता प्राप्त करता ही है,इसलिए आप इस वर्ष सिंह लग्न से ज्यादा वृषभ लग्न के समय मे महालक्ष्मी जी के मंत्र का जाप ज्यादा-से-ज्यादा करे । मेरे शहर में इस वर्ष वृषभ लग्न समय 18:02 से 20:01 तक रहेगा और आप भी अपने शहर का दीपावली पूजन वृषभ लग्न समय गूगल पर सर्च करे तो पता कर सकते है ।

शुक्र-राहु के बल का उपयोग वृषभ लग्न में करे तो अवश्य ही सफलता मिलेगी और तुला राशि का चंद्रमा आपको आकस्मिक धन प्राप्ति में भी मदत करेगा । तुला राशि मे शुक्र उच्च का होता है इसलिए महालक्ष्मी जी के प्रसन्नता प्राप्ति हेतु यह दिवस कुछ विशेष बन जाता है,जिसका लाभ सभी साधक मित्रो को इस वर्ष उठाना चाहिए ।

इस वर्ष मैं आपको एक विशेष यंत्र के बारे में बताने वाला हु और यह यंत्र आपको स्वयं अपने घर पर ही बनाना है, यंत्र निर्माण करने हेतु आपको चाँदी/तांबे का ताबीज,भोजपत्र,चमेली की कलम और अष्टगंध के स्याही की आवश्यकता है । आप ताबीज,भोजपत्र और अष्टगंध किसी भी पंसारी के दुकान से 7 तारीख से पहिले ही खरीदे और चमेली की कलम मतलब कोई चमेली के पौधे की डंडी तोड़कर सूखा ले ओर इसीका प्रयोग यंत्र निर्माण में करना है, यह यंत्र सर्व साधना सिद्धि हेतु निर्माण करना है,जिससे आपको सभी मंत्र-तंत्र-शाबर-अघोरी साधनाओ में शीघ्र सफलता मीले । यह यंत्र बनाने में 10 मिनट से ज्यादा का समय नही लगेगा और इसी दिन वृषभ लग्न मुहूर्त में यह यंत्र निर्माण करके धारण करे और महालक्ष्मी सर्व कामना पूर्ति साधना सम्पन्न करे और जीवन मे होने वाले अनुभव को देखिए । महालक्ष्मी सर्व कामना पूर्ति मंत्र अग्नि पुराण में दिया हुआ है और यह मंत्र इसी ब्लॉग पर आप लोगो को 3-4 नवंबर को पढ़ने मिलेगा । इस मंत्र से समस्त प्रकार के कामनाओ के साथ-साथ महालक्ष्मी जी की पूर्ण कृपा प्राप्त कर सकते हो जिससे जीवन मे धन,धान्य, सुख,सुविधा, समृद्धि आपके जीवन मे प्राप्त होगी ।

दिए हुए शुभ समय पर मंत्र की 11,21..51 माला जाप अपने सुविधा नुसार करे,जाप के लिए कमलगट्टे की माला या स्फटिक माला का इस्तेमाल कर सकते हो ।

मंत्र:-


।। ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं नमो महालक्ष्म्यै हरिप्रियायै स्वाहा ।।

Om hreem shreem kleem namo mahaalakshmai haripryaayai swaahaa



यंत्र:-





मुझे पूर्ण विश्वास है के इसी साधना के माध्यम से आप जीवन मे आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हो,अब तक आपने भी बहोत साधनाये की होगी परंतु यह साधना आपको निच्छित सफलता देगी । मैं इस बार वही मंत्र और क्रिया पोस्ट करने वाला हु जो मुझे अनुभूतित है,ऐसा मंत्र दे रहा हु जिसका जाप मैंने स्वय किया है और मुझसे पहिले जिन्होंने भी अग्नि पुराण पढ़ा है शायद उन्होंने भी किया ही होगा (अग्नि पुराण एक प्राचीन ग्रंथ है) ।






त्रैलोक्य पूजिते देवि कमले विष्णुवल्लभे।
यथा त्वं सुस्थिरा कृष्णे तथा भव मयि स्थिरा।।
ईश्वरी कमला लक्ष्मीश्चला भूतिर्हरिप्रिया।
पद्मा पद्मालया सम्पद् रमा श्री: पद्मधारिणी।।
द्वादशैतानि नामानि लक्ष्मीं सम्पूज्य य: पठेत्।
स्थिरा लक्ष्मीर्भवेत् तस्य पुत्रदारादिभि: 



आदेश.......