पंचदशी यंत्र
दिवाली नजदीक आरही है और सभी को दिवाली का इंतजार होता है,इंतेजार सिर्फ यही ज्यादा से ज्यादा होता है के इस पावन अवसर पर कुछ ऐसा किया जाए "जिससे एक वर्ष तक धन-धान्य की कोई कमी ना पड़े और यह आनेवाला वर्ष सुख-समृद्धि से भरपूर रहे" । शायद आज तक तो ऐसा हुआ नही होगा परंतु अब इस दिवाली में साधना करो तो ऐसा ही कुछ होगा जो आप लोगो ने सोचा है ।
आनेवाले दिवाली के अवसर पर आप पंन्ध्रिया यंत्र साधना अवश्य कर लो तो आपके जीवन के समस्त आर्थिक परेशानी से आपको राहत मिल सकती है । पिछले वर्ष 19 ऑक्टोम्बर को करवा चौथ था,उस समय महिलाओं ने अपने पति के उत्तम जीवन हेतु व्रत रखा था और इस वर्ष 19 ऑक्टोम्बर को दिवाली है,जिसमे सभी लोग आनंद लेंगे । मुझे पिछले वर्ष का बात इसलिये स्मरण रहा क्योंकि 19 ऑक्टोम्बर मेरा जन्मदिवस है और मैं चाहता हूँ के "मुझे किसीसे गिफ्ट नही लेना चाहिए परंतु सभी को ऐसा गिफ्ट देना जरूरी है,जिससे सभी का आर्थिक समस्याओं से जुड़ा जीवन अच्छा हो" । मुझे यह क्रिया नही आता है के मै आप सभी का रोग,दरिद्रता, बाधा,समस्याये अपने ऊपर ले सकू,मातारानी की कसम बोल रहा हूँ अगर मुझे यह क्रिया आता तो मैं अब तक सभी का दुख अपने ऊपर ले लेता और आपको जीवन मे कोई भी किसी भी प्रकार का दुख ना हो यही कार्य करता । इसलिए एक ऐसा साधना दे रहा हूँ,जिससे आपके जीवन मे सुधार आयेगा । यह एक प्रामाणिक साधना है जिसका लाभ मैंने स्वयं उठाया है,मुझे पूर्ण विश्वास है के दिवाली के दिन आप यह साधना करो और आपको सफलता ना मिले यह संभव नही है । आज तक सभी लोगो को सिर्फ पंन्ध्रिया यंत्र के बारे में पता था परंतु बहोत कम लोग ही इस साधना के विषय मे जानते है । जैसे पंन्ध्रिया यंत्र का विनियोग,ध्यान और मंत्र,यह तिनो गोपनीय है इन्हें कोई भी व्यक्ति लिखना नही चाहता है,सभी का अपना-अपना एक स्वार्थ है । पंन्ध्रिया यंत्र को 9 प्रकार से लेकर 64 प्रकार तक हम बना सकते है,यहां आज एक ऐसा प्रकार लिख रहा हूँ जो 64 प्रकारों में श्रेष्ठ है ।
बहोत सारे लोग अपने इस अमूल्य जीवन मे निंदा करने में समय खराब कर देते है,तो कोई किसीको बदनाम करने में अपना 100% देता है । ऐसा कर्म करने से शायद खुशी मिलता होगा परंतु यह दोनों कर्म मनुष्य को शत्रुत्व औऱ संकट को बुलाने हेतु किया गया हुआ आवाहन होता है । आज थोड़ा बहोत कुछ ऐसा लिख रहा हूं जिससे आपको अच्छा लग सकता है या फिर तकलीफ भी हो सकती है । यही बस एक कहानी है और कुछ भी नही और इस कहानी का अध्यात्म से कोई लेना देना नही है-
एक बार राजा के दरबार मै एक फ़कीर गाना गाने जाता है,
फ़कीर बहुत अच्छा गाना गाता है।
फ़कीर बहुत अच्छा गाना गाता है।
राजा कहते हैं इसे खूब सारा सोना दे दो।
फ़कीर और अच्छा गाता है।
फ़कीर और अच्छा गाता है।
राजा कहते हैं इसे हीरे जवाहरात भी दे दो।
फकीर और अच्छा गाता है।
फकीर और अच्छा गाता है।
राजा कहते हैं इसे असरफियाँ भी दे दो।
फ़कीर और अच्छा गाता है।
फ़कीर और अच्छा गाता है।
राजा कहते हैं इसे खूब सारी ज़मीन भी दे दो।
फ़कीर गाना गा कर घर चला जाता है।
और
अपने बीबी बच्चों से कहता है,,
और
अपने बीबी बच्चों से कहता है,,
आज हमारे राजा जी ने गाने का खूब सारा इनाम दिया।
हीरे,जवाहरात,सोना,ज़मीन, असरफियाँ बहुत कुछ दिया।
सब बहुत खुश होते हैं
कुछ दिन बीते
फ़कीर को अभी तक मिलने वाला इनाम नही पहुँचा था...
फ़कीरे दरवार में फिर पहुँचा...
कहने लगा....
"राजा जी आप के द्वारा दिया गया इनाम मुझे अभी तक नहीं मिला।"?
राजा कहते हैं ..,,,
अरे फ़कीर ये लेन देन की बात क्या करता है।
"तू मेरे कानो को खुश करता रहा"...
और
मैं तेरे कानों को खुश करता रहा।
यह एक कहानी है,जिसे हमारे राजनेता हमे सुनाते है और हम फकीर के तरहा सुनकर खुश हो जाते है । अगले चुनाव में फिर कोई नई कहानी सुनाई जाती है,परंतु इस 5 वर्ष में हमे हमारे जिम्मेदारी को पूर्ण करना होता । यह काम सिर्फ हमे करना होता है,कोई राजनेता आकर हमारे जिम्मेदारी को पूर्ण नही कर सकता है,इसलिए आपको यह आर्टिकल पढ़ते समय यह संकल्प लेना के इस वर्ष दिवाली पर यह साधना करुगा और समस्त जिम्मेदारी को पूर्ण तरहा से नीभाऊंगा ।
हो सके तो दिवाली से पूर्व ही इस साधना का प्रिंट आउट निकालकर कुछ पहचान वाले या फिर अनजान लोगों को एखाद प्रिंट आउट दे देना क्युके ज्ञान दान से बड़ा कोई भी दान नही है और जिसे यह साधना दे रहे हो,शायद वह साधना सम्पन्न कर लेगा जिससे उसका आर्थिक परेशानी कम हो सकता है ।
इस साधना से जीवन में निरंतर उन्नति होती है और जीवन के समस्त लक्ष्य कुछ ही समय/माह/वर्षो में पूर्ण होते है । यहा समय मतलब छोटी इच्छा, माह मतलब जिसे पूर्ण होने में लगने वाला समय और वर्ष का अर्थ है के तुमने साधना करके वह मांग लिया जिसे तुम एक अपना स्वप्न समझते हो ।
आज के समय मे मेरा बहोत लोग विरोध कर रहे है क्युके मैं लोगो को ज्यादा समय नही दे सकता हूं परंतु एक दिन में 20-25 फोन रोज उठाता हूँ और यह कार्य मैं पिछले 10 वर्षों से कर रहा हूँ । मेरे तरफ से सभी क्रियाये निःशुल्क होती है सिर्फ साधना सामग्री का न्यौछावर राशि ही लेता हूँ क्युके मुझे सामग्री का खर्च भी व्यय करना होता है ताकि आपको साधना में सफलता मिल सके ।
आज तक जिन्होंने भी भी मुझसे सामग्री प्राप्त की है उनमें से 80-90 प्रतिशत लोगो को सफलता प्राप्त हुआ है । यह सब तो मातारानी जो का कृपा से हुआ है,अतः आखिर इस जीवन मे उन्होंने जो दिया वही सही है ।
यह पंन्ध्रिया यंत्र साधना जो पंचदशी यंत्र नाम से तंत्र के जगत में सर्वोत्तम मानी जाती है वही आपको दे रहा हूँ,आप चाहो तो कॉपी-पेस्ट करके जहा चाहो वहां पोस्ट कर सकते हो परंतु इसको ज्यादा-से-ज्यादा लोगो तक पहोचा दो ।
साधना सामग्री-स्फटिक माला,भोजपत्र,अनार की कलम,एक ताबीज,लाल रंग का मजबूत धागा,माँ लक्ष्मी जी का चित्र और प्रसाद जो भी आप चढ़ा सकते हो ।
साधना का समय-यह साधना आपको दिवाली के रात्रि में सिंह लग्न में करना है या फिर महानिशिता काल मे साधना संपन्न करे, इस वर्ष महानिशिता का 23.33 से 24.23 बजे का है । यह 50 मिनटों का समय आपके जीवन को बदल देगा ।
साधना के नियम-मन को शांत रखे,अपने अनुभव शेयर ना करे,साधना को करते समय बुरे विचारों को दूर रखें, जो भी मनोकामना हो उस पर ध्यान केंद्रित रहे,साधना में पवित्रता ओर शुद्धता आवश्यक है,पिले रंग का आसन ओर वस्त्र भी हों,इस दिन प्याज और लहसुन का हो सके तो सिर्फ एक दिन के लिये त्याग करें ।
साधना विधि-
अनार के कलम से और अष्टगंध के स्याही से आपको भोजपत्र पर पंचदशी यंत्र बनाना है,यहां आज यंत्र बनाने की विधि बता रहा हूँ - यंत्र लिखते समय सबसे छोटा अंक पहिले लिखे जैसे पंचदशी यंत्र में सबसे छोटा अंक 1 है तो एक लिखने के बाद यँत्र में दिए हुए स्थान के हिसाब से फिर दो लिखना है,इस तरह से पंचदशी यँत्र में 1 से लेकर 9 तक अंक लिखने है । मैं यहां पंचदशी यँत्र का फोटो भी दे रहा हूं ।
यंत्र को निर्माण करने के बाद प्राण-प्रतिष्ठा मंत्र बोलकर यँत्र पर कुंकुम से रंगे हुए चावल चढ़ाये ।
प्राण प्रतिष्ठा मंत्र-
ॐ आं ह्रीँ क्रौँ यं रं लं वं शं षं सं हं सः सोऽहम् पंचदशी यंत्रस्य प्राणा इह प्राणाः।
ॐ आं ह्रीँ क्रौँ यं रं लं वं शं षं सं हं सः पंचदशी यंत्रस्य जीव इह जीव स्थितः।
ॐ आं ह्रीँ क्रौँ यं रं लं वं शं षं सं हं सः पंचदशी यंत्रस्य सर्वेंद्रियाणि इह सर्वेंद्रियाणि।
वाङ्मनस्त्वक् चक्षुः श्रोत्र जिह्वा घ्राण वाक्प्राण पाद्पायूपस्थानि इहैवागत्य सुखं चिरं तिष्ठंतु स्वाहा।
सिर्फ इतना ही मंत्र बोलना काफी है और अगर साधक चाहे तो यह मंत्र 15 बार बोलकर यँत्र पर चावल चढ़ा सकता है ।
दाहिने हाथ मे जल लेकर विनियोग मंत्र बोलकर जल को जमीन पर छोड़ दे ।
विनियोग:-
अस्य श्री पंचदशी मंत्रस्य दक्षिणा मूर्ति ऋषि: पंक्ति: छन्दा: त्रिपुरा देवतामम्हं जन्मानि कामना सिद्धये एतावत्संख्याकयंत्र पूजनपूर्वक जपे विनियोग : ।।
अब दोनो हाथ जोडकर ध्यान मंत्र बोलना है ओर एक पुष्प यंत्र पर रख दे।
ध्यान मंत्र:-
बालार्कायुंत तेजसं त्रिनयना रक्ताम्ब रोल्लासिनों।
नानालंक ति राजमानवपुशं बोलडुराट शेखराम्।।
हस्तैरिक्षुधनु: सृणिं सुमशरं पाशं मुदा विभृती।
श्रीचक्र स्थित सुंदरीं त्रिजगता माधारभूता स्मरेत्।।
यह पंचदशी मंत्र है,इसका कम से कम 11 माला जाप करे ।
पंचदशी मंत्र
।। ॐ श्रीं ऐं ह्रीं पंचदश्यै स्वाहा ।।
Om shreem aim hreem panchdashyai swaha
दूसरे दिन सुबह स्नान के बाद यँत्र को ताबीज में डालकर पहन लीजिए और हो सके तो यँत्र धारण करने के बाद भी मंत्र का एक माला जाप कार्तिक पौर्णिमा तक अवश्य करे । माला को संभाल कर रखे ताकि अन्य साधनाओ में उसका इस्तेमाल हो सके ।
आप सभी को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं.....
आदेश.......