27 Mar 2017

कुंडलिनी तंत्र ज्योतिष


ग्रह दोष लक्षण:-

१. सूर्य दोष के लक्षण:- असाध्य रोगों के कारण परेशानी, सिरदर्द, बुखार, नेत्र संबंधी कष्ट, सरकार के कर विभाग से परेशानी, नौकरी में बाधा ।
२. चंद्रमा दोष के लक्षण:- जुखाम, पेट की बीमारियों से परेशानी, घर में असमय पशुओं की मत्यु की आशंका, अकारण शत्रुओं का बढ़ना, धन का हानि ।
३. मंगल दोष के लक्षण:- घर में चोरी होने का डर, घर-परिवार में लड़ाई-झगड़े की आशंका, भाई के साथ संबंधों में अनबन, दांपत्य जीवन में तनाव, अकाल मृत्यु की आशंका ।
४. बुध दोष के लक्षण: स्वभाव में चिड़चिड़ापन, जुए-सट्टे के कारण धन की बड़ी हानि, दांत से जुड़े रोगों के कारण परेशानी सिर दर्द. अधिक तनाव की स्थिति ।
५. गुरू दोष के लक्षण:- सोने की हानि, चोरी की आशंका उच्च शिक्षा की राह में बाधाएं झूठे आरोप के कारण मान-सम्मान में कमी पिता को हानि होने की आशंका ।
6. शुक्र दोष के लक्षण:- बिना किसी बीमारी के अंगूठे, त्वचा संबंधी रोगों से परेशानी, राजनीति के क्षेत्र में हानि, प्रेम व दापंत्य संबंधों में अलगाव जीवनसाथी के स्वास्थ्य को लेकर तनाव,प्रेम में असफलता ।
७. शनि दोष के लक्षण: पैतृक संपत्ति की हानि, हमेशा बीमारी से परेशानी मुकदमे के कारण परेशानी बनते हुए काम का बिगड़ जाना ।
८. राहु दोष के लक्षण: मोटापेके कारण परेशानी अचानक दुर्घटना, लड़ाई-झगड़े की आशंका हर तरह के व्यापार में घाटा ।
९. केतु दोष के लक्षण: बुरी संगत के कारण धन का हानि जोड़ों के दर्द से परेशानी संतान का भाग्योदय न होना, स्वास्थ्य के कारण तनाव ।


ग्रहों से उत्पन्न बीमारी :-

१. सूर्य : मुँह में बार-बार थूक इकट्ठा होना, झाग निकलना, धड़कन का अनियंत्रित होना, शारीरिक कमजोरी और रक्त चाप।
२. चंद्र : दिल और आँख की कमजोरी।
३. मंगल : रक्त और पेट संबंधी बीमारी, नासूर, जिगर, पित्त आमाशय, भगंदर और फोड़े होना।
४. बुध : चेचक, नाड़ियों की कमजोरी, जीभ और दाँत का रोग।
५. बृहस्पति : पेट की गैस और फेफड़े की बीमारियाँ।
६. शुक्र : त्वचा, दाद, खुजली का रोग।
७. शनि : नेत्र रोग और खाँसी की बीमारी।
८. राहु : बुखार, दिमागी की खराबियाँ, अचानक चोट, दुर्घटना आदि।
९. केतु : रीढ़, जोड़ों का दर्द, शुगर, कान, स्वप्न दोष, हार्निया, गुप्तांग संबंधी रोग आदि।


लग्न स्थान से उत्पन्न रोग :-

* मेष लग्न के लिए एलर्जी, त्वचा रोग, सफेद दाग, स्पीच डिसऑर्डर, नर्वस सिस्टम की तकलीफ आदि रोग संभावित हो सकते हैं।
* वृषभ लग्न के लिए हार्मोनल प्रॉब्लम, मूत्र विकार, कफ की अधिकता, पेट व लीवर की तकलीफ और कानों की तकलीफ सामान्य रोग है।
* मिथुन लग्न के लिए रक्तचाप (लो या हाई), चोट-चपेट का भय, फोड़े-फुँसी, ह्रदय की तकलीफ संभावित होती है।
* कर्क लग्न के लिए पेट के रोग, लीवर की खराबी, मति भ्रष्ट होना, कफजन्य रोग होने की संभावना होती है।
* सिंह लग्न के लिए मानसिक तनाव से उत्पन्न परेशानियाँ, चोट-चपेट का भय, ब्रेन में तकलीफ, एलर्जी, वाणी के दोष आदि परेशानी देते हैं।
* कन्या लग्न के लिए सिरदर्द, कफ की तकलीफ, ज्वर, इन्फेक्शन, शरीर के दर्द और वजन बढ़ाने की समस्या रहती है।
* तुला लग्न के लिए कान की तकलीफ, कफजन्य रोग, सिर दर्द, पेट की तकलीफ, पैरों में दर्द आदि बने रहते हैं।
* वृश्चिक लग्न के लिए रक्तचाप, थॉयराइड, एलर्जी, फोड़े-फुँसी, सिर दर्द आदि की समस्या हो सकती हैं।
* धनु लग्न के लिए मूत्र विकार, हार्मोनल प्रॉब्लम, मधुमेह, कफजन्य रोग व एलर्जी की संभावना होती है।
* मकर लग्न के लिए पेट की तकलीफ, वोकल-कॉड की तकलीफ, दुर्घटना भय, पैरों में तकलीफ, रक्तचाप, नर्वस सिस्टम से संबंधित परेशानियाँ हो सकती हैं।
* कुंभ लग्न के लिए कफजन्य रोग, दाँत और कानों की समस्या, पेट के विकार, वजन बढ़ना, ज्वर आदि की संभावना हो सकती है।
* मीन लग्न के लिए आँखों की समस्या, सिर दर्द, मानसिक समस्या, कमर दर्द, आलस्य आदि की समस्या बनी रह सकती है।


नवग्रहों को एक साथ प्रसन्न करना थोड़ा मुश्किल है। आप अपनी कुंडली के कमजोर ग्रहों को पहले प्रसन्न कीजिए । कुंडली में नवग्रहों से सम्बंधित उपाय करते रहने से तुम्हारी जिंदगी उपाय करने में निकल जाएगी । इससे अच्छा तो हमें वह मंत्र पता होना चाहिए जो हमारे जीवन के सभी सुखों को प्रदान करे और इसके लिए हमें पता होना चाहिये के "कौनसा ऐसा ग्रह है जो जीवन में हमें पूर्ण रूप से साहय्यक हो" । मेरा एक ही मानना है ,लग्न स्थान को मजबूत करो ताकी तुम्हे जीवन में कोई भी ग्रह परेशान ना कर सके । ज्योतिष शास्त्र में अगर तंत्र को जोड़ दिया जाये तो सही परिणाम प्राप्त हो सकते है और सिर्फ ग्रहों से संबंधित जाप करने से ही अगर ग्रहों का प्रसन्न होकर फल देना संभव होता तो आज भारत में सभी ज्योतिषी उच्च पद पर होते । मेरे 12 वर्ष की आयु में  कुंडली को देखकर एक ज्योतिषी महाराज ने कुछ ऐसा फलकथन कर दिया था जिसे सुनकर मेरा जीने का उद्देश्य ही ख़त्म हो गया था और उनकी तो ज्यादातर बाते मेरे 19 साल के उम्र तक 80-90% सही थी । परंतु एक समय येसा भी आया जब जीवन में गुरु मिले,उनसे ज्ञान मिला और तबसे अब तक का जीवन सफलता पूर्वक व्यतीत हो रहा है । मुझे जो कुछ चाहिए वह मैं ग्रह देवता से मांगता हूं क्योंके अन्य देवी /देवताओ को देने में समय ज्यादा लगता है परंतु ग्रहदेवताओ का कार्य "तुरंत दान,तुरंत फल" जैसा है । पुराणों के नुसार तो देवी/देवताओ के भी ग्रह है और ग्रहों ने उन्हें भी पीड़ित किया है,तो हमारे जैसे साधारण मनुष्यो की तो खैर नहीं है ।
रत्न विज्ञान को मैं सही मानता हूं परंतु आज के समय में उचित रत्न बड़े महेंगे है,हर कोई व्यक्ति महेंगे रत्न धारण नहीं कर सकता है । "यथा पिंडे,तथा ब्रम्हांडे" यह शास्त्रोक्त कथन है और इसका अर्थ है जो हमारे शरीर में है वही ब्रम्हांड में है । अगर शरीर में किसी भी प्रकार की ऊर्जा कम हो जाए तो विपरीत परिस्थिति का जीवन में सामना करना पड़ता है । हमें कई प्रकार की ऊर्जा ब्रम्हांड से प्राप्त होती है और यह ऊर्जा पूर्ण रूप से प्राप्त ना होती हो तो हमारे ऋषिओ ने इसके लिए कुछ मंन्त्रो ज्ञान प्रदान किया है । यह वह बिजोक्त मंत्र है जो कुंडलिनी शक्ति से सबंधीत है और इन मंत्रों का संपुट किसी शक्ति मंत्र में किया जाए तो वह बिज मंत्र अत्यंत शक्तिशाली हो जाते है । इस प्रकार के मंत्र जाप से नवग्रह अपना फल अच्छा ही देते है इसमें कोई संशय नहीं है,सिर्फ हमें पता होना जरुरी है के हमें किस ग्रह का जाप करने से जीवन में अनुकूल परिणाम प्राप्त हो सकते है । रत्न रुद्राक्ष और उपायो से बहोत समय लग जाता है परंतु मंत्र के माध्यम से शीघ्र अनुकूल परिणाम प्राप्त किये जा सकते है ।

जो व्यक्ति अपनी कुंडली दिखवाना चाहता है उन्हें अवश्य ही विधि-विधान के साथ "कुंडलिनी शक्ति बिज मंत्र से संपुटित देवी जगदम्बा जी" का मंत्र दिया जाएगा । यह गोपनीय मंत्र है जो अवश्य ही जीवन में सहायता करता है ,विशेष ग्रह संबंधित मंत्रो के माध्यम से हमें अनुकूल परिणाम प्राप्त होते है । आपके कुंडली का अध्ययन करने बाद ही आपको विशेष ग्रह का मंत्र विधान दिया जाएगा,निशुल्क में कुंडली देखी नहीं जायेगी,इसके लिए 1150/-रुपये का न्यौछावर राशि लिया जाएगा । निशुल्क में आज से 2 वर्ष पहिले मै कुंडली देखता था परंतु अब यह संभव नहीं है क्योके निशुल्क में चाहे मै कितना भी अध्ययन करके मंत्र विधान दे दू तो लोगो को उसकी कोई कीमत नहीं है इसलिए आगे भी कोई व्यक्ति मुझे अपनी कुंडली निशुल्क में देखने हेतु विनती ना करे । आपसे प्राप्त धनराशि को मातारानी के मंदिर में गुप्तदान स्वरूप में समर्पित किया जायेगा ताकी आपका भविष्य उज्वल हो और आप को कितना भी कहा जाए "मंदिर में गुप्तदान किया करो,तो आप करोगे नहीं",इसलिए मेरे हिसाब से यह तरिका सही है ।


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आदेश..........