यह एक विशेष साधना है,जिसको सिर्फ चंद्रग्रहण पर ही शुरू किया जा सकता है,अन्य समय पर शुरुआत करने से लाभ प्राप्त करना कठिन है। यहा दिया जाने वाला लीलावती अप्सरा मंत्र पुर्ण और प्रामाणिक है,जिससे साधक को अवश्य ही लाभ प्राप्त हो सकता है।
11 फरवरी 2017 को सुबह चंद्रग्रहण है मतलब 10 फरवरी को रात्रि मे 12 बजे के बाद,यहा चंद्रग्रहण का समय दे रहा हूं।
उपच्छाया से पहला स्पर्श - 04:06
परमग्रास चन्द्र ग्रहण - 06:14
उपच्छाया से अन्तिम स्पर्श - 08:22
उपच्छाया की अवधि - 04 घण्टे 16 मिनट्स 27 सेकण्ड्स है।
साधना के लाभ:
जो व्यक्ति पूर्ण रूप से हष्ट पुष्ट होते हुए भी आकर्षक व्यक्तित्व न होने के कारण अन्य लोगों को अपनी और आकर्षित नहीं कर पाते हैं तथा हीनभावना से ग्रस्त होते हैं , इस साधना के प्रभाव से उनका व्यक्तित्व अत्यंत आकर्षक व चुम्बकीय हो जाता है तथा उनके संपर्क में आने वाले सभी लोग उनकी और आकर्षित होने लगते हैं । जो मन के अनुकूल सुंदर जीवन साथी पाना चाहते हैं किन्तु किसी कारणवश यह संभव न हो रहा हो, इस साधना के प्रभाव से उनको मन के अनुकूल सुंदर जीवन साथी प्राप्त होने की स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं और मनचाहा जीवनसाथी मिल जाता है ।
जिस व्यक्ति के वैवाहिक, पारिवारिक, सामाजिक जीवन में क्लेश व तनाव की स्थिति उत्पन्न हो, इस साधना के प्रभाव से उनके वैवाहिक, पारिवारिक व सामाजिक जीवन में प्रेम सौहार्द की स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं !
जो व्यक्ति अभिनय के क्षेत्र में सफल होने की इच्छा रखते हैं किन्तु सफल नहीं हो पाते हैं, इस साधना के प्रभाव से उनके अंदर उत्तम अभिनय की क्षमता की वृद्धि होने के साथ-साथ अभिनय के क्षेत्र में सफल होने की स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं । जो व्यक्ति युवावस्था में होने पर भी पूर्ण यौवन से युक्त नहीं होते हैं, इस साधना से उनके अंदर उत्तम यौवन व व्यक्तित्व निखर आता है ।
जो व्यक्ति सुन्दर रूप सौन्दर्य की इच्छा रखते हैं किन्तु प्रकृति द्वारा कुरूपता से दण्डित हैं, इस साधना के प्रभाव से उनके अंदर आकर्षक रूप सौन्दर्य निखर आता है । जो व्यक्ति कार्यक्षेत्र में मन के अनुकूल अधिकारी या सहकर्मी न होने के कारण असहज परिस्थियों में नौकरी करते हैं, या नौकरी चले जाने का भय रहता है, इस साधना के प्रभाव से उनके अधिकारी व सहकर्मी उनके साथ मित्रवत हो जाते हैं तथा नौकरी चले जाने का भय भी समाप्त हो जाता है ।
जो व्यक्ति ऐसा मानते हैं कि वह अन्य लोगों को अपनी बात या कार्य से प्रभावित नहीं कर पाते हैं, इस साधना के प्रभाव से उनका व्यक्तित्व अत्यंत आकर्षक व चुम्बकीय हो जाता है तथा उनके संपर्क में आने वाले सभी लोग उनकी और आकर्षित होकर उनकी बातों या कार्य से प्रभावित होने लगते हैं ।
उपरोक्त विषयों में अत्यंत कम समय में ही अपेक्षित परिणाम देकर आनंदमय जीवन को प्रशस्त करने वाली यह लीलावती अप्सरा साधना अवश्य ही संपन्न कर लेनी चाहिए, जिससे निश्चित ही आप अपनी इच्छा की पूर्णता को प्राप्त कर सकते हैं व आनंदमय भौतिक जीवन व्यतीत कर सकते हैं । क्योंकि अप्सराएं सौन्दर्य, यौवन, प्रेम, अभिनय, रस व रंग का ही प्रतिरूप होती हैं, अतः इनका प्रभाव जहाँ भी होता है वहां पर सौन्दर्य, यौवन, प्रेम, अभिनय, रस व रंग ही व्याप्त होता है ।
लीलावती अप्सरा की साधना अनेक रूपों में की जाती है, जैसे माँ, बहन, पुत्री, पत्नी अथवा प्रेमिका के रूप में इनकी साधना की जाती है ओर साधक जिस रूप में इनको साधता है ये उसी प्रकार का व्यवहार व परिणाम भी साधक को प्रदान करती हैं, अप्सराओं को पत्नी या प्रेमिका के रूप में साधने पर साधक को कोई कठिनाई या हानी नहीं होती है, क्योंकि यह तो साधक के व्यक्तित्व को इतना अधिक प्रभावशाली बना देती हैं कि साधक के संपर्क में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति अप्सरा साधक के मन के अनुकूल आचरण करने लगता है । अप्सरा को प्रत्यक्ष सिद्ध कर लिए जाने पर वह अपने गुण, धर्म, प्रभाव व सीमा के अधीन बिना किसी बाध्यता के अपनी सीमाओं के अधीन साधक की सभी इच्छाओं की पूर्ति करती है । माँ के रूप में साधने पर वह ममतामय होकर साधक का सभी प्रकार से पुत्रवत पालन करती हैं तो बहन व पुत्री के रूप में साधने पर वह भावनामय होकर सहयोगात्मक होती हैं ओर पत्नी या प्रेमिका के रूप में साधने पर उस साधक को उनसे अनेक सुख प्राप्त हो सकते हैं ।
साधना विधी:-
यह साधना ग्रहण शुरुआत होने के कुछ ही समय पहिले ही शुरू करना है,जैसे 5-10 मिनट पुर्व शुरु कर सकते है और ग्रहण के समाप्ति के बाद भी 5-10 मिनट तक मंत्र जाप करते रहना है। मंत्र जाप बिना किसी माला के जाप करना भी सम्भव है। साधना करने हेतु किसी बाजोट पर पिला वस्त्र बिछाये और उसके उपर एक चमेली के फुलो का माला रखे,किसी प्लेट मे कुछ मिठाइयाँ रखे,एक छोटे ग्लास मे पानी रखें। बडा सा दिपक जलाये जो ग्रहण काल तक चलता रहे और दिपक मे शुद्ध देसी गाय के घी का ही उपयोग करें। धूप कोई भी चलेगा और साधना काल मे बुझ जाये तो कोई चिंता का बात नही है। मंत्र जाप उत्तर दिशा के तरफ ही मुख करके करना है,आसन वस्त्र का कोई बंधन नही है,किसी भी रंग के ले सकते हो । यह एक दिवसीय साधना है परंतु साधक चाहे तो चंद्रग्रहण के बाद भी नित्य जब तक चाहे तब तक मंत्र जाप कर सकता है।
मंत्र:-
।। ॐ हूं हूं लीलावती कामेश्वरी अप्सरा प्रत्यक्षं सिद्धि हूं हूं फट् ।।
om hoom hoom lilaawati kaameshwari apsaraa pratyaksham siddhi hoom hoom phat
साधना समाप्ति के बाद रखा हुआ मिठाइयों का भोग स्वयं ग्रहण करले और ग्लास मे रखा हुआ जल पिपल के पेड़ के जड पर चढा दे,जल चढाने के बाद भगवान श्रीकृष्ण जी से मन ही मन साधना सफलता हेतु प्रार्थना करें। साधना से आपको अपने जिवन मे परिवर्तन नजर आयेगा,इस साधना से किसी प्रकार का कोई नुकसान नही होता है सिर्फ अप्सरा प्रति स्वयं का भावना शुद्ध रखें। जब भी जिवन मे किसी विशेष मनोकामना को पुर्ण करवाना हो तो शुक्रवार या सोमवार के रात्री मे 9 बजे के बाद अप्सरा से प्रार्थना करते हुए मंत्र का 1 घण्टे तक जाप करने से आपका कोई भी मनोकामना शिघ्र ही पुर्ण हो सकता है। मंत्र जाप से पहिले वही विधी करना है जैसे हमने चंद्रग्रहण के समय किया था। जो साधक अप्सरा को प्रत्यक्ष सिद्ध करना चाहते है उन्हे यह साधना कम से कम नित्य रात्रिकाल मे 2-3 घण्टे तक करते रहना चाहिए। येसा कम से कम 21 दिनो तक करने से लीलावती अप्सरा का प्रत्यक्षीकरण होना सा सम्भव है। यह विशेष साधना करने से आपको बहोत सारी अनुभुतिया हो सकती है,जिसमे आपको सुगंध का एहसास हो सकता है और पायल/घुंगरु के बजने का आवाज भी आसकता है।
आप सभी को साधना मे अवश्य ही सफलता प्राप्त हो,यही मातारानी से प्रार्थना है।
आदेश..........