प्रत्येक साधक अपने जीवन में यह चाहता है कि उसे महाविद्याओं की साधना में सफलता प्राप्त हो और वह जीवन में दैविक शक्ति के सहयोग से भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करें ,पहली बार जब किसी हिरण शावक ने संसार में नेत्र खोला और अंगड़ाई लेकर उठा तो माता मृग के सामने आई और स्तन पान कराकर उसकी क्षुधा शांत की। संसार में आने पर मां के ही सुखद, स्नेहशील स्पर्श से वह आनन्दित हुआ। धीरे-धीरे उसे बोध होने लगा कि मां के रहते उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता। इस तरह जीवन में निर्भय और मुक्त होते हुए कुलांचे भर्ता हुआ हिरण शावक बचपन की खुशियों में खो गया।
मनुष्य का मूल स्वभाव है शिशुवत् रहना। प्यार से कोई उसको बेटा कह देता है तो कितना भी बड़ा व्यक्ति क्यों न हो, मन एक बार पुलकित हो जाता है। इसके पीछे छुपी होती है व्यक्ति के अंदर वात्सली और प्रेम को पा लेने की इच्छा और उसमें अपने आपको सुरक्षित कर लेने की भावना, मां के ममतामयी आँचल के तले शिशु अपने आपको निश्चिन्त महसूस करता है। उसको कोई कर्तव्य बोध तो होता नहीं है, तरह-तरह की शैतानियां करके भी वह मां की गोद में दुबक कर एकदम से निश्चिन्त हो जाता है क्योंकि वह जानता है कि रक्षक के रूप में मां उसके साथ खड़ी हैं। साधक के अन्दर भी एक शिशु छुपा होता है, जिससे वह विराट शक्ति को मातृ स्वरूप में देखता है और वह शक्ति मातृ स्वरूप जगदम्बा का स्वरूप ही होता है।
शक्ति मातृ स्वरूप जगदम्बा दस दिशाओं के अनुसार दस महाविद्याओं का रूप धारण करती है। जिन्हें महाकाली, तारा, श्री विद्या, त्रिपुरसुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर-भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला के नाम से जाना जाता है।
1.महाकाली:
महाकाली तंत्र की दस महाविद्याओं में सबसे श्रेष्ठ हैं, जो अपने साधक को तुरंत परिणाम देती हैं। वे अपने साधक को वह सब कुछ दे सकती हैं जो इस संसार में जीने के लिए आवश्यक है। वे शनि ग्रह के बुरे प्रभाव से सुरक्षा प्रदान करती हैं और मनुष्य की सभी इच्छाओं को पूरा कर सकती हैं। वे अपने साधक को नाम, प्रसिद्धि, धन समृद्धि प्रदान करती हैं। उनकी साधना प्राप्त करने से साधक को सभी अष्ट सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। वे रोग दूर करती हैं, शत्रुओं का नाश करती हैं, तांत्रिक बाधाओं को दूर करती हैं, गलतफहमी दूर करती हैं और तांत्रिक ज्ञान प्रदान करती हैं। महाकाली साधना से समस्त कामनाओं की पूर्ति होती है। जब जीवन में प्रबल पुण्योदय होता है तभी साधक ऐसी प्रबल महिषासुर मर्दिनी, वाक् सिद्धि प्रदायक महाकाली साधना सम्पन्न करता है। महाकाली साधना को रोग मुक्ति, शत्रु नष्ट, तंत्र बाधा, भय, वाद-विवाद, धन हानि, कार्य सिद्धि, तन्त्र ज्ञान के लिए किया जाता है।
2.तारा:
तारा देवी को साधक को सर्वांगीण समृद्धि प्रदान करने वाली देवी कहा जाता है। वे वाणी, सुख और मोक्ष की शक्ति प्रदान करती हैं। तांत्रिक विधि से शत्रुओं के नाश के लिए भी उनकी पूजा की जाती है। दस महाविद्या साधना बृहस्पति ग्रह के अशुभ प्रभावों को दूर करती है। व्यवसाय में वृद्धि, नाम और प्रसिद्धि के लिए व्यवसायी को इसकी पूजा करनी चाहिए। तारा महाविद्या साधना आर्थिक उन्नति एवं अन्य बाधाओं के निवारण के लिए की जाती है। इस साधना के सिद्ध होने पर साधक के जीवन में आय के नित्य नये स्रोत खुलने लगते हैं और ऐसा माना जाता है कि माँ भगवती तारा प्रसन्न होकर नित्य साधक को दो तोले सोना प्रदान करती है, जिससे साधक किसी भी प्रकार से दरिद्र न रहे ऐसा साधक पूर्ण ऐश्वर्यशाली जीवन व्यतीत कर जीवन में पूर्णता प्राप्त करता है और जीवन चक्र से मुक्त हो जाता है ।
3.त्रिपुरसुंदरी:
त्रिपुर सुंदरी को षोडशी भी कहा जाता है, क्योंकि उनमें सोलह अलौकिक शक्तियां समाहित हैं। सोलह अक्षरों वाले मंत्र से युक्त षोडशी के अंग उगते सूर्य के समान चमकते हैं। उनके चार हाथ और तीन आंखें हैं। वे कमल के फूल पर विराजमान हैं, जो शांत मुद्रा में लेटे हुए शिव के शरीर पर रखा हुआ है। उनके प्रत्येक हाथ में पाश, अंकुश, धनुष और बाण है। अपने भक्तों पर कृपा बरसाने के लिए सदैव तत्पर रहने वाली, उनका स्वरूप पूर्णतया गंभीर और सौम्य है तथा उनका हृदय करुणा से भरा हुआ है। दस महाविद्या साधना बुध ग्रह के अशुभ प्रभावों को दूर करती है। त्रिपुरसुंदरी महाविद्या की साधना से जीवन में सौन्दर्य, काम, सौभाग्य व शरीर सुख के साथ-साथ वशीकरण, सरस्वती सिद्धि, लक्ष्मी सिद्धि, आरोग्य आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। वास्तव में त्रिपुर सुन्दरी साधना को राजराजेश्वरी कहा गया है क्योंकि यह अपनी कृपा से साधारण व्यक्ति को भी राजा बनाने में समर्थ हैं।
4.भुवनेश्वरी:
भुवनेश्वरी देवी को तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) की महारानी कहा जाता है। भुवनेश्वरी साधना से चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, कर्म, मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह भुवनेश्वरी महाविद्या त्रि-शक्ति स्वरूप महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती के रूप में पूजी जाती है, इनकी साधना से जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
5.छिन्नमस्ता:
छिन्नमस्ता महाविद्या की साधना से जीवन में सौन्दर्य, काम, सौभाग्य व आसुरी शक्तियों की प्राप्ति होती है। वास्तव में छिन्नमस्ता महाविद्या उच्चकोटि की महातंत्र साधना है जिसके करने से ऐसा कुछ रह ही नहीं जाता जो मनुष्य चाहता हो। यह साधना भौतिक और पूर्ण आध्यात्मिक उन्नति देने वाली साधना कही जाती हैं।
6.त्रिपुर भैरवी:
त्रिपुर भैरवी महाविद्या महाकाली स्वरूप ही मानी जाती है। जिनकी साधना कल्पवृक्ष के समान शीघ्र फलदायी मानी गयी हैं। इस साधना को रोग मुक्ति, शत्रु नष्ट, तंत्र बाधा, भय, वाद-विवाद, धन हानि, कार्य सिद्धि, तन्त्र ज्ञान के लिए किया जाता है।
7.धूमावती:
महाविद्या धूमावती, जो भगवान शिव की विधवा, कुरूप तथा अपवित्र देवी है, जिनका स्वरूप अत्यंत ही क्रोधित है, जो अपने शत्रु के लिए सदा भूखी रहती है। जिनकी साधना करने से सभी प्रकार के शत्रु जड़ से समाप्त हो जाते है। बर्बाद हो जाते है और इस लायक नहीं रहते की कभी सामने उपस्थित हो, आजकल के घोर कलयुग में इस साधना को अवश्य ही करना चाहिये।
8.बगलामुखी:
दस महाविद्या में आठवें स्थान पर बगलामुखी विराजमान है, इनकी साधना से शत्रु की बुद्धि, मति, दंत तालु, गति स्तंभित हो जाती है, शत्रु पशु की तरह आपके सामने रहता है और कभी भविष्य में आपको हानि पहुँचाने की कोशिश नहीं करता। यह साधना शीघ्र प्रभाव दिखाती है जो शत्रु को नष्ट करके धन, कार्य सिद्धि, लक्ष्मी प्राप्ति के नित्य नयें रास्ते खोल देती है।
9.मातंगी:
मातंगी महाविद्या साधना से तन्त्र असुरी, संगीत तथा ललित कलाओं में महारत प्राप्त होती है जो संगीत कलाओं में निपुण बनना चाहते हो उन्हें यह साधना अवश्य ही करनी चाहिए। इस साधना के द्वारा पूर्ण ग्रहस्त सुख की प्राप्ति होती है। जिनके घर में कलह बनी रहती है उन्हें यह साधना अवश्य ही करनी चाहिये।
10.कमला:
कमला महाविद्या की साधना से जीवन में सुख, सौभाग्य, धन, लक्ष्मी, भूमि, वाहन, संतान, प्रतिष्ठा आरोग्य आसानी से प्राप्त किया जा सकता है, वास्तव में कमला साधना को “कमलेश्वरी” कहा गया है क्योंकि यह साधना साधारण व्यक्ति को भी राजा बनाने में समर्थ हैं।
यह महाविद्या संसार की श्रेष्ठ साधना हैं, जिन्हें करके व्यक्ति अपनी भौतिक, आध्यात्मिक उन्नति कर सकता है।
जो भी साधक दस महाविद्या साधना करना चाहते है उन्हें अवश्य ही निःशुल्क मार्गदर्शन किया जाएगा।
फोन नंबर: 8421522368
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