14 Dec 2022

विशेष नवग्रह मंत्र साधना.


जीवन मे व्यस्तता के कारण ब्लॉग पर आर्टिकल नही लिख सका इसके लिए आप सभी से क्षमाप्रार्थी हु परंतु अवश्य ही अगले वर्ष 2023 में हर महीने एक आर्टिकल लिखने की कोशिश करुंगा । आज के समय मे सभी के जीवन मे ग्रहों की विपरीत परिस्थितियों के कारण हलचल मची हुई है,अशांति का माहौल बन रहा है,90% लोगो के काम होते होते रुक रहे है । यहां हम सभी का जीवन ग्रहों के कृपा से चले तो अवश्य ही अच्छा रहता है परंतु ग्रहों की अवकृपा हो तो जीवन संघर्षमय बन जाता है,जो दुख और पीड़ाओं से असन्तुलित हो जाता है । आज हम नववर्ष पर संकल्प लेंगे की वर्ष 2023 पूर्णताः खुशियों से भरा हुआ हो और इसके लिए इसी वर्ष हम नवग्रह मंत्र साधना अवश्य करेंगे ।

व्यक्ति का जब जन्म होता है उस समय आकाश
मण्डल में ग्रहों की स्थिति का विवरण ही जन्म
कुण्डली कहलाता है अर्थात् जन्म कुण्डली
आकाशीय मण्डल का नक्शा हैऔर यही नक्शा पढ़कर भूत भविष्य वर्तमान का कथन किया जाता है।
जन्म कुण्डली का आधार 12 राशियां 27 नक्षत्र
और 9 ग्रह एवं 12 लग्न हैं। जिनके द्वारा गणना
करने से व्यक्ति को अपने जीवनकाल का पता चलता है, जन्म के
समय ग्रहों की स्थिति के अनुसार वे व्यक्ति पर
शुभ एवं अशुभ प्रभाव डालते हैं।
पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है और एक वर्ष
में पूरा एक चक्कर काटती है, इस चक्कर वाले
रास्ते को भू-चक्र कहते हैं इस भू-चक्र को
ज्योतिषियों ने 12 भागों में बांटा जिसे जन्म
कुण्डली में भाव कहा जाता है। ज्योतिष एक विज्ञान है जो हमारे ऋषियों से प्राप्त वरदान है।

यह नवग्रह व्यक्ति पर अपना निश्चित रूप से
शुभ एवं अशुभ प्रभाव डालते हैं, इन ग्रहों के
अशुभ प्रभाव से अवतारी व्यक्ति भी नहीं बच
सके। जैसे भगवान राम जी को 14 वर्ष वनवास हुआ,भगवान कृष्ण जी को कारागृह में जन्म लेना पड़ा,भीष्म पितामह जी को बाणों की शय्या पर मृत्यु प्राप्त हुई,ऐसे हजारो उदाहरण हैं। केवल मंत्र साधना द्वारा इनके प्रभाव को ठीक किया जा सकता है। कुछ ज्योतिषी व्यक्ति को रत्न धारण करने की सलाह देते हैं। उनके इस विचार से में पूर्णतया सहमत नहीं हूं
ज्योतिष का ज्ञान सागर के समान है,जिसमें
गोते लगाने वाले व्यक्ति को अनेको नये अनुभव
और ज्ञान प्राप्त होता हैं। नौ ग्रहों में से प्रत्येक ग्रह
व्यक्ति पर कुछ शुभ और कुछ विपरीत प्रभाव
डालता है। यह सब व्यक्ति के पूर्वजन्म के कर्मो का फल या फिर इस जन्म कर्म का फल भी कह सकते है। यदि कोई ग्रह आपकी जन्म कुण्डली में अशुभ
स्थान पर बैठा है तो उसको अपने अनुकूल
करने के लिये आप उसका रत्न धारण नहीं कर
सकते जबकि कुछ लोग हर ग्रह के लिये रत्न
धारण करने की सलाह देते हैं,जो उपयुक्त नहीं
है। उदाहरण के लिए यदि कोई आपका शत्रु है
और आप उसके हाथ में बन्दूक देगा तो वह तो
आपको ही समाप्त कर देगा। उस व्यक्ति को
अपने अनुकूल करने के लिये आपको उसकी
सोच, आपके प्रति उसके विचार बदलने होंगे,
ठीक इसी प्रकार से ज्योतिष में भी विपरीत ग्रहों को
धारण करके बलवान नहीं बना सकते हैं बल्कि मंत्र
साधना द्वारा आप ग्रहों को अनुकूल कर सकते
हैं। यदि आपका कोई पड़ोसी आपके प्रति
विपरीत विचार रखता है किन्तु आप प्रति दिन
उसके प्रति सकारात्मक भाव रखें तो एक दिन
उसका नजरिया आपके प्रति अवश्य बदल जाता
है, इसी प्रकार यदि कोई ग्रह आपके शत्रु भाव में
है तो प्रतिदिन आप उस ग्रह का मंत्र जप करके
उसे अपने अनुकूल बना सकते हैं। इस संसार मे परेशानी चाहे कितनी ही बड़ी क्यो न हो याद रखिए उस परेशानी से निपटने के लिए ऋषिमुनियों के आशीर्वाद से मंत्र साधनाएं आज भी उपलब्ध है ।


साधना विधान

नवग्रह शांति जीवन में भाग्योदय के द्वार
खोलती है,जीवन मे शुभ फल देती है, अनिष्ट का नाश करती है और जीवन को पूर्ण बनाती है । इसी कारण प्रत्येक पूजन, यज्ञ कसे पूर्व नवग्रह शांति पाठ सम्पन्न किया जाता है। नवग्रह शांति से ग्रहों के कुप्रभावों से अवश्य ही बचा जा सकता है, पारिवारिक जीवन में आने वाली बाधाओं से पीड़ाओं से छुटकारा मिलता है और जीवन में उन्नति के नये आयाम खुलते हैं। ग्रहों की
अनुकूलता से लक्ष्य को पाने में असफल व्यक्ति भी जल्द ही लक्ष्य को प्राप्त कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कर लेता है।

इस साधना को किसी भी शुभ मुहूर्त (सिद्धि
योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, द्विपुष्कर, त्रिपुष्कर,
पुष्य, गुरु पुष्य या अमृत योग) में सम्पन्न
किया जा सकता है। यह साधना को प्रातः काल में
सम्पन्न करने से उचित फल मिलता है इसलिए साधक को प्रातः काल मे साधना करनी चाहिए। साधना करने से पूर्व ही अपने पूजा स्थान को साफ स्वच्छ कर लें।
साधना स्थल का वातावरण सुगंधित एवं
आनन्दमय होना चाहिए ताकि साधना में आपका मन लगे ।
साधक सफेद वस्त्र धारण कर उत्तराभिमुख
होकर अपने पूजा स्थान में सफेद आसन पर
बैठ जाएं और अपने सामने बाजोट पर सफेद वस्त्र स्थापित कर लें। सामने शिवलिंग को किसी पात्र मे रखे, चाहे पात्र स्टील का हो या फिर तांबे पीतल का हो चलेगा और शिवलिंग का पूजन सम्पन्न कर
शिव जी से साधना में सफलता का आशीर्वाद मांगे और साधना प्रारंभ करे ।
शिवलिंग के सामने धूप, दीप (घी का)
प्रज्वलित कर लें, मिठाई प्रसाद मे रखिये जिसे साधना के बाद साधक को नित्य ग्रहण करना है, हो सके तो अवश्य ही बेलपत्र भी चढाये।

प्रत्येक ग्रह मंत्र का 11 बार जप करते हुए
शिवलिंग पर  कुंकुम, अक्षत एवं पुष्प चढाये,अगर आपको मंत्र उच्चारण में कठिनाई आये तो आप 108 बार ॐ नमः शिवाय का भी जाप करके पूजन कर सकते है।

नवग्रह मंत्र इस प्रकार से हैं-

सूर्य- ॥ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ॥
चन्द्र - ॥ ॐ ऐं क्लीं सोमायै नमः॥
मंगल - ॥ॐ हुं श्रीं मंगलाय नमः॥
बुध - ॥ॐ ऐं स्त्रीं श्रीं बुधायै नमः॥
गुरु - [॥ॐ ऐं क्लीं बृहस्पत्यै नमः॥
शुक्र - ॥ॐ ह्रीं श्रीं शुक्रायै नमः॥
शनि - ॥ॐ ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चरायै नमः॥
राहु - ॥ॐ ऐं ह्रीं राहवे नमः॥
केतु - ॥ॐ केतवे ऐं सौ: स्वाहा ॥


नवग्रह मंत्रों से शिव पूजन के पश्चात्
रुद्राक्ष माला से दिये गये नवग्रह मंत्र की 11 माला जप अवश्य करें.

विशेष नवग्रह मंत्र-

॥ ॐ श्रीं क्लीं सूर्य चन्द्र भौम बुध गुरु शुक्र
शनीश्चराय राहु केतु मुंथा सहिताय क्लीं नमः ॥

Om shreem kleem Surya Chandra bhoum budha guru shukra shanishcharaay raahu ketu munthaa sahitaaya kleem namah


मंत्र जप के पश्चात् माला को सुरक्षित स्थान पर रख दें तथा शेष सामग्री को जल में विसर्जित कर दें। इस साधना में साधक को 11 दिन तक नित्य माला से उपरोक्त नवग्रह मंत्र का 11 माला जप करना चाहिए। इस प्रकार इस साधना में उपरोक्त मंत्र की 121 माला
का जप बताया गया है। मूल साधना के पश्चात्
नित्य क्रम में केवल 1 माला मंत्र जप सम्पन्न करना बताया गया है। आप 121 माला मंत्र जप अपनी सुविधानुसार भी सम्पन्न कर सकते हैं। जैसे नित्य 11 माला जाप नही कर सकते है तो 3,5,7 या हो सके तो 21 माला तक नित्य जाप कर सकते है।

अन्य किसीभी मार्गदर्शन हेतु आप संपर्क कर सकते है ।


आदेश.....

1 Aug 2022

मोरपंख (peacock feathers magic) का जादू.




हिन्दू धर्म में मोर के पंखों का विशेष महत्व है। मोर के पंखों में सभी देवी-देवताओं और सभी नौ ग्रहों का वास होता है। ऐसा क्यों होता है, हमारे धर्म ग्रंथों में इससे संबंधित कथा है ... 
 
भगवान शिव ने मां पार्वती को पक्षी शास्त्र में वर्णित मोर के महत्व के बारे में बताया है। प्राचीन काल में संध्या नाम का एक असुर हुआ था। वह बहुत शक्तिशाली और तपस्वी असुर था। गुरु शुकाचार्य के कारण संध्या देवताओं का शत्रु बन गया था।
 
संध्या असुर ने कठोर तप कर शिवजी और ब्रह्मा को प्रसन्न कर लिया था। ब्रह्माजी और शिवजी प्रसन्न हो गए तो असुर ने कई शक्तियां वरदान के रूप में प्राप्त की। शक्तियों के कारण संध्या बहुत शक्तिशाली हो गया था। शक्तिशाली संध्या भगवान विष्णु के भक्तों का सताने लगा था। असुर ने स्वर्ग पर भी आधिपत्य कर लिया था, देवताओं को बंदी बना लिया था। जब किसी भी तरह देवता संध्या को जीत नहीं पा रहे थे, तब उन्होंने एक योजना बनाई।
 
योजना के अनुसार सभी देवता और सभी नौ ग्रह एक मोर के पंखों में विराजित हो गए। अब वह मोर बहुत शक्तिशाली हो गया था। मोर ने विशाल रूप धारण किया और संध्या असुर का वध कर दिया। तभी से मोर को भी पूजनीय और पवित्र माना जाने लगा।
 
 ज्योतिष शास्त्र में भी मोर के पंखों का विशेष महत्व बताया गया है। यदि विधिपूर्वक मोर पंख को स्थापित किया जाए तो घर के वास्तु दोष दूर होते हैं और कुंडली के सभी नौ ग्रहों के दोष भी शांत होते हैं।  

घर का द्वार यदि वास्तु के विरुद्ध हो तो द्वार पर तीन मोर पंख स्थापित करें।
 
 सूर्य के लिए : 

रविवार के दिन नौ मोर पंख लेकर आएं और पंख के नीचे मैरून रंग का धागा बांध लें। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ नौ सुपारियां रखें, गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
 
ॐ सूर्याय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
इसके बाद दो नारियल सूर्य भगवान को अर्पित करें।
 
 
चंद्र के लिए : 

सोमवार को आठ मोर पंख लेकर आएं, पंख के नीचे सफेद रंग का धागा बांध लें। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ आठ सुपारियां भी रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
 
ॐ सोमाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
पान के पांच पत्ते चंद्रमा को अर्पित करें। बर्फी का प्रसाद चढ़ाएं।
 
मंगल के लिए : 

मंगलवार को सात मोर पंख लेकर आएं, पंख के नीचे लाल रंग का धागा बांध लेँ। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ सात सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें…
 
ॐ  भू पुत्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
 
पीपल के दो पत्तों पर चावल रखकर मंगल ग्रह को अर्पित करें। बूंदी का प्रसाद चढ़ाएं।
 
बुध के लिए : 

बुधवार को छ: मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे हरे रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ छ: सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
 
ॐ बुधाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
जामुन बुध ग्रह को अर्पित करें। 
केले के पत्ते पर रखकर मीठी रोटी का प्रसाद चढ़ाएं।
 
गुरु के लिए : 

गुरुवार को पांच मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे पीले रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ पांच सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
 
ॐ बृहस्पते नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
ग्यारह केले बृहस्पति देवता को अर्पित करें।
बेसन का प्रसाद बनाकर गुरु ग्रह को चढ़ाएं।
 
शुक्र के लिए : 

शुक्रवार को चार मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे गुलाबी रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंखों के साथ चार सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
 
ॐ शुक्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
तीन मीठे पान शुक्र देवता को अर्पित करें।
गुड़-चने का प्रसाद बना कर चढ़ाएं।

शनि के लिए : 

शनिवार को तीन मोर पंख ले कर आएं। पंख के नीचे काले रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ तीन सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें-
 
ॐ शनैश्वराय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
तीन मिटटी के दीपक तेल सहित शनि देवता को अर्पित करें।
गुलाब जामुन या प्रसाद बना कर चढ़ाएं। इससे शनि संबंधी दोष दूर होता है।

राहु के लिए : 

शनिवार को सूर्य उदय से पूर्व दो मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे भूरे रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ दो सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें…
 
ॐ राहवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
चौमुखा दीपक जलाकर राहु को अर्पित करें।
कोई भी मीठा प्रसाद बनाकर चढ़ाएं।
 
केतु के लिए :

शनिवार को सूर्य अस्त होने के बाद एक मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे स्लेटी रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंख के साथ एक सुपारी रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
 
ॐ केतवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
पानी के दो कलश भरकर राहु को अर्पित करें।
फलों का प्रसाद चढ़ाएं।




Peacock feathers have special significance in Hindu religion. In the peacock feathers, all the gods and goddesses and all nine planets are inhabited. Why does this happen, in our religious texts there is a related story ...

Lord Shiva told Mother Parvati about the importance of the peacock as described in bird science. In ancient times, there was an Asura named Sandhya. He was very powerful ascetic. Due to Guru Shukacharya, Sandhya became the enemy of Gods.

Sandhya Asur had made Shiva and Brahma happy by harsh tenacity. When Brahmaji and Shiva were pleased, Asura got many powers in the form of boon. Due to strengths Sandhya became very powerful. Lord Vishnu devotees were tortured and harrassed. Asur also possessed heaven, made the gods captive. Whenever the gods were not able to win Sandhya, they made a plan.

According to the plan all the gods and all the nine planets became entrenched in the wings of a peacock. Now the peacock became very powerful. Peacock took a huge look and killed Sandhya. Since then, peacocks have also been considered sacred and devoted.

In astrology, peacock feathers have also been shown to have special significance. If peacock feathers are established, the Vastu defects of the house are removed and all the nine planets in the horoscope are also calmer.

If the door of the house is against Vaastu, then set up three peacock feathers at the door.

For Sun:

On Sunday, bring nine peacock feathers and wrap the maroon colored thread under the wings. After this, place nine supari’s with wings in a plate, chanting this mantra 21 times spraying ganga water.

Om Surya Namah Jagraya Sthapaya Swaha:

After this, offer two coconut to the God Sun.

For the Moon:

Bring eight peacock feathers on Monday, bundle the white thread under the wings. After this, place eight betel leaves with wings in a plate. Chant this mantra 21 times spraying the Ganga Water.

Om Somaye Namah Jagraya Sthapaya Swaha:

Offer five leaves of paan to the moon. Offer barfi to Moon as prasad.

For Mars:

On Tuesday, bring seven peacock feathers, bind the red thread under the wings. After this, place seven suparias with wings in a plate. Chanting this mantra 21 times spraying the Ganga Water.

Om Bhu Putraye Namah Jagraya Sthapye Swaha:

Put rice on Peepal leaves and offer Mars to Mars. Offerings of Bundi  should be made.

For Mercury:

On Wednesday bring six peacock feathers. Tie green thread under the wings. Place six Suparias with wings in a plate. Chant this mantra 21 times spraying the Ganges water or any holy water.

Om Buddhaye Namah Jagraya Sthapye Swaha:

Offer black berries to the planet Mercury.
Offer sweetened bread offerings on the banana leaves.

For the Guru:

On Thursday, bring five peacock feathers. Tie a yellow thread under the wings. Put five beetle nuts with wings in a plate. Chant this mantra 21 times spraying the Ganges water or any holy water.

Om Brihaspat Namah Jagraya Sthapaye Swaha:

Offer eleven bananas to the god Jupiter.
Make offerings of thimgs made of Besan and offer it to the Guru Planet.

For Venus:

O Friday bring four peacock feathers. Bind a pink thread under the wings. Place four beetle nuts in one plate with the wings. Chant this mantra 21 times spraying the Ganges water or any holy water.

Om Shukraya Namah Jagraya Sthapaye Swaha:

Offer three sweet beeteal (paan) to Venus.
Make offerings by making gurh-gram (Gud Chana) offerings.

For Saturn:

On Saturday Bring three peacock feathers. Bind with black thread under the wings. Put three beetle nuts in one plate with wings. Chant this mantra 21 times spraying gangaajal -

Om Shaneshwariya Namah Jagraya Sthapaye Swaha:

Offer lighted three clay lamp filled wth mustard oil.
Make Gulab Jamuns and offer to lord Saturn. It removes saticuline defects.

For Rahu:

Before sunrise on Saturdays, bring two peacock feathers. Bind the brown thread under the wings. Put two betel leaves with wings in a plate. Chanting this mantra 21 times spraying the Ganges water or any holy water.

Om Rahave Namah Jagraya Sthapaye Swaha:

Offer Chhamukha lamp to Rahu.
Make any sweet offerings and offer them.


For Ketu:

After sunset on Saturday, bring a peacock feather. Bind the gray thread under the wings. Place a betel nut with a feather in the plate. Chant this mantra 21 times spraying the Ganges water or any holy water.

Om Ketave Namah Jagraya Sthapaye Swaha:

Offer two pots filled with water to Rahu.
Offer offerings of fruits.


आदेश.....

संपर्क (contact)- 8421522368

29 Jun 2022

महाभैरव शाबर मंत्र साधना.

 महाभैरव साधना



मानव अपने जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं, बाधाओं, परेशानियों, दुःखों से प्रतिपल संघर्षरत रहता ही है। व्यक्ति का पूरा जीवन इनको समाप्त करने, इन पर विजय प्राप्त करने में ही बीत जाता है। नित्य प्रति व्यक्ति इन्हें सुलझाने का प्रयास करता है, पर वह उतना ही ज्यादा उनमें उलझता जाता है, कोई उपाय जब उसकी बुद्धि के अनुसार सफल नहीं हो पाता, तब वह हार कर देवी-देवताओं की आराधना करने लगता है, क्योंकि जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए आवश्यक है, कि मानव मानसिक रूप से पूर्ण स्वस्थ हो और किसी भी प्रकार का तनाव उसको नहीं हो, तभी वह निश्चिंतता पूर्वक सभी समस्याओं का हल प्राप्त कर सकता है।


इस प्रकार की स्थिति प्रदान करने में साधना पक्ष का सहारा लेना मनुष्य के लिए अत्यधिक हितकारी होता है, अब यहां प्रश्न यह उठता है कि हमारे सामने तो सैकड़ों प्रकार की साधनाएं हैं और प्रत्येक ही अपने आपमें महत्वपूर्ण और तेजस शक्तियों से युक्त हैं, ऐसी स्थिति में हम अपने जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए, वह भी विशेष कर शत्रुओं पर पूर्ण विजय प्राप्त करने के लिए, अपने जीवन की समस्त विपत्तियों का नाश करने के लिए साथ ही अपने बालकों की सुरक्षा करने के लिए जो साधना अत्यधिक उपयुक्त हो, उसका चयन कैसे करें ?


ऐसी स्थिति में व्यक्ति का ध्यान सर्वप्रथम 'भैरव साधना' की ओर ही आकृष्ट होता है। वैसे भी देखा जाए तो एक भी ऐसा गाँव नहीं है, जहां भैरव का मंदिर न हो। जन-जन के देवता के रूप में भैरव के प्रति लोगों की आस्था जुड़ी हुई है।


विभिन्न तांत्रिक ग्रंथों में चाहे वह 'तंत्र चूड़ामणि' हो अथवा किसी भी ऋषि-मुनि के द्वारा रचित साधना विधान हो। प्रत्येक देवी-देवता के पूजन के पूर्व गुरु, गणपति एवं भैरव पूजन अनिवार्य होता ही है, क्योंकि भैरव समस्त प्रकार के शत्रुओं का नाश करने में पूर्ण सक्षम होते हैं। 'भैरव तंत्र' के अनुसार - भैरव साधना सम्पन्न करने से मनुष्य को अपने जीवन में निम्न लाभ प्राप्त होते हैं ।


(1) मानसिक कष्ट एवं संताप का नाश । 

 

(2) समस्त प्रकार के उपद्रवों का नाश। 

 

(3) शरीर स्थित रोगों का नाश । 

 

(4) सामाजिक शत्रुओं का नाश ।

 

(5) समस्त प्रकार के कर्जों की समाप्ति । 

 

(6) शासन की ओर से आने वाली अकारण बाधाओं का नाश ।

 

(6) मुकदमे में विजय । 

 

(7) अकाल मृत्यु निवारण | 

 

(8) वृद्धावस्था के समय व्याप्त होने वाले रोगों का नाश । बालकों की सर्वविधि रक्षा के लिए । 

 

(9) व्यवसाय में आनेवाली बाधाओं का नाश ।

 

(10) परिवार तथा स्वयं के ऊपर आने वाली बाधा या तंत्र बाधा का नाश ।

 

( 11 ) विपत्ति को पहले से ही समाप्त करने के लिए। किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचाव के लिए ।

 

यहां शत्रु "नाश" का अर्थ शत्रु समाप्ति नही है,शत्रुत्व समाप्ति है ।

 

ऐसे अनेक लाभ महाभैरव साधना से साधक को प्राप्त होते ही है। 

 

भैरव तंत्र में ही वर्णन आता है, कि जो व्यक्ति अपनेआप के प्रति सजग एवं चैतन्य होता है, वह निश्चित रूप से महाभैरव साधना सम्पन्न करता ही है, क्योंकि उसे अपना जीवन प्रिय होता है, अपने बच्चों का जीवन प्रिय होता है, पूरे परिवार का जीवन प्रिय होता है। यदि कोई शत्रु हो तो सर्वविधि वध शत्रुदोष समाप्त करने के लिए भी भैरव साधना उपयुक्त है। इसके अलावा भैरव दिवस पर प्रत्येक उच्चकोटि के संन्यासी महाभैरव साधना सम्पन्न करते ही हैं, जिससे उन्हें अपने द्वारा की जा रही समस्त प्रकार की साधनाओं में किसी भी प्रकार की विपत्ति का सामना न करना पड़े। 

 

समाज में पूर्ण सम्माननीय स्थान प्राप्त व्यक्ति भी निश्चित रूप से भैरव साधना सम्पन्न करता ही है। इस प्रकार समस्त व्यक्तियों का अनुभव यही है कि कलियुग में महाभैरव साधना अतिशीघ्र लाभदायक होती है। महाभैरव साधना करने के लिये कोई विशेष विधि-विधान की आवश्यकता नहीं होती है। 

 

साधना विधि 

 

(1) महाभैरव यंत्र, रुद्राक्ष माला ,महाभैरव कंगण इन तीनो सामग्रियों का प्रयोग इस साधना में किया जाता है। भैरव तंत्र में वर्णित विशिष्ट मंत्रों से अनुप्राणित इन सामग्रियों को आप पहले से ही प्राप्त कर लें।

 (2) स्नान आदि से निवृत्त होकर, साफ-स्वच्छ वस्त्र पहिन कर साधना में प्रवृत्त हो। 

 (3) धोती आप लाल या काली इन दोनों में से किसी भी रंग की पहिने । 

 (4) पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठे। 

 (5) अपने सामने किसी प्लेट में काले तिल की एक ढेरी निर्मित करें और उस पर 'महाभैरव यंत्र' स्थापित करें। महाभैरव यंत्र के ऊपर ही 'महाभैरव कंगण"' स्थापित करें। 

 (6) काले रंग में रंगे हुए अक्षत एवं काली सरसों चढ़ाकर यंत्र और कंगण का पूजन करें।

(7) गुड़ से बने नैवेद्य का भोग लगायें। 

(8) पूजन करने के पश्चात् निम्न महाभैरव मंत्र का 'रुद्राक्ष माला' से 1 या 3 माला मंत्र जप शाबर मंत्र का अपनी सामर्थ्य एवं कार्य की कठिनता को देखते हुए सम्पन्न करें। 

(9) मंत्र जप सम्पन्न करते समय आपको हिलना डुलना नहीं है। 

(10) भैरव यंत्र की ओर अपलक देखते हुए मंत्र जप को करना है ।

 (11) मंत्र जप समाप्ति के पश्चात् महाभैरव से अपनी जिस इच्छा को, जिस कामना को लेकर अपने साधना सम्पन्न की है, उसे पूर्ण करने के लिए पुन: प्रार्थना करें। 

 (12) जिस दिन आप इस साधना को सम्पन्न करे, उसके ठीक ग्यारहवे दिन के बाद रात्रि में हवन करना है । हवन सामग्री हेतु फोन पर संपर्क करे । 

 (13) यह साधना किसी भी शनिवार के दिन अथवा किसी भी मास की कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली अष्टमी को तथा भैरवाष्टमी के दिन रात्रि 9 बजे के पश्चात् तथा सुबह 3 बजे के बीच में सम्पन्न की जाती है। 

 

 पूर्ण श्रद्धा भावना के साथ इस साधना को सम्पन्न करने पर 15 दिन के अन्दर - अन्दर लाभ प्राप्त होने लगता हैं । जो शाबर मंत्र महाभैरव साधना में आपको दिया जाएगा वह अत्यंत गोपनीय है और यह मंत्र सिर्फ साधना सामग्री के साथ ही दिया जाएगा क्योके ऐसे तिष्ण और प्रामाणिक शाबर मंत्र बिना साधना सामग्री के जपने नही चाहिए अन्यथा लाभ के स्थान पर हानि की संभावनाये ज्यादा हैं । इसलिए सर्वप्रथम फोन पर संपर्क करे, मार्गदर्शन जो निःशुल्क है, वह प्राप्त करे, फिर साधना सामग्री के साथ महाभैरव शाबर मंत्र प्राप्त करे । मंत्र ब्लॉग पर पोस्ट करना संभव नही है ।


 नोट:-इस एक मंत्र साधना से षट्कर्म सम्भव है ।

फ़ोन नम्बर :-        8421522368

साधना सामग्री न्योच्छावर राशि: "3800/-रुपये" ।




आदेश......

22 Feb 2022

वशीकरण साबर मंत्र,षटकर्म भाग-2.

द्वितीय क्रिया शाबर वशीकरण मंत्र




वश्यं जनानां सर्वेषां वात्सल्य हृद्-गतं-स्मृतम् ।

(सांख्यायन तंत्र)


वश्यं जनानां सर्वेषां विधेयत्वमुदीरितम् ।

(उड्डीश तंत्र)


राजअर्थात् जिससे सभी जीवों (स्त्री-पुरुषों) को वश में किया जाता है और सबके हृदय में अपने प्रति वात्सल्य (प्रेम) पैदा किया जाता है उसे वशीकरण कहते हैं। स्त्री-पुरुष वशीकरण, -वशीकरण, आकर्षण, मोहन आदि वश्य-कर्म के भेद हैं।


उपरोक्त मंत्र से यह स्पष्ट है कि वशीकरणा साधना प्रेम की साधना है। संसार के सारे प्राणियों को प्रेम से वश में किया जा सकता है। लेकिन यदि कोई व्यक्ति काम इत्यादि भाव से अथवा बुरे विचार रखता है तो उसे लाभ के स्थान पर हानि भी हो सकती है। शुद्ध भाव से प्रेम में सफलता राज्यकार्य में सफलता, परिवार में अनुकूलता, मित्रों से सहयोग इत्यादि कार्य हेतु ही यह वशीकरण साधना सम्पन्न करनी चाहिये।


साधना विधान:-


साधक किसी भी माह के शनिवार को रात्रि में 10 बजे के पश्चात् शुद्ध पवित्र होकर पश्चिम दिशा की ओर मुख कर अपने सामने लकड़ी के एक बाजोट पर लाल वस्त्र बिछा दें।


इसके पश्चात साधक अपने सामने रखे बाजोट पर एक सरसों की ढेरी बनाकर उस पर मोहिनी वशीकरण यंत्र स्थापित करें, यंत्र का फोटो व्हाट्सएप पर दिया जाएगा और आपको वैसा ही यंत्र भोजपत्र पर अष्टगंध की स्याही से घर पर ही किसी शुभमुहूर्त में बनाना है । अब यंत्र के सामने सफेद आक की जड़ स्थापित कर दें। साधक जिन व्यक्तियों को अपने वश में करना चाहता है अथवा अपने अनुरूप करना चाहता है उन सभी के नाम एक कागज पर काजल से लिख कर यंत्र के नीचे रख दें। अब साधक यंत्र का पूजन कुंकुम, चावल से करें तथा घी का दीपक जलाएं । इस साधना में विशेष बात यह है कि मंत्र जप दीपक की लो को देखते हु ही करना है। सामान्य साधक के लिये यह संभव नहीं है क्योंकि मंत्र थोड़ा बड़ा है और याद रखना संभव नहीं है। अतः प्रत्येक बार मंत्र जप के पश्चात् दीपक की लौ की ओर अवश्य देख लें। इसके बाद साधक रुद्राक्ष माला से निम्न मंत्र की 1 माला मंत्र जप करें।


मंत्र


।। ॐ नमो आदेश गुरु को,चल चल रे मोहन्या बिर मोहन का काम करने चल अमुक को मेरा मोह लगा मेरे वश में कर सोते सुख ना बैठे सुख फिर फिर देखे मेरा मुख सम्मोहन का बाण चला मेरे से आकर्षित कर इतना काम ना करे तो मांगनी के कुंड में पड़े दुहाई महादेव पार्वती की इतने पर भी काम ना करे तो पिता से वैर करे महादेव की जटा टूट तेरे पर पड़े फुरो बंगाली मंत्र ईश्वरो वाचा छू ।।




मंत्र जप के पश्चात जिस पर वशीकरण क्रिया करनी है उसका नाम लिखा हुआ कागज सफेद आक की जड़ के साथ बांध कर अपने आज्ञा चक्र से 11 बार स्पर्श कराये और मन में यह भावना व्यक्त करें कि इस साधना के फलस्वरूप यह व्यक्ति पूर्ण रूप से मेरे आकर्षण, सम्मोहन, मोहन में मुझसे बंध जाये ।


यह साधना उतने दिनों तक कर सकते हैं, जब तक पूर्ण सफलता प्राप्त नहीं हो तथा 21 दिन बाद सफेद आक की जड़ को माला सहित जल में प्रवाहित कर दें।



नोट: मोहिनी वशीकरण यंत्र का फ़ोटो व्हाट्सएप पर निःशुल्क दिया जाएगा,इस यंत्र को आपको स्वयं बनाना है ।


Contact and whatsapp number

+91 8421522368



आदेश......

26 Jan 2022

षट्कर्म साबर मंत्र साधना-भाग 1.

 प्रथम क्रिया शांति कर्म




नाना रोगः कृतिमष्ट नाना चेष्टा क्रमेण च ।

विष-भूत निराशः शान्तिरीरिता ।।

रोग-कृत्या ग्रहादीनां निरासः शान्तिरीरिता ।।


अर्थात् नाना प्रकार के रोग, नाना प्रकार की चेष्टाओं (क्रियाओं, विधियों) से निर्मित विष, भूत आदि प्रयोगों (अभिचार) कृत्या और दुष्ट ग्रहों का निराकरण करना शान्ति कर्म कहा जाता है।


(ब्लॉग पर हम षट्कर्म साधनाये देने वाले है,यह प्रथम साधना है, इसके बाद वशीकरण साधना पोस्ट किया जाएगा)


साधना विधान


इस प्रयोग को किसी भी सोमवार अथवा बुधवार को सम्पन्न किया जा सकता है। यह साधना रात्रि अथवा प्रातः काल दोनों ही समय सम्पन्न की जा सकती है। इस साधना में वस्त्र के रंग का महत्व नही है,वस्त्र किसी भी रंग का पहन सकते है । साधना वाले दिन साधक स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूर्व दिशा की ओर मुंह कर बैठ जाएं। अपने सामने एक लकड़ी के बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर भगवती काली विग्रह अथवा चित्र स्थापित करें।  इसके पश्चात् साधक अपने दाहिने हाथ में जल लेकर अपनी कामना बोलकर जल को भगवती के चित्र के सामने छोड़ दीजिए ।


इसके पश्चात् साधक बाजोट पर आयताकार रूप में चावल को फैला दें। इस आयत के मध्य पीपल के एक पत्ते को रख कर उस पर एक सुपारी स्थापित करें। सुपारी पर कुमकुम से रंगे चावल चढ़ाये और एक पुष्प चढ़ाये ।

अब मुख्य सुपारी के आठो दिशाओ के तरफ शांति, श्रद्धा, कीर्ति, लक्ष्मी, घृति, दया, तुष्टि और पुष्टि के स्वरूप की स्थापना आठ सुपारी रख कर करें। इनका पूजन करते समय निम्न मंत्र का आह्वान करें।


ॐ शांत्यै नमः 11 बार ,

ॐ श्रद्धायै नमः 11बार,

ॐ कीर्त्यै नमः 11 बार,

ॐ लक्ष्म्यै नमः 11 बार,

ॐ धृत्यै नमः 11 बार,

ॐ दयायै नमः 11 बार,

ॐ तुष्टयै नमः 11 बार,

ॐ पुष्टयै नमः 11 बार जपे,


इस प्रकार प्रार्थना करने से ये शक्तियां स्थापित होती है तदन्तर मुख्य सुपारी का फिर से कुंकुम, अक्षत, रक्त चंदन इत्यादि से पंचोपचार पूजन करें। पूजन के समय निरन्तर अक्षत चढ़ाते रहें। इसके पश्चात् मुख्य मंत्र का जप करें। शांति कर्म में रुद्राक्ष माला का प्रयोग किया जा सकता है । एक ही स्थान पर बैठे - बैठे 1 माला मंत्र जप अवश्य करें । यह विधान कम से कम सात दिन तक सम्पन्न करना चहिये। यदि नियमित रूप से सात दिन संभव ना हो तो वे भाग में कर सकते हैं।


मंत्र


।। ॐ नमो आदेश गुरु को काली काली महाकाली कावड़ देश बंगाल वाली, आवो माता कृपा करो दुःख बांधो भूत प्रेत पिशाच बांधो दुष्ट ग्रहो का फल बांधो अभिचार कर्म का असर बांधो आयी बला बांधो बुरी नजर बांधो दरिद्रता बांधो कौन बांधे माता काली बांधे ना बांधे तो महादेव की आन गुरु गोरखनाथ की आन गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मंत्र ईश्वरी वाचा छू ।।


इस मंत्र के जप से रोगों का नाश होता है तथा दुष्ट ग्रह अनुकूल होते हैं। जब भी विपरीत स्थिति का अनुभव करें तो मुख्य सुपारी के आगे रुद्राक्ष माला से इस मंत्र का जप अवश्य करें।


जिस घर में साधना पूर्ण होने के बाद मुख्य सुपारी को पूजा स्थान में स्थापित किया जाता है उस घर में भूत-प्रेत इत्यादि आ नहीं सकते हैं। प्रत्येक साधक के लिये यह साधना आवश्यक है ।


साधनात्मक मार्गदर्शन हेतु निःशुल्क मार्गदर्शन किया जाएगा ।


आदेश.......