एकमप्यक्षरं यस्तु गुरुः शिष्ये निवेदयेत् ।
पृथिव्यां नास्ति तद् द्रव्यं यद्दत्वा ह्यनृणी भवेत् ॥
अर्थ :
गुरु शिष्य को जो एखाद अक्षर भी कहे, तो उसके बदले में पृथ्वी का ऐसा कोई धन नहीं, जो देकर गुरु के ऋण में से मुक्त हो सकें ।
यह मेरा प्रिय श्लोक है और इसी श्लोक के वजेसे मैं अपने जीवन मे गुरु मुख से प्राप्त प्रत्येक अक्षर का महत्व समझ सका । मेरे गुरु ने मुझे शाबर मंत्रों का श्रेष्ठ ज्ञान प्रदान किया,ऐसा दुर्लभ ज्ञान प्राप्त करने हेतु मुझे सर्वप्रथम गुरु चरणों मे समर्पित होना पड़ा । गुरु से प्राप्त सभी आज्ञाओ का मान रखते हुए उन्हें पालन करना एक अलग प्रकार का कर्तव्य होता है और इस कर्तव्य को ही कर्म बना लिया जाए तो गुरु अवश्य ही प्रसन्न होकर शिष्य को अपना सब कुछ प्रदान कर देते है ।
दुग्धेन धेनुः कुसुमेन वल्ली शीलेन भार्या कमलेन तोयम् ।
गुरुं विना भाति न चैव शिष्यः शमेन विद्या नगरी जनेन ॥
अर्थ- जैसे दूध बगैर गाय, फूल बगैर लता, शील बगैर भार्या, कमल बगैर जल, शम बगैर विद्या और लोग बगैर नगर शोभा नहीं देते, वैसे ही गुरु बिना शिष्य शोभा नहीं देता।गुरुं विना भाति न चैव शिष्यः शमेन विद्या नगरी जनेन ॥
इसलिए जीवन मे गुरु की आवश्यकता बहोत जरूरी है,जीवन मे एक बार तो गुरु बनाने ही चाहिए ताकि सम्पूर्ण जीवनभर आपको गुरु मार्गदर्शन करते रहे । संसार की समस्त विद्याएं गुरु मुख से प्राप्त ना हो तो वह एक प्रकार का मोह और माया है जो आपको सिद्धी के चक्कर कटवाती है । गुरु मुखी मंत्र स्वयं चैतन्य और जागृत होते है,जिनका गुरु के निर्देशानुसार जाप करने से पूर्ण सफलता मिल सकती है । जिन्होंने जीवन मे गुरु दीक्षा प्राप्त नही की हो उन्हें शाबर गुरु सिद्धी मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।
अब हम बात करेंगे " जिन्होंने जीवन मे गुरु दीक्षा प्राप्त की है उनके लिए " क्युके आज का विषय रहस्यमय है,यह आर्टिकल नए-पुराने साधको के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है । सभी तंत्र साधको के पास वह अद्वितीय मंत्र होना चाहिए जिससे उनके गुरु जागे उनके दादा गुरु भी जागे मतलब गुरु परंपरा को जागृत करना ताकि आपके मार्गदर्शन एवं साधना सिद्धी हेतु गुरुत्व जागृत होकर आपको सफलता मीले । एक ऐसा मंत्र होना चाहिए जिससे गुरुमुखी मंत्र विद्या भी शीघ्र जागृत हो क्योके बहोत सारे आजकल के गुरुओं ने भी मंत्र विद्या उनके गुरु के मतलब आपके दादा गुरु के मुख से प्राप्त नही की हुई है । हो सकता है आपके दादा गुरु ने भी मंत्र विद्या गुरुमुख से प्राप्त ना कि हो इसलिए आपको भी मंत्र सिद्धी में परेशानीया आ रही होंगी । गुरु शिष्य को गुरुमंत्र तो दे देते है परंतु शिष्य को तुरंत स्वीकार नही करते है,कभी कभी शिष्य को शिष्य रूप में स्वीकार करने में गुरुओ को अधिक समय लग जाता है इसलिए शिष्यों का समय मंत्र सिद्धि में ज्यादा खर्च होता है और मंत्र सिद्धी असफलता के कारण शिष्य गुरु से दूरी बना लेता है, इसलिए एक ऐसा भी मंत्र हो कि संसार मे जो गुरुत्व की ऊर्जा है वह हमें शिष्य रूप में स्वीकार करे । साथ मे एक ऐसा भी मंत्र हो जिससे प्राप्त किया हुआ गुरुमंत्र भी चैतन्य हो जाये ताकि आप गुरुमंत्र जाप के माध्यम से अनेकानेक साधनाओ में पूर्ण सफलता प्राप्त कर सको ।
ऐसे मंत्र सिर्फ शाबर मंत्र विद्या में ही प्राप्त हो सकत्ये है अन्यत्र कही नही,ऊपर मैने चार प्रकार के मंत्रो का उल्लेख किया है जो प्रत्येक साधक के लिए अमृत से भी बढ़कर है । शाबर मंत्र विद्याओ में इस चारो उल्लेखोंका एक ही मंत्र है,जिससे गुरु-महागुरु जागृत होते है,यहां महागुरु का अर्थ दादा गुरु होता है । जिससे गुरुमुखी गुरु विद्या सिद्ध होती है,ब्रम्हांडिय गुरुत्व की महान ऊर्जा साधक को शिष्य रूप में स्वीकार करती है,जिससे गुरु से प्राप्त गुरुमंत्र भी चैतन्य होता है । यह शाबर मंत्र अत्यंत दुर्लभ है और इस मंत्र को प्राप्त करने से साधक को संसार के सभी शाबर मंत्र साधनाओ में सफलता मिलती है । इस मंत्र का साधक को 1100 बार जाप करना आवश्यक होता है,साधना में साधक को पीले वस्त्र और आसन कि भी आवश्यकता होती है,साधक का मुख उत्तर दिशा में हो,साधना करते समय गाय के घी का ही इस्तेमाल करे और सुगंधित धूपबत्ती लगाकर वातावरण को अनुकूल करे । साधना किसी भी सोमवार या गुरुवार से प्रारंभ कर सकते है,जाप का समय सुबह या फिर रात्रि में ही मान्य रहेगा दोपहर में कदापी नही । मंत्र जाप हेतु गुरु गोरखनाथ जी के गुरुभक्ति मंत्र से ही प्राण-प्रतिष्ठित माला का प्रयोग करने से सफलता मिलती है,रुद्राक्ष के माला पर शाबर गुरुभक्ति मंत्र का जाप किया जाता है जिससे माला में गोरखनाथ जी के शक्ति का तत्व समाहित होता है । इस माला को हमारे यहां "गोरखरुद्राक्ष माला" कहते है जो संसार के सभी शाबर मंत्रो में सिद्धी हेतु पूर्ण सहाय्यक है । गोरखरुद्राक्ष माला बनाने हेतु सर्वप्रथम सर्वश्रेष्ठ दिन का महत्व माना जाता है और इस माला को बनाने हेतु शिवरात्रि या फिर महाशिवरात्रि सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है । इस वर्ष आनेवाली महाशिवरात्रि पर मैं कुछ मालाएं बनाने का संकल्प ले रहा हु और इस माला को बनाने में तीन दिन का समय लगता है । यह माला आपको 1190/-रुपये में प्रदान की जाएगी,जिससे पार्सल का खर्च हमारे यहां से किया जाएगा,यह एक छोटे प्रकार के रुद्राक्ष की जाप करने हेतु माला है और इस माला को आप चाहे तो धारण भी कर सकते है ।
नोट:-मंत्र माला के साथ दिया जाएगा ताकि आप सही तरह से विधि-विधान के साथ मंत्र जाप करके सफलता प्राप्त कर सके और मंत्र की गोपनीयता भी गोपनीय रह सके ।
माला की न्यौच्छावर राशि प्रदान करने हेतु आप व्हाट्सएप पर बैंक एकाउंट डिटेल्स मांग सकते है या फिर Paytm से भी धनराशि दे सकते है ।
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