(Note:-चिंता ना करो,अगर मैं आपके वसायुक्त लीवर (Fatty liver) का ईलाज नही कर सका,तो ईलाज हेतु लगने वाले दवाई का दुगना शुक्ल वापिस कर दूँगा )
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि वसायुक्त लीवर (Fatty liver) से पीड़ित लोगों की संख्या में खतरनाक रूप में वृद्धि हो रही है । यदि ठीक से इलाज न हो तो वसायुक्त लीवर (Fatty liver) से लंबे समय में लीवर कैंसर भी हो सकता है । उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर पांच में से एक व्यक्ति के लीवर में अधिक वसा (fat's) मौजूद होती है और हर 10 में से एक व्यक्ति में फैटी लीवर रोग होता है । यह चिंता का एक कारण है, क्योंकि ठीक से जांच और इलाज न हो तो वसायुक्त लीवर (Fatty liver) से लीवर को क्षति पहुंच सकती है और लीवर कैंसर भी हो सकता है ।
अगर आपका पेट आपकी छाती से ज्यादा बाहर आने लगे, अगर आपको झुकने और अपने जूते का फीता बांधने में कठिनाई होने लगे, अगर आप अपनी शर्ट ठीक से पैंट के अंदर न कर पा रहे हों तो यह सीधा संकेत है कि आपके शरीर में फैट की मात्रा बढ़ रही है । हम भारतीयों के लिए यह तो कोई नई बात नहीं है, लेकिन इन दिनों किए जा रहे तमाम नए अध्ययनों से पता चलता है कि किसी व्यक्ति के दीर्घकालीन स्वास्थ्य के बारे में कोई अनुमान लगाना या भविष्यवाणी करना आसान नहीं है ।
डॉक्टर एक ऐसे अंग पर दिखाई न देने वाली चर्बी के खतरे की चेतावनी दे रहे हैं, जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता 'वह है लीवर' । भारत के शहरों में फैटी लीवर की बीमारी की शिकायत तेजी से बढ़ रही है,इस तरह के फैटी लीवर से दिल का दौरा पडऩे का खतरा हो सकता है । इसके अलावा इससे कैंसर भी हो सकता है,लीवर की यह बीमारी कितनी गंभीर हो चुकी है, इसका अंदाजा इन तथ्यों से लगाया जा सकता है :-
*32 फीसदी भारतीयों में कुछ हद तक फैटी लीवर की बीमारी होने का अनुमान है ।
*70 से 90 फीसदी मोटापे और मधुमेह के शिकार लोग फैटी लीवर की बीमारी से ग्रस्त हैं ।
*54 फीसदी लोग, जो न शरीर और न ही पेट के मोटापे से ग्रस्त हैं, फैटी लीवर के रोगी हैं ।
*24 फीसदी भारतीय पुरुष फैटी लीवर से प्रभावित हैं, जबकि ऐसी महिलाओं की तादाद 13 फीसदी है।
*20 फीसदी फैटी लीवर के रोगियों की बीमारी गंभीर रूप ले लेती है ।
*लीवर के वसा (फैट्स) के कारण शहरी भारतीयों को दिल का दौरा पडऩे से मौत हो जाने या फिर दिल का दौरा पडऩे का दोहरा खतरा होता है ।
*भारत में लीवर की गंभीर बीमारी में फैटी लीवर तीसरा सबसे बड़ा कारण है ।
*पश्चिमी देशों के समान वजन वाले लोगों के मुकाबले भारतीयों में फैट की मात्रा दोगुनी होती है ।
इस तरह स्वास्थ्य के मोर्चे पर लीवर की बीमारी एक बड़ी समस्या का रूप ले चुकी है ।
दिल्ली में इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर ऐंड बाइलियरी साइंस (आइलबीएस) के निदेशक डॉ. शिव सरीन, जो नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज़ (एनएएफएलडी) पर ग्लोबल गाइडलाइंस के सह-लेखक रह चुके हैं, कहते हैं, ''अब वसायुक्त लीवर (Fatty liver) का खतरा सिर्फ उन लोगों तक ही सीमित नहीं रह गया है, जो बहुत ज्यादा शराब पीते हैं.” । उनकी पुस्तक 2014 जून में वर्ल्ड गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजी ऑर्गेनाइजेशन से प्रकाशित हुई है । वे कहते हैं, ''नकारात्मक जीवन शैली से बायो-कैमिकल रिएक्शन पैदा हो रहा है । जो फैटी लीवर की बीमारी का कारण बन रही है अगर हम सचेत नहीं हुए तो यह जल्दी ही भारत में एक महामारी का रूप ले सकती है, क्योंकि इसका अब तक कोई इलाज नहीं है.” ।
अध्ययनों से पता चलता है कि भारतीय पुरुष फैटी लीवर का खास तौर से शिकार हो सकते हैं । मोटापे की समस्या में लीवर एक नदारद कड़ी है और इस क्षेत्र में अब नए रिसर्च की गति बढ़ रही है । अखिल भारतीय स्तर पर कोई अध्ययन न होने से टुकड़ों-टुकड़ों में जो रिसर्च हो रहा है, उससे यह समस्या और भी जटिल होती जा रही है ।
डॉ. नंदी कहते हैं, ''लीवर में खुद को दोबारा मजबूत करने और ठीक करने की गजब की ताकत होती है.” नुकसान के बावजूद यह वर्षों तक काम कर सकता है, लेकिन एक समय के बाद यह नुकसान लीवर को इतना बिगाड़ चुका होता है कि उसका ठीक होना असंभव हो जाता है । इसीलिए डॉक्टर लीवर की बीमारियों को साइलेंट किलर यानी खामोशी से जान लेने वाली बीमारी कहते हैं ।
फैटी लीवर की बीमारी तब शुरू होती है, जब वसा (फैट्स) के अणु लीवर की कोशिकाओं में जमा हो जाते हैं , ऐसा मोटापे और मधुमेह के कारण होता है । रिसर्च से पता चलता है कि मोटापे और डायबिटीज से पीडि़त 70 से 90 फीसदी लोग इस बीमारी से ग्रस्त होते हैं , फैटी लीवर की बीमारी वर्षों तक खामोश रहती है । एक बार जब यह उस व्यक्ति को हो जाती है, जो शराब नहीं पीता या प्रति दिन 20 मिलीग्राम से भी कम शराब पीता है तो डॉक्टर इसे नॉन अल्कोहलिक स्टियोहेपेटाइटिस (स्टियो का मतलब वसा (फैट्स) और हेपेटाइटिस का मतलब सूजन है) या एनएएसएच कहते हैं ।
फैटी लीवर की बीमारी तब शुरू होती है, जब वसा (फैट्स) के अणु लीवर की कोशिकाओं में जमा हो जाते हैं , ऐसा मोटापे और मधुमेह के कारण होता है । रिसर्च से पता चलता है कि मोटापे और डायबिटीज से पीडि़त 70 से 90 फीसदी लोग इस बीमारी से ग्रस्त होते हैं , फैटी लीवर की बीमारी वर्षों तक खामोश रहती है । एक बार जब यह उस व्यक्ति को हो जाती है, जो शराब नहीं पीता या प्रति दिन 20 मिलीग्राम से भी कम शराब पीता है तो डॉक्टर इसे नॉन अल्कोहलिक स्टियोहेपेटाइटिस (स्टियो का मतलब वसा (फैट्स) और हेपेटाइटिस का मतलब सूजन है) या एनएएसएच कहते हैं ।
अगर एनएएसएच लीवर को इतना नुकसान पहुंचा देता है कि उसे ठीक नहीं किया जा सकता तो आगे चलकर सिरोसिस की बीमारी हो सकती है, लीवर काम करना बंद कर सकता है या फिर कैंसर भी हो सकता है । पहले से यह बताना असंभव है कि किसे सिरोसिस हो सकता है और किसे कैंसर, लेकिन फैटी लीवर की बीमारी जितने लंबे समय तक छुपा रहेगा, बीमारी का खतरा उतनी ही ज्यादा होगी ।
फैटी लीवर की बीमारी मोटापे का नतीजा है, लेकिन यह हमेशा एक खास रूप में ही नहीं नजर आती । लीवर की चर्बी उन लोगों में भी हो सकती है, जिनका न वजन ज्यादा है और न ही पेट बढ़ा हुआ है । 2010 में कोलकाता में इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च के शोधकर्ताओं द्वारा नमूने के तौर पर करीब दो हजार लोगों पर किए गए एक अध्ययन से चिंताजनक नतीजे सामने आए-"फैटी लीवर की बीमारी से ग्रस्त 75 फीसदी लोगों का बॉडी मास इंडेक्स (ऊंचाई के मुताबिक वजन) सामान्य से कम था, जबकि 54 प्रतिशत लोगों का वजन ज्यादा नहीं था"।
वसायुक्त लीवर (Fatty liver) लक्षणों में प्रमुख हैं- थकान, वजन घटना या भूख की कमी, कमजोरी, मितली, सोचने में परेशानी, दर्द, लीवर का बढ़ जाना और गले या बगल में काले रंग के धब्बे । डॉक्टरों का कहना है कि करीब 90 फीसदी दिल की बीमारियां नौ जोखिम वाले कारणों से होती हैं-धूम्रपान, हाई ब्लड प्रेशर, असामान्य कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, असामान्य मोटापा, मनोवैज्ञानिक कारण, अपर्याप्त आहार, शराब पीना और नियमित शारीरिक गतिविधियों का अभाव,अब फैटी लीवर को दसवां कारक माना जाने लगा है । दुर्भाग्य से फैटी लीवर की बीमारी या एनएएसएच का अब तक कोई इलाज नहीं है । आहार में बदलाव, शारीरिक गतिविधि और वजन कम रखना ही एकमात्र उम्मीद है । डॉ. मिश्र कहते हैं, ''शरीर का वजन कम रखने से लाभ होता है.”लेकिन तेजी से वजन घटने से लीवर को नुकसान होता है ।
परंतु हमने एक ऐसी दवाई खोज निकाली है जिससे वसायुक्त लीवर (Fatty liver) को 100% ठीक किया जाता है,हम 100% गारंटी लेते है आपके वसायुक्त लीवर (Fatty liver) को ठीक करने का क्योके हमने वसायुक्त लीवर (Fatty liver) का ईलाज पहेले भी बहोत बार किया हुआ है,जिसमे हमे 100% सफलता प्राप्त हुआ है । हम लोग वसायुक्त लीवर (Fatty liver) को पुर्ण: से ठीक करने के आयुर्वेदिक दवाई का खर्च 5,000/- रुपये लेते है और मरीज से ये भी कहेते है के "अगर तुम्हारा वसायुक्त लीवर (Fatty liver) 31 दिनों के अंदर ठीक नही हुआ तो हमसे 32 वे दिन 10,000/-रुपया लेकर जाना",इतना गारंटी कोई नही देता है । आप जो हमे ईलाज का शुल्क दे रहे हो उसको लाभ ना होने पर दुगने शुल्क में वापिस देने की बात को मैंने सोशल नेटवर्किंग पर ऐसे ही नही लिखा है,मुझे आयुर्वेद पर पूर्ण विश्वास है और माताराणी के प्रति पूर्ण आस्था है,जो मुझे मेरे इस कार्य मे सफल बनाता है ।
जो व्यक्ति हमसे वसायुक्त लीवर (Fatty liver) का ईलाज करवाना चाहता है,उन्हें हमसे ईलाज करवाने से पूर्व किसी लेबोरेटरी (Laboratory) से लिवर फंक्शन टेस्ट (Liver Function Test / LFT) करवाकर रिपोर्ट का कॉपी ईमेल से या फिर व्हाट्सएप के माध्यम से भेजना है । आपका रिपोर्ट देखकर आपको दवाई भेजेंगे, जिससे आपको 100% सफलता मिलेगा और आपका लिवर नॉर्मल हो जाएगा । आपका ईलाज पूर्ण होने के बाद भी आप हमें नया लिवर फंक्शन टेस्ट (Liver Function Test / LFT) रिपोर्ट भेज सकते है ।
यह एक शुद्ध आयुर्वेदिक दवा है,जिससे किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नही होता है । ईलाज के समय मे किसी भी प्रकार का कोई परहेज नही है,जो भी आपको खाना है पीना है वह आप कर सकते हो।
My email id- snpts1984@gmail.com
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