जय औघड़नाथ ………
आज एक रहस्य
कि बात लिख रहा हु बहोत दिनों से मै और मेरे साथ में कार्य करने वाली टीम
मिलकर औघड़ साधना के लिये प्रमाणिक सामग्री का व्यवस्था कर रहे थे जिसमे
हमें पावागढ़ स्थित योगी त्रिलोकनाथ जी से संपर्क में थे,आप में से जो भी
व्यक्तिगत उनसे मिलना चाहते हो तो मै मिलवा दुगा,उन्होंने हमारे टीम को एक
कार्य दिया था "औघड़ गुटिका"को पारद द्वारा निर्मित करने का जिसका विधि इस
प्रकार था …………
२ किलो पारद
द्रव्य को भूतकेशी,जटा-शंकर,अमर-कंटकी और काला-बचनाग के रस में मिलाकर किसी
भी अमावस्या के दिन जहा पे कोई प्रेत जलाया जायेगा उसी स्थान में आधा-एक
फिट का गड्ढा खोदकर गाड़ देना है,इस द्रव्य पे कम से कम तिन चिता जलना
चाहिए ताकि अग्नि के ऊर्जा से यह द्रव्य का मिश्रण सही तरह से पक
जाये,उन्होंने एक बात समझायी जैसे भूतकेशी किआ रस मिलाने से भोट-प्रेत बाधा
से मुक्ति मिलती है और साथ में ही इन साधना मे १००% पूर्ण सफलता शीघ्र
मिलता है,जटा-शंकर का रस डालने से स्वयं भूतनाथ का स्थापना होता है जिसके
माध्यम से साधनात्मक सभी दोष निकलते है और इतर योनि साधनाये आसानी से सिद्ध
किया जा सकता है,अमर-कंटकी तो अपने आपमें एक ऊर्जा है जैसे इससे बने आसन
पर बैठकर साधना करो तो शरीर में विशेष ऊर्जा का प्रवाह होता है,शरीर बहोत
ज्यादा गरम होता है और साधना में बैठने का क्षमता बढ़ जाता है,काला बचनाग का
जड़ सन्यासी भाई हमेशा अपने आसन के निचे रखकर साधना करते है जिससे उन्हें
महाविद्या साधना में पूर्ण सफलता मिलाता ही है और गृहस्थ सिर्फ सिद्ध करने
के पीछे अपने चिंतन को बनाये रखते है जिसमे सफलता का उम्मीद नहीं होता है.
जब यह द्रव्य
पक जाये तो उसे गोलक के रूप में आकार देना है और बकरे के गर्दन के निचे
सारे गोलक(गुटिका) रखकर बकरे को इस तरह से कटना है के उसका रक्त गोलक के
ऊपर से बहेना चाहिए ताकि गोलक में जान आजाये,येसे गोलक को औघड़ गुटिका कहा
जाता है
उन्होंने
हमें ६ साधनाये प्रदान किया है जो पूर्ण सिद्ध साधना है जिनमे सफलता
प्राप्त करना अब आसान हो गया है,हमने अब तक इस गोलक पर ३५ हजार रुपया खर्च
किया है और हमें सिर्फ इनमेसे ४ गोलक का काम है,इस द्रव्य से ९-१० गोलक बन
सकते है कुछ ज्यादा नहीं,हम इस गोलक को कॉन्ट्रीब्यूशन करके साधकोंको देना
चाहते है,एक गोलक को बनाने मे ३५०० रुपये का खर्च होता है..............
इसमें किसी प्रकार का कोई भी इनकम नहीं है,क्युकी एक गोलक एक साधक के लिए
बहोत है तो ५-६ बचे हुए गोलक का हमें क्या फायदा इसलिये इन्हे हम बाकि
साधकोंके हाथ में सौप रहे है और साथ में वह ६ साधनाये भी,फिर भी अगर कोई
साधक इस गोलक को लेकर योगी त्रिलोकनाथ जी के सानिध्य में संपन्न करना चाहता
है तो उस साधक का संपर्क हम उनसे करवा देगे और आप उनके सानिध्य में यह
सिद्ध साधनाये कर सकते है.
अब तक द्रव्य के ऊपर दो चिता ये जल चूका है और कुछ ही दिनों में यह गोलक पूर्ण होने के स्थिति में है ................
जो भी साधक
भाई इस अवसर का लाभ उठाना चाहते है वह मुज़े ईमेल कर दीजिये
"amannikhil011@gmail.com" ,मै उनको जल्द ही गोलक और ६ साधनाये भेजने का
प्रबंध करवाता हु और साथ ही योगी त्रिलोकनाथ जी से संपर्क करवा देता हु
ताकि आपको उनका पूर्ण मार्गदर्शन मिल सके,भारत में येसा गोलक आज के समय में
कोई भी निर्मित नहीं करता है,गोलक बनाना मुश्किल ही नहीं बल्कि एक चुनौती
भरा कार्य है जिसे अथक प्रयासो से पूर्ण होते देखा जा रहा है,येसा गोलक
कोई और बनाके दिखादे तो सारे गोलक उसे हम फ्री में दे दे ..............
इस गोलक के
और भी कई लाभ है जिन्हे आप अनुभूतित कर सकते है और यह साधनाये अपने घर पर
बैठकर योगी त्रिलोकनाथ जी से संपर्क करने माध्यम से कर सकते है………………और भी
कुछ जानना चाहते हो तो ईमेल से संपर्क होगा क्युकी फेसबुक पर अब मै नहीं
हु...............
श्री-सदगुरुजी-चरणार्पण मस्तु