आज का दिवस बड़ा ही आनंद दायक है,और हम सब मे स्नेह पूर्वक प्रेम भी॰ तो येसे अवसर को बेकार नहीं जाने देना चाहिये॰आज यहा पे मेरी कोशिश रहेगी के आपको सभी साधना मे सफलता मिले॰ यहा पे ज्यो क्रिया दे रहा रहा हु इस क्रिया का अभ्यास मै 6-7 सालो से आज भी करता हु,आप भी यह अभ्यास करे ताकि इस क्षेत्र मे आपको अधिक से अधिक सफलता प्राप्त हो,और साथ मे
गुरुकृपा भी॰
१-इच्छाशक्ति, २-आत्मबल , ३-सम्मोहन , ४-कुंडलिनी शक्ति की कृपा
यह वो ४ क्रिया ये है जिनके माध्यम से साधना मे शत प्रतिशत सफलता मिलती है,
१-इच्छाशक्ति: जब आप किसी भी साधना का शुरुवात करते हो तब संकल्प लिया जाता है जैसे “ मै अमुक साधना अमुक (प्रत्यक्षीकरण,दर्शन,मनोकामना,षट्कर्म,सिद्धि) कार्य के लिये कर रहा हु,फिर मंत्र जाप का शुरुवात हो जाता है॰
अब यहा पे मैंने एक बात हमेशा देखि है जैसे साधना चलती है अप्सरा सिद्धि की और मन मे १०-२० बाते मंत्र जाप के समय मन मे दौड़ती रहेती है,मन स्थिर नहीं हो पाता है,अब आप ही बताओ येसे समय मे अप्सरा क्या सोचेगी,अगर आप का मन किसी दोस्त के बारे मे सोच रहा है तो उसे भी दोस्त के यहा जाना पड़ेगा,तो कभी मूवी देखने,तो कभी ऑफिस मे,तो कभी और कही न कही ............... आगे आप जाने और अप्सरा जाने...........
जब कोई साधक साधना करता है तो उसकी मानसिकता येसी होनी चाहिए की मै अब मंत्र जाप के समय कुछ सोचुगा ही नहीं,येसी इच्छाशक्ति होना चाहिए की अप्सरा को सिद्ध करना ही है और उसे तो अब आना ही पड़ेगा,इसी इच्छाशक्ति के बल पर आप अप्सरा को सामने किसी भी रूप मे प्रत्यक्ष कर सकते है,दुनिया मे आज तक येसा कोई भी सिद्ध जन्मा नहीं होगा जिसने अपने इच्छाशक्ति को मजबूत करने के लिए कुछ भी प्रयास न किया हो,इसलिये आज उन्हे दुनिया सिद्ध मानती है,अब हमारी बारी है हमे भी इच्छाशक्ति को मजबूत बनाना ही है॰
आत्मबल , सम्मोहन , कुंडलिनी शक्ति की कृपा इन तीनों क्रिया पे मै आगे लिखने की कोशिश करुगा परंतु आज इस ४ क्रिया मे उन्नति करने हेतु साधना आज ही देता हु
विधि: - जमीन पर थोडासा जल डालिए और जमीन को हाथो से पौछ लीजिये,अब उसी जगह कपूर की टिकिया रखनी है और तीन बार “ॐ नम: शिवाय” बोलते हुये कपूर को प्रज्वलित कीजिये,
जलते हुये कपूर की लौ को देखते हुये गुरुमंत्र का जाप करना है,जाप तब तक के आंखो मे पानी न आए,जब आंखो मे आसू आ जाएगे तो आँख बंद करनी है,उस समय आपके बंद आंखो के सामने एक तरहा का गोल-गोल प्रकाश दिखेगा,उसी प्रकाश मे देखते हुये आप फिर से गुरुमंत्र का जाप कीजिये और उस प्रकाश मे सदगुरुजी भगवान जी को देखने की कोशिश कीजिये,उस प्रकाश मे आपको १००% सदगुरुजी दर्शन देगे परंतु पहेले ही दिन नहीं,बल्कि कुछ डीनो बाद जब आपकी इच्छाशक्ति का विकास हो जाएगा तब,सिर्फ दर्शन ही नहीं देगे वह आपसे बात भी करेगे,यह क्रिया आपको स्टार्टिंग मे ३-४ बार करनी है और रोज करनी है,जैसे जैसे आप क्रिया रोज करोगे तो आपकी लौ के तरफ ध्यान करने की क्षमता बढ़ जायेगी,आप इस क्रिया को त्राटक भी कह सकते है और यह उसी तरह की क्रिया है,इसी क्रिया मे आप कुछ २-३ महीने के बाद जब कोई भी महाविद्या साधना करेगे तो माँ भी आपको दर्शन देगी,किसी भाई की इच्छाशक्ति ७-८ दीनो मे तीव्र होने लगती है तो किसिकों १-२ महीने भी लग सकते है,जब यह सारी क्रिया हो जायेगी तो साथ मे ही आपको रोज १ माला चैतन्य मंत्र का जाप आँख बंद करके करना है,माला गुरुमंत्र की भी ले सकते है,यह साधना सवेरे करेगे तो ज्यादा बेहतर रहेती ही॰
॥ ॐ क्लीं क्रीं रोम प्रतिरोम चैतन्यम कुरु जाग्रय जाग्रय क्रीं क्लीं ॐ फट ॥
इस मंत्र से सम्पूर्ण शरीर चैतन्य हो जाता है और साधक की उन्नति तेजि से होती है...
श्री सदगुरुचरनाश्रयह:.......