7 Apr 2018

साधना ही अमूल्य है ।

यह संसार एक विचार है अगर आपने विज्ञान में छलांग लगा दी तो उसका एक अलग महत्व है अगर आपने धर्म के क्षेत्र में छलांग लगा दी उसका अपना एक अलग क्षेत्र है यह संसार रहस्यों से भरा पड़ा है। आप एक रहस्य से पदा हटाते है फिर आपके सामने दूसरे रहस्य खड़े हो जाते है जिस प्रकार आपके मन मस्तिष्क में निरंतर विचार चलते रहते है।


हम जो शब्द सुनेगे वह शाश्वत है जब हम बिल्कुल चुप होंगे तब उनके शब्द सुनाई पड़ेगें। पराम्बा से बोलना नहीं है उन्हें सिर्फ सुनना है।


कोई अल्लाह हूँ, बोल रहा है तो कोई लाहू बोल रहा है, कोई क्लींग बोल रहा है तो कोई क्लीम बोल रहा है, कोई काली बोल रहा है, कोई पराम्बा बोल रहा है ठीक उच्चारण क्या है। मुझे पता नहीं है मैं क्या करता हूँ या मैं क्या करती हूँ, तुम ही मुझे बताओ। हम ठीक उच्चारण, व्याकरण में लगे रहते है? बाल्मिकी राम-राम जपते जपते मरा-मरा कहने लगे और वह सिद्ध हो गए।


तुम्हारा मंत्र नाभि तक पहुँच जाना चाहिए जब मंत्र नाभि तक पहुँचता है। तब हम जो भी बोलते है तब वह कुछ और मंत्र होता है। और जब हम सुनते है तो वह कुछ और हो जाता है मंत्र का सीधा संबंध आपकी प्राण चेतना से है वहाँ से निकलने वाला मंत्र सीधा ईश्वर तक पहुँचता है यहीं मंत्र रहस्य है।


साधना का अर्थ यह नहीं है कि बुराई को छोड़ो और भलाई को पकड़ो, साधना का वास्तविक अर्थ है बुराई से सत्य की तरफ आगे बढ़ो उस पर विजय प्राप्त करो भलाई में भी सत्य की तरफ आगे बढ़ो दोनो के अनुभव का निचोड़ निकालो ताकि आपकी समझ गहरी हो जाए। क्योंकि बुराई और भलाई दोनो से साधक का हृदय विस्तीर्ण हो जाए, दोनो के बीच तुम्हें अपना सामजस्य बैठाना पड़ेगा तुम अपनी नाव को बहने दो और ताकि वह अपनी सही मंजिल सागर तक पहुँच सके। पाप और पुण्य तुम्हारे किनारे बन जाएँ तुम किसी को मत चुनना न पाप को और न ही पुण्य को अगर तुम पुण्य को चुनोगे तो भी किनारे पर ही रह जाओगे और अगत तुम पाप को चुनोगे तो भी किनारे पर ही रहोगेे सागर तक नहीं पहुँच पाओगे जो दोनो का सही उपयोग कर लेगा उसमें सामंजस्य स्थापित कर लेगा तुम अपनी बुराई से भी भयभीत मत होना ।

मंत्र तंत्र यंत्र यह कोई भयभीत करने हेतु नही है अपितु यह तो जीवन का वह सच है जिसे सामान्य व्यक्ति सहजता से स्वीकृति नहीं दे पाता हसि ।आप अपने जीवन को सामान्य जीवन ना बनाये और किसी भी प्रकार का मतभेद दिमाग मे नही पाले,किसी भी मंत्र तंत्र साधना हेतु जाती धर्म समाज का कोई पाबंदी नहीं है । इस संसार मे दो जातीया है "स्त्री और पुरूष" जाती,धर्म एक ही है "मानवता",जब यह सच्चाई है तो क्यो साधना से भागना,क्यों बुराई के रास्ते पर चलना? अभी समय है एकता से सब कुछ संभव करके दिखाने के लिए ।


एक छोटासा मंत्र दे रहा हु जो जीवन मे समस्त साधना में पूर्ण सफलता देने हेतू तत्पर है,मंत्र है "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ॐ" इसका मन ही मन उठते बैठते चलते फिरते शुद्ध अवस्था मे जाप करे तो अवश्य ही आपका रुझान तंत्र साधना के लिए बढ़ेगा ।


हमने अभी कुछ दिनों पहिले अपना youtube चैनल बनाया है और वहां पर भी आप अन्य साधनाये देख सकते है ।

https://www.youtube.com/channel/UCNkYEFtLD7KzQzqiXd6QOkg


आदेश.....