भूत -प्रेत और आत्माओं के विभिन्न 42 प्रकार-
1.भूत :- सामान्य भूत जिसके बारे में आप अक्सर सुनते है ।
2.प्रेत :- परिवार के सताए हुए बिना क्रियाकर्म के मरे हुए आदमी,जो पिडीत रहेते है।
3.हाडल :- बिना नुक्सान पहुचाये प्रेतबाधित करने वाली आत्माए ।
4.चेतकिन :- चुडेले जो लोगो को प्रेतबाधित कर दुर्घटनाए करवाती है ।
5.मुमिई :- मुंबई के कुछ घरो में प्रचलित प्रेत,जो कभी कभी दिखाई देते है।
6.विरिकस:- घने लाल कोहरे में छिपी और अजीबो-गरीब आवाजे निकलने वाला होता है।
7.मोहिनी या परेतिन : -प्यार में धोका खाने वाली आत्माए जिनसे मनुष्यों को मदत मिल सकती है।
8.शाकिनी:- शादी के कुछ दिनों बाद दुर्घटना से मरने वाली औरत की आत्मा जो कम खतरनाक होती है।
9.डाकिनी :- मोहिनी और शाकिनी का मिला जुला रूप किन्ही कारणों से हुई मौत से बनी आत्मा होती है।
10.कुट्टी चेतन :- बच्चे की आत्मा जिसपर तांत्रिको का नियंत्रण होता है ।
11.ब्रह्मोदोइत्यास :- बंगाल में प्रचलित,श्रापित ब्राह्मणों की आत्माए,जिन्होने धर्म का पालन ना किया हो ।
12.सकोंधोकतास :- बंगाल में प्रचलित रेल दुर्घटना में मरे लोगो की सर कटी आत्माए होती है।
13.निशि :- बंगाल में प्रचलित अँधेरे में रास्ता दिखाने वाली आत्माए ।
14.कोल्ली देवा :- कर्नाटक में प्रचलित जंगलो में हाथो में टोर्च लिए घुमती आत्माए ।
15.कल्लुर्टी :-कर्नाटक में प्रचलित आधुनिक रीती रिवाजो से मरे लोगो की आत्माए ।
16.किचचिन:- बिहार में प्रचलित हवस की भूखी आत्माए ।
17.पनडुब्बा:- बिहार में प्रचलित नदी में डूबकर मरे लोगो की आत्माए ।
18.चुड़ैल:- उत्तरी भारत में प्रचलित राहगीरों को मारकर बरगद के पेड़ पर लटकाने वाली आत्माए ।
19.बुरा डंगोरिया :- आसाम में प्रचलित सफ़ेद कपडे और पगड़ी पहने घोड़े पसर सवार होनेवाली आत्माए ।
20.बाक :- आसाम में प्रचलित झीलों के पास घुमती हुई आत्माए ।
21.खबीस:- पाकिस्तान ,गुल्फ देशो और यूरोप में प्रचलित जिन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाली आत्माए ।
22.घोडा पाक :- आसाम में प्रचलित घोड़े के खुर जैसे पैर बाकी मनुष्य जैसे दिखाई देने वाली आत्माए ।
23.बीरा :- आसाम में प्रचलित परिवार को खो देने वाली आत्माए ।
24.जोखिनी :-आसाम में प्रचलित पुरुषो को मारने वाली आत्माए ।
25.पुवाली भूत :-आसाम में प्रचलित छोटे घर के सामनो को चुराने वाली आत्माए ।
26.रक्सा :- छतीसगढ़ मे प्रचलित कुँवारे मरने वालो की खतरनाक आत्माए ।
27. मसान:- छतीसगढ़ की प्रचलित पाँच छै सौ साल पुरानी प्रेत आत्मा नरबलि लेते हैँ , जिस घर मेँ निवास करेँ पुरे परिवार को धीरे धीरे मार डालते हैँ ।
28.चटिया मटिया :- छतीसगढ़ मेँ प्रचलित बौने भुत जो बचपन मेँ खत्म हो जाते हैँ वो बनते हैँ बच्चो को नुकसान नहीँ पहुँचाते । आँखे बल्ब की तरह हाथ पैर उल्टे काले रंग के मक्खी के स्पीड मेँ भागने वाले चोरी करने वाली आत्माए ।
29. बैताल:- पीपल पेड़ मेँ निवास करते हैँ एकदम सफेद रंग वाले ,सबसे खतरनाक आत्माए ।
30. चकवा या भुलनभेर :- रास्ता भटकाने वाली आत्मा महाराष्ट्र ,एमपी आदि मेँ पाया जाता हैँ ।
31. उदु:- तलाब या नहर मेँ पाये जाने वाली आत्मा जो आदमियोँ को पुरा खा जाऐँ , छतीसगढ़ मेँ प्रचलित आत्माए ।
32. गल्लारा :- अकाल मरे लोगो की आत्मा धमाचौकडी मचाने वाली आत्मा छतीसगढ़ मेँ प्रचलित है ।
34. भंवेरी :- नदी मेँ पायी जाने वाली आत्मा,जो पानी मेँ डुब कर मरते हैँ पानी मेँ भंवर उठाकर नाव या आदमी को डूबा देने वाली आत्मा छतीसगढ़ मेँ प्रचलित है।
35. गरूवा परेत:- बिमारी या ट्रेन से कटकर मरने वाले गांयो और बैलो की आत्मा जो कुछ समय के लिए सिर कटे रूप मेँ घुमते दिखतेँ हैँ नुकसान नही पहुचातेँ छतीसगढ मेँ प्रचलित है।
36. हंडा :- धरती मेँ गडे खजानोँ मेँ जब जीव पड़ जाता हैँ याने प्रेत का कब्जा तो उसे हंडा परेत कहते हैँ , ये जिनके घर मेँ रहते हैँ वे हमेशा अमीर रहते हैँ , हंडा का अर्थ हैँ कुंभ , जिसके अंदर हीरे सोने आदि भरे रहते हैँ,जो लालच वश हंडा को चुराने का प्रयास करेँ उसे ये खा जाते हैँ , ये चलते भी हैँ,छतीसगढ़ मेँ प्रचलित है।
37. सरकट्टा:-छत्तीसगढ़ में प्रचलित एक प्रेत जिसका सिर कटा होता है,बहुत ही खतरनाक होता है।
38.ब्रह्म :-ब्राह्मणों की आत्मा जो सात्विक और धार्मिक रहे हों अथवा जो साधक और पुजारी रहे हों किन्तु दुर्घनावश अथवा स्वयं जीवन समाप्त कर चुके हों,बेहद शक्तिशाली ,तांत्रिक नियंत्रित नहीं कर सकते,केवल मना कर या प्रार्थना कर ही शांत किया जा सकता है । जिस परिवार के पीछे पड़ जाएँ खानदान साफ़ हो जाता है ,कोई रोक नहीं सकता । पूजा देने पर ही शांत हो सकते हैं ।
39.जिन्न :-अग्नि तत्वीय मुस्लिम धर्म से सम्बंधित आत्मा,बेहद शक्तिशाली,नियंत्रण मुश्किल परंतु मनाया जा सकता है ।
40.शहीद :-युद्ध अथवा दुर्घटना में मृत मुस्लिम बीर|अक्सर मजारें बनी मिलती हैं,शक्तिशाली आत्माएं जो पूजा पाकर और शक्तिशाली हो उठती हैं ।
41.बीर:- लड़ाकू अथवा उग्र ,साहसी व्यक्ति जिसकी दुर्घटना अथवा हत्या से मृत्यु हुई हो ।
42.सटवी:-इसका हवा मे स्थायित्व होता है और ये हर जगह होती है,यह स्त्री की आत्मा होती है। किसी भी शरीर मे प्रवेश करके उसको उदास कर देती है।
आजकल ऐसे सैकड़ों आश्चर्यजनक करिश्में गावों और शहरों में सुनने या देखने को मिल जाएंगे, जो भूत-प्रेतों और आत्माओं से संबंधित होते हैं। यदि किसी मंत्र साधना द्वारा आत्माओं से संपर्क स्थापित कर लिया जाये तो निश्चय ही आश्चर्यजनक तथ्य हाथ लगते हैं।
किसी भी आत्मा से संपर्क स्थापित कर उसके जीवन के उन रहस्यों को जाना जा सकता है। जो किसी कारण वश वह व्यक्ति किसी से बता नहीं पाया हो। इसी तरह अपने मृत पूर्वजों माता-पिता भाई बहन प्रेमी-प्रेमिका से संपर्क स्थापित कर उन रहस्यों का पता लगाया जा सकता है। जो कि वे अपने परिवारजनों से बता नहीं पाये हों या उनकी अचानक किसी एक्सीडेंट या दुर्घटना से मृत्यु हो गई हो। साथ ही साथ किसी भी प्रकार के सवालों का जवाब प्राप्त किया जा सकता है। जैसे घर से भागा हुआ व्यक्ति कहाँ है ? वह जीवित है भी या नही? मेरी शादी कब होगी ? अमुक लड़की मुझसे प्रेम करती है या नही ? नौकरी कब मिलेगी ? मुझे किस क्षेत्र में सफलता मिलेगी? परीक्षा में पास होऊँगा या फेल ? लाॅटरी या सट्टे में कल कौन सा नम्बर फसेगा ? ऐसे सैकड़ों प्रकार के सवालों का जवाब आत्मा से प्राप्त किया जा सकता है।
साधना विधान:-
यह अत्यंत उग्र शाबर मंत्र है,जिसका जाप करने से पुर्व रक्षा विधान अत्यंत आवश्यक है अन्यथा हानी होना सम्भव है। साधक के पास काले वस्त्र काला आसन,सिद्ध काली हकिक माला,भूत सिद्धि यंत्र और तिव्र सुगंधित धूप/अगरबत्ती होना जरुरी है। इस साधना मे अबिर,पताशा,हिना का इत्र,मुरमुरा,पलाश के पत्ते,स्मशान का कोयल (मनोवांछित आत्मा को बुलाने हेतु और अन्य आत्मा के लिए जरुरी नही है),सव्वा मिटर सफेद वस्त्र,बास का एक फिट साईज का चार लकड़ी (इससे भुतो का बंगला बनाना पडता है),एक लोटा शुद्ध जल जो एक हाथ से निकालना पड़ता है (नदि,सरोवर का भी जल ले सकते है)।
साधना अमावस्या से पुर्व आठवें दिन शुरु किया जाता है। साधना बंद कमरे मे,स्मशान मे या सुनसान जगह पर किया जा सकता है। साधना शुरुवात होने के बाद दुसरे तिसरे दिन से आवाजे या गंदि बदबु आना शुरु होता है। जब आत्माए आती है तब वो साधक को गंदि से गंदि गालिया देता है परंतु साधक को अपने आप पर नियंत्रण रखना जरुरी है और आत्मा को साधका गालिया ना दे तो बेहतर है। आत्माएं साधना पुर्ण होने के बाद सुंदर रूप मे प्रत्यक्ष होती है परंतु उससे पहिले उनका स्वरूप देखकर साधक को उल्टिया भी हो सकता है क्युके उनका रूप बहोत ज्यादा डरावना और गंदा होता है। भूत सिद्धि यंत्र साधक के पास हो तो उसे डरने की कोइ आवश्यकता नही है,यंत्र के वजेसे आत्माए भयंकर और गंदे रूप मे साधक के सामने आकर उसको परेशान नही करती है।
शाबर भूत सिद्धि मंत्र:-
।। नदितुन ये-नदिच्या पान्यातुन ये,महलातुन ये-महलाच्या अंधारातुन ये,मसानातुन ये-मसानाच्या वाड्यातुन ये,शिवारातुन ये-शिवाराच्या हदितुन ये,वेताल राजा ले सांगुन ये,नाही येशिल तर............गुरु का मंत्र सच्चा,छु वाचापुरी ।।
ये मराठी मंत्र है जो यहा पर मैने अधुरा दिया है ताकि मुर्ख लोग इसको कॉपी-पेस्ट करके कही छाप ना दे ।येसे उग्र मंत्रो मे मार्गदर्शक का आवश्यकता होता है,मै इस साधना मे साधक का मार्गदर्शन करुँगा।इसमे साधना विधी समजाया जायेगा और साधना सामग्री का कैसे इस्तेमाल करना है वह भी बताया जायेगा।
किसी भी प्रश्न हेतु सम्पर्क करे-
amannikhil011@gmail.com पर ।
(नोट:कुछ दिनो से सुशील भाई व्यस्त होने के कारण शायद और कुछ दिनो तक फोन पर बात नही कर पायेंगे,परंतु ई-मेल से आपका और हमारा संम्पर्क बना रहेगा।
-प्रकाश)
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