ज्योतिष के उपायों के रूप में यंत्र दिन प्रतिदिन अधिक मान्य होते जा रहे हैं जिसके कारण इनका प्रयोग करने वाले जातकों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। हालांकि नवग्रहों में से प्रत्येक ग्रह के लिए एक पृथक यंत्र उपलब्ध है किन्तु फिर भी कुछ वैदिक ज्योतिषी नवग्रहों के एक संयुक्त यंत्र जिसे नवग्रह यंत्र कहा जाता है, को प्रयोग करने का सुझाव देते हैं जिसके पीछे इन ज्योतिषियों की यह धारणा है कि सभी के सभी नौ ग्रहों के साथ जुड़ने के कारण यह यंत्र जातक की प्रत्येक प्रकार की समस्या का निवारण कर सकता है। पिछले कुछ समय से नवग्रह यंत्र के प्रयोग का प्रचलन बहुत बढ़ गया है तथा इसी के साथ साथ यह प्रश्न भी प्रबल होता जा रहा है कि यदि नवग्रह यंत्र के प्रयोग से एक साथ सभी नवग्रहों से लाभ प्राप्त किया जा सकता है तो नवग्रहों में से किसी विशेष ग्रह का पृथक यंत्र क्यों स्थापित किया जाए जबकि सभी ग्रहों से संबंधित लाभ एक ही यंत्र से प्राप्त किये जा सकते हैं। आज के लेख में हम नवग्रह यंत्र के साथ जुड़े कुछ ऐसे ही प्रश्नों के उत्तर ढूंढने का प्रयास करेंगें।
यंत्रों का प्रयोग किसी भी कुंडली विशेष में शुभ अथवा अशुभ दोनों रूप से कार्य कर रहे ग्रहों से लाभ प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है हालांकि किसी ग्रह के कुंडली में शुभ होने की स्थिति में उस ग्रह से संबंधित रत्न को धारण करना यंत्र के प्रयोग की अपेक्षा एक अच्छा उपाय है तथा इसीलिए यंत्रो का प्रयोग मुख्य रूप से अशुभ ग्रहों के अशुभ फलों को दूर करने के लिए किया जाता है। इस प्रकार किसी यंत्र के द्वारा प्रसारित की जाने वाली उसके ग्रह विशेष की उर्जा के माध्यम से उस ग्रह की अशुभता को कम किया जा सकता है। किन्तु किसी कुंडली में अशुभ रूप से कार्य कर रहे ग्रहों की अशुभता को यंत्रों अथवा मंत्रों की सहायता से कम करने का प्रयास करते समय हमें सदा इस बात को याद रखना चाहिए कि ये ग्रह मुख्य रूप से जातक के लिए अशुभ हैं तथा इन उपचारों के माध्यम से इन अशुभ ग्रहों के साथ संबंध स्थापित करने के प्रयास में भी ये ग्रह कभी कभी जातक को अशुभ फल प्रदान कर सकते हैं तथा यह संभावना उस स्थिति में बढ़ जाती है जब इन उपायों का प्रयोग करते समय जातक से नियम अथवा अनुशासन में कोई त्रुटि रह जाती है।इसलिए यंत्र इत्यादि के प्रयोग से किसी कुंडली के अशुभ ग्रहों से लाभ प्राप्त करने का प्रयास करते समय बहुत सावधानी से काम लेना चाहिए जिससे ये अशुभ ग्रह जातक को किसी प्रकार की हानि न पहुंचा दें अथवा ये ग्रह कुंडली में शुभ, अशुभ या मिश्रित रूप से काम कर रहे किसी अन्य ग्रह की कार्यशैली को विपरीत रूप से प्रभावित न कर दें।
यंत्रो को बनाने की विधि के बारे में विचार करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि किसी भी यंत्र को बनाने में प्रयोग होने वाली प्रक्रियाओं में से यंत्र को उर्जा प्रदान करने वाली प्रक्रिया सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है जिसके माध्यम से यंत्र को उसके ग्रह विशेष के मंत्रों की शक्ति से विशेष विधियों द्वारा उर्जा प्रदान की जाती है जैसे कि सूर्य यंत्र को उर्जा प्रदान करने के लिए सूर्य मंत्र का प्रयोग किया जाता है, चन्द्र यंत्र को उर्जा प्रदान करने के लिए चन्द्र मंत्र का प्रयोग किया जाता है तथा इसी प्रकार अन्य सभी प्रकार के यंत्रो को उर्जा प्रदान करने के लिए उन यंत्रों से संबंधित ग्रह विशेष के मंत्रों का प्रयोग किया जाता है। किन्तु यदि हम नवग्रह यंत्र को उर्जा प्रदान करने का प्रयास करें तो सबसे बड़ी कठिनाई यह आती है कि किसी भी वेद अथवा ज्योतिष के मान्य पुराण में न तो नवग्रह यंत्र को उर्जा प्रदान करने वाले किसी मंत्र की चर्चा की गई है तथा न ही किसी एक मंत्र के माध्यम से नवग्रहों की शांति के लिए पूजा करने की चर्चा की गई है तथा इन सभी आदरणीय वेदों पुराणों में प्रत्येक ग्रह का पृथक रूप से आवाहन करने के लिए उस ग्रह के मंत्रों की चर्चा की गई है जिससे यह मत सपष्ट हो जाता है कि नवग्रह यंत्र को उर्जा प्रदान करने के लिए किसी भी प्रकार का मान्य नवग्रह मंत्र उपलब्ध नहीं है तथा इस तथ्य से इस धारणा को भी बल प्राप्त होता है कि वैदिक काल के ज्योतिषी किसी भी प्रकार के नवग्रह यंत्र का प्रयोग नहीं करते थे अपितु प्रत्येक ग्रह के साथ आवश्यकता अनुसार पृथक रूप से उसके यंत्र अथवा मंत्र की सहायता से संबंध स्थापित करते थे। इसका एक अर्थ यह भी निकलता है कि वैदिक काल के ॠषि तथा ज्योतिषी यह मानते थे कि समस्त नवग्रहों से एक साथ लाभ प्राप्त करने का प्रयास लाभप्रद नहीं है तथा किसी जातक की कुंडली विशेष के अनुसार ही किसी ग्रह विशेष के साथ संबंध स्थापित करके उससे लाभ प्राप्त करने का प्रयास उस ग्रह के मंत्र अथवा यंत्र के माध्यम से करना चाहिए।
जैसा कि हम जान गएं हैं कि नवग्रह यंत्र को उर्जा प्रदान करने के लिए वेदों तथा ज्योतिष पुराणों में किसी भी मान्य मंत्र का वर्णन नहीं आता है इसलिए बाजार में बेचे जाने वाले सभी नवग्रह यंत्र या तो बिल्कुल ही उर्जाहीन हैं अथवा इन्हें किसी अमान्य मंत्र के द्वारा उर्जा प्रदान करने की चेष्टा की गई है तथा दोनों ही स्थितियों में यह यंत्र प्रयोग की दृष्टि से उचित नहीं है क्योंकि किसी भी यंत्र को चलाने के लिए उस यंत्र को प्रदान की गई उर्जा ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण है तथा जिस यंत्र में उर्जा ही नहीं है उसका प्रभाव क्या होगा। कुछ पंडित नवग्रह यंत्र को उर्जा प्रदान करने के लिए नवग्रहों में से प्रत्येक ग्रह के मंत्र का बारी बारी से प्रयोग करते हैं जिससे कि नवग्रह यंत्र में स्थित प्रत्येक ग्रह को पृथक रूप से उर्जा प्राप्त हो जाए किन्तु यह प्रक्रिया भी संदेह से रहित नहीं है क्योंकि यदि प्रत्येक ग्रह को पृथक रूप से ही उर्जा प्रदान करनी है तो फिर प्रत्येक ग्रह का पृथक यंत्र ही क्यों न प्रयोग किया जाए। इसलिए बाजार में बिकने वाले नवग्रह यंत्रों को या तो किसी भी प्रकार की उर्जा प्रदान ही नहीं की गई है अथवा इन्हें किसी ऐसी विधि के माध्यम से उर्जा प्रदान करने का प्रयास किया गया है जो मान्य नहीं है तथा दोनों ही स्थितियों में नवग्रह यंत्र प्रयोग करने के योग्य नहीं है।
ग्रहों की कार्यप्रणाली से जुड़े कुछ तथ्यों पर विचार करें तो अधिकतर जातक नवग्रहों में से प्रत्येक ग्रह की उर्जा अचानक बढ़ जाने से इस उर्जा को ठीक प्रकार से नियंत्रित तथा निर्देशित करने में सक्षम नहीं होंगें तथा इससे बहुत से जातकों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए यदि कोई जातक अपनी कुंडली में बुध के शुभ प्रभाव के चलते गायक है तथा ये जातक अपने गायन के क्षेत्र में अधिक से अधिक सफलता प्राप्त करना चाहता है तो इस स्थिति में इस जातक को मुख्य रूप से केवल बुध के रत्न पन्ने की अथवा बुध यंत्र की आवश्यकता है जिसके प्रयोग से बुध ग्रह के कुछ विशेष फलों को और अधिक बढ़ाया जा सके तथा इस जातक को ऐसे किसी भी ग्रह की उर्जा की आवश्यकता नहीं है जो इसके इस लक्ष्य को प्राप्त करने में इसकी सहायता नहीं कर सकता। ऐसे जातक के आभामंडल में किसी यंत्र के प्रयोग से यदि मंगल तथा केतु ग्रह की उर्जा बढा दी जाए तो जातक को अपने गायन के क्षेत्र में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि मंगल तथा केतु दोनों ही ग्रह अपनी सामान्य विशेषताओं के चलते गायन को प्रोत्साहित नहीं करेंगें बल्कि इसके विपरीत जातक का व्यवसाय ही बदला देने की चेष्टा करेंगें जो निश्चय ही इस जातक के लक्ष्य से विपरीत कार्य है। इसलिए इस उदाहरण में बहुत से ग्रहों को अतिरिक्त उर्जा प्रदान करने से अथवा अवांछित ग्रहों को उर्जा प्रदान करने से जातक का काम बनने की अपेक्षा बिगड़ भी सकता है।
पाठकों के लिए यह जान लेना आवश्यक है कि इस संसार के अधिकतर जातक किसी न किसी विशेष कार्यक्षेत्र में केवल एक, दो अथवा तीन ग्रहों के प्रबल प्रभाव के कारण ही कार्यरत तथा सफल होते हैं तथा संसार के अधिकतर जातक सभी के सभी नवग्रहों के बहुत प्रबल हो जाने पर इस बढ़ी हुई उर्जा को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं होते जिसके चलते इनमें से कुछ जातक दिशाभ्रमित तथा कुछ जातक दिशाहीन हो सकते हैं तथा कुछ जातक तो अपना मानसिक संतुलन भी खो सकते हैं। उदाहरण के लिए, सेना में कार्यरत सभी जातकों में सामान्यतया मंगल ग्रह की उर्जा प्रबल होती है जिसके चलते इन जातकों को लड़ाई तथा युद्ध करने की प्रेरणा मिलती रहती है। यदि ऐसे किसी जातक को गुरू या चंद्र की प्रबल उर्जा प्रदान कर दी जाए तो यह जातक सेना में काम करने के योग्य नहीं रह जाएगा क्योंकि गुरू तथा चन्द्र दोनों ही ग्रह शांति तथा अहिंसा को प्रोत्साहित करने वाले हैं तथा इन ग्रहों का जातक पर प्रभाव बहुत बढ़ जाने की स्थिति में जातक का मन सेना के कार्य तथा युद्ध के अभ्यास से विचलित होना शुरू हो जाएगा जिसके कारण ऐसे जातक को अपने व्यवसाय में लाभ की अपेक्षा हानि हो सकती है तथा जातक को अपने व्यवसाय से हाथ भी धोना पड़ सकता है। इसी प्रकार आध्यातमिक विकास के मार्ग पर चलने वाला कोई भी जातक अपने अंदर शुक्र ग्रह की उर्जा को बढ़ाना नहीं चाहेगा क्योंकि शुक्र की उर्जा के बलवान होते ही ऐसे आध्यातमिक जातक में संसारिक भोगों के प्रति लालसा उत्पन्न होनी शुरू हो जाएगी जिससे उसके आध्यतमिक विकास का मार्ग अवरुद्ध हो जाएगा। इसलिए इस जातक के लिए गुरू अथवा केतु की उर्जा को बढ़ाना ही लाभप्रद होगा।
इस प्रकार की और भी बहुत सी उदाहरणों पर विचार किया जा सकता है किन्तु इसका सार यह है कि किसी भी जातक को किसी विशेष क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए सामान्यतया 1, 2 अथवा 3 ग्रहों की प्रबल उर्जा की आवश्यकता होती है तथा इसी प्रकार प्रत्येक जातक की कुंडली के अनुसार कुछ ऐसे ग्रह भी होते हैं जिनकी उर्जा बढ़ जाने से जातक की किसी विशेष क्षेत्र में होने वाली प्रगति पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है तथा इसलिए जातक की सफलता में विघ्न डालने वाले ग्रहों को अतिरिक्त उर्जा किसी भी माध्यम से प्रदान नहीं करनी चाहिए। इसलिए प्रत्येक बुद्धिमान तथा अनुभवी ज्योतिषी किसी भी जातक के आभामंडल में केवल उस उर्जा को बढ़ाने का प्रयास करता है जो उस जातक के लिए किसी क्षेत्र विशेष में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। इसलिए नवग्रह यंत्र तो दूर की बात है, अधिकतर जातकों को 1, 2 या 3 से अधिक पृथक यंत्र भी एक समय में नहीं स्थापित करने चाहिएं जिससे जातक के वर्तमान लक्ष्य का विरोध करने वाले ग्रहों को भी उर्जा प्राप्त हो सकती है जिससे जातक की लक्ष्य प्राप्ति में विघ्न उपस्थित हो सकते हैं। प्रत्येक जातक को अपने लिए आवश्यक केवल 1 या 2 यंत्रो का प्रयोग करने से ही सामान्यतया उत्तम फल की प्राप्ति होती है तथा बहुत सी विपरीत दिशाओं में जाने वालीं उर्जाओं को एकसाथ बढ़ा देने पर जातक को अधिकतर स्थितियों में लाभ की अपेक्षा हानि ही होती है।'
आपको नवग्रह से सम्बंधित यंत्रो मे कोनसा यंत्र "जिवन यंत्र","भाग्योदय यंत्र" और "पुण्य यंत्र" है? इसका ग्यान होना आवश्यक है। आवश्यकता नुसार यंत्र धारण करने से अवश्य ही लाभ प्राप्त होता है। कुण्डली के अध्ययन से हम जान सकते है,किस ग्रह का यंत्र हमे लाभदायक होगा और जिवन मे कष्टों का नाश होगा। यंत्र धारण करने के साथ साथ आप नवग्रह मंत्रो का जाप भी करे तो समज लिजीये अब आपका भागोदय होना सम्भव है। मै प्रत्येक ग्रह का यंत्र जब बनाता हू तो ग्रह से सम्बंधित सही मुहूर्त को देखता हू और उसके उपरांत ही यंत्र का निर्माण करता हू । इसी कारण से मैने अपने जिवन मे कई लोगो को यंत्र धारण करने के बाद सफल होते हुये देखा है। आज यहा पर "नवग्रह मंत्र" दे रहा हू,जिसका आप सभी कम से कम 1,3,5,7....11 माला जाप रुद्राक्ष माला से सवेरे करे तो आपको जिवन शुभता प्राप्त होगा परंतु येसा ना समझे के कुछ 5-6 दिन जाप करने से लाभ प्राप्त होगा।लाभ तो अवश्य प्राप्त होगा किंतु इसके लिये शायद आपको 10-12 दिन का समय भी लग सकता है। जितना ज्यादा जाप करेगे उतना ही ज्यादा लाभ भी देखने मिलेगा।
नवग्रह मंत्र:-
।।ॐ सं सर्वारिष्ट निवारणाय नवग्रहेभ्यो नमः ।।
Om sam sarvaarishta nivaaranaay navagrahebhyo namah
मै जब भी ग्रहो के यंत्र किसी जातक के लिये बनाता हू तब उनके कुण्डली का अध्ययन करता हू और उसके उपरांत उनको ग्रह यंत्र पहेनने का सलाह देता हूं। मै अलग-अलग ग्रह से सम्बंधित प्राण-प्रतिष्ठित एवं चैतन्य यंत्र को ही जातक को प्रदान करता हू,यंत्र बनाने के बाद उन्हे गोटा चांदी के ताबिज मे सुरक्षित रखता हू ताकि यंत्र को गले मे धारण किया जा सके और उससे सम्बंधित पुर्ण लाभ जातक को प्राप्त हो सके। प्रत्येक ग्रह से सम्बंधित यंत्र की धनराशि 550/-रुपये है और कुरियर का चार्जेस 100/- रुपये,इस प्रकार से किसी भी एक प्रकार के यंत्र को 650/-रुपये मे प्राप्त किया जा सकता है। अधिक माहिती हेतु हमसे सम्पर्क करें।
The power-Navagraha equipment.
Astrology measures as instruments which are daily becoming more recognized that their use is also increasing the number of natives. Each of the nine planets are a separate instrument, but nevertheless some Vedic astrologer whom nine Navagraha instrument called a joint mechanism, the use of which suggests that this assumption behind all of these astrologers nine planets to connect with each of the natives of this equipment can troubleshoot. For some time, the use of instruments Navagraha prevalence has increased and with it the question is becoming even stronger that the nine planets using instruments can simultaneously benefit from all nine of the nine planets Why should set up a separate instrument of special planet of the planet, while the benefits can be obtained from a single device. In today's article we Navagraha associated with the instrument will try to find some of these questions.
Use of equipment in any particular good or bad coil are both working to benefit from planets may be good in the event of any planet in the horoscope of the planet using instruments to hold gem Expect a good solution and therefore use Yantro mainly ominous planets is to remove bad fruit. Thus an instrument to be broadcast by the special energy of the planet, through the planet inauspiciousness can be reduced.So is the use of equipment, etc. A coil while trying to benefit from the ominous planets must act very carefully so they do not hurt any ominous native planet or the planet in the horoscope good, bad or Mixed working as another planet should not adversely affect the functioning.
chants of the power energy is provided by special methods such as solar energy equipment is used to provide sun spells, spells Chandra Chandra instrument used to provide energy, and all other similar Yantro types to provide the energy the planet particular those related to equipment used mantras. But if we try to provide power to equipment Navagraha biggest difficulty is that there is neither any scripture or astrological mythology Navagraha valid instrument that provides the power of a mantra has been discussed, nor any oneNavagraha equipment to provide the energy of any kind is not acceptable and the fact Navagraha mantra credence to the notion that the Vedic astrologer did not use any type of device, but each planet Navagraha In accordance with the requirement of separate spells with the help of the instrument or the connection was established.Try to get through the planet's mantra or equipment should.
As we know that Navagraha Gan mechanism to provide energy in the Vedas and Puranas astrology does not describe any valid spells the Navagraha equipment sold in the market or they absolutely Urgahin or an invalid spellsWhat is the effect. Some pundits Navagraha device to provide power to each of the nine planets rotate use of the mantra so that each planet separately in Navagraha device may receive power but the process is not devoid of suspicion If each planet separately to provide the energy of each planet, then why not use the same equipment to be isolated.does not qualify.
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Navagraha mantra: -
Om sam sarvaarishta nivaaranaay navagrahebhyo namah
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