जिसका कोई वर्तमान न हो, केवल अतीत ही हो वही भूत कहलाता है.अतीत में अटका आत्मा भूत बन जाता है.जीवन न अतीत है और न भविष्य.वह सदा वर्तमान है.जो वर्तमान में रहता है वह मुक्ति की ओर कदम बढ़ाता है.
आत्मा के तीन स्वरुप माने गए हैं जीवात्मा, प्रेतात्मा और सूक्ष्मात्मा। जो भौतिक शरीर में वास करती है उसे जीवात्मा कहते हैं। जब इस जीवात्मा का वासना और कामनामय शरीर में निवास होता है तब उसे प्रेतात्मा कहते हैं। यह आत्मा जब सूक्ष्मतम शरीर में प्रवेश करता है, उस उसे सूक्ष्मात्मा कहते हैं. भूत-प्रेतों की गति एवं शक्ति अपार होती है.इनकी विभिन्न जातियां होती हैं और उन्हें भूत, प्रेत, राक्षस, पिशाच, यम, शाकिनी,डाकिनी, चुड़ैल, गंधर्व आदि कहा जाता है.
भूत प्रेत कैसे बनते हैं:-
इस सृष्टि में जो उत्पन्न हुआ है उसका नाश भी होना है व दोबारा उत्पन्न होकर फिर से नाश होना है यह क्रम नियमित रूप से चलता रहता है. सृष्टि के इस चक्र से मनुष्य भी बंधा है. इस चक्र की प्रक्रिया से अलग कुछ भी होने से भूत-प्रेत की योनी उत्पन्न होती है.जैसे अकाल मृत्यु का होना एक ऐसा कारण है जिसे तर्क के दृष्टिकोण पर परखा जा सकता है.सृष्टि के चक्र से हटकर आत्मा भटकाव की स्थिति में आ जाती है.इसी प्रकार की आत्माओं की उपस्थिति का अहसास हम भूत के रूप में या फिर प्रेत के रूप में करते हैं.यही आत्मा जब सृष्टि के चक्र में फिर से प्रवेश करती है तो उसके भूत होने का अस्तित्व भी समाप्त हो जाता है. अधिकांशतः आत्माएं अपने जीवन काल में संपर्क में आने वाले व्यक्तियों को ही अपनी ओर आकर्षित करती है, इसलिए उन्हें इसका बोध होता है.जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है वे सैवे जल में डूबकर बिजली द्वारा अग्नि में जलकर लड़ाई झगड़े में प्राकृतिक आपदा से मृत्यु व दुर्घटनाएं भी बढ़ रही हैं और भूत प्रेतों की संख्या भी उसी रफ्तार से बढ़ रही है.अब बात करते है दुर्लभ भूत-प्रेत प्रत्यक्षिकरण साधना का जो अत्यन्त सरल और उग्र मंत्र के साथ शीघ्र फलिभूत होने वाले विधान के बारे मे-
विधि-विधान:-
भूत-प्रेत सिद्धि साधना यह बहोत आसान सा साधना है जिसे 11 दिन तक करना है और सिर्फ 21 माला मंत्र जाप करना है इसमे भी लड्डू को भोग लगाना है और जब भूत-प्रेत प्रत्यक्ष हो तो उससे वचन मांगे जो भी आप चाहते है,इस साधना से अन्य देवी-देवता के दर्शन प्राप्त करने मे बहोत मदत मिलता है यह एक कटु सत्य है उन लोगो के लिए जो भूत-प्रेत साधना को खराब मानते है,जहा देवी-देवता के दर्शन के लिए साधक व्यर्थ ही कई वर्ष लगा देते जहा की भूत के माध्यम से यह कार्य कुछ ही महीनो मे हो जाता है.दिशा- दक्षिण आसन-वस्त्र काले रंग के हो समय रात्रि मे 10 बजे के बाद,साधना के लिए आवश्यक सामग्री एक मट्टी का दिया,सरसो का तेल,काजल और चावल, प्रेत सिद्धी गोलक सफेद वस्त्र पर काले रंग के काजल से पुरुष आकृति बनाना है,इस वस्त्र को चावल के ऊपर स्थापित करना है,आकृति मे पुरुष के हृदय पर प्रेत-सिद्धी गोलक स्थापित कीजिये और गोलक को देखते हुये मंत्र जाप करना आवश्यक है क्युके सर्वप्रथम भुत-प्रेत का परछायी गोलक मे दिखता है,गोलक मे जब सर्वप्रथम भुत-प्रेत का दर्शन होता है तो समझ जाना चाहिये के उसी घडि उसी पल आपको भुत सिद्ध हो गया है बस अब कुछ ही समय मे वह शक्ती प्रत्यक्ष होनेवाली है.साधना समाप्ती के बाद लड्डु गरीबो मे बाट दे और सफ़ेद वस्त्र को जल मे प्रवाहित कर दे. यह मंत्र भी किसी भी किताब से प्राप्त नहीं हो सकता है और साधना अच्छे कार्यो को सम्पन्न करवाने के लिए कीजिये अन्यथा आपके हानी का जिम्मेदार मै नहीं हु बाकी साधना हेतु मै मार्गदर्शन करुगा और "भुत-प्रेत सिद्धी गोलक" कच्चे पारद के साथ भुतकेशी जड से जो श्वेत रस निकलता है उसिके मिश्रण से 12 विभिन्न क्रिया से बनाया जाता है जिसका मूल्य 1550/- रुपये तक है.बिना गोलक के साधना मे अनुभुतिया संभव नही है और यह गोलक बनाने का ग्यान सुशील नरोले के अलावा कुछ ही लोग जानते है जो इंटरनेट पे कार्यरत नही है.
भुत-प्रेत सिद्धी मंत्र:-
ll ह्रौं हूं प्रेत प्रेतेश्वर आगच्छ आगच्छ प्रत्यक्ष दर्शय दर्शय हूं फट ll
hroum hoom pret preteshwar aagachch aagachch pratyaksh darshay darshay hoom phat
साधना से पूर्व एक बार मुजसे संपर्क कीजियेगा,बाकी सूत्र भी बता दुगा......
इस साधना विधान से कई लोगो ने जो मेरे सम्पर्क मे है उनको साधना सिद्ध हुआ है
आदेश.....