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23 Jan 2016

भद्रकाली पुजन.

माता भद्रकाली अपने भक्तो हेतु अत्यंत सौम्य है परंतु भक्तो के शत्रु हेतु काल का दुसरा स्वरुप है। भद्रकाली जी के पुजन से जिवन के प्रत्येक क्षेत्र मे सफलता प्राप्त होता है और समस्त बाधाओं का नाश होता है। मेरा स्वयं का अनुभव है "मै किसी भी पिडित हेतु जब भी भद्रकाली पुजन करता हू तो पिडित का पिडा समाप्त होते हुए देखा है",इस पुजन से अष्ट कालि की भी कृपा प्राप होती है।

माता भद्रकाली काली जी का पूजन सम्पूर्ण विधि-विधान के साथ दे रहा हू-



ध्यान:

महामेघ प्रभां देवी कृष्णवस्त्रोसिधारिणीम् ।
ललज्जिह्वां घोरदंष्ट्रां कोटराक्षीं हसन्मुखीम् ॥

नागहारलतोपेतां चन्द्रार्द्धकृत शेखराम् ।
द्यां लिखन्तीं जटामेकां लेलिहानासवं पिबम् ॥

नाग यज्ञोपवीताङ्गी नागशय्या निषेदुषीम् ।
पञ्चाशन्मुण्डसंयुक्तं वनमाला महोदरीम् ॥

सहस्त्रफण संयुक्तमनन्तं शिरसोपरि ।
चतुर्दिक्षु नागफणा वेष्टितां भद्रकालिकाम् ॥

तक्षक सर्पराजेन वामकङ्कण भूषिताम् ।
अनन्त नागराजेन कृतदक्षिण कङ्कणम् ॥

नागेन रसनाहार कक्पितां रत्न नूपुराम् ।
वामे शिव स्वरूपं तत्कल्पितं वत्स्रूपकम् ॥

द्विभुजां चिन्तयेद्देत्नीं नागयज्ञोपवीतिनीम् ।
नरदेह समाबद्ध कुण्डल श्रुति मण्डिताम् ॥

प्रसन्नवदनां सौम्यां शिवमोहिनीम् ॥
अट्टहासां महाभीमां साधकाभीष्टदायिनीम् ॥





पुष्प समर्पण :-

ॐ देवेशि भक्ति सुलभे परिवार समन्विते
यावत्तवां पूजयिष्यामि तावद्देवी स्थिरा भव ।



नमस्कार

शत्रुनाशकरे देवि ! सर्व सम्पत्करे शुभे
सर्व देवस्तुते ! भद्रकालिके ! त्वां नमाम्यहम ।



१. आसन :- प्रथम दिन कि पूजा में माँ को काले रंग के कपडे का / आम कि लकड़ी का सिंहासन जो काले रंग से रंगा गया हो समर्पित करें एवं माँ को उस पर विराजित करने इसके बाद फिर प्रत्येक दिन माँ के चरणों में निम्न मंत्र को बोलते हुए पुष्प / अक्षत समर्पित करें-

ॐ आसनं भास्वरं तुङ्गं मांगल्यं सर्वमंगले
भजस्व जगतां मातः प्रसीद जगदीश्वरी ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा आसनं समर्पयामि )




२. पाद्य :- इस क्रिया में शीतल एवं सुवासित जल से चरण धोएं और ऐसा सोचें कि आपके आवाहन पर माँ दूर से आयी हैं और पाद्य समर्पण से माँ को रास्ते में जो श्रम हुआ लगा है उसे आप दूर कर रहे हैं-

ॐ गंगादि सलिलाधारं तीर्थं मंत्राभिमंत्रिम
दूर यात्रा भ्रम हरं पाद्यं तत्प्रति गृह्यतां ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा पाद्यं समर्पयामि )



३. उद्वर्तन :- इस क्रिया में माँ के चरणों में सुगन्धित / तिल के तेल को समर्पित करते हैं-

ॐ तिल तण्डुल संयुक्तं कुश पुष्प समन्वितं
सुगंधम फल संयुक्तंमर्ध्य देवी गृहाण में ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा उद्वर्तन तैलं समर्पयामि )



४. आचमन :- इस क्रिया में माँ को आचमनी से या लोटे से आचमन जल प्रदान करते हैं ( याद रहे कि जल समर्पित करने का क्रम आप मूर्ति और यदि जल कि निकासी कि सुगम व्यवस्था है तो कर सकते हैं किन्तु यदि आपने कागज के चित्र को स्थापित किया हुआ है तो चित्र के सम्मुख एक पात्र रख लें और जल से सम्बंधित सारी क्रियाएँ करके जल उसी पात्र में डालते जाएँ )

ॐ स्नानादिक विधायापि यतः शुद्धिख़ाप्यते
इदं आचमनीयं हि कालिके देवी प्रगृह्यताम् ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा आचमनीयम् समर्पयामि )



५. स्नान :- इस क्रिया में सुगन्धित पदार्थों से निर्मित जल से स्नान करवाएं ( जल में इत्र , कर्पूर , तिल , कुश एवं अन्य वस्तुएं अपनी सामर्थ्य या सुविधानुसार मिश्रित कर लें यदि सामर्थ्य नहीं है तो सदा जल भी पर्याप्त है जो पूर्ण श्रद्धा से समर्पित किया गया हो )

ॐ खमापः पृथिवी चैव ज्योतिषं वायुरेव च
लोक संस्मृति मात्रेण वारिणा स्नापयाम्यहम् ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा स्नानं निवेदयामि )



६. मधुपर्क :- इस क्रिया में ( पंचगव्य मिश्रित करें प्रथम दिन ( गाय का शुद्ध दूध , दही , घी , चीनी , शहद ) अन्य दिनों में यदि व्यवस्था कर सकें तो बेहतर है अन्यथा सिर्फ शहद से काम लिया जा सकता है-

ॐ मधुपर्क महादेवि ब्रह्मध्धे कल्पितं तव
मया निवेदितम् भक्तया गृहाण गिरिपुत्रिके ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा मधुपर्कं समर्पयामि )

विशेष :- ध्यान रखें चन्दन या सिन्दूर में से कोई भी चीज मस्तक पर समर्पित न करें बल्कि माँ के चरणों में समर्पित करें ।



७. चन्दन :- इस क्रिया में सफ़ेद चन्दन समर्पित करें-

ॐ मळयांचल सम्भूतं नाना गंध समन्वितं
शीतलं बहुलामोदम चन्दम गृह्यतामिदं ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा चन्दनं समर्पयामि )



८. रक्त चन्दन :- इस क्रिया में माँ को रक्त / लाल चन्दन समर्पित करें-

ॐ रुक्तानुलेपनम् देवि स्वयं देव्या प्रकाशितं
तद गृहाण महाभागे शुभं देहि नमोस्तुते ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा रक्त चन्दनं समर्पयामि )




९. सिन्दूर :- इस क्रिया में माँ को सिन्दूर समर्पित करें-

ॐ सिन्दूरं सर्वसाध्वीनाम भूषणाय विनिर्मितम्
गृहाण वर दे देवि भूषणानि प्रयच्छ में ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा सिन्दूरं समर्पयामि )



१०. कुंकुम :- इस क्रिया में माँ को कुंकुम समर्पित करें-

ॐ जपापुष्प प्रभम रम्यं नारी भाल विभूषणम्
भाष्वरम कुंकुमं रक्तं देवि दत्तं प्रगृह्य में ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा कुंकुमं समर्पयामि )



११. अक्षत :- अक्षत में चावल प्रयोग करने होते हैं जो काले रंग में रंगे हुए हों-

ॐ अक्षतं धान्यजम देवि ब्रह्मणा निर्मितं पुरा
प्राणंद सर्वभूतानां गृहाण वर दे शुभे ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा अक्षतं समर्पयामि )



१२. पुष्प :- माता के चरणो में पुष्प समर्पित करें- ( फूलों एवं फूलमालाओं का चुनाव करते समय ध्यान रखें कि यदि आपको काला गुलाब मिल जाये तो बहुत बढ़िया यदि नहीं मिलता तो लाल गुलाब उपयुक्त होगा किन्तु यदि स्थानीय या बाजारीय उपलब्धता के हिसाब से जो उपलब्ध हो वही प्रयोग करें )

ॐ चलतपरिमलामोदमत्ताली गण संकुलम्
आनंदनंदनोद्भूतम् कालिकायै कुसुमं नमः।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा पुष्पं समर्पयामि )




१३. विल्वपत्र : - माता के चरणों में बिल्वपत्र समर्पित करें ( कहीं कहीं पर उल्लेख मिलता कि देवी पूजा में बिल्वपत्र का प्रयोग नहीं किया जाता है तो इस स्थिति में आप अपने लोक/ स्थानीय प्रचलन का प्रयोग करें )

ॐ अमृतोद्भवम् श्रीवृक्षं शंकरस्व सदाप्रियम
पवित्रं ते प्रयच्छामि सर्व कार्यार्थ सिद्धये ।
( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा बिल्वपत्रं समर्पयामि )



१४. माला :- इस क्रिया में माँ को फूलों कि माला समर्पित करें-

ॐ नाना पुष्प विचित्राढ़यां पुष्प मालां सुशोभताम्
प्रयच्छामि सदा भद्रे गृहाण परमेश्वरि ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा पुष्पमालां समर्पयामि )



१५. वस्त्र :- इस क्रिया में माता को वस्त्र समर्पित किये जाते हैं ( एक बात ध्यान में रखनी चाहिए कि वस्त्रों कि लम्बाई १२ अंगुल से कम न हो - प्रथम दिन कि पूजा में काले वस्त्र समर्पित किये जाने चाहिए तत्पश्चात [ मौली धागा जिसे प्रायः पुरोहित रक्षा सूत्र के रूप में यजमान के हाथ में बांधते हैं वह चढ़ाया जा सकता है लेकिन लम्बाई १२ अंगुल ही होगी )

. ॐ तंतु संतान संयुक्तं कला कौशल कल्पितं
सर्वांगाभरण श्रेष्ठं वसनं परिधीयताम् ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा प्रथम वस्त्रं समर्पयामि )


. ॐ यामाश्रित्य महादेवि जगत्संहारकः सदा
तस्यै ते परमेशान्यै कल्पयाम्युत्रीयकम ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा द्वितीय वस्त्रं समर्पयामि )




१५. धूप :- इस क्रिया में सुगन्धित धुप समर्पित करनी है-

ॐ गुग्गुलम घृत संयुक्तं नाना भक्ष्यैश्च संयुतम
दशांग ग्रसताम धूपम् कालिके देवि नमोस्तुते ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा धूपं समर्पयामि )



१६. दीप :- इस क्रिया में शुद्ध घी से निर्मित दीपक समर्पित करना है जो कपास कि रुई से बनी बत्तियों से निर्मित हो-

ॐ मार्तण्ड मंडळांतस्थ चन्द्र बिंबाग्नि तेजसाम्
निधानं देवि कालिके दीपोअयं निर्मितस्तव भक्तितः।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा दीपं दर्शयामि )




१७. इत्र :- इस क्रिया में माता को इत्र / सुगन्धित सेंट समर्पित करना है-

ॐ परमानन्द सौरभ्यम् परिपूर्णं दिगम्बरम्
गृहाण सौरभम् दिव्यं कृपया जगदम्बिके ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा सुगन्धित द्रव्यं समर्पयामि )



१८. कर्पूर दीप :- इस क्रिया में माँ को कर्पूर का दीपक जलाकर समर्पित करना है-

ॐ त्वम् चन्द्र सूर्य ज्योतिषं विद्युद्गन्योस्तथैव च
त्वमेव जगतां ज्योतिदीपोअयं प्रतिगृह्यताम् ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा कर्पूर दीपम दर्शयामि )



१९. नैवेद्य :- इस क्रिया में माता को फल - फूल या भोजन समर्पित करते हैं भोजन कम से कम इतनी मात्रा में हो जो एक आदमी के खाने के लिए पर्याप्त हो बाकि सारा कुछ सामर्थ्यानुसार )

ॐ दिव्यांन्नरस संयुक्तं नानाभक्षैश्च संयुतम
चौष्यपेय समायुक्तमन्नं देवि गृहाण में ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा नैवेद्यं समर्पयामि )



२०. खीर :- इस क्रिया में ढूध से निर्मित खीर चढ़ाएं-

ॐ गव्यसर्पि पयोयुक्तम नाना मधुर मिश्रितम्
निवेदितम् मया भक्त्या परमान्नं प्रगृह्यताम् ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा दुग्ध खीरम समर्पयामि )



२१. मोदक :- इस क्रिया में माँ को लड्डू समर्पित करने हैं-

ॐ मोदकं स्वादु रुचिरं करपुरादिभिरणवितं
मिश्र नानाविधैर्द्रुव्यै प्रति ग्रह्यशु भुज्यतां ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा मोदकं समर्पयामि )



२२. फल :- इस क्रिया में माता को ऋतु फल समर्पित करने होते हैं-

ॐ फल मूलानि सर्वाणि ग्राम्यांअरण्यानि यानि च
नानाविधि सुंगंधीनि गृहाण देवि ममाचिरम ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा ऋतुफलं समर्पयामि )



२३. जल :- इस क्रिया में खान - पान के पश्चात् अब माता को जल समर्पित करें-

ॐ पानीयं शीतलं स्वच्छं कर्पूरादि सुवासितम्
भोजने तृप्ति कृद्य् स्मात कृपया प्रतिगृह्यतां ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा जलम समर्पयामि )



२४. करोद्वर्तन जल :- इस क्रिया में माता को हाथ धोने के लिए जल प्रदान करें-

ॐ कर्पूरादीनिद्रव्याणि सुगन्धीनि महेश्वरि
गृहाण जगतां नाथे करोद्वर्तन हेतवे ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा करोद्वर्तन जलम समर्पयामि )



२५. आचमन :- इस क्रिया में माता को पुनः आचमन करवाएं-

ॐ अमोदवस्तु सुरभिकृतमेत्तदनुत्तमम्
गृह्णाचमनीयम तवं माया भक्त्या निवेदितम् ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा पुनराचमनीयम् समर्पयामि )



२६. ताम्बूल :- इस क्रिया में माता को सुगन्धित पान समर्पित करें-

ॐ पुन्गीफलम महादिव्यम नागवल्ली दलैर्युतम्
कर्पूरैल्लास समायुक्तं ताम्बूल प्रतिगृह्यताम् ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा ताम्बूलं समर्पयामि )



२७. काजल :- माता को काजल समर्पित करें-

ॐ स्निग्धमुष्णम हृद्यतमं दृशां शोभाकरम तव
गृहीत्वा कज्जलं सद्यो नेत्रान्यांजय कालिके ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा कज्जलं समर्पयामि )




२८. महावर :- इस क्रिया में माँ को लाला रंग का महावर समर्पित करते हैं ( लाल रंग एवं पानी का मिश्रण जिसे ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं पैरों में लगाती हैं )

ॐ चलतपदाम्भोजनस्वर द्युतिकारि मनोहरम
अलकत्कमिदं देवि मया दत्तं प्रगृह्यताम् ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा महावरम समर्पयामि )



२९. चामर :- इस क्रिया में माँ को चामर / पंखा ढलना होता है-

ॐ चामरं चमरी पुच्छं हेमदण्ड समन्वितम्
मायार्पितं राजचिन्ह चामरं प्रतिगृह्यताम् ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा चामरं समर्पयामि )



३० . घंटा वाद्यम् :- इस क्रिया में माँ के सामने घंटा / घंटी बजानी होती है ( यह ध्वनि आपके घर और आपसे सभी नकारात्मक शक्तियों को दूर करती है एवं आपके मन में प्रसन्नता और हर्ष को जन्म देती है )

ॐ यथा भीषयसे दैत्यान् यथा पूरयसेअसुरम
तां घंटा सम्प्रयच्छामि महिषधिनी प्रसीद में ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा घंटा वाद्यं समर्पयामि )



३१. दक्षिणा :- इस क्रिया में माँ को दक्षिणा धन समर्पित किया जाता है - ( जो कि सामर्थ्यानुसार है )

ॐ काञ्चनं रजतोपेतं नानारत्न समन्वितं
दक्षिणार्थम् च देवेशि गृहाण त्वं नमोस्तुते ।

( क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरी स्वाहा आसनं समर्पयामि )




३३. पुष्पांजलि :-

ॐ काली काली भद्रकाली कालिके पाप नाशिनी
काली कराली निष्क्रान्ते भद्रकाल्यै तवनमोस्तुते ।

ॐ उत्तिष्ठ देवी चामुण्डे शुभां पूजा प्रगृह्य में
कुरुष्व मम कल्याणमस्टाभि शक्तिभिः सह
भुत प्रेत पिशाचेभ्यो रक्षोभ्यश्च महेश्वरि
देवेभ्यो मानुषोभ्योश्च भयेभ्यो रक्ष मा सदा
सर्वदेवमयीं देवीं सर्व रोगभयापहाम
ब्रह्मेश विष्णु नमिताम् प्रणमामि सदा उमां
आय़ुर्ददातु में भद्रकाल्यै पुत्रानादि सदा शिवा
अर्थ कामो महामाया विभवं सर्व मङ्गला

क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं परमेश्वरि पुष्पांजलिं समर्पयामि




३४. नीराजन :- इस क्रिया में पुनः माँ कि प्राथमिक आरती उतारते हैं जिसमे सिर्फ कर्पूर का प्रयोग होता है-

ॐ कर्पूरवर्ति संयुक्तं वहयिना दीपितंचयत
नीराजनं च देवेशि गृह्यतां जगदम्बिके ।



३५. क्षमा प्रार्थना :-

ॐ प्रार्थयामि महामाये यत्किञ्चित स्खलितम् मम
क्षम्यतां तज्जगन्मातः कालिके देवी नमोस्तुते
ॐ विधिहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं यदरचितम्
पुर्णम्भवतु तत्सर्वं त्वप्रसादान्महेश्वरी
शक्नुवन्ति न ते पूजां कर्तुं ब्रह्मदयः सुराः
अहं किं वा करिष्यामि मृत्युर्धर्मा नरोअल्पधिः
न जाने अहं स्वरुप ते न शरीरं न वा गुणान्
एकामेव ही जानामि भक्तिं त्वचर्णाबजयोः।





३६. आरती :- इस क्रिया में माता कि आरती उतारते हैं और यह चरण आपकी उस काल कि साधना के समापन का प्रतीक है -( इसके लिए अलग से कोई आरती जलने कि कोई जरुरत नहीं है आप उसी दीपक का उपयोग करेंगे जो आपने पूजा के प्रारम्भ में घी का दीपक जलाया था )



विशेष:-जिस तरहा से पुजन दिया है उसी तरहा से करके लाभ उठाये और यह पुजन सामान्य पुजन नही है,यह तांत्रोत्क "क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं" बीज मंत्र से युक्त माता भद्रकाली पुजन है।






 Pujn Bhadrakali.

Mata Bhadrakali for its devotees, but devotees extremely mild nature of the enemy is the second of the season. Bhadrakali achieve success in every area of ​​Life of GK Pujn and would destroy all obstacles. My own experience, "I also Bhadrakali for any Pidit Pujn Pidit then I'll have seen the end Pida" Ashta Kali also pleased with the Pujn is attained.

Mata Bhadrakali entire ritual worship of the black law giving with Hu

note:

Mahameg Prban Krishnvstrosidharinim goddess.

Llzzihwan Gordnshtron Hsnmukim Kotrakshin.

Nagharltopetan Sekharam Cndraarddhkrit.

Dyan Likntin Jtamekan Pibm Lelihanasvan.

Snake Yjtropvitadagi Nisedusim Nagsyya.

Ptrrchasnmundsnyuktn Mahodrim vanamala.

Shstrfn Shirsopri Snyuktmnantn.

Cturdikshu Nagfna Bdrakalikam Veshtitan.

Takshak Srprajen Bhusitam Wamkdakn.

Eternal Nagrajen Kdaknm Kritdkshin.

Nagen Rsnahar Kkpitan Nupuram gems.

Wame Shiva Swrupan Watsrupakm Ttkalpitn.

Dvibhujan Nagyjtropvitinim Cintyeddetnin.

Shruti Mnditam Nrdeh Smabddh Helix.

Prasnnvdnan Shivmohinim Sumyan.

Atthasan Sadkabishtdayinim Mahabiman.

Flower dedication: -

Deveshi devotion Sulbe family Smnvite

Yawattwan Pujayishyami Tavddevi Sthira May.

Hello

Strunashkre Devi! All Samptkre Shube

All Devshute! Bdrakalike! Twan Nmamyhm.

1. Asana: - The first day of the mother in the worship of black cloth / black painted mango wood dedicated to the throne and mother to sit on her mother then again following the steps each day to chant Speaking The floral / intact dedicated a

Asnan Baswrn Tudagn Manglyn Srwmngle

Bjsw Jagtan Prasid Jagdishhwari Mata.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Asnan Smrpyami Hrin)

2. Pady: - the action of the soft and perfumed water wash stage and so far have come from the mother to think upon your dedication and Pady mother took her away to the ways in which labor are-

Gangadi Sliladharn Tirthn Mntrabhimntrim

Hrn illusion journey away Padyn Grihytan Ttprati.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Padyn Smrpyami Hrin)

3. Udhwartn: - The action at the feet of the mother aromatic / sesame oil are dedicated

Sesame rice flower Kush Snyuktn Smnvitn

Sugandm fruit in Grihan Snyuktnmrdhy goddess.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin Hrin parameshwari Udhwartn Taln Smrpyami)

4. Rinse: - the action returned to the mother or the rinse water from Acmni offer (remember that water to dedicate a statue of the order and that the water drainage system that is self-explanatory, but if you can then install the paper's picture Put a pot in front of the painting is done and all actions related to water and water poured into the vessel Go)

Snanadik Vidhayapi usually Shuddhikhapyte

Idn Acmniyn Kalike goddess Prgrihytam bones.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Acmniym Smrpyami Hrin)

5. Bath: - the action made by the aromatic substances from water bath, go (in water perfumes, camphor, sesame, grass and other items to make your affordability or convenience if mixed ability is not always enough water is also dedicated to the devotion Be)

Kmapः Prithivi Cav Jyotisn Wayurev f

Public Snsmriti Matren Snapyamyham Warina.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Snanan Nivedayami Hrin)

6. Mdhuprk: - in this action (the first day of mixed ghee (purified cow's milk, curd, ghee, sugar, honey) at other times it is better if the system can be set up, otherwise we could just honey

Mdhuprk Mahadevi Brhmddhe fact Kalpitn

Or on Niveditm Bktya Giriputrike Grihan.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Mdhuprkn Smrpyami Hrin)

Specifically: - Note sandalwood or any thing of vermilion on the forehead dedicated to surrender, do not mother.

7. Sandal: - The action in a dedicated white Sandal

Mlayancl Sambhutn Nana smell Smnvitn

Shitln Bhulamodm Grihytamidn Chandm.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Chandnan Smrpyami Hrin)

8. Sandal blood - the blood of the mother in the action / red sandal dedicated a

Ruktanulepanm Devi Self Prkashitn Dewya

Td Grihan Mahabage Shubn Nmoshute Dehi.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin I am Bdrakalya Hrin Hrin parameshwari destroying blood Chandnan Smrpyami)

9. Weeping: - the action a dedicated mother vermilion

Sindurn Srwsadhveenam Bhusnay Vinirmitm

Grihan in Prychc Bhusnani Devi grant.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Sindurn Smrpyami Hrin)

10. Crocus sativus: - the action a devoted mother Crocus sativus

Jpapushp Prbm Rmyn female ferret Vibhusnm

Bhashhwarm in Prgrihy Duttn Kunkumn Rktn Devi.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Kunkumn Smrpyami Hrin)

11. Intact: - intact rice that are using black tinted Hon-

Full Akshtn Dhanyjm Devi Brhmna Nirmitn

Prannd Srwbhutanan Grihan Shube grant.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Akshtn Smrpyami Hrin)

12. Flower: - Parents of a dedicated flower in stages (Fulmalaon When choosing flowers and remember that, when you get black roses red roses would be appropriate but not so great if you are a local or Bajariy according to availability Use the same way)

Cltprimlamodmttali Order Snkulm

Anandnandnodbhutm Kalikaya Namah Kusumn.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Pushpan Smrpyami Hrin)

13. Vilvptr: - at the feet of parents dedicated to Bilvptr (somewhere in nowhere mentions that goddess worship Bilvptr is not used in this case your public / local circulation Use)

Amritodbvm Srivrikshn Shankrsw Sadapriym

All Caryarth Siddhye Prychchhami Pvitrn TE.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Bilvptrn Smrpyami Hrin)

14. Garland: - in the action dedicated a wreath of flowers to mother

Malan Flower Flower Nana Vichitradhyan Susobtam

Prychchhami always Bdrae Prmeshwari Grihan.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Pushpamalan Smrpyami Hrin)

15. Clothing: - the action dedicated to the mother are Textiles (one must bear in mind that fabrics that finger length is not less than 12 - the first day in the black robes that worship should be devoted thereafter [Molly yarn protect the priest often As he put it in the hands of formula Yjman can be plated, but the length will be 12 fingers)

a . Fiber arts skills Kalpitn children Snyuktn

Srwangabrn Sreshtn Pridhiytam Vsnan.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my first Vstrn Smrpyami parameshwari Hrin Hrin)

B . Yamasrity Mahadevi ever Jagtsnhark

Te Tsya Kalpyamyutriykm Prmeshanya.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin I am Bdrakalya Hrin Hrin parameshwari destroyed Vstrn Smrpyami II)

15. Sunshine: - the action dedicated to the fragrant incense Forms

Guggulm grease Snyuktn Nana Bcshyashc Snyutm

Dshang Grsatam Dhupm Kalike Nmoshute Devi.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Dhupan Smrpyami Hrin)

16. Deep: - in the action dedicated to pure ghee lamp is made of cotton from the cotton that was produced by lights Ho

Martanda Mondlaantsth Chandra Binbagni Tejasam

Nidhanan Devi Kalike Deepoayn Bktita Nirmitstw.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Dipan Drshyami Hrin)

17. Perfume: - the action of the mother perfume / aromatic cents to dedicate Forms

Surbyamr ecstasy Pripuarnn Digmberm

Please Diwyn Jagdmbike Grihan Surbm.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin I am Bdrakalya Hrin Hrin parameshwari destroyed fragrant Drawyn Smrpyami)

18. Camphor lamp: - The action of camphor in mother-to-lamp lighting to dedicate

Twm Moon Sun Jyotisn Vidyudgnyostthav f

Twmev Jagtan Pratigrihytam Jyotideepoayn.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin I am Bdrakalya Hrin Hrin parameshwari Deepam Drshyami destroyed camphor)

1 9. Oblation: - the action of the mother fruit - flowers or food dedicate at least the same amount of food which is enough for a man to eat anything else all Samrtheanusar)

Diwyannnrs Snyuktn Nanabkshashc Snyutm

Chaushypey in Smayuktmnnan Grihan Devi.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Navedyn Smrpyami Hrin)

20. Heel: - This action made by Dud Heel Cdhaan-

Nana sweet Misritm Gwysrpi Pyoyuktm

Or on Niveditm bhaktya Prgrihytam Prmannan.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin I am Bdrakalya Hrin Hrin parameshwari destroyed Kirm Smrpyami milk)

21. Modak: - The action devoted mother are sweet

Modkan palatable Rucirn Krpuradibhirnvitn

Alloy Nanavidhardrauwya Bhujytan per Grhyashu.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Modkan Smrpyami Hrin)

22. Fruit: - the action dedicated to the fruit season, ie the mother

Fruit Mulani Srwani Gramyanarnyani ie f

Nanavidhi Sungandhini Grihan Mmacirm Devi.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Hritufln Smrpyami Hrin)

23. Water: - Mine in this action - after drinking water to mother now devoted a

Paniyn Shitln Swchcn Krpuradi Suwasitm

Please Smat Kridyr Pratigrihytan dining satiety.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Jhajjar Smrpyami Hrin)

24. Krodhwartn water: - This function provides water to scrub a mother

Krpuradinidrawyani Sugndhini Maheshwari

Grihan Jagtan Krodhwartn Hetve Nathe.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin Hrin parameshwari Krodhwartn Jhajjar Smrpyami)

25. Rinse: - the re-rinse Krwaan- mother in action

Amodvshu Surbhikritmettdnuttmm

Grihhnacmniym Twn bhaktya Niveditm Maya.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Punracmniym Smrpyami Hrin)

26. Betel: - in the action dedicated to the mother a fragrant drink

Pungiflm Mahadivyam Nagavlli Dlaryutm

Krpurallas Smayuktn Pratigrihytam betel.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Tambuln Smrpyami Hrin)

27. Mascara: - a dedicated mother Mascara

Snigdmushnam Hridytmn Drishan fact Sobakrm

Grihitwa Kzzln Sdyo Kalike Netranyanjay.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Kzzln Smrpyami Hrin)

28. Rouge: - the action dedicated to the mother Lala color rouge (red and mix of water in the rural areas, women are put in feet)

Cltpdambhojnswr Dyutikari Mnohrm

Devi or on Alktkmidn Prgrihytam Duttn.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Mhowrm Smrpyami Hrin)

2 9. Corymb: - The action corymb mother / fan to conform Forms

Chamrn chummery Puchcn Hemdnd Smnvitm

Mayarpitn Chamrn Pratigrihytam diadem.

(I am a Hrin Hrin Krin Krin Krin Krin Krin Krin Bdrakalya I destroyed my Hrin parameshwari Chamrn Smrpyami Hrin)

30. H Wadyamr: - The action against the mother hour / bell is ringing (the sound of your home and that you remove all negative energies and happiness and joy in your mind breeds)

As such Puryseasurm Bisyse Datyan

Tan hour Samprychchhami Mahisdini in Prasid.

































आदेश......