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23 Jan 2016

चौंसठ योगिनी तंत्र.

आदिशक्ति का सीधा सा सम्बन्ध है इस शब्द का जिसमे प्रकृति या ऐसी शक्ति का बोध होता जो उत्पन्न करने और पालन करने का दायित्व निभाती है जिसने भी इस शक्ति की शरणमें खुद को समर्पित कर दिया उसे फिर किसी प्रकार कि चिंताकरने कि कोई आवश्यकता नहीं वह परमानन्द हो जाता है चौंसठ योगिनियां वस्तुतः माता आदिशक्ति कि सहायक शक्तियों के रूप में मानी जाती हैं । जिनकी मदद से माता आदिशक्ति इस संसार का राज काज चलाती हैं एवं श्रृष्टि के अंत काल में ये मातृका शक्तियां वापस माँ आदिशक्ति में पुनः विलीन हो जाती हैं और सिर्फ माँ आदिशक्ति ही बचती हैं फिर से पुनर्निर्माण के लिए । बहुत बार देखने में आता है कि लोग वर्गीकरण करने लग जाते हैं और उसी वर्गीकरण के आधार पर साधकगण अन्य साधकों को हीन - हेय दृष्टि से देखने लग जाते हैं क्योंकि उनकी नजर में उनके द्वारा पूजित रूप को वे मूल या प्रधान समझते हैं और अन्य को द्वितीय भाव से देखते हैं जबकि ऐसा उचित नहीं है हर साधक का दुसरे साधक के लिए सम भाव होना चाहिए मैं किन्तु नैतिक दृष्टिकोण और अध्यात्मिकता के आधार पर यदि देखा जाये तो न तो कोई उच्च है न कोई हीन हम आराधना करते हैं तो कोई अहसान नहीं करते यह सिर्फ अपनी मानसिक शांति और संतुष्टि के लिए है और अगर कोई दूसरा करता है तो वह भी इसी उद्देश्य कि पूर्ती के लिए । अब अगर हम अपने विषय पर आ जाएँ तो इस मृत्यु लोक में मातृ शक्ति के जितने भी रूप विदयमान हैं सब एक ही विराट महामाया आद्यशक्ति के अंग,भाग , रूप हैं साधकों को वे जिस रूप की साधना करते हैं उस रूप के लिए निर्धारित व्यवहार और गुणों के अनुरूप फल प्राप्त होता है। चौंसठ योगिनियां वस्तुतः माता दुर्गा कि सहायक शक्तियां है जो समय समय पर माता दुर्गा कि सहायक शक्तियों के रूप में काम करती हैं एवं दुसरे दृष्टिकोण से देखा जाये तो यह मातृका शक्तियां तंत्र भाव एवं शक्तियोंसे परिपूरित हैं और मुख्यतः तंत्र ज्ञानियों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र हैं ।


जिन नामों का अस्तित्व मिलता है वे इस प्रकार हैं :-

१. बहुरूपा, २. तारा, ३. नर्मदा, ४. यमुना, ५. शांति, ६. वारुणी, ७. क्षेमकरी, ८. ऐन्द्री, ९. वाराही, १०. रणवीरा, ११. वानरमुखी, १२. वैष्णवी, १३. कालरात्रि, १४. वैद्यरूपा, १५. चर्चिका, १६. बेताली, १७. छिनमास्तिका, १८. वृषभानना, १९. ज्वाला कामिनी, २०. घटवारा, २१. करकाली, २२. सरस्वती, २३. बिरूपा, २४. कौबेरी, २५. भालुका, २६. नारसिंही, २७. बिराजा, २८. विकटानन, २९. महालक्ष्मी, ३०. कौमारी,३१. महामाया, ३२. रति, ३३. करकरी, ३४. सर्पश्या, ३५. यक्षिणी, ३६. विनायकी, ३७. विन्द्यावालिनी, ३८. वीरकुमारी, ३९. माहेश्वरी, ४०. अम्बिका, ४१. कामायनी, ४२. घटाबारी, ४३. स्तुति, ४४. काली, ४५. उमा, ४६. नारायणी, ४७. समुद्रा, ४८. ब्राह्मी, ४९. ज्वालामुखी, ५०. आग्नेयी, ५१. अदिति, ५२. चन्द्रकांति, ५३. वायुबेगा, ५४. चामुंडा, ५५. मूर्ति, ५६. गंगा, ५७. धूमावती, ५८. गांधारी, ५९. सर्व मंगला, ६०. अजिता, ६१. सूर्य पुत्री, ६२. वायु वीणा, ६३. अघोरा, ६४. भद्रकाली ।




साधना के लाभ:-

किसी भी प्रकार का मनोकामना पुर्ण करने हेतु इससे तिष्ण साधना दुसरा कोइ नही हो सकता है,यह विधान कलियुग मे शिघ्र फलप्रद है। जिनका विवाह ना हो रहा हो,जिनको नोकरी नही मिल रहा हो, जिनको व्यापार मे उन्नति नहीं मिल रहा हो,जिनका आर्थिक जिवन खराब हो,जिनको प्रेम मे असफलता मिल रहा हो,जिनको साधना मे बार बार असफलता मिल रहा हो,जिनको परीक्षा मे असफलता मिल रहा हो,जिनका स्मरणशक्ति कमजोर हो,जिनका स्वास्थ्य खराब हो,जिनके घर मे कुछ किया कराया हो,जिनके वास्तु मे दोष हो,जिनके पित्रु अप्रसन्न हो,जिनको कालसर्प दोष के कारण जिवन मे असफलता मिल रहा हो,तो येसे व्यक्तियो के लिये "यह दुर्लभ साधना करना अत्यंत जरुरी है",इस साधना से सभी प्रकार के लाभ प्राप्त किये जा सकते है।
योगिनीयों से कोइ भी कार्य शिघ्र सम्पन्न करवाया जा सकता है। इस साधना को महाशिवरात्रि के पर्व पर करने से सभी साधनाओ मे सफलता प्राप्त किया जा सकता है। किसी भी शाबर मंत्र जाप से पहिले यह विधान अवश्य करे तो मंत्र सिद्धि का अवसर द्विगुणित होता है।


वैसे तो इस साधना मे एक विशेष सामग्री का प्रयोग करने से लाभ ज्यादा प्राप्त किये जा सकते है। इस दुर्लभ सामग्री का नाम है " पारद चौंसठ योगिनी गुटिका " जो अष्ट संस्कारीत होता है। जिसके निर्माण के समय लागातार शुद्ध पारद पर ग्यारह रुद्र मंत्रो के साथ कामाख्या मंत्र का जाप किया जाता है और गुटिका निर्माण के बाद उसका उपयोग करने से शिघ्र फल प्राप्त होते हुये देखे गये है। इस गुटिका को योगिनी बीज मंत्रो से ही प्राण-प्रतिष्ठित करना पडता है और कच्चे दूध से रुद्राभिषेक करना पड़ता है। यह सारा विधान करने से गुटिका मे बहोत ज्यादा शक्ति और क्षमता निर्माण होता है,जो हमारे लिए लाभदायक है।


आप चाहो तो बिना गुटिका के भी साधना सम्पन्न कर सकते है और लाभ उठा सकते है,इससे कोइ नुकसान नही होता है परंतु साधना से प्राप्त पुर्ण लाभ हेतु गुटिका तो साधना का मुख्य सामग्री है। गुटिका प्राप्त करने हेतु हमसे amannikhil011@gmail.com पर ई-मेल के माध्यम से सम्पर्क करे। गुटिका का मुल्य 2400/-रुपये है,जो ज्यादा नही है क्युके शुद्ध पारद मार्केट मे नही मिलता है बल्कि उसके शुद्धिकरण मे ही अत्याधिक मेहनत करना पडता है और शुद्धिकरण मे आनेवाला खर्च ज्यादा होने के कारण हम आपके 2400/- रुपये मे गुटिका का निर्माण करके दे रहे है। शायद इसमे हमे कुछ फायदा हो सकता है या फिर इसमे हमारा कुछ रुपयों का नुकसान भी हो सकता है परंतु फिर भी साधकों के कल्याणार्थ हमे यह कदम उठाना पड रहा है।




साधना विधि-विधान:-


इस साधना को सोमवार रात्रि मे या अमावस्या/पुर्णिमा के रात्रि मे सम्पन्न करे। साधना के शुरुआत मे गणेश मंत्र और गुरुमंत्र का जाप भी करले,अगर आपके कोइ गुरु ना हो तो हमारे ब्लोग पर गुरुमंत्र हेतु आर्टिकल दिया हुआ है उसे पढिये ।अब किसी पात्र मे शिवलिंग रखे और शिवलिंग का सामान्य पुजन करे,जल भी चढाये । एक सफेद रंग का पुष्प अपना मनोकामना बोलते हुए शिवलिंग पर अर्पित करे। 64 योगिनी मंत्र को एक-एक बार पढना जरुरी है परंतु आप मे पात्रता हो तो 1,3,5,7,11.....108 की संख्या मे आप ज्यादा मंत्र का उच्चारण कर सकते है। यह तांत्रोत्क बीज मंत्रो से युक्त योगिनी मंत्र है,जिसकी अधिष्ठात्री देवि ललिताम्बा है,जो साधक का कोइ भी इच्छा पुर्ण कर सकती है।

योगिनी मंत्र जाप से पुर्व और अंत मे "ॐ नमः शिवाय" का जाप भी करना जरुरी है। आगे योगिनी मंत्रो को बोलते हुए किसी भी प्रकार के शिवलिंग पर अष्टगंध युक्त चावल चढाये-





चौंसठ योगिनी मंत्र :-


१. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री काली नित्य सिद्धमाता स्वाहा ।

२. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कपलिनी नागलक्ष्मी स्वाहा ।

३. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुला देवी स्वर्णदेहा स्वाहा ।

४. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुरुकुल्ला रसनाथा स्वाहा ।

५. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री विरोधिनी विलासिनी स्वाहा ।

६. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री विप्रचित्ता रक्तप्रिया स्वाहा ।

७. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री उग्र रक्त भोग रूपा स्वाहा ।

८. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री उग्रप्रभा शुक्रनाथा स्वाहा ।

९. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री दीपा मुक्तिः रक्ता देहा स्वाहा ।

१०. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नीला भुक्ति रक्त स्पर्शा स्वाहा ।

११. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री घना महा जगदम्बा स्वाहा ।

१२. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री बलाका काम सेविता स्वाहा ।

१३. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मातृ देवी आत्मविद्या स्वाहा ।

१४. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मुद्रा पूर्णा रजतकृपा स्वाहा ।

१५. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मिता तंत्र कौला दीक्षा स्वाहा ।

१६. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री महाकाली सिद्धेश्वरी स्वाहा ।

१७. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कामेश्वरी सर्वशक्ति स्वाहा ।

१८. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भगमालिनी तारिणी स्वाहा ।

१९. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नित्यकलींना तंत्रार्पिता स्वाहा ।

२०. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भैरुण्ड तत्त्व उत्तमा स्वाहा ।

२१. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री वह्निवासिनी शासिनि स्वाहा ।

२२. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री महवज्रेश्वरी रक्त देवी स्वाहा ।

२३. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री शिवदूती आदि शक्ति स्वाहा ।

२४. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री त्वरिता ऊर्ध्वरेतादा स्वाहा ।

२५. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुलसुंदरी कामिनी स्वाहा ।

२६. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नीलपताका सिद्धिदा स्वाहा ।

२७. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नित्य जनन स्वरूपिणी स्वाहा ।

२८. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री विजया देवी वसुदा स्वाहा ।

२९. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री सर्वमङ्गला तन्त्रदा स्वाहा ।

३०. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री ज्वालामालिनी नागिनी स्वाहा ।

३१. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री चित्रा देवी रक्तपुजा स्वाहा ।

३२. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री ललिता कन्या शुक्रदा स्वाहा ।

३३. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री डाकिनी मदसालिनी स्वाहा ।

३४. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री राकिनी पापराशिनी स्वाहा ।

३५. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री लाकिनी सर्वतन्त्रेसी स्वाहा ।

३६. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री काकिनी नागनार्तिकी स्वाहा ।

३७. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री शाकिनी मित्ररूपिणी स्वाहा ।

३८. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री हाकिनी मनोहारिणी स्वाहा ।

३९. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री तारा योग रक्ता पूर्णा स्वाहा ।

४०. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री षोडशी लतिका देवी स्वाहा ।

४१. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भुवनेश्वरी मंत्रिणी स्वाहा ।

४२. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री छिन्नमस्ता योनिवेगा स्वाहा ।

४३. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भैरवी सत्य सुकरिणी स्वाहा ।

४४. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री धूमावती कुण्डलिनी स्वाहा ।

४५. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री बगलामुखी गुरु मूर्ति स्वाहा ।

४६. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मातंगी कांटा युवती स्वाहा ।

४७. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कमला शुक्ल संस्थिता स्वाहा ।

४८. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री प्रकृति ब्रह्मेन्द्री देवी स्वाहा ।

४९. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री गायत्री नित्यचित्रिणी स्वाहा ।

५०. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मोहिनी माता योगिनी स्वाहा ।

५१. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री सरस्वती स्वर्गदेवी स्वाहा ।

५२. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री अन्नपूर्णी शिवसंगी स्वाहा ।

५३. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नारसिंही वामदेवी स्वाहा ।

५४. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री गंगा योनि स्वरूपिणी स्वाहा ।

५५. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री अपराजिता समाप्तिदा स्वाहा ।

५६. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री चामुंडा परि अंगनाथा स्वाहा ।

५७. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री वाराही सत्येकाकिनी स्वाहा ।

५८. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कौमारी क्रिया शक्तिनि स्वाहा ।

५९. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री इन्द्राणी मुक्ति नियन्त्रिणी स्वाहा ।

६०. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री ब्रह्माणी आनन्दा मूर्ती स्वाहा ।

६१. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री वैष्णवी सत्य रूपिणी स्वाहा ।

६२. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री माहेश्वरी पराशक्ति स्वाहा ।

६३. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री लक्ष्मी मनोरमायोनि स्वाहा ।

६४. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री दुर्गा सच्चिदानंद स्वाहा ।




पुजन के बाद शिव जी का आरती करे और एक बार फिर उनसे अपना मनोकामना पुर्ण करने हेतु प्रार्थना करे। साधना सम्पूर्ण होते ही चढाये हुए चावल शिवलिंग के उपर से निकालकर सुरक्षित रख दे और दुसरे दिन जल मे प्रवाहित कर दे ।



Goddess of the simple relationship in which the term nature or which we become aware of the power generated and the power of the one who plays the obligation to comply Srnmen devoted herself to her again Cintakrne not need any kind that he Bliss That is the sixty-four Yoginian literally Mother Goddess are considered as auxiliary forces. With the help of Mother Goddess who ruled the world during the end of the hinge runs and Shrishti maatrakaa these powers back to Mother Goddess merges again and again just to rebuild the Mother Goddess as sprays. Very often it is seen that takes people to the classification and the classification based on Sadkgn inferior to other seekers - opens upon his venerable in his eyes as he and the other to understand the basic or stapleIf it is just for your mental peace and satisfaction and is another who fulfill the same purpose for that. Now we come to visit our theme this maternal death in public power Vidayman all the same as all the immensity of the Mahamaya Adyashkti organ, part, the disciples as they cultivate the form as prescribed for the treatment and properties is consistent fruit. Sixty four Yoginian that subsidiary powers virtually Goddess Durga Goddess Durga who periodically works as the assistant powers and other powers system approach, weighing maatrakaa expressions and Sktionse supplemented and primarily major attraction for the wise system are.

They are names that do exist: -

1. Bhurupa, 2. Star, 3. Narmada, 4. Yamuna, 5. Peace, 6. Varuni, 7. Kshemkri, 8. Aendrai, 9. Warahi, 10. Rnvira, 11. Wanrmuki, 12. Vaishnavi, 13. Kaalaraatri, 14. Vadyrupa, 15. Charcika, 16. Betali, 17. Chinmastika, 18. Vrisbanna, 1 9. Flame Kamini, 20. Gtwara, 21. Krkali, 22. Muse, 23. Birupa, 24. Kauberi, 25. Baluka, 26. Narasinhi, 27. Biraja, 28. Viktann, 2 to 9. Mahalakshmi, 30. Kaumari, 31. Mahamaya, 32. Rati, 33. Krkri, 34. Srpshya, 35. Ykshini, 36. Vinaiki, 37. Vindyawalini, 38. Virkumari, 3 9. Maheshwari, 40. Ambika, 41. Kamayani, 42. Gtabari, 43. Praise, 44. Black, 45. Uma, 46. Narayani, 47. Samudra, 48. Brahmi, 4 to 9. Volcano, 50. Agneyi, 51. Aditi, 52. Cndrakanti, 53. Wayubega, 54. Chamunda, 55. Murthy, 56. Ganga, 57. Dhumavati, 58. Gandhari, 5 to 9. Sarva Mangala, 60. Ajita, 61. Sun daughter, 62. Air Harp, 63. Agora, 64. Bhadrakali.

Benefits of meditation: -

Any desire to absolutely Tishn practice it may not have any second, it is potent Instantly legislation in Kali Yuga. Which I'm not married, I do not find all duty, can not be progress on all business, whose economic Life deteriorate, failure in getting all the love, all in practice often fail to find, all the examination Failure to find, which weakened memory, whose health deteriorated, which may be done in-house, in which the architectural defects, whose Pitru unhappy, all Kalsarpa getting failure due to defects in Life, then of persons Yese For "it is of utmost importance to the cultivation of rare", this practice has all kinds of benefits can be obtained.

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Silence legislation: -

This meditation on Monday night or moon / purnima to perform on the night. In the beginning of the Ganesh mantra meditation and chanting Gurumntr also Karle, if you do not master any given article is for Gurumntr on our blog Read her now, housed and Shiva lingam in a vessel to Pujn general, water transfusion. A white floral tributes to his wishes Speaking lingam. 64 Elf spell is a must-read, but once you become eligible in the number of 108 in 1,3,5,7,11 ..... you can chant more. Tantrotk seed elf spells it with Mantras, which is Lalitamba deity Devi, who seeker can absolutely no desire.

The pre and end elf chanting "Om Namah Shivaya" chant is also necessary to. Speaking ahead of any kind of elf Mantras Ashtgand containing rice on lingam Cdaye-

Sixty four elf spells: -

1. Ey Hrin Srin Mr. Black continual Siddhmata destroyed.

2. Ey Hrin Srin Mr. Kplini Naglkshmi destroyed.

3. Ey Hrin Srin Mr. Kula Devi Swarndeha destroyed.

4. Ey Hrin Srin Mr. Kurukulla Rsnatha destroyed.

5. Ey destroyed Hrin Srin Mr. Virodini skit.

6. Ey Hrin Srin Mr. Viprcitta Rktpriya destroyed.

7. Ey Hrin Srin Mr. fiery blood Rupa destroying indulgence.

8. Ey Hrin Srin Mr. Ugrprba Shukranatha destroyed.

9. Ey Hrin Srin Mr. Deepa CHILLING Raktha destroyed Doha.

10. Ey Hrin Srin Mr. Blue Bukti Sprsha destroying blood.

11. Ey Hrin Srin Mr. dense General Jagdamba destroyed.

12. Ey destroyed sevita Hrin Srin Mr. Balaka work.

13. Ey Hrin Srin Mr Mother Goddess metaphysical destroyed.

14. Ey Hrin Srin Mr. currency Purna Rjtkripa destroyed.

15. Ey Hrin Srin Mr. Mita system destroyed Kaula initiation.

16. Ey Hrin Srin Mr. Mahakali Siddheswari destroyed.

17. Ey destroyed Hrin Srin Mr. Kameswari omnipotence.

18. Ey Hrin Srin Mr. Bgmalini tarini destroyed.

1 9. Ey Hrin Srin Mr. Nityklinna Tntrarpita destroyed.

20. Ey Hrin Uttma destroyed Srin Mr. Barund element.

21. Ey Hrin Srin Mr. Vhnivasini Shasini destroyed.

22. Ey Hrin Srin Mr. Mahvjreshwari blood Swaha Devi.

23. Ey Hrin Srin Mr. Shivduti etc. destroying power.

24. Ey Hrin Srin Mr. Thwarita Urdhhwaretada destroyed.

25. Ey Hrin Srin Mr. Kulsunderi Kamini destroyed.

26. Ey Hrin Srin Mr. Nilptaka Siddhida destroyed.

27. Ey Hrin Swrupini destroyed Srin Mr. continual generation.

28. Ey Hrin Srin Mr. Vijaya Devi Vsuda destroyed.

2 9. Ey Hrin Srin Mr. Srwmdagla Tntrada destroyed.

30. Ey Hrin Srin Mr. Jwalamalini destroyed Nagini.

31. Ey Hrin Srin Rktpuja destroyed Sri Chitra Devi.

32. Ey Hrin Srin old Sri Lalita Shukrada destroyed.

33. Ey Hrin Srin Mr. Dakini Mdsalini destroyed.

34. Ey Hrin Srin Mr. Rakini Paprashini destroyed.

35. Ey Hrin Srin Mr. Lakini Srwatntresi destroyed.

36. Ey Hrin Srin Mr. Kakini Nagnartiki destroyed.

37. Ey Hrin Srin Mr. Shakini Mitrrupini destroyed.

38. Ey Hrin Srin Mr. Hakini Mnoharini destroyed.

3 9. Ey Hrin star Srin Mr. Purna Yoga Raktha destroyed.

40. Ey Hrin Srin Mr. ShoDashI Latika Devi destroyed.

41. Ey Hrin Srin destroyed undersecretary Shri Bhuvaneshwari.

42. Ey Hrin Srin Mr. chhinnamasta Yonivega destroyed.

43. Ey Hrin Sukrini destroyed Srin Mr. Bhairavi truth.

44. Ey destroyed Hrin Srin Mr. dhumavati Kundalini.

45. Ey Hrin Srin Mr. bagalamukhi master destroyed statue.

46. Ey Hrin Srin Mr. Matngi destroyed her fork.

47. Ey Hrin Srin Mr. Shukla Snsthita destroyed caterpillar.

48. Ey Hrin Srin Brhmendrai Devi Sri nature destroyed.

4 9. Ey Hrin Srin Shree Gayatri Nitycitrini destroyed.

50. Ey destroyed Hrin Srin Mr. siren elf mother.

51. Ey Hrin Srin Mr. Muse Swrgdevi destroyed.

52. Ey Hrin Srin Mr. Annpuarni Shivsngi destroyed.

53. Ey Hrin Srin Mr. Narasinhi Vamadevi destroyed.

54. Ey Hrin Srin Mr. Ganga destroyed Swrupini vagina.

55. Ey Hrin Srin Mr. aparajita Smaptida destroyed.

56. Ey Hrin Srin Angnatha destroyed Mr Chamunda Cir.

57. Ey Hrin Srin Mr. Warahi Satyekakini destroyed.

58. Ey Hrin Sktini destroyed Srin Mr. Kaumari action.

5 9. Ey Hrin Niantrini destroyed Srin Mr. Indrani discharge.

60. Ey Hrin Srin Mr. Brhmani Ananda destroyed the statue.

61. Ey Hrin Srin Sri Vaishnavi Rupini destroying truth.

62. Ey Hrin Srin Mr. Maheshwari Parashakti destroyed.

63. Ey Hrin Srin Mr. Lakshmi Mnormayoni destroyed.

64. Ey Hrin Srin Satchidananda Sri Durga destroyed.

After Pujn to worship of Shiva and his wishes to them once again to pray for absolutely. As soon as the transfusion of whole rice cultivation over the lingam and the next day put out safely give water to flow out.





आदेश.......