भैरव भक्त वत्सल है शीघ्र ही सहायता करते है,भरण,पोषण के साथ रक्षा भी करते है। ये शिव के अतिप्रिय तथा माता के लाडले है,इनके आज्ञा के बिना कोई शक्ति उपासना करता है तो उसके पुण्य का हरण कर लेते है कारण दिव्य साधना का अपना एक नियम है जो गुरू परम्परा से आगे बढता है।अगर कोई उदण्डता करे तो वो कृपा प्राप्त नहीं कर पाता है।
भैरव सिर्फ शिव और माँ के आज्ञा पर चलते है वे शोधन,निवारण,रक्षण कर भक्त को लाकर भगवती के सन्मुख खड़ा कर देते है।इस जगत में शिव ने जितनी लीलाएं की है उस लीला के ही एक रूप है भैरव।भैरव या किसी भी शक्ति के तीन आचार जरूर होते है,जैसा भक्त वैसा ही आचार का पालन करना पड़ता है।ये भी अगर गुरू परम्परा से मिले वही करना चाहिए।आचार में सात्वीक ध्यान पूजन,राजसिक ध्यान पूजन,तथा तामसिक ध्यान पूजन करना चाहिए।भय का निवारण करते है भैरव।
इस जगत में सबसे ज्यादा जीव पर करूणा शिव करते है और शक्ति तो सनातनी माँ है इन दोनो में भेद नहीं है कारण दोनों माता पिता है,इस लिए करूणा,दया जो इनका स्वभाव है वह भैरव जी में विद्यमान है।सृष्टि में आसुरी शक्तियां बहुत उपद्रव करती है,उसमें भी अगर कोई विशेष साधना और भक्ति मार्ग पर चलता हो तो ये कई एक साथ साधक को कष्ट पहुँचाते है,इसलिए अगर भैरव कृपा हो जाए तो सभी आसुरी शक्ति को भैरव बाबा मार भगाते है,इसलिये ये साक्षात रक्षक है। भूत बाधा हो या ग्रह बाधा,शत्रु भय हो रोग बाधा सभी को दूर कर भैरव कृपा प्रदान करते है।अष्ट भैरव प्रसिद्ध है परन्तु भैरव के कई अनेको रूप है सभी का महत्व है परन्तु बटुक सबसे प्यारे है।नित्य इनका ध्यान पूजन किया जाय तो सभी काम बन जाते है,जरूरत है हमें पूर्ण श्रद्धा से उन्हें पुकारने की,वे छोटे भोले शिव है ,दौड़ पड़ते है भक्त के रक्षा और कल्याण के लिए।
साधना विधि-विधान-
शिव के अनेक भैरव स्वरूपों की पूजा काल, धन, यश की कामना को पूरी करने वाली मानी गई है। किंतु कामना सिद्धि या धन लाभ की दृष्टि से शास्त्रों में भैरव पूजा के सही वक्त व तरीके बताए गए हैं।
- पौराणिक मान्यताओं में भैरव अवतार प्रदोष काल यानी दिन-रात के मिलन की घड़ी में हुआ। इसलिए भैरव पूजा शाम व रात के वक्त करें।
- रुद्राक्ष शिव स्वरूप है। इसलिए भैरव पूजा रुद्राक्ष की माला पहन या रुद्राक्ष माला से ही भैरव मंत्रों का जप करें।
- स्नान के बाद भैरव पूजा करें। जिसमें भैरव को भैरवाय नम: बोलते हुए चंदन, अक्षत, फूल, सुपारी, दक्षिणा, नैवेद्य लगाकर धूप व दीप आरती करें।
- भैरव आरती तेल की दीप से करें।
- तंत्र शास्त्रों में मदिरा का महत्व है, किंतु इसके स्थान पर दही-गुड़ भी चढ़ाया जा सकता है।
- भैरव की आरती तेल के दीप व कर्पूर से करें।
-कुत्ता भैरव जी का वाहन है इसलिये कुत्तों को भोजन अवश्य खिलाना चाहिए एवं भैरव हमेशा पूरे परिवार की रक्षा करते हैं इसीलिये भैरव देवता को काले वस्त्र और नारियल चढाने से वह प्रसन होते हैं,साधना के आखरी दिन काला वस्त्र और नारियल चढाने से बहोत लाभ प्राप्त होगा।
- भैरव पूजा व आरती के बाद विशेष रूप से शिव का ध्यान करते हुए दोष व विकारों के लिए क्षमा प्रार्थना कर प्रसाद सुख व ऐश्वर्य की कामना से ग्रहण करें।
-भैरवनाथ मंत्र का नित्य एक माला जाप करना है और इसके लिए मुख दक्षिण दिशा मे होकर जाप करना है।
-आसन वस्त्र लाल/काले रंग के हो और येसा भैरव चित्र स्थापित करे जिसमे "महाकालि के साथ भैरव जी भी हो",यह साधना का विशेष अंग है।
मै आज जो मंत्र यहा दे रहा हू,इससे समस्त प्रकार के विघ्नो का पिडाओ का दुखो का नाश होता है एवं कामना सिद्धि भी होता है। इस मंत्र से षट्कर्म भी सम्भव है जैसे मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, विद्वेषन, शांतिकर्म.....इत्यादि।इस मंत्र से षट्कर्म कैसे किया जा सकता है यह बात मै यहा गोपनीय रख रहा हू परंतु जो साधक यह साधना करेगा,उसको मै रहस्य अवश्य बता दुगा ।
यह साधना किसी भी शनिवार से शुरु करे और साधना 41 दिन करना है। इस साधना से जहा हमे लाभ होता है वही इस साधना के माध्यम से हम दुसरो का भी काम करवा सकते है। यह तिष्ण शाबर मंत्र साधना है इसलिए इस साधना से लाभ प्राप्त होते हुए देखा गया है। साधना हेतु अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिये सम्पर्क करे -amannikhil011@gmail.com पर और इस साधना का मंत्र फोटो मे दिया हुआ है।
कहा जाए कि संकटों, आपदाओं और भिन्न-भिन्न प्रकार की समस्याओं से त्रस्त कलियुग में भगवान भैरोंनाथ महाराज का स्मरण, पूजा-अर्चना ब्रह्मास्त्र हैं तो अतिश्योक्ति नहीं। तंत्राचार्यों का मानना है कि वेदों में जिस परम पुरुष का चित्रण रुद्र में हुआ, वह तंत्र शास्त्र के ग्रंथों में उस स्वरूप का वर्णन 'भैरव' के नाम से किया गया, जिसके भय से सूर्य एवं अग्नि तपते हैं। इंद्र-वायु और मृत्यु देवता अपने-अपने कामों में तत्पर हैं, वे परम शक्तिमान 'भैरव' ही हैं।
Bhairavnath accomplishment:
Bhairav is vatsal devotee is shortly to assist, feed, nutrition is also the defense.can not achieve.
They just follow orders Bhairav Shiva and mother purification, prevention, protection of the devotees brought Bhagwati opposite pose as the pastimes of Lord Shiva in this world, that is a form of Leela or any Barvlbarv There are three ethics of power, as the man has to follow the same conduct These also met the guru tradition to the attention Satwik in Chahia.achar worship, meditation rajasic worship, meditation and worship vengeful troubleshoot Chahia.by Bhairav do.
Most creatures in the world, Shiva is mercy and power in the orthodox mother could not distinguish the two because both parents, this compassion, kindness which is their nature to live in the Bhairav demonic powers in existing Halsristi too If nuisance, even if it runs on a special practice and devotion of many a seeker so painfully, so be pleased if the Bhairon Baba Bhairav kill Bgate power is the worst, because it is a living savior. Ghost obstacle or hindrance planet, foes fear barrier disease remove all but one Bhairav Bhairav Bhairav pleased Hakasht provide as many Aneko the importance of all but the most beloved Haknity Batuk speaking their mind to worship All the work has become, we need to call them to devotion, they have little naive Shiva, the man rushed to the defense and welfare.
Vidhan- practice law
Many forms of Shiva Bhairava worship time, money, fame is considered to fulfill the wish. But in the scriptures in terms of profits, wish fulfillment or the right time and ways to worship Bhairav.
- In mythology, Bhairav avatar dusk period occurred at a time of the day-night meeting. So Bhairava worship in the evening and at night.
- Rudraksha Shiva format. Rudraksha Mala Rudraksha beads to wear or because the worship Bhairav Bhairav chant mantras.
- After bathing worship Bhairava. Bhairav which wet Barway: Speaking sandalwood, rice, flowers, betel nut, Dakshina, oblation by the sun and deep prayers.
- Bhairav prayers to the oil lamp.
- System in the scriptures is the importance of wine, but instead yogurt-molasses can also be plated.
- Bhairav Arti oil from the lamp and the camphor.
The vehicle must therefore live Bhairav -kutta food should feed the dogs and protect the whole family always so Bhairav Bhairav the god he mounted the black robes and coconut are Prasn, the last day of practice black robes and bringing the benefits of coconut Coating will receive.
- Bhairav Shiva Puja and Aarti particular attention since the defects and disorders, praying for forgiveness, offering to accept wished happiness and prosperity.
-barvnath Continual mantra chanting and a wreath on the south side of the home is the chant.
-asn Wear red / black and Yesa Bhairav picture which establishes "Bhairav with Mahakali be living", it is a special part of practice.
Today I am giving the mantra here, it grieves all types of Pidao of Vigno would destroy and wished accomplishment happens. This mantra is possible as shatkarma Mohan, captivate, deflexion, Vidvesn, Shantikarm ..... how can shatkarma Ityadikis spells it but I'm here to keep confidential the spiritual seeker who would like him Duga must tell secrets.
This practice may begin at any Saturday and practice is 41 days. The practice where we would benefit from the work of others and get us through this meditation can. It therefore Tishn Shabr mantra meditation practice has seen the benefits. For more information please contact -amannikhil011@gmail.com for cultivation and the cultivation of the mantra has been in the photo.
That prompted crises, disasters and different kinds of problems plagued Kaliyuga remember God Baronnath chef, not an exaggeration if brahmastra worship. Tntracharyon believe that the Vedas Rudra was the ultimate illustration of man, the nature of the system described in the texts of scripture 'Bhairav' was called, which are awfully Tpte sun and fire. Indra, the god of wind and death look forward to their jobs, they Almighty 'Bhairav' are the same.
आदेश......