pages

31 Oct 2015

महाकाली प्रत्यक्ष दर्शन (शाबर मंत्र साधना).

माँ महाकाली के दर्शन प्राप्त करना प्रत्येक साधक का स्वप्न होता है और उनके दर्शन से कोई भी व्यक्ती फिर सामान्य व्यक्ती नही रहेता है.यह तो पुण्योदय है उन साधक वर्ग का जो इस जीवन मे कोई न कोई किसी भी प्रकार से महाकाली साधना संपन्न करते है,क्युके बिना पुण्य जाग्रत हुए कोई भी साधक महाकाली साधना नही करता है.ब्रम्हान्ड मे कूल 52 स्थान है जिसमे 48 स्थान महाकाली जी के है और बचे हुए 4 स्थानो मे अन्य देवी/देवताओ का स्थान माना जाता है.तो सोचिये महाकाली साधना करने से कितने लाभ प्राप्त होते है,महाकाली साधना से साधक अपना पूर्ण जीवन सदैव निडर होकर और प्रसन्नता के साथ बिना रोग,दोष,बाधा,पिडा,दरीद्रता एवं भय के जीता है.जो काली साधना करते है उनके लिये तो तंत्र के क्षेत्र मे कुछ भी प्राप्त करना असंभव नही है और काली साधना करने वालो मे मैने आजतक सबसे ज्यादा आत्मविश्वास देखा है.

कई साधको को यह भ्रम है की महाकाली एक तिश्ण देवी है और इनकी साधना मे कोई भी गलती हो जाती है तो विपरीत परिणाम भोगना पडता है.जबकी येसी बात नही है,माँ तो अत्यन्त सौम्य और सरल महाविद्या है.जिनका रुप भले ही विकराल हो परंतु माँ के हृदय मे करुणा, दया, ममता, स्नेह और अपने भक्तो के प्रती अत्याधिक ममत्व है.उनका भयंकर स्वरुप अपने भक्तो के शत्रुओ हेतु है जो माँ के पुत्रो को कष्ट देना चाहता है.माँ की कृपा से सभी प्रकार की समस्याये कोसो दूर भाग जाती जो फिर से आने की कोशिश भी नही करती है.कालीदास जी को माँ का ममत्व प्राप्त हुआ और वह सारे संसार मे प्रसिद्ध हुए.श्री रामकृष्ण परमहंस जी का नाम आज कौन नही जानता,उनका उपासना पद्धती आज तक गोपनिय रहा है.परमहंस जी ने माँ का ममत्व प्राप्त करने हेतु कई प्रकार के मंत्रो का जाप किया परंतु उन्हे "शाबर मंत्र जाप" से माँ के दर्शन प्राप्त करने हेतु पूर्ण सफलता प्राप्त हुयी.आज भी लोग खोज मे लगे हुए है के आखिर वह कौनसा शाबर मंत्र था जिससे उन्हे माँ के ममत्व स्वरुप का दर्शन हुआ.उन्हे महाकाली पूर्णरुपेण सिद्ध थी,एक बात बताता हू सिद्धी और दर्शन मे फर्क है.दर्शन होने का अर्थ सिद्धी प्राप्त करना नही है,यह दोनो विषय भिन्न है.उदाहरन हेतु मुझे माँ के दर्शन प्राप्त हुए परंतु माँ सिद्ध नही हुयी क्युके उन्हे सिद्ध करने हेतु कठिन तपस्या की आवश्यकता है.

यहा पर जो साधना दे रहा हू इसमे माँ के "तांत्रिक विग्रह"का महत्व मंत्र से भी ज्यादा है और बिना विग्रह के साधना करने से लाभ तो मिलेगा परंतु दर्शन प्राप्त करने का सौभाग्य जो अत्यन्त दुर्लभ है उसे प्राप्त करने हेतु कई वर्ष लग जायेगे.यह सिर्फ एक किसी धातु का विग्रह नही बल्की मेरे लिये और उनके सच्चे भक्तो के लिये जो हृदय से उनसे प्रेम करते है उनके लिये तो "स्वयम माँ है".इस विग्रह को निर्माण करना कठिन क्रिया है,जब धातु को अग्नी मे डालकर उसका पानी बनाया जाता है विग्रह निर्माण हेतु तब "नवार्ण मंत्र" का जाप किया जाता है.उसके बाद गरम धातु को साचे मे आकार देने के लिये जब प्रयोग मे लाया जाता है तब "रावण कृत अघोर काली मंत्र का जाप किया जाता है.जब विग्रह बन जाये तब उसकी प्राण-प्रतिष्ठा शस्त्रोक्त मंत्रो से होती है,उसके बाद "कामकाली साहस्त्राक्षरी" मंत्रो से विग्रह का अनार के रस से अभिशेक किया जाता है.अगले क्रिया मे काली हल्दी का लेप करके गुडहल का पुष्प चढाकर कुमकुम से तान्त्रोत्क न्यास विधी कर्म करके अंग-पुजन किया जाता है.अब आखरी क्रिया मे "शाबर महाकाली जागरण मंत्र' से विग्रह को जागृत किया जाता है.इस प्रकार से "तान्त्रोक्त महाकाली विग्रह" का निर्माण कार्य होता है.बाजार से विग्रह खरीदकर विग्रह का प्राण-प्रतिष्ठा करके किसी को देने से विग्रह प्रदान करने वाले को माँ के तान्त्रोत्क विग्रह के नाम पर पैसा खाने का भी दोष लगता है.इसलिये प्रामानिक विग्रह देना ही उचित है अन्यथा माँ तो सब कुछ देख रही है और उनके नाम पर व्यापार करके लोगो को ठगने वाले को वो बिना दंड दीये छोडेगी नही,येसे व्यक्ती पर माँ की अवकृपा होती है जिससे उसका जीवन निरंतर समस्याओ से भरपूर हो जाता है.
येसा दुर्लभ विग्रह हमसे अवश्य ही प्राप्त करे और जीवन के समस्त बाधाओ पर विजय प्राप्त करे.हमे सम्पर्क करने से आपको माँ के विग्रह का उचित मूल्य और पूर्ण "शाबर महाकाली दर्शन मंत्र" प्राप्त होगा.मैने इसलिये पूर्ण मंत्र अपने आर्टिकल मे नही डाला क्युके इंटरनेट पर चोरो की कोई कमी नही है.मेरा प्रत्येक आर्टिकल चोरी करके लोग अपने नाम से किताबो मे,फेसबूक पर,ब्लौग पर एवं वेबसाइट पर छाप रहे है और इस बार मैने पूर्ण मंत्र नही लिखा.इस मंत्र मे 2-2 शब्द गायब कर दीये है ताकी आर्टिकल चोरी नही किया जाये.अब बात करते है साधना विधी की जो हम सभी के लिये महत्वपूर्ण है.


यह साधना अत्यंत महत्वपूर्ण साधना है,जो आज तक गोपनीय रहा है.आज उस गोपनीय रहस्य को मै आपके सामने उजागर कर रहा हू.सभी साधना मे
सफलता देने मे इस साधना का आपको प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त होगा,यह “महाकाली प्रत्यक्ष दर्शन” साधना है और जब माँ आपको दर्शन देगी तो आपको उनसे यह
प्रार्थना करनी है “हे माँ भगवती मुझे
सभी साधनामे सफलता और पूर्ण सिद्धि प्रदान करे”,निच्छित ही आपका प्रार्थना माँ स्वीकार करेगी और आपका अमूल्य जीवन तांत्रिक सिद्धियो के लिये महत्वपूर्ण होगा.

यह मेरा अनुभूतित साधना है जो केवल मात्र 31 दिन का है और इस साधना मे सिर्फ 1 माला मंत्र का जाप रात्री के समय मे 11:36 से 12:36 मध्य के समय मे करना आवश्यक है,पहिले दिन माताराणी को पंच-मेवा युक्त खीर का भोग लगाये और साथ मे कपूर का ज्योत भी जला दीजिये.माँ के तान्त्रोत्क विग्रह को सामने लाल कपडे पर स्थापित करके सामान्य पद्धती से पुजन करना है जिसके लिये किसी भी प्रकार के कर्मकान्ड की आवश्यकता नही है .

शाबर महाकाली मंत्र का जाप करने से पूर्व सामान्य रुप से गणेश+गुरुपूजन अवश्य करे लीजिये (जिनके गुरू ना हो वह शिव पुजन करे),इस विधान मे आपको साधना से पूर्व महाकाली जी के "तान्त्रोत्क विग्रह" का व्यवस्था पहिले ही कर लेना पड़ेगा क्यूके साधना मे माँ का तान्त्रोक्त विग्रह होना आवश्यक है और साधना के समय आप माँ को नीम के पत्तों का चोला उनकी कमर मे बांधना है ताकि उनका अंग ढग दिया जा सके अन्यथा माँ को हमने क्रोधित होते हुये भी देखा है इसलिये नीम का पत्तों का चोला पहनाना आवश्यक है,नीम के चोले का निर्मिति करना कोई कठिन कार्य नहीं है,नीम के पत्ते लाकर उनको लाल रंग
के धागे मे पिरो लीजिये जैसे हम फूलो के हार बनाते है उसी तरहा से.

1-नीम का चोला चढ़ाये,

2-भोग लगाये,

3-कपूर का ज्योत लगाये,

4-108 बार मंत्र का जाप (मतलब एक माला जाप) काली हकीक/रुद्राक्ष माला से करे.

यह सिर्फ चार क्रियाये महत्वपूर्ण है जिन्हे ध्यान मे रखना है.






मंत्र-

॥ श्री नरसिंग हरी,हर काली महाकाली ब्रम्हा की साली,अगन पवन ********* सारी,*******************महाकाली ॥






साधना तीन दिन का है आखरी दिन माँ अवश्य ही दर्शन देगी परंतु आपका अटूट विश्वास और धैर्य जरुरी है क्युके माँ दर्शन देने से पूर्व साधक के विश्वास और धैर्य की परीक्षा लेती है.एक बार मे सफलता ना मिलने पर हिम्मत ना हारे और सच्चे पुत्र के तराहा माँ के दर्शन हेतु ज्यादा से ज्यादा प्रयासरत रहे,माँ आपको निराश नही करेगी यह मै अपने अनुभव की बात बता रहा हू.साधना मे दिशा-उत्तर,आसन-वस्त्र लाल रंग के हो,माला रुद्राक्ष/काली हकीक की हो.साधना मंगलवार से शुरू करनी है.आपसे जैसे भी संभव हो समय निकालकर साधना अवश्य सम्पन्न कीजिये.

माताराणी आपको दर्शन प्रदान करे यही कामना करता हु इसीके साथ आपके लिये हृदय से मंगलकामना करता हू....





"तान्त्रोत्क महाकाली विग्रह" का महत्व:-

यह कोई साधारण विग्रह नही है,इस विग्रह पर ध्यान क्रिया करने से साधक को अखन्ड ध्यान का प्राप्ति होता है.घर मे स्थापित करने से वास्तुदोष/गृहदोष समाप्त होने लगता है,अभीचार कर्म जिसे तांत्रिक बाधा दोष कहेते है और काला जादु भी कहेते है उसका असर समाप्त होता रहेता है.लक्ष्मी बंधन दोष जिसके वजेसे धन प्राप्ती मे आनेवाली अडचने और घर मे पैसा/रुपया ना टिकना ये सब खत्म होते जाता है.लंबे समय से चल रही बिमारियो मे स्वास्थ लाभ देखने मिलता है.शत्रुओ से होने वाली हानी मे बदलाव देखने मिलता है.ये सारे लाभ विग्रह स्थापित करने से प्राप्त होते है भलेही आप साधना संपन्न करे या ना करे और इस विग्रह के सामने कोई भी किसी भी प्रकार का महाकालि मंत्र जाप करे तो शीघ्र परिणाम स्वरुप फल प्राप्ती होता होता है.
आप विग्रह प्राप्त करने के जानकारी हेतु मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते है.


जय काली महाकाली माई कृपा करो,भक्तो को अभय वरदान प्रदान करो.......







आदेश........