प्रथम क्रिया शांति कर्म
नाना रोगः कृतिमष्ट नाना चेष्टा क्रमेण च ।
विष-भूत निराशः शान्तिरीरिता ।।
रोग-कृत्या ग्रहादीनां निरासः शान्तिरीरिता ।।
अर्थात् नाना प्रकार के रोग, नाना प्रकार की चेष्टाओं (क्रियाओं, विधियों) से निर्मित विष, भूत आदि प्रयोगों (अभिचार) कृत्या और दुष्ट ग्रहों का निराकरण करना शान्ति कर्म कहा जाता है।
(ब्लॉग पर हम षट्कर्म साधनाये देने वाले है,यह प्रथम साधना है, इसके बाद वशीकरण साधना पोस्ट किया जाएगा)
साधना विधान
इस प्रयोग को किसी भी सोमवार अथवा बुधवार को सम्पन्न किया जा सकता है। यह साधना रात्रि अथवा प्रातः काल दोनों ही समय सम्पन्न की जा सकती है। इस साधना में वस्त्र के रंग का महत्व नही है,वस्त्र किसी भी रंग का पहन सकते है । साधना वाले दिन साधक स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूर्व दिशा की ओर मुंह कर बैठ जाएं। अपने सामने एक लकड़ी के बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर भगवती काली विग्रह अथवा चित्र स्थापित करें। इसके पश्चात् साधक अपने दाहिने हाथ में जल लेकर अपनी कामना बोलकर जल को भगवती के चित्र के सामने छोड़ दीजिए ।
इसके पश्चात् साधक बाजोट पर आयताकार रूप में चावल को फैला दें। इस आयत के मध्य पीपल के एक पत्ते को रख कर उस पर एक सुपारी स्थापित करें। सुपारी पर कुमकुम से रंगे चावल चढ़ाये और एक पुष्प चढ़ाये ।
अब मुख्य सुपारी के आठो दिशाओ के तरफ शांति, श्रद्धा, कीर्ति, लक्ष्मी, घृति, दया, तुष्टि और पुष्टि के स्वरूप की स्थापना आठ सुपारी रख कर करें। इनका पूजन करते समय निम्न मंत्र का आह्वान करें।
ॐ शांत्यै नमः 11 बार ,
ॐ श्रद्धायै नमः 11बार,
ॐ कीर्त्यै नमः 11 बार,
ॐ लक्ष्म्यै नमः 11 बार,
ॐ धृत्यै नमः 11 बार,
ॐ दयायै नमः 11 बार,
ॐ तुष्टयै नमः 11 बार,
ॐ पुष्टयै नमः 11 बार जपे,
इस प्रकार प्रार्थना करने से ये शक्तियां स्थापित होती है तदन्तर मुख्य सुपारी का फिर से कुंकुम, अक्षत, रक्त चंदन इत्यादि से पंचोपचार पूजन करें। पूजन के समय निरन्तर अक्षत चढ़ाते रहें। इसके पश्चात् मुख्य मंत्र का जप करें। शांति कर्म में रुद्राक्ष माला का प्रयोग किया जा सकता है । एक ही स्थान पर बैठे - बैठे 1 माला मंत्र जप अवश्य करें । यह विधान कम से कम सात दिन तक सम्पन्न करना चहिये। यदि नियमित रूप से सात दिन संभव ना हो तो वे भाग में कर सकते हैं।
मंत्र
।। ॐ नमो आदेश गुरु को काली काली महाकाली कावड़ देश बंगाल वाली, आवो माता कृपा करो दुःख बांधो भूत प्रेत पिशाच बांधो दुष्ट ग्रहो का फल बांधो अभिचार कर्म का असर बांधो आयी बला बांधो बुरी नजर बांधो दरिद्रता बांधो कौन बांधे माता काली बांधे ना बांधे तो महादेव की आन गुरु गोरखनाथ की आन गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मंत्र ईश्वरी वाचा छू ।।
इस मंत्र के जप से रोगों का नाश होता है तथा दुष्ट ग्रह अनुकूल होते हैं। जब भी विपरीत स्थिति का अनुभव करें तो मुख्य सुपारी के आगे रुद्राक्ष माला से इस मंत्र का जप अवश्य करें।
जिस घर में साधना पूर्ण होने के बाद मुख्य सुपारी को पूजा स्थान में स्थापित किया जाता है उस घर में भूत-प्रेत इत्यादि आ नहीं सकते हैं। प्रत्येक साधक के लिये यह साधना आवश्यक है ।
साधनात्मक मार्गदर्शन हेतु निःशुल्क मार्गदर्शन किया जाएगा ।
आदेश.......