ग्रहण का धार्मिक महत्व:-
ग्रहण काल में सूतक के नियम लगने के कारण ग्रहण के बाद ही शुभ कर्म जेसे पूजा, अनुष्ठान, दान आदि कार्य करने लाभदायक होते हैं। सूतक काल की अवधि में मंत्र , जप, तप इत्यादी सिद्धि के कार्य किये जाते हैं। परंतु आजके भौतिकता वादी वैज्ञानिक युग में आधुनिकता कि दौड में अंधि दौड लगाने वाले व्यक्ति ग्रहण काल के प्रभाव को नकार देते हैं।ग्रहण काल मे मंत्र जाप करने से निच्शित सिद्धियां प्राप्त होती है क्युके ग्रहण काल मे किये जाने वाले मंत्र जाप का फल कम से कम 100 गुणा ज्यादा प्राप्त होता है।
कोइ भी शाबर मंत्र जगाना हो या सिद्ध् करना हो तो ग्रहण काल से अधिक शुभ सिद्धिप्रद समय दुसरा कोइ नही होता है। जो साधक ग्रहण काल मे साधना नही करता है उसे स्वयं को साधक नही मानना चाहिये।हम जितने भी मंत्रो का जाप एक वर्ष मे करते है और उनमे सफलता प्राप्त करते है,उन मंत्रो का जाप ग्रहण काल मे किया जाये तो वह मंत्र कइ वर्षों तक चैतन्य रहेते है।
मैने 15 वर्षों मे ग्रहण काल मे अब तक 70 से ज्यादा मंत्रो को सिद्ध किया है और उनका अचुक प्रभाव भी मैने कइ बार देखा है।ग्रहण काल मे किये जानेवाला मंत्रसिद्धि कभी विफल नही होता है और शिघ्र लाभप्रद होता है।यह अवसर बहोत कम आता है इसलिये येसे महान अवसर का सभी को लाभ उठाना आवश्यक है।
यहा पर 2016 मे होनेवाले ग्रहण काल का समय दे रहा हु जिसे जानना आपके लिये आवश्यक है।
सुर्यग्रहण-9 मार्च 2016
8/9 मार्च 2016 को सूर्य ग्रहण भारत में समेत यह ग्रह दक्षिणी पूर्वी एशिया, थाइलैण्ड, इण्डोनेशिया, दक्षीणी कोरिया, जपान, सिंगापुर और आस्ट्रेलिआ में दिखाई देगा. साथ ही इस ग्रह का सम्पूर्ण घटनाक्रम सुमार्ता बोरनियो, इण्डोनेशिया और उत्तर प्रशांत महासागर में दिखाई देगा.
इस ग्रहण का स्पर्श प्रातः 5:39 मिनट पर मध्यकाल 6:05 तथा इसका मोक्ष प्रातः 6:52 मिनट पर होगा । इस ग्रहण का पर्वकाल 01:13 मिनट रहेगा । इस ग्रहण का सूतक 8 मार्च 2015 को सायंकाल 05:10 से लगेगा ।
चंद्रग्रहण-23 मार्च 2016
प्रच्छाया में कोई ग्रहण नहीं है।
चन्द्रोदय के बाद उपच्छाया ग्रहण खाली आँख से नहीं दिखेगा।
चन्द्रोदय - 18:36 बजे होगा।
उपच्छाया से पहला स्पर्श - 15:11
परमग्रास चन्द्र ग्रहण - 17:17
उपच्छाया से अन्तिम स्पर्श - 19:24
उपच्छाया की अवधि - 04 घण्टे 13 मिनट्स तक होगा।
सुर्यग्रहण-1 सितंबर 2016
इस ग्रहण का स्पर्श प्रातः 6:13 मिनट पर मध्यकाल 09:01 मिनट तथा इसका मोक्ष प्रातः 11:58 मिनट पर होगा । इस ग्रहण का पर्वकाल 5:45 मिनट रहेगा । इस ग्रहण का सूतक 8 मार्च 2015 को सायंकाल 05:10 से लगेगा ।
ग्रहण दर्शनीय नहीं होगा।
1 सितंबर 2016 को लगने वाला कंकण सूर्य ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा.यह ग्रहण केवल दक्षिणी एशिया के देशों, पूर्वी आस्ट्रेलिया, अफ्रीका के देशों, एटलांटिक और अंटार्टिका में दिखाई देगा.
चंद्रग्रहण-17 सितंबर 2016
प्रच्छाया में कोई ग्रहण नहीं है।
उपच्छाया ग्रहण खाली आँख से नहीं दिखेगा।
उपच्छाया से पहला स्पर्श - 22:27 - 16th, सितम्बर को
परमग्रास चन्द्र ग्रहण - 00:25
उपच्छाया से अन्तिम स्पर्श - 02:24
उपच्छाया की अवधि - 03 घण्टे 56 मिनट्स तक होगा।
आध्यात्मिक दृ्ष्टिकोण:-
यह तो स्पष्ट है कि सूर्य/चंद्र में अद्भुत शक्तियाँ निहित हैं और ग्रहण काल में सूर्य/चंद्र अपनी पूर्ण क्षमता से इन शक्तियों को, इन रश्मियों को विकीर्ण करता है, जिसे ध्यान-मनन के प्रयोगों द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है,किन्तु उतना ही जितना हमारे शरीर में क्षमता है। ग्रहण का शाब्दिक अर्थ ही लेना, अंगीकार या स्वीकार करना है। हमारे श्रृषि मुनियों नें इतना ज्ञान हमारे सम्मुख रखा है जिसका अनुमान लगाना,अर्थात ज्ञान से ज्ञान को प्राप्त करना ही जीवन की सार्थकता है। अपने भीतर के अन्धकार को मिटाने के लिए दैविक आराधना,पूजा अर्चना इत्यादि विशेष पर्वों पर करते रहने का विधान है।
जैसा कि ग्रहण काल में उत्तम यौगिक क्रिया,पूजा अनुष्ठान,मन्त्र सिद्धि,तीर्थ स्नान,जप दान आदि का अपना एक विशेष महत्व है। इसके प्रमाण शास्त्रों में विधमान हैं। बहुत से बुद्धिजीवी लोग कहते है कि ग्रहण काल में ध्यान मनन,जाप,उपवास इत्यादि निरा अन्धविश्वास है, इन सब का कोई औचित्य नहीं। भई मान लेते हैं कि इन सब से कुछ नहीं होता। अब यदि कोई व्यक्ति इसी बहाने (चाहे भयवश ही) कुछ समय ध्यान,जाप,पूजा पाठ आदि का आश्रय ले लेता है तो उसमें हर्ज भी क्या है? यदि कुछ नहीं भी होने वाला तो कम से कम कुछ क्षण के लिए ही सही किसी अच्छे काम में तो लगेगा। हालाँकि इस सन्दर्भ में मेरे पास कोई प्रमाण नहीं हैं किन्तु फिर भी मेरा इस विषय में निजी मत ये है कि ग्रहण का प्रभाव पृ्थ्वी के समस्त जीव-जंतुओं,पशु पक्षियों,वनस्पति इत्यादि पर अवश्य पडता है। क्यों कि ग्रहण काल में देखने को मिलता है कि अनायास जानवर उत्तेजित हो उठते हैं,पक्षी अपने घोंसलों में दुबक जाते हैं और कईं प्रकार के फूल अपनी पंखुडियाँ समेट लेते हैं।
इस वर्ष मे मै आपको सही समय पर अद्वितीय शाबर मंत्र साधनाये दे रहा हू,ताकी आपका अमुल्य जिवन सार्थक हो सके।
आदेश.....