चन्द्रमा से मनुष्य बहुत प्रभावित रहा है। जीवन के हर पहलू में चन्द्रमा को उसने स्वयं से जोड़ कर रखा। मनुष्य ने विभिन्न लक्षणों के आधार पर चन्द्रमा के बहुत से
वैकल्पिक नाम तो रखे ही, साथ ही विशिष्ट कुल-परंपरा से भी चन्द्रमा को जोड़ा।
ब्राह्मणों-क्षत्रियों के कई गोत्र होते हैं उनमें चंद्र से जुड़े कुछ गोत्र नाम हैं जैसे चंद्रवंशी। पौराणिक संदर्भों के अनुसार चंद्रमा को तपस्वी अत्रि और अनुसूया
की संतान बताया गया है जिसका नाम 'सोम' है। दक्ष प्रजापति की सत्ताईस पुत्रियां थीं जिनके नाम पर सत्ताईस नक्षत्रों के नाम पड़े हैं। ये सब चन्द्रमा को ब्याही गईं। चन्द्रमा का इनमें से रोहिणी के प्रति विशेष अनुराग था। चन्द्रमा के इस व्यवहार से अन्य पत्नियां दुखी हुईं तो दक्ष ने उसे शाप दिया कि वह क्षयग्रस्त हो जाए जिसकी
वजह से पृथ्वी की वनस्पतियां भी क्षीण हो गईं। विष्णु के बीच में पड़ने पर समुद्र मंथन से चन्द्रमा का उद्धार हुआ और क्षय की अवधि पाक्षिक हो गई। एक अन्य कथा के अनुसार चन्द्रमा ने वृहस्पति की पत्नी तारा का अपहरण किया था जिससे उसे बुध नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ जो बाद में क्षत्रियों के चंद्रवंश का प्रवर्तक हुआ। इस वंश के राजा ख़ुद को चंद्रवंशी कहते थे।
चन्द्रमा माँ का सूचक है और मनं का करक है |शास्त्र कहता है की "चंद्रमा मनसो जात:" | इसकी कर्क राशि है | कुंडली में चंद्र अशुभ होने पर। माता को किसी भी प्रकार का कष्ट या स्वास्थ्य को खतरा होता है, दूध देने वाले पशु की मृत्यु हो जाती है। स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है। घर में पानी की कमी आ जाती है या
नलकूप, कुएँ आदि सूख जाते हैं मानसिक तनाव,मन में घबराहट,तरह तरह की शंका मनं में आती है औरमनं में अनिश्चित भय व शंका रहती है और सर्दी बनी रहती है। व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने के विचार बार-बार आते रहते हैं।
उत्तरा कालमित्रा के अनुसार, चंद्रमा के कुछ मुख्य महत्व इस प्रकार हैं –
1. बुद्धि 2. सुंगध 3. पेट में छिपे हुए नासूर वाले परेशानियां 4.महिला 5. नींद 6. खुशी 7. तरल पदार्थ 8. मलेरिया बुखार 9. माता 10. मोती 11. नमक 12. दिमाग 13. मुहुर्त या 48मिनट की अवधि 14. गौरी की पूजा 15. दही प्रेम 16. वह जो तपस्या करता है 17. रात को मजबूत 18. भोजन 19. चेहरे की चमक 20. अच्छे फल 21.मछली और अन्य जलीय प्राणी 22. कपड़े।
यह देखा गया है कि मजबूत चन्द्र उपर्युक्त चीजों में काफी अच्छा रखता है जबकि एक कमजोर चांद इन्हीं वस्तुओं में कुछ कमी भी लाता है।
आप दिये हुए मंत्र का जाप करके देखिये तो आपको बहोत लाभ प्राप्त होगा,मंत्र का जाप रात्री के समय मे सिर्फ 11 बार सोमवार से शुरू करना है l
चंद्र मंत्र:-
ll ओम गुरूजी सोमवार मनलागी सेन।निरमल काया,पाप न पुण्य अमर बरसाया।जस नजर सोमवार करे।सोमवार
अत्रि गोत्र श्वेत वर्ण ग्यारह हजार जाप। जमुना तट देश अग्नि स्थान,चतुर्थ मंडल ४ अंगुल।कर्क राशि के गुरू को नमस्कार।
सत फिरे तो वाचा फिरे,पानफूल वासना
सिंहासन धरे।तो इतरो काम सोमवार जी महाराज करे।ओम फट् स्वाहा ll
आदेश......