pages

29 Oct 2015

नवनाथ प्रत्यक्षिकरण साधना.


नवनाथ भगवान ने ज्ञान का प्रचार किया था भगवान दत्तात्रेय के आशीर्वाद से वे साधना क्षेत्र में नए मंत्रो की रचना करने में समर्थ थे और इसी तरह उन्होंने करोडो साबर मंत्रो की रचना की जो की संस्कृत भाषा में न होते हुए सामान्यजन भाषा में थे. जिससे सामान्य व्यक्ति भी सफलता को प्राप्त करने लगा जो की उन्हें पहले उच्चारण दोष की वजह से नहीं मिल पाई
थी. इस तरह ९ नाथ ने अपना कार्य पूर्ण किया, चूँकि वे मनुष्य योनिज नहीं थे, वे आज भी उनके मूल शरीर में विद्यमान है और आज भी कई साधको को सशरीर आशीर्वाद देते है. ८४ सिद्धो के लिए भी
यही मान्य है. ८४ सिद्ध आज, जगत के आध्यात्म में भारतीय सिद्ध प्रणाली की एक महत्वपूर्ण भूमिका है. साधना जगत में इसे आश्चर्य ही कहा जाएगा अगर कोई साधक ९ नाथ व् ८४ सिद्धो के बारे में नहीं
जनता हो. ९ नाथ वह प्रारंभिक व्यक्तित्व है
जिन्होंने साधना की उच्चतम स्थिति को प्राप्त किया था और अघोर वाम कौल साबर और योग के विशेष साधनात्मक जिसमे कई सिद्ध नाथ का भी समावेश होता हे वह वो मंडली हे जो की सबसे
उच्चतम साधनात्मक स्थिति को प्राप्त साधको की मंडली मानी जाती है जो की तांत्रिक व् योग्य तान्त्रिक साधनाओ में निष्णांत है, उनमेसे कुछ रसायन में भी सिद्धहस्त है. इन महान सिद्धयोगियो
का आशीर्वाद लेना व् उनसे साधना के क्षेत्र में मार्गदर्शन लेना किसीभी साधक का सर्वोच्च भाग्योदय व् एक मधुर स्वप्न सामान है.
इस विषय में एसी कई साधना हे जो साधक की इस इच्छा को पूर्ण करे. लेकिन यह करिये बहोत ही कठोर और समय लेने वाली होती हे फिरभी साधको की मन की छह होती हे एसी साधनाए करना. फिर
भी इन कठोर साधनाओ के मध्य भी एक ऐसी साधना हे जो सहज हे अगर इसे दूसरी साधनाओ के साथ देखा जाए तो और यह साधना साधक उन महान व्यक्तित्व के आशीर्वाद प्राप्त करने की
अपनी महेच्छा को पूर्ण करा सकती है.
साधना के लिए साधक के पास एक अलग कमरा हो जिसमे दूसरा कोई भी व्यक्ति प्रवेश न करे इस साधना में कठोर नियमोंका पालन करना पड़ता है.
ब्रम्हचर्य पालन अनिवार्य है
भोजन में एक समाज फलाहार लिया जा सकता है, दूध कभीभी ले सकते है. साधक को और कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए
साधना काल में साधक कोई भाई व्यसन जैसे की मदिरा या तम्बाकू का युअग कर दे
साधना काल में क्षोरकर्म न करवाए साधना कक्ष का फर्श गोबर से लिपा हुआ हो आसान और वस्त्र पीले रंग के हो. दिशा उत्तर हो. अपने सामने पूजास्थान पर एक सुपारी रखे, यह सिद्ध का प्रतिक है. इसका नियमित पूजन करे. भोग में मिठाई का उपयोग कर सकते है. ताजे फूल ही उपयोग में लाए.
अखंड दीप प्रज्वलित करना है जो की पुरे साधना काल दरमियाँ जलता रहे.
रात्रि में ९ बजे के बाद रुद्राक्ष माला से निम्न मंत्र का जाप करे .

मंत्र:-

ll ओम प्रकट सिद्ध अमुकं प्रत्यक्ष,मेरी आण,मेरे गुरू की आण,महादेव की आण ll




अमुकं की जगह इच्छित सिद्ध के नाम का उच्चारण करे,कुल १,२५,००० मंत्र जाप होने चाहिए जिसे २१ या कम दिनों में पूरा करना है. मंत्रजाप की संख्या रोज
एक ही रहे. साधना के अंतिम दिन सिद्ध सशरीर प्रत्यक्ष होते है और इच्छापूर्ति का आशीर्वाद देते है साथ मे ही मनचाही सिद्धी प्रदान करते है,सिर्फ यहा पर जो मंत्र मैने दिया है वही प्रामानिक मंत्र है.मै हमेशा पूर्ण मंत्र देता हू,अन्य लोगो के तराहा आधा-अधूरा मंत्र देना मेरे लिये महापाप है.विश्वास के साथ मंत्र जाप करे तो अवश्य ही आपको दर्शन होगे.




आदेश......