बहोत कम ही येसी साधनाये है जिसमे माला
का जरूरत न हो?इसलिये माला
प्राण-प्रतिष्ठा विधि-विधान अत्यंत आवश्यक है,साभिकों
येसा लगता है मेरे पास दुर्लभ माला रहे जिससे मेरा हर कामना पूर्ण हो परंतु आजकल
मार्केट मे येसा माला नहीं मिलता,अगर पत्थर मे जान
डालकर उनका पूजन हो सकता है तो फिर माला का हर मनका भी जीवित किया जा सकता है॰
मुख शोधन करे
“क्रीं क्रीं क्रीं ॐ ॐ ॐ क्लीं क्लीं क्लीं”
इस मंत्र का १० बार
जाप करने से मुख शोधन होगा॰
स्व-गुरु पूजन
श्रीगुरुनाथ श्री पादुकां पुजयामी ।
परमगुरु श्री पादुकां पुजयामी ।
परापरगुरु श्री पादुकां पुजयामी ।
परमेष्टिगुरुनाथ श्री पादुकां पुजयामी ।
गुरुमंत्र का कम से कम एक माला जाप करे
और गुरुजी से सफलता हेतु प्रार्थना करे
निम्न मंत्र बोलकर गुरुचरनोमे भक्ति-भाव
से पुष्प समर्पित कीजिये
अभीष्ट सिद्धिम मे देही शरनागतवस्तले ।
भक्त्या समर्पये तुभ्यं गुरुपंक्तिप्रपूजनम ॥
२४ बार गायत्री मंत्र बोलकर माला पर जल
चढ़ाये,जिससे माला का शुद्धिकरण हो जाये और
मंत्र जाप मे किसी भी प्रकार का दोष नहीं लगे॰
माला का गन्ध अक्षत और पुष्प से पूजन
करके प्रार्थना करे
ॐ माले माले महामाले ,सर्वशक्तिस्वरूपिणी ।
चतुर्वर्गस्त्वयिन्यस्तस्तस्मात्वं सिद्धिदा भव ॥
माला को चैतन्य करने के लिये चेतना बीज
मंत्रोसे माला के हर मणि को कुंकुम का बिंदी लगाये
चेतना बीज मंत्र-
“क्लीं श्रीं ह्रीं फट”
अब माला का स्तुति करते हुये माला को
दहीने हाथ से ग्रहण करे
ॐ अविघ्नंकुरु माले त्वं जपकाले सदा मम ।
त्वं माले सर्वमन्त्रानामभीष्टसिद्धिकरी भव ॥
आप जिस प्रकार का माला चाहते है जैसे गुरुमंत्र जाप माला,दशमहाविद्या,महामृत्युंजय,नवग्रह.............माला,तो इस के लिये आप संबन्धित देवी/देवता का आवाहन माला मे करे या इष्ट से प्रार्थना करे के
उनके प्रसन्नता प्राप्त
करने हेतु “अमुक
मंत्र जाप हेतु माला
मे अमुक शक्ति की स्थापना हो “और
अपने इष्ट का आज्ञा चक्र मे ध्यान
करे॰
कुल्लुका मंत्र का करमाला (उंगली से)
से शिर पर १० बार जाप करे
“क्रीं हुं स्त्रीं ह्रीं फट”
अब माला को हाथ मे लेकर निम्न मंत्र का आवश्यक
संख्या मे जाप प्रारम्भ करे
तान्त्रोक्त माला मंत्र
ॐ ऐं श्रीं सर्व माला मणि माला सिद्धिप्रदायत्री शक्तिरूपीन्यै श्रीं ऐं नम:
मंत्र जाप के बाद माला को शिर पर रखे और
प्रार्थना करे॰
माले त्वं सर्वदेवानां प्रीतिदा शुभदा भव ।
शुभं कुरुष्व मे देवी यशोवीर्य ददस्व मे ॥
माला को शिर से उतारकर पुष्प समर्पित कर दे॰
सदगुरुजी भगवान को सर्व विधि-विधान हाथ मे
जल लेकर जल के रूप मे समर्पित कर दीजिये और क्षमा प्रार्थना भी करनी है॰