pages

23 Mar 2013

वाराह दंत साधना


1 – इच्छित कार्य पूर्ति

बहोत बार येसा होता है,हम कुछ और चाहते है और होता कुछ अलग ही है,इस कारण से मन व्यथित हो जाता है,फिर क्या हम हमारे तकदीर को कोसने लगते है,इस साधना से आपके सभी इच्छित कार्य पूर्ण होते है,ज्यो आप चाहते हो वही होता है॰

मंत्र –


ॐ कामरू कामाक्षा देवी , जहा बसे लक्ष्मी महारानी । आवे , घर मे जमकर बैठे । सिद्ध होय , मेरा काज सुधारे । जो चाहु , सो होय । ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं फट ॥


पीपल के पत्ते पे अष्टगंध लगाये,और अष्टगंध को केवड़े के तेल या इत्र मे गीला करके ही लगाये,यह क्रिया शनिवार को रात्री मे करे,नित्य 11 माला जाप 7 दिन तक करे,हर प्रकार का इच्छा पूरा होता है,जैसे नौकरी,परीक्षा के नतीजे,शादी,प्रमोशन,संतान प्राप्ति.......................परंतु संकल्प लेना आवश्यक है॰

=========================================================================


2 – वाराह दंत जागरण



होली के रात्रि मे तन्त्रोक्त पद्धति से प्राण-प्रतिष्ठित दंत को लाल कपड़े पे सामने रखे,निम्न मंत्र का 21 माला जाप करे॰
21 बार “ह्रीं क्लीं श्रीं जागरय जागरय श्रीं क्लीं ह्रीं फट” बोलते हुये दंत को शुद्ध जल से स्नान कराये,फिर मूल मंत्र का रुद्राक्ष/सफ़ेद हकीक माला से 21 माला जाप करे


॥ ॐ ह्रीं क्लीं श्री वाराह-दन्ताय भैरवाय नम: ॥



जाप समाप्ती के बाद दन्त को गले मे धारण करे,
यह साधना करने के बाद किसि भी प्रकार का तंत्र बाधा,जादू टोना,भूत-पिशाच बाधा,ग्रह-बाधा हो समाप्त हो जाता है,लोगो का वशीकरण होता है,व्यापार मे वृद्धि होती है,सभी प्रकार के रोग समाप्त होते है ये मेरा ग्यारन्टी है क्यूके अनुभूतिया बहोत सारा प्राप्त कर लिया है इस विषय मे,चिंताये दूर होती है,शत्रु तो 100% परास्त होते है,माँ लक्ष्मी जी का कृपा सदैव प्राप्त होता रहेता है,किसी प्रकार का मुकदमा चल रहा हो जीत अवश्य प्राप्त होती है,सबसे बढ़िया बात यह है किसी भी प्रकार के सुलेमानी तंत्र विद्या का असर साधक पे नहीं होता॰

=========================================================================

3-वास्तु प्रयोग


जिन व्यक्तियोका स्वप्न होता है,स्वयं का घर बने यह साधना उनके लिये है,किसी भी मंगलवार के दिन मूंगा माला से ११ माला मंत्र जाप ११ दिन तक करे

विधि: बाजोत पे लाल वस्त्र बिछाये,अष्ठगंध से स्वस्तिक बनाये,स्वस्तिक के ऊपर एक वाराह दन्त शुद्ध स्नान करके स्थापित करे,साधना मे आसन लाल रंग का हो,दिशा पश्चिम हो,समय शाम को ६:३० से ८ बजे तक का,साधना से पूर्व गणेश जी और सदगुरुजी का पूजन और संकल्प लेना अत्यधिक आवश्यक है,गुरुमंत्र जाप आप अपने समय के हिसाब से कीजिये परंतु ५ माला तो होना
ही चाहिये॰

मंत्र


ॐ नमो भगवते वराहरुपाय भूर्भुव: स्वर्पतये भूपतित्त्वं मे देही दापय स्वाहा



११ वे दिन माला जल मे समर्पित कर दीजिये और वाराह दन्त को धारण कर लीजिये,हो सके तो किसी गरीब को उसके जीवन मे आवश्यक वस्तु दान मे देना बेहतर माना जाता है............

==========================================================================

4-स्वप्न वाराह साधना



आज खुशी तो बहोत होगी क्यूके इस प्रयोग से हम जीवन मे होने वाली घटनाओको स्वप्न मे देख सकते है ओ भी पूर्ण और स्पष्ट रूप से,ओ हो क्या बात है आज तो मजा आ गया……………..
बहोत बार हम लोग साधना करते है परंतु हमे ये नहीं पता होता है “सफलता कब मिलेगी”,येसे सवाल मन मे चलते रहेते है,अब तो चिंता करना भी मत, स्वप्न वाराह साधना से तो ये भी पता चल जाता है के भविष्य मे क्या होगा,और भूतकाल मे क्या हुआ था,और मै पूर्व जन्म मे क्या था,क्या मूजे अगला जन्म भी लेना पड़ेगा?नौकरी कब मिलेगी,मेरा शादी किस लड़की से होगा,शेयर मार्केट मे कहा पैसा लगाऊ,क्या ये व्यक्ति भरोसे लायक है?...................
शायद हमारे सवाल कुछ ज्यादा ही है,और जवाब देने वाला कोई नहीं.....चलो कोई बात नहीं..... स्वप्न वाराह साधना तो है ना,तो स्वपनेश्वरी जी से ही जवाब मांग लेगे............

साधना विधि: -

किसी भी अमावस्या के दिन रात्री मे १० बजे के बाद यह साधना की जाती है,क्यूके यह अघोर साधना साधना है,साधना मे बैठने से पूर्व श्याम को ७ बजे किसी पीपल के वृक्ष मे जल डाले और वहा पे गुड का प्रसाद,एक तेल का दीपक,सुगंधित अगरबत्ती,कुछ पुष्प साथ मे लेकर जाये और आगे क्या करना है इन सब वस्तु ओ का आप तो जानते ही हो..........यह क्रिया भी ११ दीनो तक चलनी चाहिये
फिर रात्री मे १० बजे काले रंग का वस्त्र किसी बाजोट पर बिछाये,उस वस्त्र पे सुगंधित इत्र लगाये,अष्टगंध से षटकोण  बनाकर उसपे वराह दन्त स्थापित करे और निम्न मंत्र का २१ माला मंत्र जाप ११ दीनो तक करे.............
अब सवाल मन मे आता है के “स्वप्न ज्यो कुछ देखना है,वह कैसे देखा जाये” तो यह गोपनीय क्रिया मै फोन पे बताउगा ताकि साधना सूरक्षित रहे..........

मंत्र


॥ ॐ नमो वाराह अघोरेश्वर स्वप्नं ठ ठ स्वाहा ॥



११ वे दिन माला जल मे समर्पित कर दीजिये और वाराह दन्त को धारण कर लीजिये.





श्री सदगुरुचरनार्पनमस्तु................................