काली शक्तियों के तांत्रिक प्रयोग की स्पष्ट निशानिया दे रहा हु जिससे आप स्वयं अपने ऊपर हुए अभिचार कर्म से परिचित हो सकते हैं।
क्या कभी आपका सामना ऐसे परिवार या व्यक्ति से हुआ जिसने स्वयं के बारे में ये बताया हो कि कैसे उसका वसंत सा पल्लवित जीवन अचानक से पतझड़ की तरह वीरान सा हो गया ।जैसे सारी रौनक ही चली गई जीवन से , न तो खुशियों की आहट सुनाई देती है , न ही उम्मीद की खिलखिलाहट। जी हां...... ऐसा ही होता है जब उस परिवार /व्यक्ति की उन्नति /खुशियों से जल कर या मात्र प्रतिस्पर्धा वश कोई उनके ऊपर काली शक्तियों का प्रयोग करवा देता है ।कलियुग को काली युग की संज्ञा उसके अतिशीघ्र साधना में फल प्राप्ति के लिए मिली किंतु अतिशीघ्र सिद्ध होने वाली साधनाओं का सदुपयोग से ज्यादा दुरुपयोग ही हुआ । यद्यपि तांत्रिक प्रयोग इतने आसान नहीं होते हैं कि कोई भी किसी पर कर दे किंतु ईर्ष्यावश या पुरानी दुश्मनी सधाने के लिए लोग अपने विरोधियों पर तंत्र प्रयोग करवा देते है ।आजकल तंत्र ज्ञाता भी ईमान रहित होकर मात्र धनौपार्जन के लिए कार्य कर रहे है । ऐसे मे कई बार बिना सही गलत का निर्णय किए ही , मात्र धन देने वाले का कार्य सम्पन्न कर देते है जिससे कई बार निर्दोष व्यक्ति भी तंत्र के घातक प्रयोग का शिकार हो जाते हैं ।
जिसपर तंत्र का घातक प्रयोग किया जा चुका होता है उसके साथ कई लक्षण दृष्टिगोचर होते हैं ।जिनका बारीकी से अध्ययन करने पर तांत्रिक प्रयोग की गहनता पता चलती है ।ये प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं ---
1.) जिसपर तांत्रिक प्रयोग किया गया हो वह आसमान्य तरीके से हरदम बीमार रहता है और डॉक्टर वैद्य को दिखाने पर भी रोग पता नहीं चलता । असमान्य तरीके से उसके चेहरे की रौनक चली जाती है ।आंख के नीचे काले घेरे पड़ जाते हैं और काया जर्जर होती जाती है ।
2.) जिसपर तांत्रिक प्रयोग किया गया हो उसे बेवजह का ही तनाव बना रहता तथा आत्महत्या की इच्छा बनती रहती है ।वह हरदम घर परिवार को छोड़ कर दूर चले जाने की सोच रखता है ।उसे मित्र बांधव की अच्छी बातें भी कटु वचन लगने लगती हैं ,वह सबसे अलग थलग रहने लगता है।
3.) जिस पर तांत्रिक प्रयोग हुआ हो उसका स्व गृह नहीं बन पाता ,या तो वह जमीन ही नहीं खरीदता या उसका निर्माणकार्य कभी पूर्णता तक नहीं पहुँच पाता ।हरदम कोई न कोई विघ्न पड़ते रहते । निर्माण कार्य आरंभ करते ही घर के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है या बहुत बड़ा आर्थिक घाटा लग जाता है ।
4.) जिसपर तांत्रिक प्रयोग किया गया हो उसके बच्चे भी हरदम बीमार पड़ते रहते है ,पढ़ाई मे कमजोर हो जाते है ,उनका शारीरिक - मानसिक विकास अवरुद्ध सा हो जाता है । बच्चों में आपराधिक प्रवृति बढ़ने लगती है ,अचानक से वो नशे की तरफ झुकाव करने लगते हैं । हरवक्त हिंसात्मक रवैया बनाए रहते हैं और बड़ों की बात नहीं मानते हैं।
5.) परिवार में कोई न कोई हरदम बीमार रहता है जिससे कि बीमारी में धन की बर्बादी होती है ,डॉक्टर भी रोग की सही वजह नहीं बता पाते । एक सदस्य स्वस्थ्य हो तो दूसरा बीमार पड़ जाता है ।बीमारी का चक्र ही खत्म नहीं होता ।
6.) विवाह के कई वर्ष बीत जाने पर और हर प्रकार से मेडिकली फिट होने पर भी संतानसुख नहीं मिलता या बार बार गर्भपात हो जाता है या जन्म लेते ही संतान की मृत्यु हो जाती है ।तब यह मान लेना चाहिए कि तांत्रिक प्रयोग द्वारा कोख बांध दी गयी है ।
7.) यदि घर के सबसे छोटे सदस्य की अचानक ही बिना कारण मौत हो जाए तो मुठ विद्या का प्रयोग मानना चाहिए ।
8.) जिसपर काली शक्तियों का प्रयोग किया जाता है उसके हितैषी भी उससे मुंह फेरने लग जाते हैं और शत्रुवत व्यवहार करने लगते है । जिनकी कभी मदद की हो वह भी नजर फेर लेते है और उसे अकेला छोड़ देते है।
9.) जिसपर तांत्रिक प्रयोग किया गया हो वह कहीं भी चैन नही पाता है ।वह नया घर भी ले तो उसे समस्याओं का ही सामना करना पड़ता है ।परेशानी जैसे उसका पीछा ही नहीं छोड़ती है ।
10.) जिसपर तांत्रिक प्रयोग हो उसके अंदर व्यर्थ की चिड़चिड़ाहत भर जाती है ,वह अवसाद ग्रस्त हो जाता है और सफलता की उम्मीद छोड़ देता है । उसका आत्मबल क्षीण हो जाता है और किसी की प्रेरक बातें भी उसे जहर समान प्रतीत होती है।
11.) यदि भाई बहनों से अकारण ही बैर भाव उत्पन्न हो गया हो और किसी भी मध्यस्थ प्रयास से उन्हे साथ न लाया जा सक रहा हो तब निस्संदेह तंत्र प्रयोग मान लेना चाहिए ।
12.) जिस व्यक्ति पर तांत्रिक प्रयोग किया गया हो या जिस घर में तंत्र प्रयोग हुआ हो वहाँ पति पत्नी एक दूसरे के मत विरोधी हो जाते हैं और बेवजह भी विरोधाभास में रहते है ।न तो उनमें सौहार्द्र होता है ,न ही वो आँख मिलाकर प्रेम भाव से बात करते हैं ।
13.) जिसपर तांत्रिक प्रयोग किया गया हो वह कितना भी अच्छा कार्य करे उसे यश प्राप्त नहीं होता ।उसके कार्यस्थल पर उसके अधिकारियों से भी उसकी नहीं बनती ।उससे कम कार्य करके कोई अधिकारियों की प्रशंसा पा लेता है पर इसे न तो मनचाही तरक्की मिलती है न ही मनचाहा स्थानांतरण ।
इसप्रकार हम देखते है कि तंत्र विद्या ,जिसका उद्देश्य लोक कल्याण सुनिश्चित था अब लोगों की जीवन की समस्या भी बन चुका है । कभी तांत्रिक को धरती पर चलता फिरता देवता ही माना जाता था पर भौतिकवादी संस्कृति के सर्वत्र हावी हो जाने पर तंत्र क्षेत्र ने भी अपना सम्मान और नैतिकता खोया है , जिसे पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता है ।
इसप्रकार हम देखते है कि तंत्र विद्या ,जिसका उद्देश्य लोक कल्याण सुनिश्चित था अब लोगों की जीवन की समस्या भी बन चुका है । कभी तांत्रिक को धरती पर चलता फिरता देवता ही माना जाता था पर भौतिकवादी संस्कृति के सर्वत्र हावी हो जाने पर तंत्र क्षेत्र ने भी अपना सम्मान और नैतिकता खोया है , जिसे पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता है ।
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आदेश......