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8 Apr 2019

तंत्र बाधा निवारण पीताम्बरा साधना



वैशाख शुक्ल अष्टमी को देवी बगलामुखी का अवतरण दिवस कहा जाता है जिस कारण इसे मां बगलामुखी जयंती के रूप में मनाया जाता है । इस वर्ष 2019 में यह जयन्ती 12 मई , को मनाई जाएगी,इस दिन व्रत एवं पूजा उपासना कि जाती है । साधक को माता बगलामुखी की निमित्त पूजा अर्चना एवं व्रत करना चाहिए, बगलामुखी जयंती के अवसर पर जगह-जगह अनुष्ठान के साथ विश्व कल्याणार्थ महायज्ञ का आयोजन किया जाता है तथा महोत्सव के दिन शत्रु नाशिनी बगलामुखी माता का विशेष पूजन किया जाता है और रातभर भगवती जागरण होता है ।

माँ बगलामुखी स्तंभन शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं । माँ बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है । देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अत: साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए ।

देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह स्तम्भन की देवी हैं । संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं माता बगलामुखी शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है । इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर  प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है । बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुलहन है अत: मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है ।

बगलामुखी देवी रत्नजडित सिहासन पर विराजती होती हैं रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं,देवी के भक्त को तीनो लोकों में कोई नहीं हरा पाता, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है पीले फूल और नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं । देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है, बगलामुखी देवी के मन्त्रों से दुखों का नाश होता है ।

कुब्जिका तंत्र के अनुसार, बगला नाम तीन अक्षरों से निर्मित है व, ग, ला; 'व' अक्षर वारुणी, 'ग' अक्षर सिद्धिदा तथा 'ला' अक्षर पृथ्वी को सम्बोधित करता हैं। देवी का प्रादुर्भाव भगवान विष्णु से सम्बंधित हैं परिणामस्वरूप देवी सत्व गुण सम्पन्न तथा वैष्णव संप्रदाय से सम्बंधित हैं, इनकी साधन में पवित्रता-शुद्धता का विशेष महत्व हैं परन्तु कुछ अन्य परिस्थितियों में देवी तामसी गुण से सम्बंधित है, आकर्षण, मारण तथा स्तंभन कर्म तामसी प्रवृति से सम्बंधित हैं क्योंकि इस तरह के कार्य दूसरों को हानि पहुंचाने हेतु ही किए जाते हैं । सर्वप्रथम देवी की आराधना ब्रह्मा जी ने की थी, तदनंतर उन्होंने बगला साधना का उपदेश सनकादिक मुनियों को किया, कुमारों से प्रेरित हो देवर्षि नारद ने भी देवी की साधना की। देवी के दूसरे उपासक स्वयं जगत पालन कर्ता भगवान विष्णु हुए तथा तीसरे भगवान परशुराम।

बगलामुखी जयंती के पावन अवसर पर आप सभी लोग 21 माला मंत्र जाप करे ताकि आपके जीवन से तंत्र क्रिया का गलत असर समाप्त हो और आप तांत्रिक बाधा से मुक्त हो जाओ । ऐसे पावन अवसर पर बगलामुखी का तंत्र बाधा दोष निवारण मंत्र जाप करने से आपको अवश्य ही लाभ होगा और आपका जीवन अवश्य ही सुखमय होगा । इस मंत्र से तंत्र बाधा दोष समाप्त होता  है और धन-धान्य की प्राप्ति भी होती है,जीवन मे धन की आवश्यकता सभी को है इसलिए इस बार एक प्रामाणिक विधि विधान आपको दिया जा रहा है ।

साधना विधि-साधना सुबह 6 बजे या फिर रात्रि में 9 बजे के बाद करे,साधना एक दिन का है इसलिए इसे अवश्य संपन्न करे, साधना में गाय के घी का दीपक और चंदन के धूपबत्ती का इस्तेमाल करे,उत्तर दिशा के तरफ मुख करके मंत्र जाप करे,आसन और वस्त्र पिले रंग के हो । मंत्र जाप हेतु पिले हल्दी के माला का प्रयोग आवश्यक है परंतु माला ना हो तो 60-70 मिनिट तक मंत्र जाप करे । माता के चित्र और यंत्र की आवश्यकता नही है,अगर आपके पास हो तो अवश्य उसे सामने रखे,प्रसाद में पीले रंग के मिठाई को रखना चाहिए और प्रसाद वितरण स्वयं के परिवार में ही करे ।

मंत्र-
।। ॐ ह्लीं श्रीं पीताम्बरे तंत्र बाधा नाशय नाशय नमः ।।
Om hleem shreem pitambare tantra baadha naashay naashay namah



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