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30 Sept 2017

दिपावाली तांत्रोक्त मंत्र साधना


पंचदशी यंत्र



दिवाली नजदीक आरही है और सभी को दिवाली का इंतजार होता है,इंतेजार सिर्फ यही ज्यादा से ज्यादा होता है के इस पावन अवसर पर कुछ ऐसा किया जाए "जिससे एक वर्ष तक धन-धान्य की कोई कमी ना पड़े और यह आनेवाला वर्ष सुख-समृद्धि से भरपूर रहे" । शायद आज तक तो ऐसा हुआ नही होगा परंतु अब इस दिवाली में साधना करो तो ऐसा ही कुछ होगा जो आप लोगो ने सोचा है ।


आनेवाले दिवाली के अवसर पर आप पंन्ध्रिया यंत्र साधना अवश्य कर लो तो आपके जीवन के समस्त आर्थिक परेशानी से आपको राहत मिल सकती है । पिछले वर्ष 19 ऑक्टोम्बर को करवा चौथ था,उस समय महिलाओं ने अपने पति के उत्तम जीवन हेतु व्रत रखा था और इस वर्ष 19 ऑक्टोम्बर को दिवाली है,जिसमे सभी लोग आनंद लेंगे । मुझे पिछले वर्ष का बात इसलिये स्मरण रहा क्योंकि 19 ऑक्टोम्बर मेरा जन्मदिवस है और मैं चाहता हूँ के "मुझे किसीसे गिफ्ट नही लेना चाहिए परंतु सभी को ऐसा गिफ्ट देना जरूरी है,जिससे सभी का आर्थिक समस्याओं से जुड़ा जीवन अच्छा हो" । मुझे यह क्रिया नही आता है के मै आप सभी का रोग,दरिद्रता, बाधा,समस्याये अपने ऊपर ले सकू,मातारानी की कसम बोल रहा हूँ अगर मुझे यह क्रिया आता तो मैं अब तक सभी का दुख अपने ऊपर ले लेता और आपको जीवन मे कोई भी किसी भी प्रकार का दुख ना हो यही कार्य करता । इसलिए एक ऐसा साधना दे रहा हूँ,जिससे आपके जीवन मे सुधार आयेगा । यह एक प्रामाणिक साधना है जिसका लाभ मैंने स्वयं उठाया है,मुझे पूर्ण विश्वास है के दिवाली के दिन आप यह साधना करो और आपको सफलता ना मिले यह संभव नही है । आज तक सभी लोगो को सिर्फ पंन्ध्रिया यंत्र के बारे में पता था परंतु बहोत कम लोग ही इस साधना के विषय मे जानते है । जैसे पंन्ध्रिया यंत्र का विनियोग,ध्यान और मंत्र,यह तिनो गोपनीय है  इन्हें कोई भी व्यक्ति लिखना नही चाहता है,सभी का अपना-अपना एक स्वार्थ है । पंन्ध्रिया यंत्र को 9 प्रकार से लेकर 64 प्रकार तक हम बना सकते है,यहां आज एक ऐसा प्रकार लिख रहा हूँ जो 64 प्रकारों में श्रेष्ठ है ।


बहोत सारे लोग अपने इस अमूल्य जीवन मे निंदा करने में समय खराब कर देते है,तो कोई किसीको बदनाम करने में अपना 100% देता है । ऐसा कर्म करने से शायद खुशी मिलता होगा परंतु यह दोनों कर्म मनुष्य को शत्रुत्व औऱ संकट को बुलाने हेतु किया गया हुआ आवाहन होता है । आज थोड़ा बहोत कुछ ऐसा लिख रहा हूं जिससे आपको अच्छा लग सकता है या फिर तकलीफ भी हो सकती है । यही बस एक कहानी है और कुछ भी नही और इस कहानी का अध्यात्म से कोई लेना देना नही है-


         एक बार राजा के दरबार मै एक फ़कीर गाना गाने जाता है,
          फ़कीर बहुत अच्छा गाना गाता है।
          राजा कहते हैं इसे खूब सारा सोना दे दो।
          फ़कीर और अच्छा गाता है।
          राजा कहते हैं इसे हीरे जवाहरात भी दे दो।
          फकीर और अच्छा गाता है।
          राजा कहते हैं इसे असरफियाँ भी दे दो।
           फ़कीर और अच्छा गाता है।
           राजा कहते हैं इसे खूब सारी ज़मीन भी दे दो।
           फ़कीर गाना गा कर घर चला जाता है।
           और
           अपने बीबी बच्चों से कहता है,, 
           आज  हमारे राजा जी ने गाने का खूब सारा इनाम दिया।
           हीरे,जवाहरात,सोना,ज़मीन, असरफियाँ बहुत कुछ दिया।

          सब बहुत खुश होते हैं
          कुछ दिन बीते

          फ़कीर को अभी तक मिलने वाला इनाम नही पहुँचा था...
          फ़कीरे दरवार में फिर पहुँचा...
कहने लगा....
        ​"राजा जी आप के द्वारा दिया गया इनाम मुझे अभी तक नहीं मिला।"​?

        राजा कहते हैं ..,,,
           अरे फ़कीर ये लेन देन की बात क्या करता है।
          ​"तू मेरे कानो को खुश करता रहा"...​

           और

           मैं तेरे कानों को खुश करता रहा।




यह एक कहानी है,जिसे हमारे राजनेता हमे सुनाते है और हम फकीर के तरहा सुनकर खुश हो जाते है । अगले चुनाव में फिर कोई नई कहानी सुनाई जाती है,परंतु इस 5 वर्ष में हमे हमारे जिम्मेदारी को पूर्ण करना होता । यह काम सिर्फ हमे करना होता है,कोई राजनेता आकर हमारे जिम्मेदारी को पूर्ण नही कर सकता है,इसलिए आपको यह आर्टिकल पढ़ते समय यह संकल्प लेना के इस वर्ष दिवाली पर यह साधना करुगा और समस्त जिम्मेदारी को पूर्ण तरहा से नीभाऊंगा ।


हो सके तो दिवाली से पूर्व ही इस साधना का प्रिंट आउट निकालकर कुछ पहचान वाले या फिर अनजान लोगों को एखाद प्रिंट आउट दे देना क्युके ज्ञान दान से बड़ा कोई भी दान नही है और जिसे यह साधना दे रहे हो,शायद वह साधना सम्पन्न कर लेगा जिससे उसका आर्थिक परेशानी कम हो सकता है ।
इस साधना से जीवन में निरंतर उन्नति होती है और जीवन के समस्त लक्ष्य कुछ ही समय/माह/वर्षो में पूर्ण होते है । यहा समय मतलब छोटी इच्छा, माह मतलब जिसे पूर्ण होने में लगने वाला समय और वर्ष का अर्थ है के तुमने साधना करके वह मांग लिया जिसे तुम एक अपना स्वप्न समझते हो ।


आज के समय मे मेरा बहोत लोग विरोध कर रहे है क्युके मैं लोगो को ज्यादा समय नही दे सकता हूं परंतु एक दिन में 20-25 फोन रोज उठाता हूँ और यह कार्य मैं पिछले 10 वर्षों से कर रहा हूँ । मेरे तरफ से सभी क्रियाये निःशुल्क होती है सिर्फ साधना सामग्री का न्यौछावर राशि ही लेता हूँ क्युके मुझे सामग्री का खर्च भी व्यय करना होता है ताकि आपको साधना में सफलता मिल सके ।


आज तक जिन्होंने भी भी मुझसे सामग्री प्राप्त की है उनमें से 80-90 प्रतिशत लोगो को सफलता प्राप्त हुआ है । यह सब तो मातारानी जो का कृपा से हुआ है,अतः आखिर इस जीवन मे उन्होंने जो दिया वही सही है ।

यह पंन्ध्रिया यंत्र साधना जो पंचदशी यंत्र नाम से तंत्र के जगत में सर्वोत्तम मानी जाती है वही आपको दे रहा हूँ,आप चाहो तो कॉपी-पेस्ट करके जहा चाहो वहां पोस्ट कर सकते हो परंतु इसको ज्यादा-से-ज्यादा लोगो तक पहोचा दो ।





साधना सामग्री-स्फटिक माला,भोजपत्र,अनार की कलम,एक ताबीज,लाल रंग का मजबूत धागा,माँ लक्ष्मी जी का चित्र और प्रसाद जो भी आप चढ़ा सकते हो । 


(सामग्रि आपको किसी भी पंसारी के दुकान में मिल जाएगा,इसमे चिंता का कोई बात नही है । अगर आपको भोजपत्र ना मिले तो सफेद रंग का कागज आप इस्तेमाल कर सकते है और अनार का कलम ना मिले तो लाल रंग के स्याही वाले बॉलपेन से भी यँत्र बना सकते है)

साधना का समय-यह साधना आपको दिवाली के रात्रि में सिंह लग्न में करना है या फिर महानिशिता काल मे साधना संपन्न करे, इस वर्ष महानिशिता का 23.33 से 24.23 बजे का है । यह 50 मिनटों का समय आपके जीवन को बदल देगा ।


साधना के नियम-मन को शांत रखे,अपने अनुभव शेयर ना करे,साधना को करते समय बुरे विचारों को दूर रखें, जो भी मनोकामना हो उस पर ध्यान केंद्रित रहे,साधना में पवित्रता ओर शुद्धता आवश्यक है,पिले रंग का आसन ओर वस्त्र भी हों,इस दिन प्याज और लहसुन का हो सके तो सिर्फ एक दिन के लिये त्याग करें ।




साधना विधि-


अनार के कलम से और अष्टगंध के स्याही से आपको भोजपत्र पर पंचदशी यंत्र बनाना है,यहां आज यंत्र बनाने की विधि बता रहा हूँ - यंत्र लिखते समय सबसे छोटा अंक पहिले लिखे जैसे पंचदशी यंत्र में सबसे छोटा अंक 1 है तो एक लिखने के बाद यँत्र में दिए हुए स्थान के हिसाब से फिर दो लिखना है,इस तरह से पंचदशी यँत्र में 1 से लेकर 9 तक अंक लिखने है । मैं यहां पंचदशी यँत्र का फोटो भी दे रहा हूं ।
यंत्र को निर्माण करने के बाद प्राण-प्रतिष्ठा मंत्र बोलकर यँत्र पर कुंकुम से रंगे हुए चावल चढ़ाये ।



प्राण प्रतिष्ठा मंत्र-


ॐ आं ह्रीँ क्रौँ यं रं लं वं शं षं सं हं सः सोऽहम् पंचदशी यंत्रस्य प्राणा इह प्राणाः।

ॐ आं ह्रीँ क्रौँ यं रं लं वं शं षं सं हं सः पंचदशी यंत्रस्य जीव इह जीव स्थितः।

ॐ आं ह्रीँ क्रौँ यं रं लं वं शं षं सं हं सः पंचदशी यंत्रस्य सर्वेंद्रियाणि इह सर्वेंद्रियाणि।
वाङ्मनस्त्वक् चक्षुः श्रोत्र जिह्वा घ्राण वाक्प्राण पाद्पायूपस्थानि इहैवागत्य सुखं चिरं तिष्ठंतु स्वाहा।



सिर्फ इतना ही मंत्र बोलना काफी है और अगर साधक चाहे तो यह मंत्र 15 बार बोलकर यँत्र पर चावल चढ़ा सकता है ।





दाहिने हाथ मे जल लेकर विनियोग मंत्र बोलकर जल को जमीन पर छोड़ दे ।

 विनियोग:-

अस्य श्री पंचदशी मंत्रस्य दक्षिणा मूर्ति ऋषि: पंक्ति: छन्दा: त्रिपुरा देवतामम्हं जन्मानि कामना सिद्धये एतावत्संख्याकयंत्र पूजनपूर्वक जपे विनियोग : ।।


अब दोनो हाथ जोडकर ध्यान मंत्र बोलना है ओर एक पुष्प यंत्र पर रख दे।

 ध्यान मंत्र:-

बालार्कायुंत तेजसं त्रिनयना रक्ताम्ब रोल्लासिनों।
नानालंक ति राजमानवपुशं बोलडुराट शेखराम्।।
हस्तैरिक्षुधनु: सृणिं सुमशरं पाशं मुदा विभृती।
श्रीचक्र स्थित सुंदरीं त्रिजगता माधारभूता स्मरेत्।।




यह पंचदशी मंत्र है,इसका कम से कम 11 माला जाप करे ।

पंचदशी मंत्र

।। ॐ श्रीं ऐं ह्रीं पंचदश्यै स्वाहा ।।

Om shreem aim hreem panchdashyai swaha 



दूसरे दिन सुबह स्नान के बाद यँत्र को ताबीज में डालकर पहन लीजिए और हो सके तो यँत्र धारण करने के बाद भी मंत्र का एक माला जाप कार्तिक पौर्णिमा तक अवश्य करे । माला को संभाल कर रखे ताकि अन्य साधनाओ में उसका इस्तेमाल हो सके ।


आप सभी को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं.....



आदेश.......


11 Sept 2017

शाबर दुर्गा मंत्र साधना ।



बहोत सारे ज्ञानी-महाज्ञानी कहेते है सकारात्मक सोचो,मुझे एक बात कहनी है के सकारात्मक सोच तो ठीक है परंतु क्या सिर्फ सकारात्मक सोच रखने से ही जीवन बदल जायेगा ? मैं इतना ही कहूंगा के स्वयं पर विश्वास रखो और फिर सकारात्मक सोचो तो जो कार्य अब तक आप जीवन मे नही कर सके हो वह 100% कर सकते हो । अब नवरात्रि आरही है और सभी मातारानी के भक्त उनके सेवा में समर्पित हो रहे है,यहां बुरा मत मानना क्योंकी एक सवाल पूछना है आप लोगो से "क्या आप मातारानी को जानते हो या फिर मातारानी आपको जानती है?",एक बात तो मैं मानता हूँ के "जिस माँ ने आपको जन्म दिया है वो आपको अच्छेसे जानती है फिर चाहे आप शायद उन्हें अच्छेसे जानते हो या नही ये मुझे नही पता" ।
नवरात्रि में तो मातारानी के प्रति जो भक्ति दिखाते हो कृपया वैसे ही कुछ भक्ति जन्म देने वाली माँ के प्रति भी रखो ताकि जीवन मे मातारानी का आशीर्वाद आपको मिल सके ।

माँ के बिना तो स्वयं तीनो लोको के स्वामी भी किसी काम के नही और वह स्वयं कहेते है अगर माँ आदिमाया की शक्ति की कृपा हमे प्राप्त ना होती तो हम भी सामान्य होते । इसलिए आप सभी महान अद्वितीय साधक मित्रो से मेरा निवेदन है "जिस माँ ने जन्म दिया है उनकी ही ज्यादा सेवा करो",स्वयं माँ जगदंबा बिना आवाहन किये आपके सामने प्रत्यक्ष हो जाएगी । ये मेरा वहम नही है मित्रो,यह मुझे पूर्ण विश्वास है और कृपया जिन व्यक्तियों ने अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ दिया है उन सभीके मैं पैर पकडर उनसे विनती करता हूँ के "उन्हें अपने घर पर वापिस लाओ और उनकी सेवा करो" । माता-पिता जब वृध्द हो जाते है तो वह बोझ नही बनते है,वह तो हमे स्ययं की सेवा के माध्यम से ऋण उतारने का मौका देते है और उनका ऋण इस जन्म में हम नही उतार पाते है ।

माँ शब्द ही अपने आप मे सभी पापो से पीड़ाओं से मुक्ति दिला सकता है,इस संसार के सभी ऋषि-मुनियों से मैं इस बात पर द्वंद भी करना चाहूंगा के "माँ" इस पवित्र शब्द से बड़ा ना कोई मंत्र है और ना कोई सिद्धि है । सिर्फ माँ कहेने से नही होगा,हमे उस माता को भी समझना पड़ेगा जिसे हम माँ कहेते है,यार नवरात्रिया तो आते-जाते रहेगी परंतु जिन्होंने जन्म दिया है वो तो बस इस जन्म में एक ही बार अपने स्वयं के आखरी साँस तक साथ रहेगी । माँ की सेवा करो तो मातारानी बिना किसी भी प्रकार के सेवा से प्रसन्न हो जाएगी । आप नवरात्रि में वैसे भी मातारानी से क्या मांगेंगे धन-धान्य-ऐश्वर्य-पत्नी-प्रियसी-रोगमुक्ति या ओर भी कुछ जो सिर्फ आपका स्वार्थ ही होगा परंतू इस बार कुछ विशेष मांगो "है माँ भगवती मेरे प्रिय माता-पिता को स्वस्थ जीवन,चिन्तामुक्ति,सुख और मेरे हाथो उनकी सेवा प्रदान करो,मैं सदैव आपका ऋणी बनकर रहुगा" ।

यह मातारानी से की जाने वाली प्रार्थना ही आपके जीवन को बदल सकती है,येसा ही मुझे पूर्ण विश्वास है । इसी प्रार्थना के साथ आज आपको एक विशेष मंत्र भी दे रहा हूँ जो अत्यंत गोपनीय है परंतु आज इस मंत्र के गोपनीय रखना मुझे उचित नही लग रहा है । मेरे तो कई सारे शत्रु है जो सिर्फ मेरे पिट-पीछे बात करते है,उनमे शायद इतनी हिम्मत नही है के वह मेरे सामने आकर मुझसे बात करे । आजकल मेरे प्रिय शत्रुओ ने कई सारे ग्रुप बनाए हुये है जहां मेरी स्तुति चलती रहती है और स्तुति में बुराई ही होती है ओर तो नया कुछ होता नही है ।

मैने अपने प्राण-प्रिय मूर्ख शत्रुओ का ज़िक्र आज इसलिये किया क्युके उन्हें लगता है के मैं स्वयं मंत्र बनाता हूँ और अपने ब्लॉग पर पोस्ट करता हूँ । मेरे आठ गुरु है,जिसमे सात गुरु नाथ साम्प्रदायिक है और उन्हें शाबर मंत्रों के उच्चकोटि के ज्ञान से सिद्धिया प्राप्त है । उनके पास जो भी कुछ मंत्रविद्या है वह तो गोपनीय ही है,उनसे प्राप्त मंत्र दुनिया के किसी भी किताब में देखने मिलते नही है । उन्होने ने कठिन तपस्या के माध्यम से मंत्रो को शक्तिशाली बनाए रखा है और मेरे जैसे कई शिष्यों को थोड़े बहोत संख्या में जाप करने के माध्यम से सफलता दिलवायी है । अब मेरे शत्रुओं को यही समस्या है के जो शाबर मंत्र मैं देता हूँ वह किताबो में क्यों नही मिलते है?,मेरे विद्वान शत्रुओ तुम लोग कब तक किताबी कीड़े बनकर इस धरा पर रेंगते रहोगे,मैं तो चाहता हूँ के इस नवरात्रि के पावन अवसर पर संकल्प लो के "हमे मंत्रविद्या का उच्चकोटि का ज्ञान मिले और हम जीवन मे कुछ प्रैक्टिकल भी कर सके",यार तुम लोग कब तक किताबें पढ़ते रहोगे? । कुछ तो प्रैक्टिकल करना भी सिख लो और मातारानी से प्रार्थना करो के तुम्हारे अंदर का अज्ञान समाप्त हो जाये ।






मंत्र-


ॐ नमो आदेश गुरु को,दुर्गा माई सत्य की सवाई,आगे चले हनुमंत बीर पीछे चले भैरुनाथ,अष्टभुजी अम्बारानी शत्रु आवे त्रिशूल चलाये,रोग आये सुदर्शन चलाये,बाधा आये तलवार चलाये,जादू आये बाण चलाये,बालक पर कृपा बनाये,इतना मंत्र चौरासी लाख सिद्धो को गोरख ने सुनाया,मेरी भक्ति गुरु की शक्ति,फुरो मंत्र ईश्वरी वाचा ।।






(नवरात्रि से पूर्व इस मंत्र का साधना विधान पोस्ट कर दिया जायेगा,तब तक आप यह अद्वितीय शाबर मंत्र याद करके रखे क्युके प्रत्येक शाबर मंत्र बिना कंठस्थ किये सफलता नही दे सकता है)


आदेश..........