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26 May 2016

साधना सामग्री हेतु.

यह एक महत्वपूर्ण बात है,जो सभी प्रिय साधको के लिये आवश्यक है। जिस साधक को किसी भी प्रकार का साधना सामग्री हमसे प्राप्त करना हो तो ईमेल भेजते समय अपना कोई भी एक फोटो आई.डी. भी भेजीये । अगर किसी समस्या का समाधान भी प्राप्त करना हो तो फोटो आई.डी. भेजना अनिवार्य है। फोटो आई.डी. मे आप आधार कार्ड,voting id card, driving license or pan card भी भेज सकते है ।
यह सब करना पड रहा क्युके कुछ लोग अलग-अलग नाम से हमसे प्रामाणिक साधना सामग्री प्राप्त करते है और ज्यादा धनराशि लेकर किसी दुसरे व्यक्ति को बेचते है। जैसे मुझे एक आदमी से पता चला उसने किसीसे बिर कंगन 20,000/-रुपये मे खरिदा और जब उसने हमारे साईट पर पढा तो वह हैरान होकर मुझसे पुछता है के आप 6100/- रुपये मे बिर कंगन कैसे दे रहे है ? जब मैने उससे उससे पुछा आप येसा क्यु पुछ रहे हो तो उसने मुझे बताया उसने किसी धिरज ******* नाम के व्यक्ति से 20 हजार रुपये मे खरिदा,जब मैने अपने रेकार्ड मे देखा तो मुझे भी पता चला "अब तक धिरज ******* ने मुझसे 3 बिर कंगन प्राप्त किये है।

ये सब हो गया तब मुझे येसा लगा के अब तो बहोत कुछ गड़बड़ हो चुका है क्युके कुछ लोग मुझसे प्रत्येक महिने मे बहोत सारा सामग्री मंगवाते है। परंतु अब आगेसे येसा नही होगा,हम लोगो को सामग्री बनवाने मे बहोत श्रम करना पड़ता है। येसे ही सब कुछ हवा मे निर्मित नही होता है,एक तो हमारे पास समय कम होता है और साधना करने वाले साधको का साधनाओं मे रुचि बढते जा रहा है। इसलिये आगेसे आप जब भी ईमेल से कुछ भी पुछना चाहो या साधना सामग्री प्राप्त करना चाहो तो अब आपको अपना आई.डी. कार्ड (I.D.card) भेजना जरुरी है। आई.डी. कार्ड ना भेजने वालो को किसी भी प्रकार का रिप्लाइ नहि दिया जायेंगा ।

हमारे तरह से आप सभी को ढेर सारा प्यार.....


आदेश.......

24 May 2016

चौरासीनाथ सिद्ध चालीसा


श्री गुरु गणनायक सिमर , शारदा का आधार |
कहूँ सुयश श्री नाथ का , निज मति के अनुसार ||
श्री गुरु गोरक्षनाथ के , चरणों में आदेश |
जिन के जोग प्रताप को , जाने सकल नरेश ||
जय श्री नाथ निरंजन स्वामी , घट घट के तुम अन्तर्यामी |

दीन दयालु दया के सागर , सप्तद्वीप नवखंड उजागर |
आदि पुरुष अद्वैत निरंजन , निर्विकल्प निर्भय दुख भंजन |
अजर अमर अविचल अविनाशी , रिद्धी सिद्धि चरणों की दासी |
बाल यती ज्ञानी सुखकारी , श्री गुरुनाथ परम हितकारी |
रूप अनेक जगत में धारे , भगत जनों के संकट टारे |
सुमिरन चौरंगी जब कीन्हा , हुए प्रसन्न अमर पद दीन्हा |
सिद्धों के सिरताज मनाओ , नवनाथों के नाथ कहावो |
जिसका नाम लिए भव जाल , अवागंमन मिटे तत्काल |
आदिनाथ मत्स्येन्द्र पीर, धोरामनाथ धुंधली वीर |
कपिल मुनि चर्पट कुण्डेरी , नीमनाथ पारस चगेरी |
परशुराम जमदग्नि नंदन , रावण मार राम रघुनन्दन |
कंसादिक असुरन दलहारी , वासुदेव अर्जुन धनुर्धारी |
अन्चलेश्वर लक्ष्मण बलबीर , बलदाई हलधर यदुवीर |
सारंगनाथ पीर सरसाईं , तुंगनाथ बद्री बलदाई |
भूतनाथ धरीपा गोरा , बटुकनाथ भैरो बल जोरा |
वामदेव गौतम गंगाई , गंगनाथ धोरी समझाई |
रतननाथ रण जीतन हारा , यवन जीत काबुल कंधारा |
नागनाथ नाहर रमताई , बनखण्डी सागर नन्दाई |
बंकनाथ कन्थड सिद्ध रावल , कानीपा निरीपा चंद्रावल |
गोपीचंद भर्तृहरि भूप , साधे योग लखे निज रूप |
खेचर भूचर बाल गुन्दाई , धर्मनाथ कपली कनकाई |
सिद्धनाथ सोमेश्वर चंडी , भुसकाई सुन्दर बहुदण्डी |
अजयपाल शुकदेव व्यास , नासकेतु नारद सुख रास |
सनत्कुमार भारत नहीं निद्रा , सनकादिक शरद सुर इन्द्रा |
भंवरनाथ आदि सिद्ध बाला , च्यावननाथ मानिक मतवाला |
सिद्ध गरीब चंचल चन्दराई , नीमनाथ आगर अमराई |
त्रिपुरारी त्र्यम्बक दुःख भन्जन, मंजुनाथ सेवक मन रंजन |
भावनाथ भरम भयहारी , उदयनाथ मंगल सुखकारी |
सिद्ध जालंधर मूंगी पावे, जाकी गति मति लखि न जावे |
अवघड देव कुबेर भंडारी , सहजाई सिद्धनाथ केदारी |
कोटि अनन्त योगेश्वर राजा , छोड़े भोग योग के काजा |
योग युक्ति करके भरपूर , मोह माया से हो गए दूर |
योग युक्ति कर कुन्तिमाई , पैदा किये पांचो बलदाई |
धर्मं अवतार युधिष्ठिर देवा , अर्जुन भीम नकुल सहदेवा |
योग युक्ति पार्थ हिय धारा , दुर्योधन दल सहित संहारा |
योग युक्ति पांचाली जानी , दुशासन से यह प्रण ठानी |
पावूं रक्त न जब लग तेरा , खुला रहे यह शीश मेरा |
योग युक्ति सीता उद्धारी , दशकन्धर से गिरा उच्चारी |
पापी तेरा वंश मिटाऊँ , स्वर्ण लंका विध्वंस कराऊँ |
श्री रामचंद्र को यश दिलाऊं , तो मैं सीता सती कहाऊँ |
योग युक्ति अनसूया कीनो , त्रिभुवननाथ साथ रस भीनो |
देव दत्त अवधूत निरंजन , प्रगट भए आप जगवंदन |
योग युक्ति मैनावती कीन्ही , उत्तम गति पुत्र को दीन्ही |
योग युक्ति की बांछल मातू , गोगा जाने जगत विख्यातू |
योग युक्ति मीरा ने पाई , गढ चित्तौड़ में फिरी दुहाई |
योग युक्ति अहिल्या जानी , तीन लोक में चली कहानी |
सावित्री सरस्वती भवानी , पार्वती शंकर मनमानी |
सिंह भवानी मनसा माई , भद्रकाली सहजा बाई |
कामरू देश कामाक्षा जोगन , दक्षिण में तुलजा रस भोगन |
उत्तर देश शारदा रानी , पूरब में पाटन जग मानी |
पश्चिम में हिंगलाज बिराजे , भैरवनाद शंख ध्वनि बाजे |
नवकोटी दुर्गा महारानी , रूप अनेक वेड नहीं जानी |
काल रूप धर दैत्य संहारे , रक्त बीज रण खेत पछारे ।
मैं जोगन जग उत्पत्ति करती , पालन करती संहार करती |
जती सती की रक्षा करनी , मार दुष्ट दल खप्पर भरनी |
में श्री नाथ निरंजन की दासी , जिनको ध्यावे सिद्ध चौरासी |
योग युक्ति से रचे ब्रम्हाण्डा , योग युक्ति थरपे नवखण्डा |
योग युक्ति तप तपे महेश , योग युक्ति धर धरे हैं शेष |
योग युक्ति विष्णु तन धारे , योग युक्ति असुरन दल मारे |
योग युक्ति गजानन जाने , आदि देव त्रिलोकी माने |
योग युक्ति करके बलवान , योग युक्ति करके बुद्धिमान |
योग युक्ति करा पावे राज , योग युक्ति कर सुधारे काज |
योग युक्ति योगेश्वर जाने , जनकादिक सनकादिक माने |
योग युक्ति मुक्ति का द्वार , योग युक्ति बिन नहीं निस्तारा |
योग युक्ति जाके मन भावे , ताकि महिमा कही न जावे |
जो नर पढ़े सिद्ध चालीसा , आदर करे देव तैंतीसा |
साधक पाठ पढ़े नित्य जो कोई , मनोकामना पूरण होई |
धुप दीप नैवेद्य मिठाई , रोट लंगोट भोग लगाई |

दोहा

रतन अमोलक जगत में , योग युक्ति है मीत |
नर से नारायण बने , अटल योगी की रीत |
योग विहंगम पंथ को , आदिनाथ शिव कीन्हा |
शिष्य प्रशिष्य परंपरा , सब मानव को दीन्हा |
प्रातःकाल स्नान कर , सिद्ध चालीसा ज्ञान |
पढ़े सुने नर पावही , उत्तम पड़ा निर्वाण |
इति चौरासी सिद्ध चालीसा संपूर्ण भया |
श्री नाथजी गुरूजी को आदेश | आदेश |
गुरु गोरक्षनाथ भगवान की जय |


चौरासीनाथ सिद्धों को आदेश आदेश.....

23 May 2016

निच्छित अप्सरा सिद्धी.

सुंदर और बेहद आकर्षक.... सही मायनों में शायद यही है अप्सराओं की परिभाषा। हिन्दू पौराणिक ग्रंथों एवं कुछ बौद्ध शास्त्रों द्वारा भी अप्सराओं का ज़िक्र किया गया है। जिसके अनुसार ये काल्पनिक, परंतु नितांत रूपवती स्त्री के रूप मे चित्रित की गई हैं। यूनानी ग्रंथों मे अप्सराओं को सामान्यत: 'निफ' नाम दिया गया है।
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इन अप्सराओं का कार्य स्वर्ग लोक में रहनी वाली आत्माओं एवं देवों का मनोरंजन करना था। वे उनके लिए नृत्य करती थीं, अपनी खूबसूरती से उन्हें प्रसन्न रखती थीं और जरूरत पड़ने पर वासना की पूर्ति भी करती थीं। लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है यह कोई नहीं जानता, क्योंकि इनका उल्लेख अमूमन ऐतिहासिक दस्तावेजों में ही प्राप्त हुआ है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अलावा अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी अप्सराओं का उल्लेख पाया गया है। लेकिन इनके नाम काफी भिन्न हैं। चीनी धार्मिक दस्तावेजों में भी अप्सराओं का ज़िक्र किया गया है, लेकिन शुरुआत हम हिन्दू इतिहास से करेंगे।
हिन्दू इतिहास की बात करें ऋग्वेद के साथ-साथ महाभारत ग्रंथ में भी कई अप्सराओं का उल्लेख पाया गया है।

अप्सराएँ निच्छित सिद्ध हो सकती है परंतु इसके लिये साधक को सय्यम रखना आवश्यक है। जो साधक सय्यम खो देते है,उनको तो कई जन्मो तक अप्सराएँ सिद्ध नही हो सकती है। यहा आजकल कुछ लोग अप्सरा को प्रत्यक्ष करने का दावा करते,जिसे मै एक अफवा मानता हू । क्युके आजकल के दुनिया मे चाहे कोई कितना भी प्रेम करता हो या सुंदर लड़का हो,उसको किसी गलि की लड़की को पटाने मे 3-4 महिने लग जाते है और यहा लोग बात करते है एक देवकन्या जो अत्यंत सुंदर है उस अप्सरा को प्रत्यक्ष करने की । सोचो येसे सुंदर अप्सरा को प्रत्यक्ष करने मे कितना समय लगेगा ? तंत्र शास्त्र मे 108 अप्सराओं का वर्णन मिलता है,जिनका आज के समय मे किसीको नाम तक पता नही चला और एक प्राचीन किताब मे लिखा हुआ है "जब तक 108 अप्सराओं की रजामंदी ना मिल जाये तब कोई भी एक विशेष अप्सरा किसी भी साधक के सामने प्रत्यक्ष नही हो सकती है" और इस बात का प्रमाण भी हमे देखने मिलता है।

आप सभी जानते है,श्री हनुमानजी जी के माता का नाम "अंजनी" था,माता अंजना देवी स्वयं एक अप्सरा थी । देवताओ के कार्यपुर्ति हेतु उन्होंने धरती पर जन्म लिया था। उनका उद्देश्य सिर्फ हनुमानजी को जन्म देना ही नही बल्कि उनका पालन-पोषण करने के साथ साथ उन्हे अच्छे सन्स्कार से पुर्ण करना था। उनको धरती पर जन्म लेने हेतु समस्त अप्सराओं की रजामंदी लेनी पडी थी और एक समय येसा भी आया था के "उन्हे बाल हनुमानजी को छोड़कर अप्सरा लोक वापिस जाना पडा था क्युके समय काल के हिसाब से उनका धरती पर कार्यकाल पुर्ण हो गया था" । उस समय अचानक अपने माता से दुर हो जाने के वजेसे बाल हनुमानजी का व्यथा बहोत खराब हो चुका था और ममता स्वरुप समस्त अप्सराओं ने देवराज इंद्र से पुनः निवेदन करके माता अंजना देवि को धरती पर भेजने का प्रस्ताव रखा था । देवराज इन्द्र ने उस समय यह गोपनियता स्पष्ट की थी,जिसमें उन्होंने कहा था "अगर आप समस्त अप्सराओं की रजामंदी (अनुमति) है,तो अंजना देवि को पुनः धरती लोक पर भेज सकते है"। तो इस तरह से देवि अंजना माता को पुनः धरती लोक पर आकर हनुमानजी को एक महाबली बनाने मे समस्त अप्सराओं की मदत प्राप्त हुई।

यह सिर्फ एक कहानी नही है अपितु अप्सरा साधक के लिये गोपनिय रहस्य है। जब अप्सरा साधक 21 दिनो तक "सर्व अप्सरा सिद्धी यंत्र" के सामने बैठकर "सर्व अप्सरा सिद्धी शाबर मंत्र" का जाप करता है तो उसके लिये स्वयं समस्त अप्सराएँ किसी भी एक विशेष अप्सरा को सिद्ध करने हेतु सहायता करती है। जब कोई भी अप्सरा साधक यह सर्व अप्सरा सिद्धी शाबर मंत्र का 21 दिनो तक जाप कर लेता है तो कोई भी एक अप्सरा उसका इच्छित कार्य पुर्ण कर देती है। सर्व अप्सरा सिद्धी यंत्र को भोजपत्र पर विशेष मुहुर्त मे बनाया जाता है,जिसपर सुर्य के रोशनी के साथ शुक्र ग्रह के होरा का ध्यान रखकर निर्मित किया जाता है। भोजपत्र पर यंत्र निर्मित हो जाने के उपरांत कुछ विशेष जडीबुटियो के माध्यम से सर्व अप्सरा सिद्धी यंत्र का निर्माण होता है। जैसे चंद्रनाग, मनमोहीनी, मायाजाल, लज्जावती, केसर, जटाशंकर......इत्यादि 11 प्रकार की जडीबुटिया इस ताबीज स्वरुप यंत्र मे स्थापित करना आवश्यक है। साथ मे सर्व अप्सरा सिद्धी माला जो डबल झिरो साईज का हो,जिससे जाप करते समय आसानी हो और वह माला भी "क्लीम्" बीज मंत्र के साथ क्रोध भैरव के मुल मंत्र से सिद्ध करना आवश्यक है। इस साधना को करने के बाद ही विशेष अप्सरा साधना को सम्पन्न करने से प्रत्यक्ष अप्सरा साधना सिद्धी सम्भव है,जो इस साधना को सम्पन्न करने मे तत्पर ना हो,उन्हे अप्सरा साधना सिद्धी मे सफलता प्राप्त करना  एक मुश्किल कार्य हो सकता है।

जो साधक सर्व अप्सरा सिद्धी एवं विशेष अप्सरा (मेनका , उर्वशी , रम्भा , लिलावती ,.......नाभीदर्शना ..... इत्यादि) साधना सम्पन्न करना चाहते है,वह हमसे सम्पर्क करे । हमसे प्रामाणिक एवं प्राण-प्रतिष्ठीत चैतन्य साधना सामग्री प्राप्त करने हेतु हमारे ई-मेल आय.डी. पर ईमेल भेजकर सम्पर्क करे- amannikhil011@gmail.com पर ।इस साधना को सम्पन्न करने हेतु आपको सर्व अप्सरा सिद्धी शाबर यंत्र और माला भेज दिया जायेगा,इस सामग्री को प्राप्त करने हेतु आपको 5150/-रुपये न्योच्छावर राशि देना होगा। इस साधना सामग्री के साथ विशेष अप्सरा यंत्र और सर्व अप्सरा सिद्धी दीक्षा निशुल्क मे दीया जायेगा। आपसे धनराशि प्राप्त होने के बाद 2-3 दिनो मे हमारे तरफ से साधना सामग्री भेज दिया जायेगा और सर्व अप्सरा सिद्धी दीक्षा फोटो पर साधना प्रारंभ करने से एक दिवस पहिले दिया जायेगा।

सर्व अप्सरा सिद्धी दीक्षा के माध्यम से साधक को अप्सरा साधना मे विशेष अनुभूतियाँ हो सकती है,जिसके माध्यम से साधक अपने जिवन मे सभी प्रकार के सुख प्राप्त कर सकता है। अप्सरा साधना से पुरे जिवन बदला जा सकता है ।





आदेश.....

10 May 2016

जिन-जिन्नात सिद्धि.

जिन्नात और जिन्न अलग अलग है मगर यह हमारे बीच ही आम इन्सान की तरह ही रहते है और हम उन्हें पहचान नही पाते है । जिन्न व जिन्नातों में भी अच्छे बुरे होते है । जिन्नो को पांच रंग की मिठाई बहुत पसंद होती है और यह पवित्रता से रहते है । कुछ जिन्न येसे होते है जिनको ताजे बकरे का घोश चढाते है और उसके खुशबू से जिन्न घोश के पास आजाते है। जब जिन्न घोश के पास आये तो कुछ हरकतें दिखाई देता है,उसी समय बंधन मार देने से जिन्न काबु मे आजाता है। ये तरिका आसान है परंतु इस प्रक्रिया मे साधक को बहोत ज्यादा सावधानी से काम लेना पड़ता है। मै यहा आज एक येसा क्रिया बता रहा हू जिससे जिन्न सिद्धि आसान है। जिन्नो से काम करवाना बहोत कठिन माना जाता है क्युके वह हर काम के बाद अपनी मनपसंद चिजे मांगता है,जिसे उनको देना ही पडता है । परंतु मै जो क्रिया बता रहा हू इसमे सिर्फ पांच रंग का मिठाई ही देना पडता है,इस क्रिया मे जिन्न अपना मनपसंद चिज नही मांग सकता है।


इस्लाम मे "नादे-अली " बहोत प्रचलित है। आप चाहो तो गूगल पर "नादे अली" सर्च करके देखिये तो आपको पता चल जायेगा,इस दुनिया मे जितनी भी परेशानीया है उसको नादे अली का वझीफा (मंत्र) पढ़ने से हर परेशानी से मुक्ति मिलता है। हर समस्या का समाधान नादे अली का एक छोटासा वझीफा है परंतु हिंदू भाई/बहनो के लिये यह वझीफा पढना आसान कार्य नही है क्युके इस्लाम के नियमो का पालन करना नमाज़ पढना,ये किसी भी हिंदू को नही करना चाहिए। इसमे किसी भी प्रकार की गलती को माफी नहि है,इसलिये एक और तरिका है जिससे नादे अली जी से सभी कार्य आसानी से विनम्रता पुर्वक किये जा सकते है। नादे अली जी के प्रसन्न होने पर वह आसानी से साधक को जिन्न-जिन्नात दे देते है। उनको प्रसन्न करने से हर मुराद (इच्छा) पुर्ण हो सकती है,इसमे कोइ संशय नही है। चाहे नोकरी का समस्या हो,शादी या प्रेमविवाह का समस्या हो,शत्रु से पिडा का समस्या हो,काले जादू से परेशानी हो जिसे हम तंत्र बाधा कहते है तो इस प्रकारा से सभी समस्याओं का समाधान नादे अली जी कम समय मे ही करवा देते है।


मेरा एक मित्र का छोटा भाइ है,जो इंजिनियर के पढाई को पुरा करने के बाद मुम्बई मे मनचाहा नोकरी ढुंडने मे लग गया परंतु उसे नोकरी नही मिला। मैने उसको नादे अली का चिराग दिया और उसको इस्तेमाल कैसे करना है बता दिया। उसने जैसे चिराग का इस्तेमाल शुरु किया उसके 10 दिनो बाद ही उसको अच्छे जगहें से नोकरी करने के लिये बुलावा आया। वो इस चमत्कारा से हैरान हो गया और बताने लगा "भैय्या जहा जहा मैने अप्लाइ किया था,उसमे से 60% लोगो मुझे नोकरी देने के लिये तय्यार हो गये है"। फिर भी मैने उसको 24 दिनो तक चिराग का इस्तेमाल करने का राय दिया और 24 दिनो बाद एक फ्रेशर विद्यार्थी आज MNC मे अच्छे पद पर नोकरी कर रहा है।

एक ओर येसे मित्र है जिनका जिवन उनके पत्नि के वजेसे नर्क बन चुका था परंतु आज स्वर्ग के आनंद उठा रहे है। उनकी पत्नि अब उनके कहेनुसार काम करती है,आज उनकी पत्निपिडा समाप्त हो चुकी है। एक व्यापारी है पहेचान के जो आज के समय मे चिराग का इस्तेमाल पिछले कई महिनो से कर रहे है। उनका अनुभव बहोत बढिया रहा,एक तो घाटे मे चल रहा हुआ व्यापार अब उन्नति पर है और 4-5 लाख रुपये का कर्ज भी अब खत्म होने पर है।


नादे अली के चिराग का इस्तेमाल कोइ भी कर सकता है। इसमे किसी धर्म से जुड़ा कोइ सवाल नही है,जिसको भी किसी प्रकार का परेशानी हो वह नादे अली चिराग के इस्तेमाल से अपने सभी समस्याओं पर विजय प्राप्त कर सकता है।

नादे-अली-चिराग पर जिन्न को सिद्ध करना एक आसान कार्य है परंतु इसमे समय थोड़ासा ज्यादा लगता है। जैसे जिन्न को सिद्ध करने के लिये बकरे के घोश का इस्तेमाल करे तो तीन दिनो मे जिन्न सिद्ध होता है तो इत्र के खुशबू से सिद्ध करना चाहो तो 7-8 दिन लगते है। उद जो कइ प्रकार के होते है,इसमे तिलस्मी उद और एकधारी उद का इस्तेमाल करो तो 15-20 दिनो मे जिन्न सिद्ध होता है । नादे अली के चिराग का इस्तेमाल करो तो एक दिन मे भी हो सकता है या फिर ज्यादा से ज्यादा 41 दिनो मे जिन्न सिद्ध हो सकता है । अब ये अपनी किस्मत समजीये के एक दिन मे नादे अली जी को प्रसन्न करके जिन्न को सिद्ध किया जा सकता है अन्यथा नादे अली जी कुछ दिनो मे जिन्न तो दे सकते है। इस क्रिया मे हमे रोज 25-30 मिनट का समय देना पडता है,इतना समय जिन्न को सिद्ध करने के लिये कोई भी निकाल सकता है। क्रिया बहोत ज्यादा आसान है और इसमे सभी नियम आसान है।


इसमे हमारा ध्येय तो जिन्न को सिद्ध करने का है परंतु यह क्रिया करने से हमारे सभी समस्याओं का समाप्त होना भी सम्भव है। मै इस पोस्ट मे नादे अली जी के चिराग का फोटो भी दे रहा हूँ। इस चिराग को चैतन्य और जागृत किया जाता है ताकी साधक को पुर्ण सफलता मिल सके । इस चिराग का इस्तेमाल करना बहोत आसान है,इस पर अलग प्रकार के शाबर मुस्लिम मंत्रो का जाप करना होता है और यह मंत्र गोपनीय है,जो किताबें मे नही दिये गये है। इस पर वझीफा पढ़ने से शिघ्र कार्य सिद्ध होता है,हमारे तरफ से आपको जागृत चिराग प्राप्त होगा जो तिव्र काम करता है। जिन्न का चिराग तो हमने कुछ वर्ष पहिले टि.वी. मे किसी सिरियल मे देखा था,कहेते है येसे चिराग आज भी अरब देशो मे मौजुद है और उस चिराग को सिद्ध करने के गोपनिय मंत्र हमारे शाबर मंत्र विद्या मे आज भी हमे देखने मिलते है। इस प्रकार से कुरान (2:186) मे नादे अली जी का वझीफा दिया हुआ है,वह इस प्रकार से है-


“NAAD-E-‘ALI YYAM MAZHARIL ‘AJAAIBI TAJID HU ‘AWNALLAKA FINNAWAA IBI QULLU HAMINWWA ‘GHAMMIN SAYANJALI BI RAHMATIKA YA ALLAHU WABI NABUWWATIKA YA MUHAMMADU WABI WIL AYAATIKA YA ALIYYU YA ALIYYU YA ALI”


वझीफा पढ़ने से 360 प्रकार के फायदे "nad-e-ali-shareef" गूगल पर सर्च किया जाये तो आपको पढने मिलेंगे । हिंदू भाइओ के लिये यह वझीफा ( मंत्र ) पढना मुश्किल है,क्युके इसको इच्छापुर्ती के लिये पढ़ने हेतु कुछ नियम दिये हुए है। जिसे पालन करना हम हिंदूओं के लिये कठिन है परंतु इसको पढने का एक आसान तरिका भी है और वह तरिका हम नादे अली चिराग पर आसानी से पढ सकते है,जिसके नियम भी आसान है। जाग्रत चिराग पर मंत्र जाप करने से जिन्न सिद्धी निःसंदेह शिघ्र प्राप्त हो सकती है। आपको इसमे अवश्य सफलता मिलेगा यह मुझे विश्वास है,अनुभव के आधार पर यह लिखना कोइ बडी बात नही है के खोया हुआ प्यार,इज्जत और धन वापस पाना नादे अली जी के चिराग से आसान है।मुझे जिवन मे जब भी किसी चिज का जरुरत पडता है तब मै नादे अली जी के चिराग का इस्तेमाल करता हूं और मेरा काम हो जाता है। जिस साधक को यह जाग्रत चिराग प्राप्त करना हो वह ईमेल से सम्पर्क कर सकते है- amannikhil011@gmail.com पर । चिराग के साथ सभी प्रकार का मंत्र विधि-विधान भी दिया जायेगा,जिसके पास नादे अली जी का चिराग हो उसको दुनिया के सामने हाथ फैलाने का जरुरत नही पडता है। वह जब चाहे खुद ही अपना मनचाहा मुराद पुरा करवा सकता है। जाग्रत नादे अली जी का चिराग 3100/-रुपये मे दिया जायेगा और एक बार गूगल पर नादे अली जी के बारे मे सर्च करके देखिये तो आप सभी साधक खुद ही जान जायेगे "अब आपका प्रत्येक मनोकामना पुर्ण होनेवाला है"। इस बार तो आपको जिन्न सिद्ध करना ही है और मुझे विश्वास है आप सभी साधको पर के "आप इस बार जिन्न को सिद्ध किये बिना नही रहोगे "। आप सभी पर मातारानी को असिम कपा बरसे,यही मातारानी से प्रार्थना करता हूं।



'काफिर के हक में कहरे खुदा है अली का नाम, मोमिन के हक में रद्दे बला है अली का नाम, 'यावर' लबे हयात पे नादे अली रहे, मुश्किल में बेहतरीन दुआ है अली का नाम'।



नोट:-इस चिराग से किसी भी प्रकार का कोई भी बुरा कार्य ना करे । यह चिराग कोई साधारण चिराग नही है,इससे अच्छे कार्य करने चाहिये । हो सकता है कुछ साधक चिराग से अनजान व्यक्ति पर वशीकरण प्रयोग करे,वशीकरण प्रयोग सफल तो हो जायेंगा परंतु ज्यादा समय तक उसका असर नही रहेगा । इसलिये जब भी आप येसे प्रयोग करो तो सोच समझकर करे,जो दिल से सच्चा प्रेम करते है,उन्हें तो यह चिराग बहोत अच्छे परिणाम देगा। मै आशा करता हू,कोई भी व्यक्ति चिराग का गलत इस्तेमाल नही करेगा ।





आदेश......