30 Sept 2015

सम्पर्क किजिये.(Contact Me)




किसी भी जानकारी को प्राप्त करने हेतु आप हमसे सम्पर्क करे और हमसे पुरा सहयोग प्राप्त करे.आपको मंत्र, तंत्र,यंत्र,अघोर,शाबर,गोम्पा ,सुलेमानी और दुर्लभ साधना हेतु मार्गदर्शन करेगे.आपकी समस्या पर चर्चा करेगे और समस्या निवारण हेतु कोई मार्ग निकालेगे.आपका जीवन अमूल्य है जिसे आप स्वयम मंत्रो के माध्यम से अद्वितीय बना सकते है। 

हमारे यहां किसी भी प्रकार का कोई भी गुरुदीक्षा नही दिया जाता है,इसलिए कृपया इस विषय पर बात ना करे । गुरु बनना कोई आसान कार्य नही है,गुरु वह होता है "जो जीवन मे अपना सर्व ज्ञान और सभी प्रकार का प्राप्त कियी हुई सिद्धि की शक्तियों को अपने शिष्य को प्रदान कर सके । आजकल ऐसे गुरु देखने भी नही मिलते है और मैं अभी भी इस लायक नही हु के किसी को गुरुदीक्षा दे सकू ।


मैंने भूतकाल और वर्तमान काल मे अब तक किसीको भी गुरुदीक्षा नही दिया है,भविष्यकाल में भी मेरे लिए गुरुदीक्षा देना संभव नही है ।

दुख,कष्ट,पीडा,रोग,मनमुटाव,दोष,बाधाये यह सब मनुष्य जीवन को खराब कर देते है,परंतु मित्रो मंत्र जाप के माध्यम से इन सब पर विजय प्राप्त करना आसान है जिसे समझाना हमारा कार्य है।

आपके प्रत्येक समस्या पर हम सोच-विचार करके जावाब देगे और जवाब प्राप्त करने में आपको समय का प्रतीक्षा करना पड़े तो इसके लिए क्षमस्व....










एक संस्कृत का श्लोक बताता हू-


विविध तंत्रमयं सचराचरम,सकल विश्वमिदं ननु तंत्र नुतं l

समुपहार मिदं मनुजां कृते प्रकृतिदत्त शुभं सुमनोहरम ll


अर्थ:यह समस्त चराचर जगत विविध तंत्र शक्ति से अनुप्राणीत है,यह विश्व ब्रम्हांड अनेकविध तंत्रो से आबद्ध है,अद्भुत विलक्षणता लिए हुए ये तंत्र मनुष्यो के लिये ईश्वर प्रदत्व शुभ ,सुखद तथा श्रेष्ठतम उपहार है.इन तंत्र के माध्यम से श्रेष्ठतम,सुंदर से सुंदरतम तथा अद्भुत व्यत्कित्व प्राप्त किया जा सकता है.

जिसने इस श्लोक को समझ लिया वह साधक श्रेष्ठ मंत्र और तंत्र का ग्याता बनता है क्युके उसका विश्वास बढता है.उसको तंत्र पर आस्था निर्मित करने हेतु यह उत्तम श्लोक है.


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